Monday, October 17, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 1301. - 1400.

ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.


1301. सकारात्मक ऊर्जा - गीजर आदि विद्युत उपकरण अग्नि से संबंधित हैं, अत: इन्हें बाथरूम के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) में लगाएं.  बाथरूम में एक बड़ी खिड़की व एक्जॉस्ट फैन के लिए अलग से रोशनदान होना चाहिए.  बाथरूम में गहरे रंग की टाइल्स न लगाएं.  हमेशा हल्के रंग की टाइल्स का उपयोग करें.

1302. सकारात्मक ऊर्जा - घर का प्रवेश द्वार सदैव साफ रखना चाहिए.  प्रवेश द्वार पर हमेशा पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए.  ऐसा करने पर घर में सदैव सकारात्मक ऊर्जा आती है.

1303. सकारात्मक ऊर्जा - घर कितना ही पुराना हो, समय-समय पर उसकी मरम्मत, रंग-रोगन आदि कार्य करवाते रहना चाहिए ताकि नयापन व ताजगी बनी रहे.

1304. सकारात्मक ऊर्जा - घर की आभा को कायम रखने के लिए जरुरी है कि घर का प्लास्टर उखड़ा हुआ न हो.  यदि कहीं से थोड़ा सा भी प्लास्टर उखड़ जाए तो तुरंत उसे दुरुस्त करवाएं.

1305. सकारात्मक ऊर्जा - घर की छत पर कबाड़ा अथवा फालतू सामान न रखें.  यदि जरुरी हो तो एक कोने में रखें.  कबाड़ा व फालतू सामान रखने से परिवार के सदस्यों के मन-मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है.  इससे पितृ दोष भी लगता है.

1306. सकारात्मक ऊर्जा - घर के आस-पास कोई गंदा नाला, गंदा तालाब, शमशान घाट या कब्रिस्तान नहीं होना चाहिए.  इससे भी आभामंडल को अधिक फर्क पड़ता है.

1307. सकारात्मक ऊर्जा - घर के आसपास यदि कोई सूखा पेड़ या ठूंठ है तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए.   सूखे पेड़ या ठूंठ से घर में नकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी हो सकती है.  घर के आसपास सुंदर और हरे-भरे वृक्ष होना चाहिए.

1308. सकारात्मक ऊर्जा - घर के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र) में अंधेरा न रखें तथा वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम क्षेत्र) में तेज रोशनी का बल्व न लगाएं.

1309. सकारात्मक ऊर्जा - घर के सदस्य परस्पर सहयोग व शांति से रहें.  लड़ने-झगड़ने अथवा चिल्लाकर बोलने से आभामंडल पर बुरा असर होता है.

1310. सकारात्मक ऊर्जा - घर को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त रखने के लिए पूर्व दिशा में मिट्टी के एक छोटे से पात्र में नमक भर कर रखें और हर चौबीस घंटे के बाद नमक बदल दें.

1311. सकारात्मक ऊर्जा - घर जितना प्राकृतिक लगेगा उतना ही उसका आभामंडल उन्नत होगा.  घर का प्राकृतिक रूप देने के लिए आस-पास पेड़-पौधे, चारों ओर खुला हुआ स्थान, दूर से दिखने वाली दीवारों पर प्राकृतिक पत्थर, गमले आदि का उपयोग करें.

1312. सकारात्मक ऊर्जा - घर में कलर करवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पेंट एक सा हो.  शेड एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन शेड्स का तालमेल ठीक होना चाहिए.

1313. सकारात्मक ऊर्जा - घर में जो घडिय़ां बंद पड़ी हों, उन्हें या तो घर से हटा दें या चालू करें.  बंद घडिय़ां हानिकारक होती हैं.  इनसे नकारात्मक ऊर्जा निकलती है.

1314. सकारात्मक ऊर्जा - घर में तुलसी का पौधा रहता है तो कई प्रकार के वास्तु दोष दूर रहते हैं.  तुलसी के पौधे का पास रोज शाम को दीपक भी लगाना चाहिए.

1315. सकारात्मक ऊर्जा - घर में बाथरूम का नल या किसी अन्य स्थान का नल लगातार टपकते रहता है तो यह बात छोटी नहीं है, वास्तु में इसे गंभीर दोष माना गया है.  अत: नल से पानी टपकना बंद करवाना चाहिए.

1316. सकारात्मक ऊर्जा - घर या दफ्तर में झाड़ू का जब इस्तेमाल न हो रहा हो, तब उसे नजऱों के सामने से हटाकर रखें.

1317. सकारात्मक ऊर्जा - चारों तरफ की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म करने के लिए अपने घर में नियमित रूप से गौ मूत्र का छिड़काव करें.  गौ मूत्र को पवित्र पदार्थ माना गया है और इसमें वातावरण में मौजूद सभी नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने की शक्ति होती है.

1318. सकारात्मक ऊर्जा - पीली सरसों, गुगल, लोबान, गौघृत को मिलाकर इसकी धूप बना लें और सूर्यास्त के बाद दिन अस्त के पहले उपले (कंडे) जलाकर यह सभी मिश्रित सामग्री उस पर डाल दें और उसका धुआं संपूर्ण घर में फैलाएं.  ऐसा 21 दिन तक करेंगे तो घर से सभी तरह की नकारात्मक शक्तियां हट जाएगी.

1319. सकारात्मक ऊर्जा - पुराने भवन के भीतर कमरों की दीवारों पर सीलन पैदा होने से बनी भद्दी आकृतियां भी नकारात्मक ऊर्जा का सूचक होती हैं.  ऐसी दीवारों की तुरंत रिपेयरिंग करवा लें.

1320. सकारात्मक ऊर्जा - प्रवेश द्वार के आगे आप चाहे तो कुमकुम से शुभ-लाभ अथवा स्वस्तिक का चिन्ह बना सकते हैं .  इससे पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है एवं बुरी आत्मा घर से दूर रहती है .

1321. सकारात्मक ऊर्जा - प्रवेश द्वार के सामने फूलों की सुंदर तस्वीर लगाएं.  द्वार के सामने लगाने के लिए सूरजमुखी के फूलों की तस्वीर पवित्र और शुभ मानी गई है.

1322. सकारात्मक ऊर्जा - प्रवेश द्वार पर गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर या स्टीकर आदि लगाए जा सकते हैं.  यदि आप चाहे तो दरवाजे पर ऊँ भी लिख सकते हैं.  घर के प्रवेश द्वार पर ये शुभ चिह्न बनाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है.

1323. सकारात्मक ऊर्जा - बाथरूम में पानी का बहाव उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए.  यदि संभव हो तो बाथरूम घर के नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण दिशा) में बनवाना चाहिए.  अगर ये संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) में भी बाथरूम बनवाया जा सकता है.

1324. सकारात्मक ऊर्जा - मकड़ी का जला घर मैं बुरी उर्जा का संकेत हैं, घर से निकल दे, अगर है तो.

1325. सकारात्मक ऊर्जा - मधुमाखी का छत्ता, इसको जल्दी से घर से दूर कर दे, अगर है तो.

1326. सकारात्मक ऊर्जा - यदि अपने घर के बाहर हर रोज रात के समय दरवाजे के सामने झाड़ू रखते हैं तो इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है.  ये काम केवल रात के समय ही करना चाहिए.  दिन में झाड़ू छिपा कर रखें.

1327. सकारात्मक ऊर्जा - यदि आप अपने बाथरूम में एक कटोरी में खड़ा यानी साबूत नमक रखेंगे तो आपके घर के कई वास्तु दोष दूर हो जाएंगे.  कटोरी में रखा नमक महीने में एक बार बदल लेना चाहिए.  खड़ा नमक आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है और वातावरण को सकारात्मक बनाता है.

1328. सकारात्मक ऊर्जा - यदि आपके बाथरूम में दर्पण लगा हुआ है तो इस बात का ध्यान रखें कि दर्पण दरवाजे के ठीक सामने न हो.  जब-जब बाथरूम का दरवाजा खुलता है, तब-तब घर की नकारात्मक ऊर्जा बाथरूम में प्रवेश करती है.  ऐसे समय पर यदि दरवाजे के ठीक सामने दर्पण होगा तो उस दर्पण से टकराकर नकारात्मक ऊर्जा पुन: घर में आ जाएगी.

1329. सकारात्मक ऊर्जा - यदि आपके मन में नकारात्मक विचार आ रहे हैं तो उनका त्याग करें और घर में भगवान सत्यनारायण की  कथा करवाएं.  लाभ मिलेगा.

1330. सकारात्मक ऊर्जा - यदि किसी का व्यापार ठीक से नहीं चल रहा है तो उसे शनिवार के दिन नींबू का तांत्रिक उपाय करना चाहिए.  इस उपाय के अनुसार एक नींबू को दुकान की चारों दीवारों से स्पर्श कराएं.  इसके बाद नींबू को चार टुकड़ों में अच्छे से काट लें और चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में नींबू का एक-एक टुकड़ा फेंक दें.  इससे दुकान, व्यापार स्थल की नेगेटिव एनर्जी नष्ट हो जाएगी.

1331. सकारात्मक ऊर्जा - यदि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पश्चिम या पश्चिम में हो तो उसके ऊपर बाहर की तरफ घोड़े की नाल लगा देना चाहिए.  इससे सुरक्षा एवं सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.

1332. सकारात्मक ऊर्जा - यदि ड्रॉइंगरूम में फूलों को सजाते हैं तो ध्यान दें कि उन्हें प्रतिदिन बदलते रहना जरुरी है.  चूंकि जब ये फूल मुरझा जाते हैं तो इनसे नकारात्मक ऊर्जा निकलने लगती है.

1333. सकारात्मक ऊर्जा - यदि बाथरूम का दरवाजा बेडरूम में खुलता हो तो उसे खुला रखने से बचना चाहिए.  वैसे तो बेडरूम में बाथरूम नहीं होना चाहिए, लेकिन बेडरूम में बाथरूम है तो उसके दरवाजे पर पर्दा भी लगाना चाहिए.  बेडरूम और बाथरूम की ऊर्जाओं का परस्पर आदान-प्रदान हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता.

1334. सकारात्मक ऊर्जा - यदि संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची दहलीज बनवाएं.  जिससे बाहर का कचरा अंदर ना सके.  कचरा भी वास्तु दोष बढ़ाता है.

1335. सपने - में  कोई स्वयं को कच्छा पहनकर कपड़े में बटन लगाता देखता है, तो उसे धन के साथ मान-सम्मान भी मिलता है.

1336. सपने - में  यदि  पका हुआ संतरा देंखे तो शीघ्र ही अतुल धन-संपत्ति प्राप्त होती है.

1337. सपने - में  यदि कोई कुम्हार, घड़ा बनाता हुआ दिखाई देता है, तो उसे बहुत धन लाभ होता है.

1338. सपने - में  यदि कोई मोती, मूंगा, हार, मुकुट आदि देखता है, तो उसके घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है.

1339. सपने - में  यदि कोई व्यक्ति मूत्र का सेवन करता है, तो वह निश्चित ही महाधनी हो जाता है.

1340. सपने - में  यदि गर्दन में मोच आ जाए, तो धन लाभ होता है.

1341. सपने - में  यदि दाहिने हाथ में सफेद रंग का सांप काट ले, तो उसे बहुत से धन की प्राप्ति होती है.

1342. सपने - में ऊंट दिखाई देता है, तो उसे अपार धन लाभ होता है.  स्वप्न में हरी-फुलवारी तथा अनार देखने वाले को भी धन प्राप्ति के योग बनते हैं.

1343. सपने - में कुम्हार घड़ा बनाता हुआ दिखाई देता है, तो उसे बहुत धन लाभ होता है.

1344. सपने - में कोई खेत में पके हुए गेहूं देखता है, तो वह शीघ्र ही धनवान बन जाता है.

