Monday, October 17, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 1301. - 1400.

ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.


1301. सकारात्मक ऊर्जा - गीजर आदि विद्युत उपकरण अग्नि से संबंधित हैं, अत: इन्हें बाथरूम के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में लगाएं.  बाथरूम में एक बड़ी खिड़की व एक्जॉस्ट फैन के लिए अलग से रोशनदान होना चाहिए.  बाथरूम में गहरे रंग की टाइल्स न लगाएं.  हमेशा हल्के रंग की टाइल्स का उपयोग करें.

1302. सकारात्मक ऊर्जा - घर का प्रवेश द्वार सदैव साफ रखना चाहिए.  प्रवेश द्वार पर हमेशा पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए.  ऐसा करने पर घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा आती है.

1303. सकारात्मक ऊर्जा - घर कितना ही पुराना हो, समय-समय पर उसकी मरम्मत, रंग-रोगन आदि कार्य करवाते रहना चाहिए ताकि नयापन व ताजगी बनी रहे.

1304. सकारात्मक ऊर्जा - घर की आभा को कायम रखने के लिए जरुरी है कि घर का प्लास्टर उखड़ा हुआ न हो.  यदि कहीं से थोड़ा सा भी प्लास्टर उखड़ जाए तो तुरंत उसे दुरुस्त करवाएं.

1305. सकारात्मक ऊर्जा - घर की छत पर कबाड़ा अथवा फालतू सामान न रखें.  यदि जरुरी हो तो एक कोने में रखें.  कबाड़ा व फालतू सामान रखने से परिवार के सदस्यों के मन-मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है.  इससे पितृ दोष भी लगता है.

1306. सकारात्मक ऊर्जा - घर के आस-पास कोई गंदा नाला, गंदा तालाब, शमशान घाट या कब्रिस्तान नहीं होना चाहिए.  इससे भी आभामंडल को अधिक फर्क पड़ता है.

1307. सकारात्मक ऊर्जा - घर के आसपास यदि कोई सूखा पेड़ या ठूंठ है तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए.   सूखे पेड़ या ठूंठ से घर में नकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी हो सकती है.  घर के आसपास सुंदर और हरे-भरे वृक्ष होना चाहिए.

1308. सकारात्मक ऊर्जा - घर के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र) में अंधेरा न रखें तथा वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) में तेज रोशनी का बल्व न लगाएं.

1309. सकारात्मक ऊर्जा - घर के सदस्य परस्पर सहयोग व शांति से रहें.  लड़ने-झगड़ने अथवा चिल्लाकर बोलने से आभामंडल पर बुरा असर होता है.

1310. सकारात्मक ऊर्जा - घर को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त रखने के लिए पूर्व दिशा में मिट्टी के एक छोटे से पात्र में नमक भर कर रखें और हर चौबीस घंटे के बाद नमक बदल दें.

1311. सकारात्मक ऊर्जा - घर जितना प्राकृतिक लगेगा उतना ही उसका आभामंडल उन्नत होगा.  घर का प्राकृतिक रूप देने के लिए आस-पास पेड़-पौधे, चारों ओर खुला हुआ स्थान, दूर से दिखने वाली दीवारों पर प्राकृतिक पत्थर, गमले आदि का उपयोग करें.

1312. सकारात्मक ऊर्जा - घर में कलर करवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पेंट एक सा हो.  शेड एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन शेड्स का तालमेल ठीक होना चाहिए.

1313. सकारात्मक ऊर्जा - घर में जो घडिय़ां बंद पड़ी हों, उन्हें या तो घर से हटा दें या चालू करें.  बंद घडिय़ां हानिकारक होती हैं.  इनसे नकारात्मक ऊर्जा निकलती है.

1314. सकारात्मक ऊर्जा - घर में तुलसी का पौधा रहता है तो कई प्रकार के वास्तु दोष दूर रहते हैं.  तुलसी के पौधे का पास रोज शाम को दीपक भी लगाना चाहिए.

1315. सकारात्मक ऊर्जा - घर में बाथरूम का नल या किसी अन्य स्थान का नल लगातार टपकते रहता है तो यह बात छोटी नहीं है, वास्तु में इसे गंभीर दोष माना गया है.  अत: नल से पानी टपकना बंद करवाना चाहिए.

1316. सकारात्मक ऊर्जा - घर या दफ्तर में झाड़ू का जब इस्तेमाल न हो रहा हो, तब उसे नजऱों के सामने से हटाकर रखें.

1317. सकारात्मक ऊर्जा - चारों तरफ की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म करने के लिए अपने घर में नियमित रूप से गौ मूत्र का छिड़काव करें.  गौ मूत्र को पवित्र पदार्थ माना गया है और इसमें वातावरण में मौजूद सभी नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने की शक्ति होती है.

1318. सकारात्मक ऊर्जा - पीली सरसों, गुगल, लोबान, गौघृत को मिलाकर इसकी धूप बना लें और सूर्यास्त के बाद दिन अस्त के पहले उपले (कंडे) जलाकर यह सभी मिश्रित सामग्री उस पर डाल दें और उसका धुआं संपूर्ण घर में फैलाएं.  ऐसा 21 दिन तक करेंगे तो घर से सभी तरह की नकारात्मक शक्तियां हट जाएगी.

1319. सकारात्मक ऊर्जा - पुराने भवन के भीतर कमरों की दीवारों पर सीलन पैदा होने से बनी भद्दी आकृतियां भी नकारात्मक ऊर्जा का सूचक होती हैं.  ऐसी दीवारों की तुरंत रिपेयरिंग करवा लें.

1320. सकारात्मक ऊर्जा - प्रवेश द्वार के आगे आप चाहे तो कुमकुम से शुभ-लाभ अथवा स्वस्तिक का चिन्ह बना सकते हैं .  इससे पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है एवं बुरी आत्मा घर से दूर रहती है .

1321. सकारात्मक ऊर्जा - प्रवेश द्वार के सामने फूलों की सुंदर तस्वीर लगाएं.  द्वार के सामने लगाने के लिए सूरजमुखी के फूलों की तस्वीर पवित्र और शुभ मानी गई है.

1322. सकारात्मक ऊर्जा - प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर या स्टीकर आदि लगाए जा सकते हैं.  यदि आप चाहे तो दरवाजे पर ऊँ भी लिख सकते हैं.  घर के प्रवेश द्वार पर ये शुभ चिह्न बनाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है.

1323. सकारात्मक ऊर्जा - बाथरूम में पानी का बहाव उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए.  यदि संभव हो तो बाथरूम घर के नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण दिशा) में बनवाना चाहिए.  अगर ये संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) में भी बाथरूम बनवाया जा सकता है.

1324. सकारात्मक ऊर्जा - मकड़ी का जला घर मैं बुरी उर्जा का संकेत हैं, घर से निकल दे, अगर है तो.

1325. सकारात्मक ऊर्जा - मधुमाखी का छत्ता, इसको जल्दी से घर से दूर कर दे, अगर है तो.

1326. सकारात्मक ऊर्जा - यदि अपने घर के बाहर हर रोज रात के समय दरवाजे के सामने झाड़ू रखते हैं तो इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है.  ये काम केवल रात के समय ही करना चाहिए.  दिन में झाड़ू छिपा कर रखें.

1327. सकारात्मक ऊर्जा - यदि आप अपने बाथरूम में एक कटोरी में खड़ा यानी साबूत नमक रखेंगे तो आपके घर के कई वास्तु दोष दूर हो जाएंगे.  कटोरी में रखा नमक महीने में एक बार बदल लेना चाहिए.  खड़ा नमक आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है और वातावरण को सकारात्मक बनाता है.

1328. सकारात्मक ऊर्जा - यदि आपके बाथरूम में दर्पण लगा हुआ है तो इस बात का ध्यान रखें कि दर्पण दरवाजे के ठीक सामने न हो.  जब-जब बाथरूम का दरवाजा खुलता है, तब-तब घर की नकारात्मक ऊर्जा बाथरूम में प्रवेश करती है.  ऐसे समय पर यदि दरवाजे के ठीक सामने दर्पण होगा तो उस दर्पण से टकराकर नकारात्मक ऊर्जा पुन: घर में आ जाएगी.