1345. सपने - में कोई ध्रुमपान करता है, तो उसे  धन प्राप्ति होती है.

1346. सपने - में कोई फल-फूलों का भक्षण करता है, तो उसे धन लाभ होता है.

1347. सपने - में कोई मोती, मूंगा, हार, मुकुट आदि देखता है, तो उसके घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है.

1348. सपने - में कोई स्वयं को केश विहीन (गंजा) देखता है, तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है.

1349. सपने - में मूत्र, वीर्य, विष्ठा व वमन का सेवन करता है, तो वह महाधनी हो जाता है.

1350. सपने - में यदि कोई  व्यक्ति  ध्रुमपान करता है, तो उसे  धन प्राप्ति होती है.

1351. सपने - में यदि कोई  व्यक्ति  फल-फूलों का भक्षण करता है, तो उसे धन लाभ होता है.

1352. सपने - में यदि कोई  सांप दिखे तो यह शुभ माना जाता है.  ऐसा होने पर व्यक्ति की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं.

1353. सपने - में यदि कोई (अमीर) को सांप पेड़ से उतरते हुए दिखाई देता है तो यह अपशकुन माना जाता है.  ऐसा होने पर धन हानि की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.  अत: पैसों के मामलों में सावधानी रखना चाहिए.

1354. सपने - में यदि कोई (गरीब) सांप को पेड़ से उतरते देखता है तो उसके लिए यह शुभ शकुन है.  धनहीन व्यक्ति के लिए यह शकुन पैसा प्राप्त होने की ओर इशारा करता है.

1355. सपने - में यदि कोई अपनी प्रेमिका से संबंध विच्छेद कर लेता है, तो उसे विरासत में धन की प्राप्ति होती है.

1356. सपने - में यदि कोई अपने सीने को खुजाता है, तो उसे विरासत में संपत्ति मिलती है.

1357. सपने - में यदि कोई आंख खुजाता है, तो धन लाभ होता है.

1358. सपने - में यदि कोई ऊंट दिखाई देता है, तो उसे अपार धन लाभ होता है.

1359. सपने - में यदि कोई किसी को चेक लिखकर देता है, तो उसे विरासत में धन मिलता है तथा उसके व्यवसाय में भी वृद्धि होती है.

1360. सपने - में यदि कोई किसी को धन उधार देते हैं, तो अत्यधिक धन की प्राप्ति होती है.

1361. सपने - में यदि कोई खेत में पके हुए गेहूं देखता है, तो वह शीघ्र ही धनवान बन जाता है.

1362. सपने - में यदि कोई गड़ा हुआ धन दिखाई दे, तो उसके धन में अतुलनीय वृद्धि होती है.

1363. सपने - में यदि कोई दियासलाई जलाता है, तो उसे अनपेक्षित रूप से धन की प्राप्ति होती है.

1364. सपने - में यदि कोई देखे कि उस पर कानूनी मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें वह निर्दोष छूट गया है, तो उसे अतुल धन संपदा की प्राप्ति होती है.

1365. सपने - में यदि कोई नाग-नागिन को प्रणय करते दिखे तो इसे अशुभ माना जाता है. ऐसे में व्यक्ति को नाग-नागिन के सामने रुकना नहीं चाहिए. अत: ऐसे स्थान से तुरंत चले जाना चाहिए. नाग-नागिन से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.

1366. सपने - में यदि कोई मरा हुआ सांप दिखाई दे तो अशुभ माना जाता है,  भगवान शिव से क्षमा याचना करनी चाहिए और अगले दिन शिवलिंग पर जल, कच्चा दूध चढ़ाएं.

1367. सपने - में यदि कोई शिवलिंग पर सांप लिपटा हुआ दिखाई दे तो यह भी बहुत शुभ शकुन होता है.  ऐसा होने पर व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.

1368. सपने - में यदि कोई सफेद सांप देखता है तो यह एक शुभ शकुन माना जाता है.  ऐसा होने पर व्यक्ति को कार्यों में सफलता मिलती है.

1369. सपने - में यदि कोई सांप पेड़ पर चढ़ता दिखाई देता है तो उसे समझ लेना चाहिए कि आने वाले समय में कुछ अच्छा होने वाला है.  सामान्यत: ये एक शुभ शकुन है और धन मिलने की संभावनाओं को दर्शाता है.

1370. सपने - में यदि कोई स्वयं को कच्छा पहनकर कपड़े में बटन लगाता देखता है, तो उसे धन के साथ मान-सम्मान भी मिलता है.

1371. सपने - में यदि कोई स्वयं को केश विहीन (गंजा) देखता है, तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है.

1372. सपने - में यदि कोई हरी-फुलवारी तथा अनार दिखे तो धन प्राप्ति के योग बनते हैं.

1373. सपने - में यदि देखे कि उस पर कानूनी मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें वह निर्दोष छूट गया है, तो उसे अतुल धन संपदा की प्राप्ति होती है.

1374. सपने - में यदि सांप, बाएं हाथ की ओर से कोई सांप आपका रास्ता काट दे तो आपको सावधान होकर कार्य करना चाहिए.  ऐसा होने पर कार्यों में असफलता के योग बनते हैं.

1375. सपने - में यदि सांप, सीधे हाथ की ओर से रास्ता काट दे तो यह शुभ शकुन माना जाता है.  ऐसा होने पर कार्य में सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

1376. सपने - में स्वयं को गांव जाता देंखे तो शुभ समाचार मिलेगा.  पुत्र से लाभ मिलेगा.

1377. सपने - यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रेमिका से संबंध विच्छेद कर लेता है, तो उसे विरासत में धन की प्राप्ति होती है.

1378. सफल शादी शुदा जीवन -  पति को वश में करने के लिए यह प्रयोग शुक्ल  पक्ष में करना चाहिए . एक पान का पत्ता लें . उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें . फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें . पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें . और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय . यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय . पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो . रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें . 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें . शीघ्र समस्या का समाधान होगा .

1379. सफल शादी शुदा जीवन -  यदि पति और पत्नी में किसी भी बात को लेकर अनबन है या गृहकलेश है या किसी भी प्रकार की मानसिक अशांति है तो सेंधा या खड़े नमक का एक टुकड़ा शयनकक्ष के एक कोने में रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी.   इस टुकड़े को महीने भर के बाद बदल दें और दूसरा नया टूकड़ा रख दें.

1380. सफल शादी शुदा जीवन - घर में मनी प्लांट लगाना बहुत ही शुभ होता है.  ज्योतिष के अनुसार मनी प्लांट शुक्र ग्रह का कारक है.  शुक्र की उपस्थिति में पति-पत्नी के संबंध मधुर होते हैं.

1381. सफल शादी शुदा जीवन - शादी के बाद जब कन्या विदा हो रही हो तो एक लोटे में गंगाजल, थोड़ी सी हल्दी, एक पीला सिक्का लेकर कन्या के सिर के ऊपर से 7 बार उसार कर उसके आगे फेंक दें.  उसका वैवाहिक जीवन सदा सुखी रहेगा.

1382. सफल शादी शुदा जीवन - साबुत काले उड़द में हरी मेहंदी मिलाकर जिस दिशा में वर-वधू का घर हो, उस और फेंक दें, दोनों के बीच परस्पर प्रेम बढ़ जाएगा और दोनों ही सुखी रहेंगे.

1383. सफल शादी शुदा जीवन: - "अक्ष्यौ नौ मधुसंकाशे अनीकं नौ समंजनम्.  अंत: कृणुष्व मां ह्रदि मन इन्नौ सहासति. . "  सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एकांत स्थान पर कुश का आसन लगाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस पर बैठ जाएं.  अब सामने मां पार्वती का चित्र स्थापित कर उसका पूजन करें.  इसके बाद इस मंत्र का यथाशक्ति या कम से कम 21 बार जप करें.  कुछ ही दिनों में आपको इस मंत्र का असर दिखने लगेगा.

1384. सफल शादी शुदा जीवन: - आप किसी भी रविवार को एक शराब की उस ब्रांड की बोतल लायें जो ब्रांड आपके पति सेवन करते हैं. रविवार को उस बोतल को किसी भी भैरव मंदिर पर अर्पित करें तथा पुन: कुछ रूपए देकर मंदिर के पुजारी से वह बोतल वापिस घर ले आयें, जब आपके पति सो रहें हो अथवा शराब के नशे में चूर होकर मदहोश हों तो आप उस पूरी बोतल को अपने पति के ऊपर से उसारते हुए २१ बार "ॐ ॐ नमः भैरवाय"का जाप करें . उसारे के बाद उस बोतल को शाम को किसी भी पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़ आयें. कुछ ही दिनों में आप चमत्कार देखेंगी.

1385. सफल शादी शुदा जीवन: - आपको यदि शक हो की आपके पति के किसी अन्य महिला से सम्बन्ध हैं तो आप इसके लिए रात में थोडा कपूर अवश्य जलाया करें इससे यदि सम्बन्ध होंगे तो छूट जायेंगे.

1386. सफल शादी शुदा जीवन: - कनेर के पुष्प को पानी मैं घिसकर अथवा तथा पीसकर उस से पति के माथे पर तिलक करें .यह भी अन्य महिला से सम्बन्ध समाप्त करने का अच्छा उपाय है .

1387. सफल शादी शुदा जीवन: - किसी अन्य महिला के पीछे आपके पति यदि आपका अपमान करते हैं तो किसी भी गुरूवार को तीन सो ग्राम बेसन के लड्डू ,आटेके दो पेड़े,तीन केले व इतनी ही चने की गीली दाल लेकर किसी गाय को खिलाये जो अपने बछड़े को दूध पिला रही हो. उसे खिला कर यह निवेदन करें की हे माँ,मैंने आपके बच्चे को फल दिया आप मेरे बच्चे को फल देना. कुछ ही दिन में आपके पति रस्ते में आ जायेंगे.

1388. सफल शादी शुदा जीवन: - किसी के पति यदि अधिक क्लेश करते हैं तो वह स्त्री सोमवार को अशोक वृक्ष के पास जाकर धुप-दीप से अर्चना कर अपनी समस्या का निवेदन कर जल अर्पित करें. सात पत्ते तोड़कर अपने घर के पूजास्थल में रख कर उनकी पूजा करें. अगले सोमवार को पुन:यह क्रिया दोहराएँ तथा सूखे पत्तों को मंदिर तथा बहते जल में प्रवाहित कर दें.

1389. सफल शादी शुदा जीवन: - कुत्ते का नाख़ून अथवा बिच्छु का डंक आप किसी भी बहाने  से ताबीज में पति को धारण करवा दें. इसके प्रभाव से वो अन्य महिला का साथ छोड़ देंगे.

1390. सफल शादी शुदा जीवन: - गुरूवार को केले पर हल्दी लगाकर गुरु के १०८ नामों के उच्चारण से भी पति की मनोवृति बदलती है. केले के वृक्ष के साथ यदि पीपल के वृक्ष की भी सेवा कर सकें तो फल और भी जल्दी प्राप्त होता है.

1391. सफल शादी शुदा जीवन: - गृह क्लेश दूर करने के लिए तथा आर्थिक लाभ के लिए गेँहू शनिवार को पिसवाना चाहिए. उसमे प्रति दस किलो गेँहू पर सो ग्राम काले चने डालने चाहिए.

1392. सफल शादी शुदा जीवन: - जब आपको लगे की आपके पति किसी महिला के पास से आरहें हैं तो आप किसी भी बहाने से अपने पति का आंतरिक वस्त्र लेकर उसमे आग लगा दें और राख को किसी चौराहे पर फैंक कर पैरों से रगड़ कर वापिस आजाएं.