1329. सकारात्मक ऊर्जा - यदि आपके मन में नकारात्मक विचार आ रहे हैं तो उनका त्याग करें और घर में भगवान सत्यनारायण की  कथा करवाएं.  लाभ मिलेगा.

1330. सकारात्मक ऊर्जा - यदि किसी का व्यापार ठीक से नहीं चल रहा है तो उसे शनिवार के दिन नींबू का तांत्रिक उपाय करना चाहिए.  इस उपाय के अनुसार एक नींबू को दुकान की चारों दीवारों से स्पर्श कराएं.  इसके बाद नींबू को चार टुकड़ों में अच्छे से काट लें और चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में नींबू का एक-एक टुकड़ा फेंक दें.  इससे दुकान, व्यापार स्थल की नेगेटिव एनर्जी नष्ट हो जाएगी.

1331. सकारात्मक ऊर्जा - यदि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पश्चिम या पश्चिम में हो तो उसके ऊपर बाहर की तरफ घोड़े की नाल लगा देना चाहिए.  इससे सुरक्षा एवं सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.

1332. सकारात्मक ऊर्जा - यदि ड्रॉइंगरूम में फूलों को सजाते हैं तो ध्यान दें कि उन्हें प्रतिदिन बदलते रहना जरुरी है.  चूंकि जब ये फूल मुरझा जाते हैं तो इनसे नकारात्मक ऊर्जा निकलने लगती है.

1333. सकारात्मक ऊर्जा - यदि बाथरूम का दरवाजा बेडरूम में खुलता हो तो उसे खुला रखने से बचना चाहिए.  वैसे तो बेडरूम में बाथरूम नहीं होना चाहिए, लेकिन बेडरूम में बाथरूम है तो उसके दरवाजे पर पर्दा भी लगाना चाहिए.  बेडरूम और बाथरूम की ऊर्जाओं का परस्पर आदान-प्रदान हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता.

1334. सकारात्मक ऊर्जा - यदि संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची दहलीज बनवाएं.  जिससे बाहर का कचरा अंदर ना सके.  कचरा भी वास्तु दोष बढ़ाता है.

1335. सपने - में  कोई स्वयं को कच्छा पहनकर कपड़े में बटन लगाता देखता है, तो उसे धन के साथ मान-सम्मान भी मिलता है.

1336. सपने - में  यदि  पका हुआ संतरा देंखे तो शीघ्र ही अतुल धन-संपत्ति प्राप्त होती है.

1337. सपने - में  यदि कोई कुम्हार, घड़ा बनाता हुआ दिखाई देता है, तो उसे बहुत धन लाभ होता है.

1338. सपने - में  यदि कोई मोती, मूंगा, हार, मुकुट आदि देखता है, तो उसके घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है.

1339. सपने - में  यदि कोई व्यक्ति मूत्र का सेवन करता है, तो वह निश्चित ही महाधनी हो जाता है.

1340. सपने - में  यदि गर्दन में मोच आ जाए, तो धन लाभ होता है.

1341. सपने - में  यदि दाहिने हाथ में सफेद रंग का सांप काट ले, तो उसे बहुत से धन की प्राप्ति होती है.

1342. सपने - में ऊंट दिखाई देता है, तो उसे अपार धन लाभ होता है.  स्वप्न में हरी-फुलवारी तथा अनार देखने वाले को भी धन प्राप्ति के योग बनते हैं.

1343. सपने - में कुम्हार घड़ा बनाता हुआ दिखाई देता है, तो उसे बहुत धन लाभ होता है.

1344. सपने - में कोई खेत में पके हुए गेहूं देखता है, तो वह शीघ्र ही धनवान बन जाता है.

1345. सपने - में कोई ध्रुमपान करता है, तो उसे  धन प्राप्ति होती है.

1346. सपने - में कोई फल-फूलों का भक्षण करता है, तो उसे धन लाभ होता है.

1347. सपने - में कोई मोती, मूंगा, हार, मुकुट आदि देखता है, तो उसके घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है.

1348. सपने - में कोई स्वयं को केश विहीन (गंजा) देखता है, तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है.

1349. सपने - में मूत्र, वीर्य, विष्ठा व वमन का सेवन करता है, तो वह महाधनी हो जाता है.

1350. सपने - में यदि कोई  व्यक्ति  ध्रुमपान करता है, तो उसे  धन प्राप्ति होती है.

1351. सपने - में यदि कोई  व्यक्ति  फल-फूलों का भक्षण करता है, तो उसे धन लाभ होता है.

1352. सपने - में यदि कोई  सांप दिखे तो यह शुभ माना जाता है.  ऐसा होने पर व्यक्ति की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं.

1353. सपने - में यदि कोई (अमीर) को सांप पेड़ से उतरते हुए दिखाई देता है तो यह अपशकुन माना जाता है.  ऐसा होने पर धन हानि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.  अत: पैसों के मामलों में सावधानी रखना चाहिए.

1354. सपने - में यदि कोई (गरीब) सांप को पेड़ से उतरते देखता है तो उसके लिए यह शुभ शकुन है.  धनहीन व्यक्ति के लिए यह शकुन पैसा प्राप्त होने की ओर इशारा करता है.

1355. सपने - में यदि कोई अपनी प्रेमिका से संबंध विच्छेद कर लेता है, तो उसे विरासत में धन की प्राप्ति होती है.

1356. सपने - में यदि कोई अपने सीने को खुजाता है, तो उसे विरासत में संपत्ति मिलती है.

1357. सपने - में यदि कोई आंख खुजाता है, तो धन लाभ होता है.

1358. सपने - में यदि कोई ऊंट दिखाई देता है, तो उसे अपार धन लाभ होता है.

1359. सपने - में यदि कोई किसी को चेक लिखकर देता है, तो उसे विरासत में धन मिलता है तथा उसके व्यवसाय में भी वृद्धि होती है.

1360. सपने - में यदि कोई किसी को धन उधार देते हैं, तो अत्यधिक धन की प्राप्ति होती है.

1361. सपने - में यदि कोई खेत में पके हुए गेहूं देखता है, तो वह शीघ्र ही धनवान बन जाता है.

1362. सपने - में यदि कोई गड़ा हुआ धन दिखाई दे, तो उसके धन में अतुलनीय वृद्धि होती है.

1363. सपने - में यदि कोई दियासलाई जलाता है, तो उसे अनपेक्षित रूप से धन की प्राप्ति होती है.

1364. सपने - में यदि कोई देखे कि उस पर कानूनी मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें वह निर्दोष छूट गया है, तो उसे अतुल धन संपदा की प्राप्ति होती है.

1365. सपने - में यदि कोई नाग-नागिन को प्रणय करते दिखे तो इसे अशुभ माना जाता है. ऐसे में व्यक्ति को नाग-नागिन के सामने रुकना नहीं चाहिए. अत: ऐसे स्थान से तुरंत चले जाना चाहिए. नाग-नागिन से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.

1366. सपने - में यदि कोई मरा हुआ सांप दिखाई दे तो अशुभ माना जाता है,  भगवान शिव से क्षमा याचना करनी चाहिए और अगले दिन शिवलिंग पर जल, कच्चा दूध चढ़ाएं.

1367. सपने - में यदि कोई शिवलिंग पर सांप लिपटा हुआ दिखाई दे तो यह भी बहुत शुभ शकुन होता है.  ऐसा होने पर व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.

1368. सपने - में यदि कोई सफेद सांप देखता है तो यह एक शुभ शकुन माना जाता है.  ऐसा होने पर व्यक्ति को कार्यों में सफलता मिलती है.

1369. सपने - में यदि कोई सांप पेड़ पर चढ़ता दिखाई देता है तो उसे समझ लेना चाहिए कि आने वाले समय में कुछ अच्छा होने वाला है.  सामान्यत: ये एक शुभ शकुन है और धन मिलने की संभावनाओं को दर्शाता है.

1370. सपने - में यदि कोई स्वयं को कच्छा पहनकर कपड़े में बटन लगाता देखता है, तो उसे धन के साथ मान-सम्मान भी मिलता है.

1371. सपने - में यदि कोई स्वयं को केश विहीन (गंजा) देखता है, तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है.

1372. सपने - में यदि कोई हरी-फुलवारी तथा अनार दिखे तो धन प्राप्ति के योग बनते हैं.

1373. सपने - में यदि देखे कि उस पर कानूनी मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें वह निर्दोष छूट गया है, तो उसे अतुल धन संपदा की प्राप्ति होती है.

1374. सपने - में यदि सांप, बाएं हाथ की ओर से कोई सांप आपका रास्ता काट दे तो आपको सावधान होकर कार्य करना चाहिए.  ऐसा होने पर कार्यों में असफलता के योग बनते हैं.

1375. सपने - में यदि सांप, सीधे हाथ की ओर से रास्ता काट दे तो यह शुभ शकुन माना जाता है.  ऐसा होने पर कार्य में सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

1376. सपने - में स्वयं को गांव जाता देंखे तो शुभ समाचार मिलेगा.  पुत्र से लाभ मिलेगा.

1377. सपने - यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रेमिका से संबंध विच्छेद कर लेता है, तो उसे विरासत में धन की प्राप्ति होती है.

1378. सफल शादी शुदा जीवन -  पति को वश में करने के लिए यह प्रयोग शुक्ल  पक्ष में करना चाहिए . एक पान का पत्ता लें . उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें . फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें . पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें . और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय . यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय . पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो . रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें . 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें . शीघ्र समस्या का समाधान होगा .

1379. सफल शादी शुदा जीवन -  यदि पति और पत्नी में किसी भी बात को लेकर अनबन है या गृहकलेश है या किसी भी प्रकार की मानसिक अशांति है तो सेंधा या खड़े नमक का एक टुकड़ा शयनकक्ष के एक कोने में रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी.   इस टुकड़े को महीने भर के बाद बदल दें और दूसरा नया टूकड़ा रख दें.

1380. सफल शादी शुदा जीवन - घर में मनी प्लांट लगाना बहुत ही शुभ होता है.  ज्योतिष के अनुसार मनी प्लांट शुक्र ग्रह का कारक है.  शुक्र की उपस्थिति में पति-पत्नी के संबंध मधुर होते हैं.

1381. सफल शादी शुदा जीवन - शादी के बाद जब कन्या विदा हो रही हो तो एक लोटे में गंगाजल, थोड़ी सी हल्दी, एक पीला सिक्का लेकर कन्या के सिर के ऊपर से 7 बार उसार कर उसके आगे फेंक दें.  उसका वैवाहिक जीवन सदा सुखी रहेगा.

1382. सफल शादी शुदा जीवन - साबुत काले उड़द में हरी मेहंदी मिलाकर जिस दिशा में वर-वधू का घर हो, उस और फेंक दें, दोनों के बीच परस्पर प्रेम बढ़ जाएगा और दोनों ही सुखी रहेंगे.

1383. सफल शादी शुदा जीवन: - "अक्ष्यौ नौ मधुसंकाशे अनीकं नौ समंजनम्.  अंत: कृणुष्व मां ह्रदि मन इन्नौ सहासति. . "  सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एकांत स्थान पर कुश का आसन लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस पर बैठ जाएं.  अब सामने मां पार्वती का चित्र स्थापित कर उसका पूजन करें.  इसके बाद इस मंत्र का यथाशक्ति या कम से कम 21 बार जप करें.  कुछ ही दिनों में आपको इस मंत्र का असर दिखने लगेगा.

1384. सफल शादी शुदा जीवन: - आप किसी भी रविवार को एक शराब की उस ब्रांड की बोतल लायें जो ब्रांड आपके पति सेवन करते हैं. रविवार को उस बोतल को किसी भी भैरव मंदिर पर अर्पित करें तथा पुन: कुछ रूपए देकर मंदिर के पुजारी से वह बोतल वापिस घर ले आयें, जब आपके पति सो रहें हो अथवा शराब के नशे में चूर होकर मदहोश हों तो आप उस पूरी बोतल को अपने पति के ऊपर से उसारते हुए २१ बार "ॐ ॐ नमः भैरवाय"का जाप करें . उसारे के बाद उस बोतल को शाम को किसी भी पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़ आयें. कुछ ही दिनों में आप चमत्कार देखेंगी.

1385. सफल शादी शुदा जीवन: - आपको यदि शक हो की आपके पति के किसी अन्य महिला से सम्बन्ध हैं तो आप इसके लिए रात में थोडा कपूर अवश्य जलाया करें इससे यदि सम्बन्ध होंगे तो छूट जायेंगे.

1386. सफल शादी शुदा जीवन: - कनेर के पुष्प को पानी मैं घिसकर अथवा तथा पीसकर उस से पति के माथे पर तिलक करें .यह भी अन्य महिला से सम्बन्ध समाप्त करने का अच्छा उपाय है .

1387. सफल शादी शुदा जीवन: - किसी अन्य महिला के पीछे आपके पति यदि आपका अपमान करते हैं तो किसी भी गुरूवार को तीन सो ग्राम बेसन के लड्डू ,आटेके दो पेड़े,तीन केले व इतनी ही चने की गीली दाल लेकर किसी गाय को खिलाये जो अपने बछड़े को दूध पिला रही हो. उसे खिला कर यह निवेदन करें की हे माँ,मैंने आपके बच्चे को फल दिया आप मेरे बच्चे को फल देना. कुछ ही दिन में आपके पति रस्ते में आ जायेंगे.

1388. सफल शादी शुदा जीवन: - किसी के पति यदि अधिक क्लेश करते हैं तो वह स्त्री सोमवार को अशोक वृक्ष के पास जाकर धुप-दीप से अर्चना कर अपनी समस्या का निवेदन कर जल अर्पित करें. सात पत्ते तोड़कर अपने घर के पूजास्थल में रख कर उनकी पूजा करें. अगले सोमवार को पुन:यह क्रिया दोहराएँ तथा सूखे पत्तों को मंदिर तथा बहते जल में प्रवाहित कर दें.

1389. सफल शादी शुदा जीवन: - कुत्ते का नाख़ून अथवा बिच्छु का डंक आप किसी भी बहाने  से ताबीज में पति को धारण करवा दें. इसके प्रभाव से वो अन्य महिला का साथ छोड़ देंगे.

1390. सफल शादी शुदा जीवन: - गुरूवार को केले पर हल्दी लगाकर गुरु के १०८ नामों के उच्चारण से भी पति की मनोवृति बदलती है. केले के वृक्ष के साथ यदि पीपल के वृक्ष की भी सेवा कर सकें तो फल और भी जल्दी प्राप्त होता है.

1391. सफल शादी शुदा जीवन: - गृह क्लेश दूर करने के लिए तथा आर्थिक लाभ के लिए गेँहू शनिवार को पिसवाना चाहिए. उसमे प्रति दस किलो गेँहू पर सो ग्राम काले चने डालने चाहिए.

1392. सफल शादी शुदा जीवन: - जब आपको लगे की आपके पति किसी महिला के पास से आरहें हैं तो आप किसी भी बहाने से अपने पति का आंतरिक वस्त्र लेकर उसमे आग लगा दें और राख को किसी चौराहे पर फैंक कर पैरों से रगड़ कर वापिस आजाएं.

1393. सफल शादी शुदा जीवन: - जिस महिला से आपके पति का संपर्क है उसके नाम के अक्षर के बराबर मखाने लेकर प्रत्येक मखाने पर उसके नाम का अक्षर लिख दें. उस औरत से पति का छुटकारा पाने की ईशवर से प्रार्थना करते हुए उन सारे मखानो को जला दें तथा किसी भी प्रकार से उसकी काली भभूत को पति के पैर के नीचे आने की व्यवस्था करें.