1393. सफल शादी शुदा जीवन: - जिस महिला से आपके पति का संपर्क है उसके नाम के अक्षर के बराबर मखाने लेकर प्रत्येक मखाने पर उसके नाम का अक्षर लिख दें. उस औरत से पति का छुटकारा पाने की ईशवर से प्रार्थना करते हुए उन सारे मखानो को जला दें तथा किसी भी प्रकार से उसकी काली भभूत को पति के पैर के नीचे आने की व्यवस्था करें.

1394. सफल शादी शुदा जीवन: - जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार को एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें.  इसके प्रभाव से पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा.

1395. सफल शादी शुदा जीवन: - पति-पत्नी के क्लेश के लिए पत्नी बुधवार को तीन घंटे का मोंन रखें. शुक्रवार को अपने हाथ से साबूदाने की खीर में मिश्री दाल कर खिलाएं तथा इतर दान करें व अपने कक्ष में भी रखें. इस प्रयोग से प्रेम में वृद्धि होती है.

1396. सफल शादी शुदा जीवन: - पान के हरे पत्‍ते पर चंदन और केसर का पाउडर लगाकर दुर्गा माता की मूर्ति/तस्‍वीर के सामने रखें तथा चंडी स्‍त्रोत का पाठ करें.  पाठ के बाद चंदन और केसर के मिश्रण से माथे पर तिलक लगाएं और पति के सामने जाएं.  यदि पति न हो, तो उसके फोटो के सामने जाएं.  तदुपरांत उस पत्‍ते को एक जगह संभाल कर रख दें.  43वें दिन सभी एकत्रित पत्‍तों को जल में प्रवाहित कर दें.  आपका पति पूर्णत: आपके वश में रहेगा.

1397. सफल शादी शुदा जीवन: - मिट्टी का पात्र ले जिसमें सवा किलो मशरूम आ जाएं.  मशरूम डालकर अपने सामने रख दें.  पति-पत्नि दोनों ही महामृत्युंजय मंत्र की तीन माला जाप करें.  तत्पश्चात इस पात्र को मां भगवती के श्री चरणों में चुपचाप रखकर आ जाए.  ऐसा करने से मां भगवती की कृपा से आपका दांपत्य जीवन सदा सुखी रहेगा.

1398. सफल शादी शुदा जीवन: - यदि किसी महिला अथवा किसी अन्य कारण से आपको लग रहा है की आपका परिवार टूट रहा है अथवा तलाक तक की हालत पैदा हो गयी हैं तो ऐसे परिस्थिति से बचाव के लिए किसी शिव मंदिर में श्रावण मास में आप किसी विद्वान ब्राह्मण से 11 दिन तक लगातार 'रुद्राष्टध्यायी' जिसे म्हारुदरी यग भी कहते हैं ,से अभिषेक करवाएं.

1399. सफल शादी शुदा जीवन: - यदि पति पत्नी का आपस में बिना बात के झगड़ा होता है और झगडे का कोई कारण भी नही होता तो अपने शयनकक्ष में पति अपने तकिये के नीचे लाल सिन्दूर रखे व पत्नी अपने तकिये के नीचे कपूर रखे. प्रात: पति आधा सिन्दूर घर में ही कहीं गिरा दें और आधे से पत्नी की मांग भर दें तथा पत्नी कपूर जला दे.

1400. सफल शादी शुदा जीवन: - यदि स्त्री को श्वेत प्रदर ,मासिक धर्म में अनियमितता अथवा इसके होने पर कमर दर्द हो तो वह पीपल की जटाको गुरूवार की दोपहर में काट कर छाया में सुखा लें. जब जटा अच्छी तरह से सुख जाये तो उसे पीस कर २०० ग्राम दही में १० ग्राम जटा का चूर्ण का नियमित सात दिन तक सेवन करें तथा रात में सोते समय त्रिफला चूर्ण भी सादा जल से ले. सात दिन में इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी .

राशि......................नामाक्षर.........................................मंत्र मेष......................चू चे चो ला ली लू ले लो अ......................ॐ ऐं क्लीं सोः वृषभ......................इ उ ए ओ वा वी वू वे वो.........................ॐ ऐं क्लीं श्रीं मिथुन......................का की कू घ ङ छ के को हा......................ॐ क्लीं ऐं सोः कर्क......................ही हू हे हो डा डी डू डे डो............................ॐ ऐं क्लीं श्रीं सिंह......................मा मी मू मे मो टा टी टू टे.........................ॐ ह्रीं श्रीं सोः कन्या......................टो पा पी पू ष ण ठ पे पो.........................ॐ क्लीं ऐं सोः तुला......................रा री रू रे रो ता ती तू ते.........................ॐ ऐं क्लीं श्रीं वृश्चिक......................तो ना नी नू ने नो या यी यू......................ॐ ऐं क्लीं सोः धनु......................ये यो भा भी भू धा फा ढा भे.........................ॐ ह्रीं क्लीं सोः मकर......................भो जा जी खी खू खे खो गा गी......................ॐ ऐं क्लीं श्रीं कुंभ......................गू गे गो सा सी सू से सौ दा.........................ॐ ऐं क्लीं श्रीं मीन......................दी दू थ झ ञ दे दो चा ची............................ॐ ह्रीं क्लीं सोः श्रीहनुमान ज्योतिष यंत्र से जानें भविष्य यंत्र से जानें भविष्य हर व्यक्ति की अपनी कुछ इच्छाएं रहती हैं जिसे वह पूरा करना चाहता है। उसकी यह इच्छाएं कभी पूरी होती है तो कभी नहीं भी होती। अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए वह अनेक प्रयास करता है। इसके लिए वह जन्मपत्रिका, हस्तरेखा, प्रश्नकुंडली, शकुन आदि का सहारा भी लेता है। मनोकामना पूर्ति के बारे में जानने की एक और सरल विधि है श्री हनुमान ज्योतिष यंत्र। इस यंत्र के माध्यम से व्यक्ति कोअपने प्रश्नों का उत्तर तुरंत मिल जाता है जैसे- दाम्पत्य सुख, विवाह में देरी, धन प्राप्ति, प्रेम में सफलता-असफलता आदि। विधि यह श्रीहनुमान ज्योतिष यंत्र है, जिसमें सात खाने (कॉलम) हैं। व्यक्ति सबसे पहले पांच बार ऊँ रां रामाय नम: मंत्र का तथा बाद में 11 बार ऊँ हनुमते नम: मंत्र का जप करे। इसके बाद आंख बंद करके अपनी मनोकामना के बारे में पूछते हुए इस यंत्र पर कर्सर घुमाएं। जिस खाने में यह कर्सर रूक जाए उसका फलादेश देखकर ही कार्य करें। दाम्पत्य सुख 1- दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि होगी। 2- प्रेम होगा किंतु विवाह के पश्चात। 3- जीवनसाथी के आने से भाग्योदय होगा और प्रेम भी बढ़ेगा। 4- परायों के कारण परेशानी होगी। 5- वाणी में मधुरता रखें, अन्यथा मतभेद और बढ़ेंगे। ऊँ नम: शिवाय का जप करें। 6- पैसों को लेकर तनाव और कलह रहेगी। 7- दाम्पत्य में खुशियां मिलेंगी। Searches related to नवरात्र के उपाय व टोटके नवरात्री के उपाय नवरात्रि के उपाय नवरात्रि पूजन विधि नवरात्रि का महत्व नवरात्रि 2016 नवरात्रि photo नवरात्रि कब है navratri songs . कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। 2. अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं। 3. इसी दिन अगर हो सके तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है। 4. पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें। 5. शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है। 6. सोमवार प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है। 7. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है। 8. कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है। 9. ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है। 10. पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है। 11. पितरों के नाम पर गरीब विद्यार्थियों की मदद करने तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है। पित्र दोष निवारण मन्त्र मन्त्र 1 -- ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः । मन्त्र २-- ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः ।। ग्रहों की शांति के उपाय - मंगल के उपाय : मंत्र : "ॐ हां हंस: खं ख:" "ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम:" "ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:" किसी भी मंत्र की एक माला का जाप (108 बार) अवश्य करें. अगर किसी कारण इतना नहीं कर सकते, तो यथा शक्ति करें. रोज़ कर सकें तो बेहतर, वर्ना रविवार को अवश्य करें. पिछले 2-3 दिनों में हम ने सूर्य और चन्द्र से सम्बंधित दान और उपाय बताये थे. आगे भी हमने सभी ग्रहों से सम्बंधित उपाय बताये थे. अधिकतर ज्योतिषी केवल शनि, राहु-केतु आदि के उपाय करने को कहते हैं, जबकि गुरु, चन्द्र, शुक्र, बुध आदि को शुभ गृह बताकर इनके रत्न पहनने को कह देते हैं, जबकि उपाय और रत्न कुण्डली से ही निर्धारित होते हैं. मंगल के उपाय 1. पीड़ित व्यक्ति को लाल रंग का बैल दान करना चाहिए. 2. लाल रंग का वस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए. 3. मंगल से सम्बन्धित रत्न दान देने से भी पीड़ित मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आती है. 4. मंगल ग्रह की दशा में सुधार हेतु दान देने के लिए मंगलवार का दिन और दोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है. जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए. 5. मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 10 से 15 मिनट ध्यान करना उत्तम रहता है. मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत: धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए. 6. लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए। 7. ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए। 8. बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है। 9. लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए। 10. मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए। 11. बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए। 12. अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए। मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं। क्या न करें आपका मंगल अगर पीड़ित है तो आपको अपने क्रोध नहीं करना चाहिए. अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए. किसी भी चीज़ में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिए. विशेष : अगर मंगल आप के लिए अनुकूल है, परन्तु नीच का होने से, या अष्टम, द्वादश आदि होने से, या शनि, राहु, शुक्र, बुध आदि के साथ बैठने से कमजोर हो रहा हो, तो लाल मूंगा धारण करना चाहिए. ऐसे मामलों में उपरोक्त उपायों की आवष्यकता नहीं है. पर, अगर करते हैं, तो हानि भी नहीं है. हाँ, विशेष लाभ नहीं होगा. See translation जिस भवन में बिल्लियां प्राय: लड़ती रहती हैं वहां शीघ्र ही विघटन की संभावना रहती है, विवाद वृद्धि होती है, मतभेद होता है। * जिस भवन के द्वार पर आकर गाय जोर से रंभाए तो निश्चय ही उस घर के सुख में वृद्धि होती है। * भवन के सम्मुख कोई कुत्ता भवन की ओर मुख करके रोए तो निश्चय ही घर में कोई विपत्ति आने वाली है अथवा किसी की मृत्यु होने वाली है। * जिस घर में काली चींटियां समूहबद्ध होकर घूमती हों वहां ऐश्वर्य वृद्धि होती है, किंतु मतभेद भी होते हैं। * घर में प्राकृतिक रूप से कबूतरों का वास शुभ होता है। * घर में मकड़ी के जाले नहीं होने चाहिएं, ये शुभ नहीं होते, सकारात्मक ऊर्जा को रोकते हैं। * घर की सीमा में मयूर का रहना या आना शुभ होता है। * जिस घर में बिच्छू कतार बनाकर बाहर जाते हुए दिखाई दें तो समझ लेना चाहिए कि वहां से लक्ष्मी जाने की तैयारी कर रही हैं। * पीला बिच्छू माया का प्रतीक है। ऐसा बिच्छू घर में निकले तो घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। * जिस घर में प्राय: बिल्लियां विष्ठा कर जाती हैं, वहां कुछ शुभत्व के लक्षण प्रकट होते हैं। * घर में चमगादड़ों का वास अशुभ है। * जिस भवन में छछूंदरें घूमती हैं वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है। * जिस घर के द्वार पर हाथी अपनी सूंड ऊंची करे वहां उन्नति, वृद्धि तथा मंगल होने की सूचना मिलती है। * जिस घर में काले चूहों की संख्या अधिक हो जाती है वहां किसी व्याधि के अचानक होने का अंदेशा रहता है। * जिस घर की छत या मुंडेर पर कोयल या सोन चिरैया चहचहाए, वहां निश्चित ही श्री वृद्धि होती है। * जिस घर के आंगन में कोई पक्षी घायल होकर गिरे वहां दुर्घटना होती है। * जिस भवन की छत पर कौए, टिटहरी अथवा उल्लू बोलने लगें तो, वहां किसी समस्या का उदय अचानक होता है। ग्रहों को शांत करने में मोर पंख किस तरह आपकी सहायता कर सकता है. सूर्य की दशा से मुक्ति- रविवार के दिन नौ मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे रक्तवर्ण मेरून रंग का धागा बांध लें एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बारॐ सूर्याय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें. लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाएं. चंद्रमा की दशा से मुक्ति- सोमवार के दिन आठ मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ सोमाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. पांच पान के पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें. बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं. मंगल की दशा से मुक्ति- मंगलवार के दिन सात मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ भू पुत्राय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. दो पीपल के पत्तों पर अक्षत रख कर मंगल ग्रह को अर्पित करें. बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं. बुद्ध की दशा से मुक्ति- बुद्धबार के दिन छ: मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें. एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ बुधाय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. जामुन अथवा बेरिया बुद्ध ग्रह को अर्पित करें. केले के पत्ते पर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं. बृहस्पति की दशा से मुक्ति- बीरवार के दिन पांच मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारिया. रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ ब्रहस्पते नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें. बेसन का प्रसाद बना कर चढ़ाएं. शुक्र की दशा से मुक्ति- शुक्रवार के दिन 4 मोर पंख लेकर आयें. पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ 4 सुपारियां रखें गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ शुक्राय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. 3 मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें. गुड़, चने का प्रसाद बनाकर चढ़ाएं. शनि की दशा से मुक्ति- शनिवार के दिन तीन मोर पंख ले कर आयें. पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ शनैश्वराय नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. तीन मिटटी के दिये तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें. गुलाबजामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं. राहु की दशा से मुक्ति- शनिवार के दिन सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आयें. पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ राहवे नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें चौमुखा दिया जला कर राहु को अर्पित करें. कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं. केतु की दशा से मुक्ति- शनिवार के दिन सूर्य अस्त होने के बाद 1 मोर पंख लेकर आयें. पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध ले. एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें. गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार ॐ केतवे नम: जाग्रय स्थापय स्वाहा: मंत्र पढ़ें. पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें. फलों का प्रसाद चढ़ाएं. ग्रह शान्ति उपाय. आसान उपायों द्वारा ग्रहों की नाराजगी दूर करें - 1)सूर्य- भूल कर भी झूठ न बोलें,सूर्य का गुस्सा कम हो जाएगा । झूठ क्या है झूठ वो है जो अस्तित्व में नहीं है और यदि हम झूठ बोलेंगे तो सूर्य को उसका अस्तित्व पैदा करना पडेगा आश्चर्य की कोई बात नहीं है । ये नौ ग्रह हमारे जीवन के लिए ही अस्तित्व में आये हैं सूर्य का काम बढ़ जाएगा और मुश्किल भी हो जाएगा । 2)चंद्रमा - जितना ज्यादा हो सके सफाई पसंद हो जाईये ,और साफ़ रहिये भी -चंद्रमा का गुस्सा कम हो जाएगा । चंद्रमा को सबसे ज्यादा डर राहू से लगता है । राहू अदृश्य ग्रह है ,राहू क्रूर है,हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में राहू गंदगी है । हम हमारे घर को, आसपास के वातावरण को कितना भी साफ़ करें -उसमें ढूँढने जायेंगे तो गंदगी मिल ही जायेगी ,या हम हमारे घर और आस पास के वातावरण को कितना भी साफ़ रखें वो गंदा हो ही जाएगा और हम सब जानते हैं कि गंदगी कितनी खतरनाक हो सकती है और होती है । ज़िंदगी के लिए ,न जाने कितने बेक्टीरिया , वायरस ,जो अदृश्य होते हुए भी हमारी ज़िंदगी को भयभीत कर देते हैं ,बीमार करके ,ज़िंदगी को खत्म तक कर देते हैं , चंद्रमा (जो सबके मन को आकर्षित करता है स्वय राहू के मन को भी) राहू से डरता है । अतः यदि आप साफ़ रहेंगे तो चंद्रमा को अच्छा लगेगा और उसका क्रोध शांत रहेगा , चंद्रमा का गुस्सा उतना ही कम हो जाएगा । 3)मंगल- यह ग्रह सूर्य का सेनापती ग्रह है भोजन में गुड है । सूर्य गेंहू है रविवार को गेहूं के आटे का चूरमा गुड डालकर बनाकर खाएं खिलाये ,मंगल को बहुत अच्छा लगेगा । सूर्य गेहूं है -मंगल गुड है और घी चंद्रमा है ,अब तीनो प्रिय मित्र हैं तो तीन मित्र मिलकर जब खुश होंगे तो गुस्सा किसे याद रहेगा । 4)बुध - बुध ग्रह यदि आपकी जन्म पत्रिका में क्रोधित है तो बस तुरंत मना लीजिये । गाय को हरी घास खिलाकर उसको प्रसन्न करना हैं धरती और गाय दोनों शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है । हरी घास जो बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है -बुध ग्रह का रंग हरा है ,वो बच्चा है नौ ग्रहों में शारीरिक रूप से सबसे कमजोर और बौद्धिक रूप में सबसे आगे आगे । बुध घास है जो पृथ्वी के अन्य पेड़ पौधों के मुकाबले कमजोर है बिलकुल बुध ग्रह की तरह , घास भी शारीरिक रूप से बलवान नहीं होती है मगर ताकत देने में कम नहीं अतः बुध स्वरूप ही है । हरी हरी घास से सजी धरती कितनी सुंदर और खुश दिखती है । घास =बुध और धरती = शुक्र इसी तरह गाय हरी -हरी घास खा कर कितनी खुश होती है इसलिए - हरी- हरी घास =बुध ग्रह और गाय और धरती शुक्र इसलिए गाय को हरी हरी घास खिलाएंगे तो दो बहुत अच्छे दोस्तों को मिला रहे होंगे, ऐसी हंसी खुशी के वातावरण में हर कोई गुस्सा थूक देता है और बुध ग्रह भी अपना क्रोध शांत कर लेंगे । 5)बृहस्पति -चने की दाल parrots को खिलादे , बृहस्पति कभी गुस्सा नहीं करेंगे । चने की दाल पीले रंग की होती है और बृहस्पति भी पीले रंग के हैं । बृहस्पति का भी घनत्व सौरमंडल में ज्यादा है और चने की दाल भी हलकी फुल्की नहीं होती पचाने में हमारी आँतों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है । तोता हरे रंग का होता है , बुध ग्रह भी हरे रंग का होता है । तोता भी दिन भर बोलता रहता है और बुध ग्रह भी बच्चा होना के कारण बोलना पसंद करता है । अतः तोता =बुध ग्रह और चने की दाल = बृहस्पति ग्रह बुध ग्रह बृहस्पति के जायज पुत्र और चंद्रमा के नाजायज पुत्र है। बुध के पिता बृहस्पति हैं और बृहस्पति के चंद्रमा अच्छे मित्र हैं और बृहस्पति की पत्नी तारा ने चंद्रमा से नाजायज शारीरिक सम्बन्ध बनाकर बुध ग्रह को जन्म दिया था इस बात से बृहस्पति अपनी पत्नी तारा से नाराज़ रहते है और बुध की माँ से नाराज़ रहने के कारण अपने जायज पिता बृहस्पति से बुध ग्रह नाराज़ रहता है । इस बात से बृहस्पति दुखी रहता है अतः जब तोता जो बुध स्वरूप है जब चने की दाल खाकर पेट भरेगा और खुश होगा तो बृहस्पति को खुशी मिलेगी और गुस्सा तो अपने आप कम हो जाएगा । 6)शुक्र - यदि नाराज़ हो तो गाय को रोटी खिलाओ . सूर्य गेहूं है और शुक्र गाय । किस बलवान व्यक्ति को उसके खुद के अलावा कोई और राजा हो तो अच्छा लगता है । शुक्र को भी सूर्य के अधीन रहना पसंद नहीं है अतः जब आप उसके शत्रु सूर्य जो गेहूं को गाय जो शुक्र है को खिलाएंगे तो वो अपने आप ही गुस्सा भूल जाएगा । 