1394. सफल शादी शुदा जीवन: - जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार को एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें.  इसके प्रभाव से पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा.

1395. सफल शादी शुदा जीवन: - पति-पत्नी के क्लेश के लिए पत्नी बुधवार को तीन घंटे का मोंन रखें. शुक्रवार को अपने हाथ से साबूदाने की खीर में मिश्री दाल कर खिलाएं तथा इतर दान करें व अपने कक्ष में भी रखें. इस प्रयोग से प्रेम में वृद्धि होती है.

1396. सफल शादी शुदा जीवन: - पान के हरे पत्‍ते पर चंदन और केसर का पाउडर लगाकर दुर्गा माता की मूर्ति/तस्‍वीर के सामने रखें तथा चंडी स्‍त्रोत का पाठ करें.  पाठ के बाद चंदन और केसर के मिश्रण से माथे पर तिलक लगाएं और पति के सामने जाएं.  यदि पति न हो, तो उसके फोटो के सामने जाएं.  तदुपरांत उस पत्‍ते को एक जगह संभाल कर रख दें.  43वें दिन सभी एकत्रित पत्‍तों को जल में प्रवाहित कर दें.  आपका पति पूर्णत: आपके वश में रहेगा.

1397. सफल शादी शुदा जीवन: - मिट्टी का पात्र ले जिसमें सवा किलो मशरूम आ जाएं.  मशरूम डालकर अपने सामने रख दें.  पति-पत्नि दोनों ही महामृत्युंजय मंत्र की तीन माला जाप करें.  तत्पश्चात इस पात्र को मां भगवती के श्री चरणों में चुपचाप रखकर आ जाए.  ऐसा करने से मां भगवती की कृपा से आपका दांपत्य जीवन सदा सुखी रहेगा.

1398. सफल शादी शुदा जीवन: - यदि किसी महिला अथवा किसी अन्य कारण से आपको लग रहा है की आपका परिवार टूट रहा है अथवा तलाक तक की हालत पैदा हो गयी हैं तो ऐसे परिस्थिति से बचाव के लिए किसी शिव मंदिर में श्रावण मास में आप किसी विद्वान ब्राह्मण से 11 दिन तक लगातार 'रुद्राष्टध्यायी' जिसे म्हारुदरी यग भी कहते हैं ,से अभिषेक करवाएं.

1399. सफल शादी शुदा जीवन: - यदि पति पत्नी का आपस में बिना बात के झगड़ा होता है और झगडे का कोई कारण भी नही होता तो अपने शयनकक्ष में पति अपने तकिये के नीचे लाल सिन्दूर रखे व पत्नी अपने तकिये के नीचे कपूर रखे. प्रात: पति आधा सिन्दूर घर में ही कहीं गिरा दें और आधे से पत्नी की मांग भर दें तथा पत्नी कपूर जला दे.

1400. सफल शादी शुदा जीवन: - यदि स्त्री को श्वेत प्रदर ,मासिक धर्म में अनियमितता अथवा इसके होने पर कमर दर्द हो तो वह पीपल की जटाको गुरूवार की दोपहर में काट कर छाया में सुखा लें. जब जटा अच्छी तरह से सुख जाये तो उसे पीस कर २०० ग्राम दही में १० ग्राम जटा का चूर्ण का नियमित सात दिन तक सेवन करें तथा रात में सोते समय त्रिफला चूर्ण भी सादा जल से ले. सात दिन में इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी .

राशि......................नामाक्षर.........................................मंत्र मेष......................चू चे चो ला ली लू ले लो अ......................ॐ ऐं क्लीं सोः वृषभ......................इ उ ए ओ वा वी वू वे वो.........................ॐ ऐं क्लीं श्रीं मिथुन......................का की कू घ ङ छ के को हा......................ॐ क्लीं ऐं सोः कर्क......................ही हू हे हो डा डी डू डे डो............................ॐ ऐं क्लीं श्रीं सिंह......................मा मी मू मे मो टा टी टू टे.........................ॐ ह्रीं श्रीं सोः कन्या......................टो पा पी पू ष ण ठ पे पो.........................ॐ क्लीं ऐं सोः तुला......................रा री रू रे रो ता ती तू ते.........................ॐ ऐं क्लीं श्रीं वृश्चिक......................तो ना नी नू ने नो या यी यू......................ॐ ऐं क्लीं सोः धनु......................ये यो भा भी भू धा फा ढा भे.........................ॐ ह्रीं क्लीं सोः मकर......................भो जा जी खी खू खे खो गा गी......................ॐ ऐं क्लीं श्रीं कुंभ......................गू गे गो सा सी सू से सौ दा.........................ॐ ऐं क्लीं श्रीं मीन......................दी दू थ झ ञ दे दो चा ची............................ॐ ह्रीं क्लीं सोः श्रीहनुमान ज्योतिष यंत्र से जानें भविष्य यंत्र से जानें भविष्य हर व्यक्ति की अपनी कुछ इच्छाएं रहती हैं जिसे वह पूरा करना चाहता है। उसकी यह इच्छाएं कभी पूरी होती है तो कभी नहीं भी होती। अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए वह अनेक प्रयास करता है। इसके लिए वह जन्मपत्रिका, हस्तरेखा, प्रश्नकुंडली, शकुन आदि का सहारा भी लेता है। मनोकामना पूर्ति के बारे में जानने की एक और सरल विधि है श्री हनुमान ज्योतिष यंत्र। इस यंत्र के माध्यम से व्यक्ति कोअपने प्रश्नों का उत्तर तुरंत मिल जाता है जैसे- दाम्पत्य सुख, विवाह में देरी, धन प्राप्ति, प्रेम में सफलता-असफलता आदि। विधि यह श्रीहनुमान ज्योतिष यंत्र है, जिसमें सात खाने (कॉलम) हैं। व्यक्ति सबसे पहले पांच बार ऊँ रां रामाय नम: मंत्र का तथा बाद में 11 बार ऊँ हनुमते नम: मंत्र का जप करे। इसके बाद आंख बंद करके अपनी मनोकामना के बारे में पूछते हुए इस यंत्र पर कर्सर घुमाएं। जिस खाने में यह कर्सर रूक जाए उसका फलादेश देखकर ही कार्य करें। दाम्पत्य सुख 1- दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि होगी। 2- प्रेम होगा किंतु विवाह के पश्चात। 3- जीवनसाथी के आने से भाग्योदय होगा और प्रेम भी बढ़ेगा। 4- परायों के कारण परेशानी होगी। 5- वाणी में मधुरता रखें, अन्यथा मतभेद और बढ़ेंगे। ऊँ नम: शिवाय का जप करें। 6- पैसों को लेकर तनाव और कलह रहेगी। 7- दाम्पत्य में खुशियां मिलेंगी। Searches related to नवरात्र के उपाय व टोटके नवरात्री के उपाय नवरात्रि के उपाय नवरात्रि पूजन विधि नवरात्रि का महत्व नवरात्रि 2016 नवरात्रि photo नवरात्रि कब है navratri songs . कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। 2. अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं। 3. इसी दिन अगर हो सके तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है। 4. पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें। 5. शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है। 6. सोमवार प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है। 7. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है। 8. कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है। 9. ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है। 10. पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है। 11. पितरों के नाम पर गरीब विद्यार्थियों की मदद करने तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है। पित्र दोष निवारण मन्त्र मन्त्र 1 -- ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः । मन्त्र २-- ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः ।। ग्रहों की शांति के उपाय - मंगल के उपाय : मंत्र : "ॐ हां हंस: खं ख:" "ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम:" "ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:" किसी भी मंत्र की एक माला का जाप (108 बार) अवश्य करें. अगर किसी कारण इतना नहीं कर सकते, तो यथा शक्ति करें. रोज़ कर सकें तो बेहतर, वर्ना रविवार को अवश्य करें. पिछले 2-3 दिनों में हम ने सूर्य और चन्द्र से सम्बंधित दान और उपाय बताये थे. आगे भी हमने सभी ग्रहों से सम्बंधित उपाय बताये थे. अधिकतर ज्योतिषी केवल शनि, राहु-केतु आदि के उपाय करने को कहते हैं, जबकि गुरु, चन्द्र, शुक्र, बुध आदि को शुभ गृह बताकर इनके रत्न पहनने को कह देते हैं, जबकि उपाय और रत्न कुण्डली से ही निर्धारित होते हैं. मंगल के उपाय 1. पीड़ित व्यक्ति को लाल रंग का बैल दान करना चाहिए. 2. लाल रंग का वस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए. 3. मंगल से सम्बन्धित रत्न दान देने से भी पीड़ित मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आती है. 4. मंगल ग्रह की दशा में सुधार हेतु दान देने के लिए मंगलवार का दिन और दोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है. जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए. 5. मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 10 से 15 मिनट ध्यान करना उत्तम रहता है. मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत: धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए. 6. लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए। 7. ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए। 8. बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है। 9. लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए। 10. मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए। 11. बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए। 12. अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए। मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं। क्या न करें आपका मंगल अगर पीड़ित है तो आपको अपने क्रोध नहीं करना चाहिए. अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए. किसी भी चीज़ में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिए. विशेष : अगर मंगल आप के लिए अनुकूल है, परन्तु नीच का होने से, या अष्टम, द्वादश आदि होने से, या शनि, राहु, शुक्र, बुध आदि के साथ बैठने से कमजोर हो रहा हो, तो लाल मूंगा धारण करना चाहिए. ऐसे मामलों में उपरोक्त उपायों की आवष्यकता नहीं है. पर, अगर करते हैं, तो हानि भी नहीं है. हाँ, विशेष लाभ नहीं होगा. See translation जिस भवन में बिल्लियां प्राय: लड़ती रहती हैं वहां शीघ्र ही विघटन की संभावना रहती है, विवाद वृद्धि होती है, मतभेद होता है। * जिस भवन के द्वार पर आकर गाय जोर से रंभाए तो निश्चय ही उस घर के सुख में वृद्धि होती है। * भवन के सम्मुख कोई कुत्ता भवन की ओर मुख करके रोए तो निश्चय ही घर में कोई विपत्ति आने वाली है अथवा किसी की मृत्यु होने वाली है। * जिस घर में काली चींटियां समूहबद्ध होकर घूमती हों वहां ऐश्वर्य वृद्धि होती है, किंतु मतभेद भी होते हैं। * घर में प्राकृतिक रूप से कबूतरों का वास शुभ होता है। * घर में मकड़ी के जाले नहीं होने चाहिएं, ये शुभ नहीं होते, सकारात्मक ऊर्जा को रोकते हैं। * घर की सीमा में मयूर का रहना या आना शुभ होता है। * जिस घर में बिच्छू कतार बनाकर बाहर जाते हुए दिखाई दें तो समझ लेना चाहिए कि वहां से लक्ष्मी जाने की तैयारी कर रही हैं। * पीला बिच्छू माया का प्रतीक है। ऐसा बिच्छू घर में निकले तो घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। * जिस घर में प्राय: बिल्लियां विष्ठा कर जाती हैं, वहां कुछ शुभत्व के लक्षण प्रकट होते हैं। * घर में चमगादड़ों का वास अशुभ है। * जिस भवन में छछूंदरें घूमती हैं वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है। * जिस घर के द्वार पर हाथी अपनी सूंड ऊंची करे वहां उन्नति, वृद्धि तथा मंगल होने की सूचना मिलती है। * जिस घर में काले चूहों की संख्या अधिक हो जाती