7)शनि- जिस किसी से भी नाराज़ हो तो उसकी पीड़ा तो बस वो खुद ही जानता है । शनि समानतावादी है , ये बड़ा है और ये छोटा है ऐसी बातें शनि को क्रोधित कर देती है, क्योंकि शनि सूर्य (राजा ) का पुत्र है और उसके पिता सूर्य ने उसकी माँ का सम्मान नहीं किया इसलिए शनि को अपनी माँ छाया से प्यार होने के कारण सूर्य पर बहुत गुस्सा आता है । किसी का बड़े होने का अहं उनको पसंद नही है। अहंकार छोड़ देने से शनि भगवान का कृपा प्राप्त होता है। अ: मंत्रों की शक्ति मंत्रों की शक्ति तथा इनका महत्व ज्योतिष में वर्णित सभी रत्नों एवम उपायों से अधिक है। मंत्रों के माध्यम से ऐसे बहुत से Navagraha Mantrasदोष बहुत हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं जो रत्नों तथा अन्य उपायों के द्वारा ठीक नहीं किए जा सकते। ज्योतिष में रत्नों का प्रयोग किसी कुंडली में केवल शुभ असर देने वाले ग्रहों को बल प्रदान करने के लिए किया जा सकता है तथा अशुभ असर देने वाले ग्रहों के रत्न धारण करना वर्जित माना जाता है क्योंकि किसी ग्रह विशेष का रत्न धारण करने से केवल उस ग्रह की ताकत बढ़ती है, उसका स्वभाव नहीं बदलता। इसलिए जहां एक ओर अच्छे असर देने वाले ग्रहों की ताकत बढ़ने से उनसे होने वाले लाभ भी बढ़ जाते हैं, वहीं दूसरी ओर बुरा असर देने वाले ग्रहों की ताकत बढ़ने से उनके द्वारा की जाने वाली हानि की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसलिए किसी कुंडली में बुरा असर देने वाले ग्रहों के लिए रत्न धारण नहीं करने चाहिएं। वहीं दूसरी ओर किसी ग्रह विशेष का मंत्र उस ग्रह की ताकत बढ़ाने के साथ-साथ उसका किसी कुंडली में बुरा स्वभाव बदलने में भी पूरी तरह से सक्षम होता है। इसलिए मंत्रों का प्रयोग किसी कुंडली में अच्छा तथा बुरा असर देने वाले दोनो ही तरह के ग्रहों के लिए किया जा सकता है। साधारण हालात में नवग्रहों के मूल मंत्र तथा विशेष हालात में एवम विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए नवग्रहों के बीज मंत्रों तथा वेद मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। नवग्रहों के मंत्र निम्नलिखित हैं : नवग्रहों के मूल मंत्र सूर्य : ॐ सूर्याय नम: चन्द्र : ॐ चन्द्राय नम: गुरू : ॐ गुरवे नम: शुक्र : ॐ शुक्राय नम: मंगल : ॐ भौमाय नम: बुध : ॐ बुधाय नम: शनि : ॐ शनये नम: अथवा ॐ शनिचराय नम: राहु : ॐ राहवे नम: केतु : ॐ केतवे नम: नवग्रहों के बीज मंत्र सूर्य : ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: चन्द्र : ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम: गुरू : ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: शुक्र : ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंगल : ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: बुध : ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: शनि : ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: राहु : ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: केतु : ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: नवग्रहों के वेद मंत्र सूर्य : ॐ आकृष्णेन रजसा वर्त्तमानो निवेशयन्नमृतं मतर्य च हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन॥ इदं सूर्याय न मम॥ चन्द्र : ॐ इमं देवाSसपत् न ग्वं सुवध्वम् महते क्षत्राय महते ज्येष्ठयाय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय इमममुष्य पुत्रमुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोSमी राजा सोमोSस्माकं ब्राह्मणानां ग्वं राजा॥ इदं चन्द्रमसे न मम॥ गुरू : ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अहार्द् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम॥ इदं बृहस्पतये, इदं न मम॥ शुक्र : ॐ अन्नात् परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय:। सोमं प्रजापति: ॠतेन सत्यमिन्द्रियं पिवानं ग्वं शुक्रमन्धसSइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोSमृतं मधु॥ इदं शुक्राय, न मम। मंगल : ॐ अग्निमूर्द्धा दिव: ककुपति: पृथिव्या अयम्। अपा ग्वं रेता ग्वं सि जिन्वति। इदं भौमाय, इदं न मम॥ बुध : ॐ उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहित्वमिष्टापूर्ते स ग्वं सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत॥ इदं बुधाय, इदं न मम॥ शनि : ॐ शन्नो देविरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्योरभिस्त्रवन्तु न:। इदं शनैश्चराय, इदं न मम॥ राहु : ॐ कयानश्चित्र आ भुवद्वती सदा वृध: सखा। कया शचिंष्ठया वृता॥ इदं राहवे, इदं न मम॥ केतु : ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्या अपेशसे। समुषदभिरजा यथा:। इदं केतवे, इदं न मम॥ मंत्र जाप के द्वारा सर्वोत्तम फल प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप नियमित रूप से तथा अनुशासनपूर्वक करना चाहिए। वेद मंत्रों का जाप केवल उन्हीं लोगों को करना चाहिए जो पूर्ण शुद्धता एवम स्वच्छता का पालन कर सकते हैं। किसी भी मंत्र का जाप प्रतिदिन कम से कम 108 बार जरूर करना चाहिए। सबसे पहले आप को यह जान लेना चाहिए कि आपकी कुंडली के अनुसार आपको कौन से ग्रह के मंत्र का जाप करने से सबसे अधिक लाभ हो सकता है तथा उसी ग्रह के मंत्र से आपको जाप शुरू करना चाहिए।पनी प्रचलित परिभाषा के अनुसार गंड मूल दोष लगभग हर चौथी-पांचवी कुंडली में उपस्थित पाया जाता है तथा अनेक ज्योतिषियों की धारणा के अनुसार यह दोष कुंडली धारक के जीवन में तरह तरह की परेशानियां तथा अड़चनें पैदा करने में सक्षम होता है। तो आइए आज इस दोष के बारे में चर्चा करते हैं तथा देखते हैं कि वास्तव में यह दोष होता क्या है, किसी कुंडली में यह दोष बनता कैसे है, तथा इसके दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं। इस दोष की प्रचलित परिभाषा के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चन्द्रमा, रेवती, अश्विनी, श्लेषा, मघा, ज्येष्ठा तथा मूल नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में स्थित हो तो कुंडली धारक का जन्म गंड मूल में हुआ माना जाता है अर्थात उसकी कुंडली में गंड मूल दोष की उपस्थिति मानी जाती है। इस परिभाषा के अनुसार कुल 27 नक्षत्रों में से उपर बताए गए 6 नक्षत्रों में चन्द्रमा के स्थित होने से यह दोष माना जाता है जिसका अर्थ यह निकलता है कि यह दोष लगभग हर चौथी-पांचवी कुंडली में बन जाता है। किन्तु मेरे विचार से यह धारणा ठीक नहीं है तथा वास्तव में यह दोष इतनी अधिक कुंडलियों में नही बनता। आइए अब देखते हैं कि यह दोष वास्तव में है क्या तथा चन्द्रमा के इन 6 विशेष नक्षत्रों में उपस्थित होने से ही यह दोष क्यों बनता है। नक्षत्र संख्या में कुल 27 होते हैं तथा इन्हीं 27 नक्षत्रों से 12 राशियों का निर्माण होता है। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं तथा इस प्रकार से 27 नक्षत्रों के कुल मिलाकर 108 चरण होते हैं। प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं अर्थात किन्हीं तीन नक्षत्रों के 9 चरण होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक राशि में किन्ही तीन नक्षत्रों के नौ चरण होने पर 12 राशियों में इन 27 नक्षत्रों के 108 चरण होते हैं। चन्द्रमा अपनी गति से क्रमश: इन सभी नक्षत्रों में बारी-बारी भ्रमण करते हैं तथा किसी भी समय विशेष और स्थान विशेष पर वे किसी न किसी नक्षत्र के किसी न किसी चरण में अवश्य उपस्थित रहते हैं। यह सिद्धांत बाकी सब ग्रहों पर भी लागू होता है। किसी भी स्थान विशेष के आकाश मंडल में नक्षत्र तथा राशियां अपने एक विशेष क्रम में बारी-बारी से उदय होते रहते हैं जैसे कि राशियां मेष से मीन की ओर तथा नक्षत्र अश्विनी से रेवती की ओर क्रमवार उदय होते हैं। राशियों में अंतिम मानी जाने वाली मीन राशि के बाद प्रथम राशि मेष उदय होती है तथा नक्षत्रों में अंतिम माने जाने वाले रेवती नक्षत्र के बाद प्रथम नक्षत्र अश्विनी उदय होता है तथा यह सिलसिला क्रमवार इसी तरह से निरंतर चलता रहता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक नक्षत्र के अस्त होने और क्रम में उससे अगले नक्षत्र के उदय होने के बीच में इन नक्षत्रों के मध्य एक संधि स्थल आता है जहां पर एक नक्षत्र अपने अस्त होने की प्रकिया में होता है तथा क्रम में उससे अगला नक्षत्र अपने उदय होने की प्रक्रिया में होता है। इस समय विशेष में आकाश मंडल में इन दोनों ही नक्षत्रों का मिला जुला प्रभाव देखने को मिलता है। इसी प्रकार का संधि स्थल प्रत्येक राशि के अस्त होने तथा उससे अगली राशि के उदय होने की स्थिति में भी आता है जब दोनों ही राशियों का प्रभाव आकाश मंडल में देखने को मिलता है। इस प्रकार 27 नक्षत्रों के क्रमवार उदय और अस्त होने की प्रक्रिया में 27 संधि स्थल आते हैं तथा 12 राशियों के क्रमवार उदय और अस्त होने की प्रक्रिया में 12 संधि स्थल आते हैं। अपनी गति से क्रमवार इन नक्षत्रों में भ्रमण करते चन्द्रमा तथा अन्य ग्रह भी इन संधि स्थलों से होकर निकलते हैं। 27 नक्षत्रों तथा 12 राशियों के बीच आने वाले इन संधि स्थलों में से केवल तीन संयोग ही ऐसे बनते हैं जब यह दोनों संधि स्थल एक दूसरे के साथ भी संधि स्थल बनाते हैं अर्थात इन बिंदुओं पर एक ही समय एक नक्षत्र क्रम में अपने से अगले नक्षत्र के साथ संधि स्थल बना रहा होता है तथा उसी समय कोई एक विशेष राशि क्रम में अपने से अगली राशि के साथ संधि स्थल बना रही होती है। इस स्थिति में दो नक्षत्रों का संधि स्थल दो राशियों के संधि स्थल के साथ एक नया संधि स्थल बनाता है। यह संयोग राशियों और नक्षत्रों के संधि स्थल बनाने की इस प्रक्रिया में केवल तीन विशेष बिंदुओं पर ही बनता है तथा जब-जब चन्द्रमा भ्रमण करते हुए इन तीनों में से किसी एक बिंदु में स्थित हो जाते हैं, उन्हें राशियों तथा नक्षत्रों के इन दोहरे संधि स्थलों में स्थित होने से कुछ विशेष दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं तथा कुंडली में चन्द्रमा की ऐसी स्थिति को गंड मूल दोष का नाम दिया जाता है। आइए अब इन तीन दोहरे संधि स्थलों के बारे में चर्चा करें। इनमें से पहला दोहरा संधि स्थल तब आता है जब नक्षत्रों में से अंतिम नक्षत्र रेवती अपने चौथे चरण में आ जाते हैं तथा अपने अस्त होने की प्रक्रिया को शुरू कर देते हैं तथा दूसरी ओर नक्षत्रों में से प्रथम नक्षत्र अश्विनी अपने पहले चरण के साथ अपने उदय होने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं जिससे इन दोनों नक्षत्रों के मध्य एक संधि स्थल का निर्माण हो जाता है। ठीक इसी समय पर मीन राशि अपने अस्त होने की प्रक्रिया में होती है तथा मेष राशि अपने उदय होने की प्रक्रिया में होती है, जिसके कारण इन दोनों राशियों के मध्य भी एक संधि स्थल बन जाता है तथा यह दोनों संधि स्थल मिलकर एक दोहरा संधि स्थल बना देते हैं और इस दोहरे संधि स्थल में चन्द्रमा के स्थित हो जाने से गंड मूल दोष का निर्माण हो जाता है। इस प्रकार का दूसरा संधि स्थल तब बनता हैं जब नवें नक्षत्र श्लेषा का चौथा चरण तथा दसवें नक्षत्र मघा का पहला चरण आपस में संधि स्थल बनाते हैं तथा ठीक उसी समय चौथी राशि कर्क पांचवी राशी सिंह के साथ संधि स्थल बनाती है। इस प्रकार का तीसरा संधि स्थल तब बनता हैं जब अठारहवें नक्षत्र ज्येष्ठा का चौथा चरण तथा उन्नीसवें नक्षत्र मूल का पहला चरण आपस में संधि स्थल बनाते हैं तथा ठीक उसी समय आठवीं राशि वृश्चिक नवीं राशि धनु के साथ संधि स्थल बनाती है। इन तीनों में से किसी भी संधि स्थल में चन्द्रमा के स्थित होने से कुंडली में गंड मूल दोष का निर्माण होता है। आइए अब इस दोष की प्रचलित परिभाषा तथा इसके वैज्ञानिक विशलेषण से निकली परिभाषा की आपस में तुलना करें। प्रचलित परिभाषा के अनुसार यह दोष चन्द्रमा के उपर बताए गए 6 नक्षत्रों के किसी भी चरण में स्थित होने से बन जाता है जबकि उपर दी गई वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार यह दोष चन्द्रमा के इन 6 नक्षत्रों के किसी एक नक्षत्र के किसी एक विशेष चरण में होने से ही बनता है, न कि उस नक्षत्र के चारों में से किसी भी चरण में स्थित होने से। इस प्रकार यह दोष हर चौथी-पांचवी कुंडली में नहीं बल्कि हर 18वीं कुंडली में ही बनता है। पाठकों की सुविधा के लिए इस दोष के बनने के लिए आवश्यक परिस्थितियों का जिक्र मैं सक्षेप में एक बार फिर कर रहा हूं। किसी भी कुंडली में गंड मूल दोष तभी बनता है जब उस कुंडली में : चन्द्रमा रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा श्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा मघा नक्षत्र के पहले चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में स्थित हों अथवा चन्द्रमा मूल नक्षत्र के पहले चरण में स्थित हों इस दोष के बारे में जान लेने के पश्चात आइए अब इस दोष से जुड़े बुरे प्रभावों के बारे में भी जान लें। गंड मूल दोष भिन्न-भिन्न कुंडलियों में भिन्न-भिन्न प्रकार के बुरे प्रभाव देता है जिन्हें ठीक से जानने के लिए यह जानना आवश्यक होगा कि कुंडली में चन्द्रमा इन 6 में से किस नक्षत्र में स्थित हैं, कुंडली के किस भाव में स्थित हैं, कुंडली के दूसरे सकारात्मक या नकारात्मक ग्रहों का चन्द्रमा पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ रहा है, चन्द्रमा उस कुंडली विशेष में किस भाव के स्वामी हैं तथा ऐसे ही कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य। इस प्रकार से अगर यह दोष कुछ कुंडलियों में बनता भी है तो भी इसके बुरे प्रभाव अलग-अलग कुंडलियों में अलग-अलग तरह के होते हैं तथा अन्य दोषों की तरह इस दोष के बुरे प्रभावों को भी किसी विशेष परिभाषा के बंधन में नहीं बांधना चाहिए बल्कि किसी भी कुंडली विशेष में इस दोष के कारण होने वाले बुरे प्रभावों को उस कुंडली के गहन अध्ययन के बाद ही निश्चित करना चाहिए। लेख के अंत में आइए इस दोष के निवारण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में बात करें। इस दोष के निवारण का सबसे उत्तम उपाय इस दोष के निवारण के लिए पूजा करवाना ही है। यह पूजा सामान्य पूजा की तरह न होकर एक तकनीकी पूजा होती है तथा इसका समापन प्रत्येक मासे में किसी एक विशेष दिन ही किया जा सकता है। इस विशेष दिन से 7 से 10 दिन पूर्व यह पूजा शुरू की जाती है तथा 5 से लेकर 7 ब्राह्मण किसी एक मंत्र विशेष का एक निर्धारित सख्या में इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए जाप करना शुरु कर देते हैं। यह मंत्र इस दोष से पीड़ित व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति देखकर तय किया जाता है तथा इस दोष से पीड़ित विभिन्न लोगों के लिए यह मंत्र भिन्न हो सकता है। मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप पूरा होने पर इस पूजा के समापन के लिए निर्धारित किए गए दिन पर इस पूजा का समापन किया जाता है, जिसमें पूजन, हवन, दान, स्नान के अतिरिक्त और भी कई प्रकार की औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं। अंग फडकने के शुभ-अशुभ फल अंगों के फड़कने के विषय में सामुद्रिक शास्त्र में विस्तार से बताया गया है। शरीर के विभिन्न अंगों का फड़कना भी भविष्य में होने वाली घटनाओं से हमें अवगत कराने का एक माध्यम है। अंगों के फड़कने से भी शुभ-अशुभ की सूचना मिलती है. प्रत्येक अंग की एक अलग ही महत्ता है, एक अलग ही विशेषता है और उनके फड़कने का एक अलग ही अर्थ होता है। सिर के अलग-अलग हिस्सों का फड़कना सिर के अलग-अलग हिस्सों के फड़कने का भिन्न-भिन्न अर्थ होता है जैसे- मस्तक फड़कने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। संपूर्ण मस्तक का फड़कना दूर स्थान की यात्रा का संकेत समझना चाहिए तथा मार्ग में परेशानियां भी आती हैं। कनपटी फड़के तो इच्छाएं पूर्ण होती है। यदि ललाट मध्य से फड़कने लगे तो लाभदायक यात्राएं होती हैं। यदि पूरा ललाट फड़के तो राज्य से सम्मान और नौकरी में प्रमोशन होता है। सिर के बाँयी ओर के हिस्से में फडकन हो तो इसे बहुत ही शुभ माना गया है। आने वाले दिनों में यात्रा करनी पड सकती है. यदि आपकी यात्रा बिजनेस से सम्बंधित है तो ज्यादा नहीं तो थोडा बहुत लाभ अवश्य होगा. आपके सिर के दांयी ओर के हिस्से में फडकन है तो यह शुभ फलदायक स्थिति है आपको धन, किसी राज सम्मान, नौकरी में पदोंन्नती, किसी प्रतियोगिता में पुरस्कार, लाटरी में जीत, भूमि लाभ आदि की प्राप्ति हो सकती है। आपके सिर का पिछला हिस्सा फडकता है तो समझ लीजिए आपका विदेश जाने का योग बन रहा है और वहाँ आपको धन की प्राप्ति भी होने वाली है. लेकिन अपने देश में लाभ की कोई संभवना नहीं है आपके सिर के अगले हिस्से में फडकन हो रही है तो यह स्थिति स्वदेश या परदेश दोनों में ही धन मान प्राप्ति का कारण बन सकती है। सिर का मध्य भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है तथा परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आपका सम्पूर्ण सिर फडक रहा है तो यह सबसे अधिक शुभ स्थिति है आपको दूसरे का धन मिल सकता है, मुकद्दमे में जीत हो सकती है. राजसम्मान मिल सकता है. या फिर भूमि की प्राप्ति हो सकती है।