है वहां किसी व्याधि के अचानक होने का अंदेशा रहता है। * जिस घर की छत या मुंडेर पर कोयल या सोन चिरैया चहचहाए, वहां निश्चित ही श्री वृद्धि होती है। * जिस घर के आंगन में कोई पक्षी घायल होकर गिरे वहां दुर्घटना होती है। * जिस भवन की छत पर कौए, टिटहरी अथवा उल्लू बोलने लगें तो, वहां किसी समस्या का उदय अचानक होता है। ग्रहों को शांत करने में मोर पंख किस तरह आपकी सहायता कर सकता है. सूर्य की दशा से मुक्ति- रविवार के दिन नौ मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे रक्तवर्ण मेरून रंग का धागा बांध लें एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बारॐ सूर्याय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें. लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाएं. चंद्रमा की दशा से मुक्ति- सोमवार के दिन आठ मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ सोमाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. पांच पान के पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें. बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं. मंगल की दशा से मुक्ति- मंगलवार के दिन सात मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ भू पुत्राय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. दो पीपल के पत्तों पर अक्षत रख कर मंगल ग्रह को अर्पित करें. बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं. बुद्ध की दशा से मुक्ति- बुद्धबार के दिन छ: मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें. एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ बुधाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. जामुन अथवा बेरिया बुद्ध ग्रह को अर्पित करें. केले के पत्ते पर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं. बृहस्पति की दशा से मुक्ति- बीरवार के दिन पांच मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारिया. रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ ब्रहस्पते नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें. बेसन का प्रसाद बना कर चढ़ाएं. शुक्र की दशा से मुक्ति- शुक्रवार के दिन 4 मोर पंख लेकर आयें. पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ 4 सुपारियां रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ शुक्राय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. 3 मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें. गुड़, चने का प्रसाद बनाकर चढ़ाएं. शनि की दशा से मुक्ति- शनिवार के दिन तीन मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ शनैश्वराय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. तीन मिटटी के दिये तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें. गुलाबजामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं. राहु की दशा से मुक्ति- शनिवार के दिन सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आयें. पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ राहवे नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें चौमुखा दिया जला कर राहु को अर्पित करें. कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं. केतु की दशा से मुक्ति- शनिवार के दिन सूर्य अस्त होने के बाद 1 मोर पंख लेकर आयें. पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ केतवे नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें. फलों का प्रसाद चढ़ाएं. ग्रह शान्ति उपाय. आसान उपायों द्वारा ग्रहों की नाराजगी दूर करें - 1)सूर्य- भूल कर भी झूठ न बोलें,सूर्य का गुस्सा कम हो जाएगा । झूठ क्या है झूठ वो है जो अस्तित्व में नहीं है और यदि हम झूठ बोलेंगे तो सूर्य को उसका अस्तित्व पैदा करना पडेगा आश्चर्य की कोई बात नहीं है । ये नौ ग्रह हमारे जीवन के लिए ही अस्तित्व में आये हैं सूर्य का काम बढ़ जाएगा और मुश्किल भी हो जाएगा । 2)चंद्रमा - जितना ज्यादा हो सके सफाई पसंद हो जाईये ,और साफ़ रहिये भी -चंद्रमा का गुस्सा कम हो जाएगा । चंद्रमा को सबसे ज्यादा डर राहू से लगता है । राहू अदृश्य ग्रह है ,राहू क्रूर है,हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में राहू गंदगी है । हम हमारे घर को, आसपास के वातावरण को कितना भी साफ़ करें -उसमें ढूँढने जायेंगे तो गंदगी मिल ही जायेगी ,या हम हमारे घर और आस पास के वातावरण को कितना भी साफ़ रखें वो गंदा हो ही जाएगा और हम सब जानते हैं कि गंदगी कितनी खतरनाक हो सकती है और होती है । ज़िंदगी के लिए ,न जाने कितने बेक्टीरिया , वायरस ,जो अदृश्य होते हुए भी हमारी ज़िंदगी को भयभीत कर देते हैं ,बीमार करके ,ज़िंदगी को खत्म तक कर देते हैं , चंद्रमा (जो सबके मन को आकर्षित करता है स्वय राहू के मन को भी) राहू से डरता है । अतः यदि आप साफ़ रहेंगे तो चंद्रमा को अच्छा लगेगा और उसका क्रोध शांत रहेगा , चंद्रमा का गुस्सा उतना ही कम हो जाएगा । 3)मंगल- यह ग्रह सूर्य का सेनापती ग्रह है भोजन में गुड है । सूर्य गेंहू है रविवार को गेहूं के आटे का चूरमा गुड डालकर बनाकर खाएं खिलाये ,मंगल को बहुत अच्छा लगेगा । सूर्य गेहूं है -मंगल गुड है और घी चंद्रमा है ,अब तीनो प्रिय मित्र हैं तो तीन मित्र मिलकर जब खुश होंगे तो गुस्सा किसे याद रहेगा । 4)बुध - बुध ग्रह यदि आपकी जन्म पत्रिका में क्रोधित है तो बस तुरंत मना लीजिये । गाय को हरी घास खिलाकर उसको प्रसन्न करना हैं धरती और गाय दोनों शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है । हरी घास जो बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है -बुध ग्रह का रंग हरा है ,वो बच्चा है नौ ग्रहों में शारीरिक रूप से सबसे कमजोर और बौद्धिक रूप में सबसे आगे आगे । बुध घास है जो पृथ्वी के अन्य पेड़ पौधों के मुकाबले कमजोर है बिलकुल बुध ग्रह की तरह , घास भी शारीरिक रूप से बलवान नहीं होती है मगर ताकत देने में कम नहीं अतः बुध स्वरूप ही है । हरी हरी घास से सजी धरती कितनी सुंदर और खुश दिखती है । घास =बुध और धरती = शुक्र इसी तरह गाय हरी -हरी घास खा कर कितनी खुश होती है इसलिए - हरी- हरी घास =बुध ग्रह और गाय और धरती शुक्र इसलिए गाय को हरी हरी घास खिलाएंगे तो दो बहुत अच्छे दोस्तों को मिला रहे होंगे, ऐसी हंसी खुशी के वातावरण में हर कोई गुस्सा थूक देता है और बुध ग्रह भी अपना क्रोध शांत कर लेंगे । 5)बृहस्पति -चने की दाल parrots को खिलादे , बृहस्पति कभी गुस्सा नहीं करेंगे । चने की दाल पीले रंग की होती है और बृहस्पति भी पीले रंग के हैं । बृहस्पति का भी घनत्व सौरमंडल में ज्यादा है और चने की दाल भी हलकी फुल्की नहीं होती पचाने में हमारी आँतों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है । तोता हरे रंग का होता है , बुध ग्रह भी हरे रंग का होता है । तोता भी दिन भर बोलता रहता है और बुध ग्रह भी बच्चा होना के कारण बोलना पसंद करता है । अतः तोता =बुध ग्रह और चने की दाल = बृहस्पति ग्रह बुध ग्रह बृहस्पति के जायज पुत्र और चंद्रमा के नाजायज पुत्र है। बुध के पिता बृहस्पति हैं और बृहस्पति के चंद्रमा अच्छे मित्र हैं और बृहस्पति की पत्नी तारा ने चंद्रमा से नाजायज शारीरिक सम्बन्ध बनाकर बुध ग्रह को जन्म दिया था इस बात से बृहस्पति अपनी पत्नी तारा से नाराज़ रहते है और बुध की माँ से नाराज़ रहने के कारण अपने जायज पिता बृहस्पति से बुध ग्रह नाराज़ रहता है । इस बात से बृहस्पति दुखी रहता है अतः जब तोता जो बुध स्वरूप है जब चने की दाल खाकर पेट भरेगा और खुश होगा तो बृहस्पति को खुशी मिलेगी और गुस्सा तो अपने आप कम हो जाएगा । 6)शुक्र - यदि नाराज़ हो तो गाय को रोटी खिलाओ . सूर्य गेहूं है और शुक्र गाय । किस बलवान व्यक्ति को उसके खुद के अलावा कोई और राजा हो तो अच्छा लगता है । शुक्र को भी सूर्य के अधीन रहना पसंद नहीं है अतः जब आप उसके शत्रु सूर्य जो गेहूं को गाय जो शुक्र है को खिलाएंगे तो वो अपने आप ही गुस्सा भूल जाएगा । 