Friday, October 14, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 1201. - 1300.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.



1201. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाए.

1202. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - अपने हाथ में घोड़े की नाल का शनि छल्ला धारण करें.

1203. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - आपके घर का मुख्य दरवाजा यदि दक्षिण दिशा की ओर हो तो उसे बंद करवा दे.

1204. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - एक बोतल शराब शनिवार के दिन बहती नदी में प्रवाहित करें.

1205. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें.

1206. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - कौवों को दना खिलाएँ.

1207. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - गले में शनि यंत्र धारण करें.

1208. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - चार नारियल बहते पानी में प्रवाहित करें.  ध्यान रहे, गंदे नाले मे नहीं करें.

1209. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - जब भी आपको समय मिले शनि दोष निवारण मंत्र का जाप करे.

1210. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - तांबे के बने हुए चार साँप शनिवार के दिन नदी में प्रवाहित करे.

1211. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - दो रंग वाली गाय / भैस कभी भी न पालें.

1212. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएँ.

1213. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें.

1214. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - पीले लड्डू गुरुवार के दिन बाँटे.

1215. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - पुत्र के जन्मदिन पर नमकीन वस्तुएं बांटनी चाहिए, मिठाई आदि नहीं.

1216. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - भगवान शनिदेव या हनुमान जी के मंदिर में जाकर यह प्रथना करें की प्रभु. हमसे जो पाप हुए हैं, उनके लिए हमे क्षमा करो, हमारा कल्याण करो.

1217. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - मकान के आखिर में एक अंधेरा कमरा बनवाएँ.

1218. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - मिट्टी के पात्र में शहद भरकर खेत में मिट्टी के नीचे दबाएँ.  खेत की जगह बगीचे में भी दबा सकते हैं.

1219. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - रोज शनि चालीसा पढ़ें तथा दूसरों को भी शनि चालीसा भेंट करें.

1220. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - रोज शनिवार को कडवे तेल का दान करें.

1221. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - शनिवार के दिन अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर वजन करके, बादाम नदी में प्रवाहित करने का कार्य करें.

1222. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - शनिवार के दिन आठ किलो उड़द बहती नदी में प्रवाहित करें.  उड़द काले कपड़े में बांध कर ले जाएँ और बंधन खोल कर ही प्रबहित करें.

1223. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डाले.

1224. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - शनिवार के दिन न तो तेल लगाए और न ही तेल खाए.

1225. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - शनिवार केदिन न तो तेल लगाए और न ही तेल खाए.

1226. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - शराब का त्याग करें और मांसाहार भी न करे.

1227. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - सवा सेर (1॰25 सेर) गुलगुले बाजार से खरीदें.  उनको रोगी पर से 7 बार वार कर चीलों को खिलाएं.  अगर चीलें सारे गुलगुले, या आधे से ज्यादा खा लें तो रोगी ठीक हो जायेगा.  यह कार्य शनि या मंगलवार को ही शाम को 4 और 6 के मध्य में करें.  गुलगुले ले जाने वाले व्यक्ति को कोई टोके नहीं और न ही वह पीछे मुड़ कर देखे.

1228. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - साबुत मूंग मिट्टी के बर्तन में भरकर नदी में प्रवाहित करें.

1229. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - साव 6 रत्ती का पुखराज गुरुवार को धारण करें.

1230. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - सुबह सुबह पीपल पर जल चढ़ाएं और 7 परिक्रमा करें.  शाम को पीपल के नीचे दीपक भी जलाना चाहिए.

1231. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - सूर्योदय से पूर्व शराब और कड़वा तेल मुख्य दरवाजे के पास भूमि पर गिराएँ.

1232. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - सोमवार के दिन चावल का दान करना आपके लिए उत्तम हैं.

1233. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएँ.

1234. शनिवार  को शनिदेव का स्मरण करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं.  1. कोणस्थ, 2. पिंगल, 3. बभ्रु, 4. कृष्ण, 5. रौद्रान्तक, 6. यम, 7. सौरि, 8. शनैश्चर, 9. मंद व 10. पिप्पलाद.

1235. शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा और 7 परिक्रमा करके काले तिल से युक्त सरसों के तेल के दीपक को जलाकर छायादान करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है.

1236. शनिवार के एक दिन पहले यानी शुक्रवार को सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें.  अगले दिन नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें.  इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें.  दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना मछलियों की खिला दें.  इस उपाय से शनिदेव के प्रकोप में कमी होती है.

1237. शनिवार के दिन दोपहर को 2॰25 kg बाजरे का दलिया पकाएं और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिला कर एक मिट्टी की हांडी में रखें.  सूर्यास्त के समय उस हांडी को रोगी के शरीर पर बायें से दांये 7 बार फिराएं और चौराहे पर मौन रह कर रख आएं.  आते-जाते समय पीछे मुड़ कर न देखें और न ही किसी से बातें करें.

1238. शनिवार को इसे धारण करें.  काले घोड़े की नाल या समुद्री नाव की कील से लोहे की अंगूठी बनवाएं.  उसे तिल के तेल में रखें तथा उस पर शनि मंत्र का 23000 जाप करें.  यह अंगूठी मध्यमा (शनि की उंगली) में ही पहनें.

1239. शनिवार को एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना चेहरा देख कर डाकोत ( शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें.  साथ ही एक काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर उसे भी डाकोत को दे दें.  साथ ही कुछ दक्षिणा भी दें.  ये उपाय अन्य किसी शनिवार को भी कर सकते हैं.

1240. शनिवार को कुष्ठ रोगियों को भोजन कराएं.  साथ ही जरूरी चीजों का दान करें जैसे- जूते, चप्पल, छतरी, कपड़े, पलंग आदि.  दान के साथ कुछ दक्षिणा (रुपए) भी अवश्य दें.

1241. शनिवार को खाने में किसी भी रूप में काला चना अवश्य ले लिया करें, कमाई बड़ेगी.

1242. शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा विधि-विधान से करें.  भागवत के अनुसार पीपल, भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप है.  नहाने के बाद साफ व सफेद कपड़े पहनें.  पीपल की जड़ में केसर चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें.  तिल के तेल का दीपक जलाएं.  मंत्र:पड़ें -  आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्.  देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:. .  विश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतये गोविन्दाय नमो नम:.  मंत्र जाप के साथ पीपल की परिक्रमा करें.  धूप, दीपक जलाकर आरती करें.  पीपल को चढ़ाया हुआ थोड़ा-सा जल घर में लाकर भी छिड़कें.

1243. शनिवार को शनिदेव का पूजन करें.  गुम हुई वस्तु मिल जाएगी.  धन संबंधी समस्या भी दूर हो जाएगी.

1244. शनिवार को श्रद्धापूर्वक शनि यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन इस यंत्र के सामने सरसो के तेल का दीपक जलाएं.  नीला या काला फूल चढ़ाएं, ऐसा करने से लाभ होगा.  साथ ही इस यंत्र के सामने बैठकर प्रतिदिन शनि स्त्रोत या ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप भी करें.  कर्ज, मुकद्दमा, हानि, पैर आदि की हड्डी तथा सभी प्रकार के रोग से परेशान लोगों के लिए शनि यंत्र की पूजा बहुत फायदेमंद होती है.

1245. शनिवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं.  सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजन करें.  इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे  मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें.  - a -ऊं शं नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शं योरभिस्त्रवन्तु न:.  - b- ऊं ऐं ह्रीं श्रीशनैश्चराय नम:.  यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा.

1246. शनिवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद शनिदेव का विधि-विधान से पूजन करें.  इसके बाद सरसो के तेल से अभिषेक करें.  तेल में काले तिल भी डालें.  इसके बाद शनिदेव के 108 नामों का स्मरण करें.  इस प्रकार शनिदेव का पूजन करने से भक्त के संकट टल जाते हैं और मनोकामना पूरी होने के योग बनते हैं.

1247. शनिवार को हनुमानजी का पूजन करें.  चमेली के तेल से सिंदूर का चोला चढ़ाएं.  गुलाब के फूल अर्पित करें.  चूरमे का भोग लगाएं व केवड़े का इत्र हनुमान के दोनों कंधों पर छिड़कें.  इसके बाद हनुमानजी से सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें.  ये उपाय आप किसी अन्य शनिवार को भी कर सकते हैं.

1248. शिवलिंग पर  कनेर के फूलों से  पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं.

1249. शिवलिंग पर  चंदन चढ़ाने से हमारा व्यक्तित्व आकर्षक होता है.  समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है.

1250. शिवलिंग पर  हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है.

1251. शिवलिंग पर अलसी के फूलों से  पूजन करने पर मनुष्य के दुख दूर होते हैं

1252. शिवलिंग पर इस मंत्र का जप करें "मन्दारमालांकलितालकायै कपालमालांकितशेखराय.  दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय. . "

1253. शिवलिंग पर ईत्र से स्नान करवाने से विचार पवित्र होते हैं.

1254. शिवलिंग पर केशर अर्पित करने से हमें सौम्यता प्राप्त होती है.

1255. शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है.

1256. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है.

1257. शिवलिंग पर गाय के शुद्ध घी से अभिषेक करने से शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति की कमजोरी दूर हो सकती है.

1258. शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है.

1259. शिवलिंग पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है.

1260. शिवलिंग पर चढ़ाएं ये 10 चीजें - जल, शक्कर, ईत्र, चंदन, केशर, भांग, दूध, दही, शहद, घी. इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर या एक-एक चीज से शिवजी को स्नान करवा सकते हैं. शिवपुराण में बताया गया है कि इन चीजों से शिवलिंग को स्नान कराने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं.  स्नान करवाते समय " ऊँ ऊँ नम: शिवाय ऊँ " मंत्र का जप करना चाहिए.

1261. शिवलिंग पर चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है.

1262. शिवलिंग पर जल चढ़ाने से बुखार में शीघ्र लाभ मिलता है.

1263. शिवलिंग पर जूही के फूल से  पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती.

1264. शिवलिंग पर जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है.

1265. शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है.

1266. शिवलिंग पर दही चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर होता है.

1267. शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से उत्तम स्वास्थ्य मिलता है.

1268. शिवलिंग पर दूर्वा से  पूजन करने पर आयु बढ़ती है.

1269. शिवलिंग पर धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान  सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है.

1270. शिवलिंग पर प्रतिदिन सुबह जल, दूध, चावल आदि पूजन सामग्री अर्पित करना चाहिए. शिवजी के पूजन से श्रद्धालुओं की धन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं.  

1271. शिवलिंग पर बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है.

1272. शिवलिंग पर भांग चढ़ाने से हमारे विकार और बुराइयां दूर होती हैं.

1273. शिवलिंग पर मंत्रों का उच्चारण करते हुए  जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत होता है.  आचरण स्नेहमय होता है.

1274. शिवलिंग पर लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है.

1275. शिवलिंग पर लाल व सफेद आंकड़े के फूल से पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.

1276. शिवलिंग पर शक्कर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है.

1277. शिवलिंग पर शक्कर मिला दूध चढ़ाने से तेज दिमाग होता हैं

1278. शिवलिंग पर शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर भी मोक्ष प्राप्त होता है.

1279. शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है.

1280. शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है.

1281. शिवलिंग पर सावन में रोज  केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं.  इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं.

1282. शिवलिंग पर सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से " ऊं ऊं नम: शिवाय ऊं " लिखकर  चढ़ाएं.  इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.

1283. श्लोक - 0 -  विष्णुरेकादशी गीता तुलसी विप्रधेनव:.  असारे दुर्गसंसारे षट्पदी मुक्तिदायिनी. .

1284. श्लोक - 1 -  भगवान विष्णु की पूजा करना.  भगवान विष्णु परमात्मा के तीन स्वरूपों में से एक जगत के पालक माने गए हैं.  श्रीहरि ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि और शांति के स्वामी भी हैं.  विष्णु अवतारों की पूजा करने पर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष, सब कुछ प्राप्त हो सकता है.

1285. श्लोक - 2 -  एकादशी व्रत.  ये व्रत भगवान विष्णु को ही समर्पित है.  हिन्दी पंचांग के अनुसार हर माह में 2 एकादशियां आती है.  एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में.  दोनों ही पक्षों की एकादशी पर व्रत करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है.  आज भी जो लोग सही विधि और नियमों का पालन करते हुए एकादशी व्रत करते हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

1286. श्लोक - 3 -  मान्यता है कि श्रीमद् भागवत गीता भगवान श्रीकृष्ण का ही साक्षात् ज्ञानस्वरूप है.  जो लोग नियमित रूप से गीता का या गीता के श्लोकों का पाठ करते हैं, वे भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं.  गीता पाठ के साथ ही इस ग्रंथ में दी गई शिक्षाओं का पालन भी दैनिक जीवन में करना चाहिए.  जो भी शुभ काम करें, भगवान का ध्यान करते हुए करें, सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी.

1287. श्लोक - 4 -  घर में तुलसी होना शुभ और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, ये बात विज्ञान भी मान चुका है.  तुलसी की महक से वातावरण के सूक्ष्म हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं.  घर के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.  साथ ही, तुलसी की देखभाल करने और पूजन करने से देवी लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है.

1288. श्लोक - 5 -  पुरानी मान्यताओं के अनुसार ब्राह्मण सदैव आदरणीय माने गए हैं.  जो लोग इनका अपमान करते हैं, वे जीवन में दुख प्राप्त करते हैं.  ब्राह्मण ही भगवान और भक्त के बीच की अहम कड़ी है.  ब्राह्मण ही सही विधि से पूजन आदि कर्म करवाते हैं.  शास्त्रों का ज्ञान प्रसारित करते हैं.  दुखों को दूर करने और सुखी जीवन प्राप्त करने के उपाय बताते हैं.  अत: ब्राह्मणों का सदैव सम्मान करना चाहिए.

1289. श्लोक - 6 -  इस श्लोक में गौ यानी गाय का भी महत्व बताया गया है.  जिन घरों में गाय होती है, वहां सभी देवी-देवता वास करते हैं.  गाय से प्राप्त होने वाले दूध, मूत्र और गोबर पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक हैं.  ये बात विज्ञान भी स्वीकार कर चुका है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से केंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी राहत मिल सकती है.  यदि गाय का पालन नहीं कर सकते हैं तो किसी गौशाला में अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार धन का दान किया जा सकता है.

1290. सकारात्मक ऊर्जा - 2-3 दिन में कम से कम एक बार पूरा बाथरूम अच्छी तरह साफ करना चाहिए.  बाथरूम यदि एकदम साफ रहेगा तो इसका शुभ असर आपकी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ेगा.  साफ-सफाई वाले घरों में देवी-देवताओं की विशेष कृपा रहती है.

1291. सकारात्मक ऊर्जा - अनार के वृक्ष से जहां सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है वहीं इस वृक्ष के कई औषधीय गुण भी हैं.  पूजा के दौरान पंच फलों में अनार की गिनती की जाती है.  अनार का प्रयोग करने से खून की मात्रा बढ़ती है.  इससे त्वचा सुंदर व चिकनी होती है.  रोज अनार का रस पीने से या अनार खाने से त्वचा का रंग निखरता है.  अनार के छिल्कों के 1 चम्मच चूर्ण को कच्चे दूध और गुलाब जल में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा दमक उठता है. दुर्बलता, अपच, दस्त, पेचिश, दमा, खांसी, मुंह में दुर्गंध आदि रोगों में अनार लाभदायक है.  इसके सेवन से शरीर में झुर्रियां या मांस का ढीलापन समाप्त हो जाता है.

1292. सकारात्मक ऊर्जा - अपने ऑफिस में पूर्व दिशा में लकड़ी से बनी ड्रैगन की एक मूर्ति रखें.  इससे ऊर्जा एवं उत्साह प्राप्त होगा.

1293. सकारात्मक ऊर्जा - अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचरण बना रहता है.  घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है एवं अकाल मृत्यु नहीं होती.

1294. सकारात्मक ऊर्जा - अशोक वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रख कर पूजा करें.  उनके सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें.  यह क्रिया नियमित रूप से करें, आपका घर भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा.

1295. सकारात्मक ऊर्जा - अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है.  अशोक का वृक्ष वात-पित्त आदि दोष, अपच, तृषा, दाह, कृमि, शोथ, विष तथा रक्त विकार नष्ट करने वाला है.  यह रसायन और उत्तेजक है.  इसके उपयोग से चर्म रोग भी दूर होता  है.

1296. सकारात्मक ऊर्जा - इंटीरियर डेकोरेशन के लिए कुछ ऐसी कलाकृतियों का प्रयोग होता है जो सूखे ठूंठ या नकारात्मक आकृति के होते हैं.  ये सभी मृतप्राय: सजावटी वस्तुएं अच्छे नहीं माने जाते हैं अत: इनके प्रयोग से भी बचें.

1297. सकारात्मक ऊर्जा - इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बाथरूम और कमरे के फर्श के बीच में कुछ दूरी अवश्य हो.  बाथरूम और कमरे के फर्श के बीच दूरी बनाने के लिए थोड़ी ऊंची दहलीज बनाई जा सकती है.  जब बाथरूम का दरवाजा बंद रहेगा तब दहलीज के कारण दरवाजे के नीचे से भी नकारात्मक ऊर्जा कमरे में प्रवेश नहीं कर पाएगी.

1298. सकारात्मक ऊर्जा - कभी-कभी बेडरूम की खिड़की से नकारात्मक वस्तुएं दिखाई देती हैं जैसे- सूखा पेड़, फैक्ट्री की चिमनी से निकलता हुआ धुआं आदि.  ऐसे दृश्यों से बचने के लिए खिड़कियों पर परदा डाल दें.

1299. सकारात्मक ऊर्जा - कमरों में पूरे फर्श को घेरते हुए कालीन आदि बिछाने से लाभदायक ऊर्जा का प्रवाह रुकता है.

1300. सकारात्मक ऊर्जा - किसी भी भवन के मुख्य द्वार के पास या बिल्कुल सामने बिजली के ट्रांसफार्मर लगे होते हैं जिनसे चिंगारियां निकलती हैं.  ऐसे दृश्य भी नकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं.