7)शनि- जिस किसी से भी नाराज़ हो तो उसकी पीड़ा तो बस वो खुद ही जानता है । शनि समानतावादी है , ये बड़ा है और ये छोटा है ऐसी बातें शनि को क्रोधित कर देती है, क्योंकि शनि सूर्य (राजा ) का पुत्र है और उसके पिता सूर्य ने उसकी माँ का सम्मान नहीं किया इसलिए शनि को अपनी माँ छाया से प्यार होने के कारण सूर्य पर बहुत गुस्सा आता है । किसी का बड़े होने का अहं उनको पसंद नही है। अहंकार छोड़ देने से शनि भगवान का कृपा प्राप्त होता है। अ: मंत्रों की शक्ति मंत्रों की शक्ति तथा इनका महत्व ज्योतिष में वर्णित सभी रत्नों एवम उपायों से अधिक है। मंत्रों के माध्यम से ऐसे बहुत से Navagraha Mantrasदोष बहुत हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं जो रत्नों तथा अन्य उपायों के द्वारा ठीक नहीं किए जा सकते। ज्योतिष में रत्नों का प्रयोग किसी कुंडली में केवल शुभ असर देने वाले ग्रहों को बल प्रदान करने के लिए किया जा सकता है तथा अशुभ असर देने वाले ग्रहों के रत्न धारण करना वर्जित माना जाता है क्योंकि किसी ग्रह विशेष का रत्न धारण करने से केवल उस ग्रह की ताकत बढ़ती है, उसका स्वभाव नहीं बदलता। इसलिए जहां एक ओर अच्छे असर देने वाले ग्रहों की ताकत बढ़ने से उनसे होने वाले लाभ भी बढ़ जाते हैं, वहीं दूसरी ओर बुरा असर देने वाले ग्रहों की ताकत बढ़ने से उनके द्वारा की जाने वाली हानि की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसलिए किसी कुंडली में बुरा असर देने वाले ग्रहों के लिए रत्न धारण नहीं करने चाहिएं। वहीं दूसरी ओर किसी ग्रह विशेष का मंत्र उस ग्रह की ताकत बढ़ाने के साथ-साथ उसका किसी कुंडली में बुरा स्वभाव बदलने में भी पूरी तरह से सक्षम होता है। इसलिए मंत्रों का प्रयोग किसी कुंडली में अच्छा तथा बुरा असर देने वाले दोनो ही तरह के ग्रहों के लिए किया जा सकता है। साधारण हालात में नवग्रहों के मूल मंत्र तथा विशेष हालात में एवम विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए नवग्रहों के बीज मंत्रों तथा वेद मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। नवग्रहों के मंत्र निम्नलिखित हैं : नवग्रहों के मूल मंत्र सूर्य : ॐ सूर्याय नम: चन्द्र : ॐ चन्द्राय नम: गुरू : ॐ गुरवे नम: शुक्र : ॐ शुक्राय नम: मंगल : ॐ भौमाय नम: बुध : ॐ बुधाय नम: शनि : ॐ शनये नम: अथवा ॐ शनिचराय नम: राहु : ॐ राहवे नम: केतु : ॐ केतवे नम: नवग्रहों के बीज मंत्र सूर्य : ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: चन्द्र : ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम: गुरू : ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: शुक्र : ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंगल : ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: बुध : ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: शनि : ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: राहु : ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: केतु : ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: नवग्रहों के वेद मंत्र सूर्य : ॐ आकृष्णेन रजसा वर्त्तमानो निवेशयन्नमृतं मतर्य च हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन॥ इदं सूर्याय न मम॥ चन्द्र : ॐ इमं देवाSसपत् न ग्वं सुवध्वम् महते क्षत्राय महते ज्येष्ठयाय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय इमममुष्य पुत्रमुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोSमी राजा सोमोSस्माकं ब्राह्मणानां ग्वं राजा॥ इदं चन्द्रमसे न मम॥ गुरू : ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अहार्द् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम॥ इदं बृहस्पतये, इदं न मम॥ शुक्र : ॐ अन्नात् परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय:। सोमं प्रजापति: ॠतेन सत्यमिन्द्रियं पिवानं ग्वं शुक्रमन्धसSइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोSमृतं मधु॥ इदं शुक्राय, न मम। मंगल : ॐ अग्निमूर्द्धा दिव: ककुपति: पृथिव्या अयम्। अपा ग्वं रेता ग्वं सि जिन्वति। इदं भौमाय, इदं न मम॥ बुध : ॐ उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहित्वमिष्टापूर्ते स ग्वं सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत॥ इदं बुधाय, इदं न मम॥ शनि : ॐ शन्नो देविरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्योरभिस्त्रवन्तु न:। इदं शनैश्चराय, इदं न मम॥ राहु : ॐ कयानश्चित्र आ भुवद्वती सदा वृध: सखा। कया शचिंष्ठया वृता॥ इदं राहवे, इदं न मम॥ केतु : ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्या अपेशसे। समुषदभिरजा यथा:। इदं केतवे, इदं न मम॥ मंत्र जाप के द्वारा सर्वोत्तम फल प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप नियमित रूप से तथा अनुशासनपूर्वक करना चाहिए। वेद मंत्रों का जाप केवल उन्हीं लोगों को करना चाहिए जो पूर्ण शुद्धता एवम स्वच्छता का पालन कर सकते हैं। किसी भी मंत्र का जाप प्रतिदिन कम से कम 108 बार जरूर करना चाहिए। सबसे पहले आप को यह जान लेना चाहिए कि आपकी कुंडली के अनुसार आपको कौन से ग्रह के मंत्र का जाप करने से सबसे अधिक लाभ हो सकता है तथा उसी ग्रह के मंत्र से आपको जाप शुरू करना चाहिए।पनी प्रचलित परिभाषा के अनुसार गंड मूल दोष लगभग हर चौथी-पांचवी कुंडली में उपस्थित पाया जाता है तथा अनेक ज्योतिषियों की धारणा के अनुसार यह दोष कुंडली धारक के जीवन में तरह तरह की परेशानियां तथा अड़चनें पैदा करने में सक्षम होता है। तो आइए आज इस दोष के बारे में चर्चा करते हैं तथा देखते हैं कि वास्तव में यह दोष होता क्या है, किसी कुंडली में यह दोष बनता कैसे है, तथा इसके दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं। इस दोष की प्रचलित परिभाषा के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चन्द्रमा, रेवती, अश्विनी, श्लेषा, मघा, ज्येष्ठा तथा मूल नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में स्थित हो तो कुंडली धारक का जन्म गंड मूल में हुआ माना जाता है अर्थात उसकी कुंडली में गंड मूल दोष की उपस्थिति मानी जाती है। इस परिभाषा के अनुसार कुल 27 नक्षत्रों में से उपर बताए गए 6 नक्षत्रों में चन्द्रमा के स्थित होने से यह दोष माना जाता है जिसका अर्थ यह निकलता है कि यह दोष लगभग हर चौथी-पांचवी कुंडली में बन जाता है। किन्तु मेरे विचार से यह धारणा ठीक नहीं है तथा वास्तव में यह दोष इतनी अधिक कुंडलियों में नही बनता। आइए अब देखते हैं कि यह दोष वास्तव में है क्या तथा चन्द्रमा के इन 6 विशेष नक्षत्रों में उपस्थित होने से ही यह दोष क्यों बनता है। नक्षत्र संख्या में कुल 27 होते हैं तथा इन्हीं 27 नक्षत्रों से 12 राशियों का निर्माण होता है। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं तथा इस प्रकार से 27 नक्षत्रों के कुल मिलाकर 108 चरण होते हैं। प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं अर्थात किन्हीं तीन नक्षत्रों के 9 चरण होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक राशि में किन्ही तीन नक्षत्रों के नौ चरण होने पर 12 राशियों में इन 27 नक्षत्रों के 108 चरण होते हैं। चन्द्रमा अपनी गति से क्रमश: इन सभी नक्षत्रों में बारी-बारी भ्रमण करते हैं तथा किसी भी समय विशेष और स्थान विशेष पर वे किसी न किसी नक्षत्र के किसी न किसी चरण में अवश्य उपस्थित रहते हैं। यह सिद्धांत बाकी सब ग्रहों पर भी लागू होता है। किसी भी स्थान विशेष के आकाश मंडल में नक्षत्र तथा राशियां अपने एक विशेष क्रम में बारी-बारी से उदय होते रहते हैं जैसे कि राशियां मेष से मीन की ओर तथा नक्षत्र अश्विनी से रेवती की ओर क्रमवार उदय होते हैं। राशियों में अंतिम मानी जाने वाली मीन राशि के बाद प्रथम राशि मेष उदय होती है तथा नक्षत्रों में अंतिम माने जाने वाले रेवती नक्षत्र के बाद प्रथम नक्षत्र अश्विनी उदय होता है तथा यह सिलसिला क्रमवार इसी तरह से निरंतर चलता रहता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक नक्षत्र के अस्त होने और क्रम में उससे अगले नक्षत्र के उदय होने के बीच में इन नक्षत्रों के मध्य एक संधि स्थल आता है जहां पर एक नक्षत्र अपने अस्त होने की प्रकिया में होता है तथा क्रम में उससे अगला नक्षत्र अपने उदय होने की प्रक्रिया में होता है। इस समय विशेष में आकाश मंडल में इन दोनों ही नक्षत्रों का मिला जुला प्रभाव देखने को मिलता है। इसी प्रकार का संधि स्थल प्रत्येक राशि के अस्त होने तथा उससे अगली राशि के उदय होने की स्थिति में भी आता है जब दोनों ही राशियों का प्रभाव आकाश मंडल में देखने को मिलता है। इस प्रकार 27 नक्षत्रों के क्रमवार उदय और अस्त होने की प्रक्रिया में 27 संधि स्थल आते हैं तथा 12 राशियों के क्रमवार उदय और अस्त होने की प्रक्रिया में 12 संधि स्थल आते हैं। अपनी गति से क्रमवार इन नक्षत्रों में भ्रमण करते चन्द्रमा तथा अन्य ग्रह भी इन संधि स्थलों से होकर निकलते हैं। 27 नक्षत्रों तथा 12 राशियों के बीच आने वाले इन संधि स्थलों में से केवल तीन संयोग ही ऐसे बनते हैं जब यह दोनों संधि स्थल एक दूसरे के साथ भी संधि स्थल बनाते हैं अर्थात इन बिंदुओं पर एक ही समय एक नक्षत्र क्रम में अपने से अगले नक्षत्र के साथ संधि स्थल बना रहा होता है तथा उसी समय कोई एक विशेष राशि क्रम में अपने से अगली राशि के साथ संधि स्थल बना रही होती है। इस स्थिति में दो नक्षत्रों का संधि स्थल दो राशियों के संधि स्थल के साथ एक नया संधि स्थल बनाता है। यह संयोग राशियों और नक्षत्रों के संधि स्थल बनाने की इस प्रक्रिया में केवल तीन विशेष बिंदुओं पर ही बनता है तथा जब-जब चन्द्रमा भ्रमण करते हुए इन तीनों में से किसी एक बिंदु में स्थित हो जाते हैं, उन्हें राशियों तथा नक्षत्रों के इन दोहरे संधि स्थलों में स्थित होने से कुछ विशेष दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं तथा कुंडली में चन्द्रमा की ऐसी स्थिति को गंड मूल दोष का नाम दिया जाता है। आइए अब इन तीन दोहरे संधि स्थलों के बारे में चर्चा करें। इनमें से पहला दोहरा संधि स्थल तब आता है जब नक्षत्रों में से अंतिम नक्षत्र रेवती अपने चौथे चरण में आ जाते हैं तथा अपने अस्त होने की प्रक्रिया को शुरू कर देते हैं तथा दूसरी ओर नक्षत्रों में से प्रथम नक्षत्र अश्विनी अपने पहले चरण के साथ अपने उदय होने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं जिससे इन दोनों नक्षत्रों के मध्य एक संधि स्थल का निर्माण हो जाता है। ठीक इसी समय पर मीन राशि अपने अस्त होने की प्रक्रिया में होती है तथा मेष राशि अपने उदय होने की प्रक्रिया में होती है, जिसके कारण इन दोनों राशियों के मध्य भी एक संधि स्थल बन जाता है तथा यह दोनों संधि स्थल मिलकर एक दोहरा संधि स्थल बना देते हैं और इस दोहरे संधि स्थल में चन्द्रमा के स्थित हो जाने से गंड मूल दोष का निर्माण हो जाता है। इस प्रकार का दूसरा संधि स्थल तब बनता हैं जब नवें नक्षत्र श्लेषा का चौथा चरण तथा दसवें नक्षत्र मघा का पहला चरण आपस में संधि स्थल बनाते हैं तथा ठीक उसी समय चौथी राशि कर्क पांचवी राशी सिंह के साथ संधि स्थल बनाती है। इस प्रकार का तीसरा संधि स्थल तब बनता हैं जब अठारहवें नक्षत्र ज्येष्ठा का चौथा चरण तथा उन्नीसवें नक्षत्र मूल का पहला चरण आपस में संधि स्थल बनाते हैं तथा ठीक उसी समय आठवीं राशि वृश्चिक नवीं राशि धनु के साथ संधि स्थल बनाती है। इन तीनों में से किसी भी संधि स्थल में चन्द्रमा के स्थित होने से कुंडली में गंड मूल दोष का निर्माण होता है। आइए अब इस दोष की प्रचलित परिभाषा तथा इसके वैज्ञानिक विशलेषण से निकली परिभाषा की आपस में तुलना करें। प्रचलित परिभाषा के अनुसार यह दोष चन्द्रमा के उपर बताए गए 6 नक्षत्रों के किसी भी चरण में स्थित होने से बन जाता है जबकि उपर दी गई वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार यह दोष चन्द्रमा के इन 6 नक्षत्रों के किसी एक नक्षत्र के किसी एक विशेष चरण में होने से ही बनता है, न कि उस नक्षत्र के चारों में से किसी भी चरण में स्थित होने से। इस प्रकार यह दोष हर चौथी-पांचवी कुंडली में नहीं बल्कि हर 18वीं कुंडली में ही बनता है। पाठकों की सुविधा के लिए इस दोष के बनने के लिए आवश्यक परिस्थितियों का जिक्र मैं सक्षेप में एक बार फिर कर रहा हूं। किसी भी कुंडली में गंड मूल दोष तभी बनता है जब उस कुंडली में : चन्द्रमा रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा श्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा मघा नक्षत्र के पहले चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा मूल नक्षत्र के पहले चरण में स्थित हों इस दोष के बारे में जान लेने के पश्चात आइए अब इस दोष से जुड़े बुरे प्रभावों के बारे में भी जान लें। गंड मूल दोष भिन्न-भिन्न कुंडलियों में भिन्न-भिन्न प्रकार के बुरे प्रभाव देता है जिन्हें ठीक से जानने के लिए यह जानना आवश्यक होगा कि कुंडली में चन्द्रमा इन 6 में से किस नक्षत्र में स्थित हैं, कुंडली के किस भाव में स्थित हैं, कुंडली के दूसरे सकारात्मक या नकारात्मक ग्रहों का चन्द्रमा पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ रहा है, चन्द्रमा उस कुंडली विशेष में किस भाव के स्वामी हैं तथा ऐसे ही कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य। इस प्रकार से अगर यह दोष कुछ कुंडलियों में बनता भी है तो भी इसके बुरे प्रभाव अलग-अलग कुंडलियों में अलग-अलग तरह के होते हैं तथा अन्य दोषों की तरह इस दोष के बुरे प्रभावों को भी किसी विशेष परिभाषा के बंधन में नहीं बांधना चाहिए बल्कि किसी भी कुंडली विशेष में इस दोष के कारण होने वाले बुरे प्रभावों को उस कुंडली के गहन अध्ययन के बाद ही निश्चित करना चाहिए। लेख के अंत में आइए इस दोष के निवारण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में बात करें। इस दोष के निवारण का सबसे उत्तम उपाय इस दोष के निवारण के लिए पूजा करवाना ही है। यह पूजा सामान्य पूजा की तरह न होकर एक तकनीकी पूजा होती है तथा इसका समापन प्रत्येक मासे में किसी एक विशेष दिन ही किया जा सकता है। इस विशेष दिन से 7 से 10 दिन पूर्व यह पूजा शुरू की जाती है तथा 5 से लेकर 7 ब्राह्मण किसी एक मंत्र विशेष का एक निर्धारित सख्या में इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए जाप करना शुरु कर देते हैं। यह मंत्र इस दोष से पीड़ित व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति देखकर तय किया जाता है तथा इस दोष से पीड़ित विभिन्न लोगों के लिए यह मंत्र भिन्न हो सकता है। मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप पूरा होने पर इस पूजा के समापन के लिए निर्धारित किए गए दिन पर इस पूजा का समापन किया जाता है, जिसमें पूजन, हवन, दान, स्नान के अतिरिक्त और भी कई प्रकार की औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं। अंग फडकने के शुभ-अशुभ फल अंगों के फड़कने के विषय में सामुद्रिक शास्त्र में विस्तार से बताया गया है। शरीर के विभिन्न अंगों का फड़कना भी भविष्य में होने वाली घटनाओं से हमें अवगत कराने का एक माध्यम है। अंगों के फड़कने से भी शुभ-अशुभ की सूचना मिलती है. प्रत्येक अंग की एक अलग ही महत्ता है, एक अलग ही विशेषता है और उनके फड़कने का एक अलग ही अर्थ होता है। सिर के अलग-अलग हिस्सों का फड़कना सिर के अलग-अलग हिस्सों के फड़कने का भिन्न-भिन्न अर्थ होता है जैसे- मस्तक फड़कने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। संपूर्ण मस्तक का फड़कना दूर स्थान की यात्रा का संकेत समझना चाहिए तथा मार्ग में परेशानियां भी आती हैं। कनपटी फड़के तो इच्छाएं पूर्ण होती है। यदि ललाट मध्य से फड़कने लगे तो लाभदायक यात्राएं होती हैं। यदि पूरा ललाट फड़के तो राज्य से सम्मान और नौकरी में प्रमोशन होता है। सिर के बाँयी ओर के हिस्से में फडकन हो तो इसे बहुत ही शुभ माना गया है। आने वाले दिनों में यात्रा करनी पड सकती है. यदि आपकी यात्रा बिजनेस से सम्बंधित है तो ज्यादा नहीं तो थोडा बहुत लाभ अवश्य होगा. आपके सिर के दांयी ओर के हिस्से में फडकन है तो यह शुभ फलदायक स्थिति है आपको धन, किसी राज सम्मान, नौकरी में पदोंन्नती, किसी प्रतियोगिता में पुरस्कार, लाटरी में जीत, भूमि लाभ आदि की प्राप्ति हो सकती है। आपके सिर का पिछला हिस्सा फडकता है तो समझ लीजिए आपका विदेश जाने का योग बन रहा है और वहाँ आपको धन की प्राप्ति भी होने वाली है. लेकिन अपने देश में लाभ की कोई संभवना नहीं है आपके सिर के अगले हिस्से में फडकन हो रही है तो यह स्थिति स्वदेश या परदेश दोनों में ही धन मान प्राप्ति का कारण बन सकती है। सिर का मध्य भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है तथा परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आपका सम्पूर्ण सिर फडक रहा है तो यह सबसे अधिक शुभ स्थिति है आपको दूसरे का धन मिल सकता है, मुकद्दमे में जीत हो सकती है. राजसम्मान मिल सकता है. या फिर भूमि की प्राप्ति हो सकती है।

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