गणेश चतुर्थी के उपाय गणेश चतुर्थी के दौरान - गणेश चतुर्थी स्पेशल : अगर होना चाहते हैं धनी तो करें ये उपाय गर्भ धारण करने के लिए :: Remedies to conceive उनके साथ रहते है और उन्हें कोई भी कष्ट नहीं होने देते है. दांपत्य सुख हेतु यदि चाहते हुए वैवाहिक सुख नहीं मिल पा रहा है, हमेशा पति-पत्नि में किसी बात को लेकर अनबन रहती हो तो किसी भी शुक्रवार के दिन यह उपाय करें. दांपत्य सुख हेतु उपाय : दान धर्म पालन के लिए अहम माना गया है. खासतौर पर दिखा देना चाहिए. दिन डोमियाना न लें, बाकी के छह दिनों में ही लें. होम्योपैथिक दवा लेने में परहेज यह है कि दवा लेने से आधा घंटा पहले और दवा लेने के आधा घंटा बाद तक के एक घंटे के समय में कुछ भी खाएँ-पिएँ नहीं. यह दोनों प्रकार के इलाज कम से कम छह माह तक लें और फिर अपने वीर्य की पैथोलॉजिकल जाँच करा लें. दिनेश-वंश-मण्डनम्, महेश-चाप-खण्डनम्. दीपक प्रावलित करें : दीपावली, ग्रहण या किसी शुभ मुहूर्त्त में इस मन्त्र को सिद्ध कर लें. अमुक के स्थान पर जिस बच्चे को वश में करना है या कन्ट्रोल में लाना है उसका नाम लें. दीवाली की रात करें ये टोने-टोटके, कुछ ही देर में होगा धनलाभUpdated:2015-11-09 18:00:43IST diwali ke tone-totke in hindi शास्त्रों में बताए दीवाली के टोने-टोटके के उपायों को करने से बहुत जल्दी मां महालक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती है तथा घर में धन-संपदा का आगमन होता है. दुखी व्यक्ति नीचे लिखे मंत्र का जप करें:- दुर्भाग्य से बचें : दूसरा उपाए- सपत्नीक कदली (केले) वृक्ष के नीचे बालमुकुंद भगवान की पूजन करें. कदली वृक्ष की पूजन करें, गुड़, चने का भोग लगाएं. 21 गुरुवार करने से संतान की प्राप्ती होती है. दूसरा- काक बन्ध्यत्व यानी एक संतान को जन्म देने के बाद किसी भी कारण के पैदा होने से फिर गर्भ धारण न करना. एक संतान हो जाने के बाद स्त्री को बाँझ नहीं कहा जा सकता अतः ऐसी स्त्री को काक बन्ध्त्व यानी वन चाइल्ड स्टेरेलिटी कहते हैं. देर ना करेँ, जो देर होए , तो शिव को त्रिशूल पड़े, देवताओं को फूलों से सजाएं देवी के समक्ष धूप : द्रव्य : कस्तूरी व सोने के वर्क 1-1 ग्राम, चाँदी के वर्क, इलायची, जुन्देबेदस्तर 10-10 ग्राम, नरकचूर, दरूनज अकबरी, बहमन लाल, बहमन सफेद, जटामांसी, लौंग, तेजपान 6-6 ग्राम, पीपल और सौंठ 3-3 ग्राम. द्वादश भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय /टोटके :- द्वारवेध द्वारा आप अपने प्यार से शादी करेगा तो नहीं किया जाता है चाहता है और आप करेंगे एक बहुत मजबूत और सुखी विवाहित जीवन होने. धन का प्रवाह बनाए रखने हेतु : धन की प्राप्ति के लिए धन के ठहराव के लिए : धन के नुकसान से बचें : धन प्राप्ति और बरकत हेतु :. धन प्राप्ति के राशि अनुसार उपाय (Dhan prapti ke rashi anusar upay) धन प्राप्ति से जुड़े 30 गुप्त संकेत धन प्राप्ति से जुड़े 30 गुप्त संकेत – हिंदू धर्म में संकेतों की मान्यता भी प्रचलित है. ये संकेत भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में हमें पहले से ही सूचित कर देते हैं. इन संकेतों का माध्यम सपने हो सकते हैं या किसी पशु, पक्षी की कोई खास हरकत भी. कुछ संकेत ऐसे भी होते हैं, जो हमें धन लाभ होने के बारे में पहले से ही बता देते हैं. आवश्यकता है बस उन संकेतों को समझने की. आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे ही संकेतों के बारे में जो लक्ष्मी (धन) आगमन के बारे में हमें पहले से ही सूचित कर देते हैं. ये हैं वो संकेत- धन समृद्धि की देवी लक्ष्मी को प्रति एकादशी के दिन नौ बत्तियों वाला शुद्ध घी का दीपक लगाएं. धन समृद्धि हेतु : धन-समृद्धि का आकर्षण धन-समृद्धि को अर्जित करने के लिए प्रबल पुरुषार्थ यानि कि ईमानदारी पूर्वक कठोर परिश्रम तो आवश्यक है ही. धन-समृद्धि को अर्जित करने के लिए प्रबल पुरुषार्थ यानि कि ईमानदारी पूर्वक कठोर परिश्रम तो आवश्यक है ही. किंतु साथ ही कुछ जांचे- धनतेरस पर करने योग्य कुछ ज्योतिष उपाय (राशि अनुसार) धनलाभ हेतु : धातु पुष्ट हो जाता है, बल-वीर्य की बढ़ोतरी होती है, स्तंभन शक्ति बढ़ती है और संभोग शक्ति में रुचि उत्पन्न होती है. धातु पौष्टिक व काम शक्ति वर्द्धक : कामिनी विद्रावणरस, सिद्ध मकरध्वज, शक्रवल्लभ रस, पुष्पधन्वा रस, बंगेश्वर रस, मूसली पाक, दशमूलराष्टि, गोक्षुरादि चूर्ण, अश्वगंधादि चूर्ण. धूप के 13 अचूक टोटके आजमाएं जरूर धूप, दीप, चंदन, कुमकुम, अष्टगंध, जल, अगर, कपूर, घृत, गुड़, घी, पुष्प, फल, पंचामृत, पंचगव्य, नैवेद्य, हवन, शंख, घंटा, रंगोली, मांडना, आंगन-अलंकरण, तुलसी, तिलक, मौली (कलाई पर बांधे जाने वाला नाड़ा), स्वस्तिक, ओम, पीपल, आम और कैले के पत्तों का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. ध्यान दें ये प्रवृति बच्चों में सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं धार्मिक रूप से मन की शुद्धि और अच्छे विचारों के निर्माण में मदद करेगी . ध्यान रखें इस उपाय से वशीकरण नहीं होता वरन यह उपाय केवल प्रेम विवाह के निमित्त है. ध्यान रखें यहां सिर्फ भाग्य रेखा के आधार पर भविष्य से संबंधित जानकारी दी गई है. अन्य रेखाओं के शुभ-अशुभ प्रभाव से यहां बताया गया फलादेश बदल भी सकता है. एकदम सही भविष्यवाणी के लिए दोनों हथेलियों की सभी रेखाओं का गहन अध्ययन किया जाना चाहिए. ध्यान रखें ये बातें- ध्यान रहे कि आपने यह उपाय किया है इसकी चर्चा किसी से भी ना करें नई दिल्ली. अच्छे कर्मों पर अच्छा तथा बुरे कर्मों पर बुरा भाग्य बनता है. हालांकि ज्योतिष के कुछ विशेष उपायों (तांत्रिक टोने-टोटकों सहित) को अपना कर व्यक्ति अपने भाग्य में कुछ हद तक परिवर्तन कर सकता है परन्तु पूरी तरह बदलना केवल ईश्वर कृपा और अच्छे कर्मों से ही संभव हो पाता है. आज हम आपके लिए लाए हैं ऐसे ही कुछ विशेष टोने-टोटके जो आपके भाग्य को पूरी तरह तो नहीं बदल सकते परन्तु आपकी समस्या का तुरंत निराकरण अवश्य कर देंगे. क्योंकि ये हैं खास लाल किताब के नए ज़माने का प्यार l Love of new generation नकारात्मक उर्जा हटाएं नकारात्मकता शक्तियों को भगाने के लिए : नजर उतारने के लिए : नदी में नहाते समय पानी पर ऊँ लिखें नपुंसकता रोग में लाभ मिलता है और शीघ्रपतन रोग दूर होता है. नमक नमक के 9 प्रयोग दिलाएंगे संकट से मुक्ति नमामि इन्दिरा-पतिं, सुखाकरं सतां गतिम्. नमामि भक्त-वत्सलं, कृपालु-शील-कोमलम्. नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुण्डिने.. नमो स्तु गणनाथाय सिद्धिबुद्धियुताय च. नये मकान के निर्माण की जानकारी देने के लिए, प्लॉट की दिशाओं का सही निर्धारण करने के साथ, प्लॉट के आस-पास की भौगोलिक वास्तु स्थिति, निर्माण करवाते समय आप जिस मकान में रह रहे हैं, उस मकान की वास्तु स्थिति तथा आपकी आर्थिक सामर्थ्य एवं आवश्यक्ताओं का भी ध्यान रखना पड़ता है. नरक से बचने का उपाय : नवम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय /टोटके :- नवरात्रों के प्रारम्भ होने से पूर्व अपने सभी मित्रों को बताने का प्रयास कर रहा कि हमें आराधना करते समय और भगवान से कुछ मांगते समय किन किन नियमो का पालन करना चाहिऐ. हम मन से भगवान कि प्रार्थना कर रहें परन्तु उसके पश्चात भी हमारी कामना पुर्ण नहीं हो पा रही हैं इसके लिये भगवान को दोष देते हैं जो ठिक नहीं मैं जो जानता हुं अपके सामने रख कर प्रयास कर चाहता हुं कि आप भी उन नियमो का पालन करे जो शास्त्रो में लिखे हैं इन्हीं के आधार पर हमारें पुर्वजो ने राजा,महाराजाओं को लक्ष्मी, ऐश्वर्य,वशीकरहण,उच्चाटन,पुत्र प्राप्ति,राज सम्मान,सुख और संपत्ति की प्राप्ति के मार्ग दिखाये थे. आप भी इन्हें प्रयो्र में लाये और लाभ उठायें. - नहाते समय इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ रहता है… नहाते समय करें मंत्रों का जप नहाने के पानी का ये प्राचीन उपाय करने से दूर हो सकती है दरिद्रता नहाने के पानी का ये प्राचीन उपाय करने से दूर हो सकती है दरिद्रता : नहाने से स्वास्थ्य लाभ और पवित्रता मिलती है. सभी प्रकार के पूजन कर्म आदि नहाने के बाद ही किए जाते हैं, इस कारण स्नान का काफी अधिक महत्व है. पुराने समय में सभी ऋषि-मुनि नदी में नहाते समय सूर्य को जल अर्पित करते थे और मंत्रों का जप करते थे. इस प्रकार के उपायों से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं. नहीं रुकता अगर धन और आ रही परेशानी तो करें ये उपाय नानक दुखिया सब संसार . आज संसार में हर आदमी दुखी है . चाहे अमीर हो या गरीब, बडा हो या छोटा . हर इंसान को कोई न कोई परेशानी लगी रहती है . ज्योतिष में इसके लिए कई उपाय सुझाए गए हैं . जिनको विधि पूर्वक करके हम लाभ उठा सकते हैं . नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते.. नारियल का वृक्ष : नारियल के उपाय नारी शरीर में स्तनों का विकास किशोर अवस्था के शुरू होते ही, 12-13 वर्ष की आयु होते ही होने लगता है और 16 से 18 वर्ष की आयु तक इनका विकास होता रहता है. गर्भ स्थापना होने की स्थिति में इनका विकास तेजी से होता है, ताकि बालक का जन्म होते ही, उसे इनसे दूध मिल सके. स्तनों का यही प्रमुख एवं महत्वपूर्ण उपयोग है. निकाम-श्याम-सुन्दरं, भवाम्बु-नाथ मन्दरम्. निपटना अत्यधिक कठिन होता है. ऐसी ही परिस्थितियों से निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत. नियमित सेवन करने से शरीर पुष्ट और शक्तिशाली बनता है. निरस्य इन्द्रियादिकं, प्रयान्ति ते गतिं स्वकम्. . 8 निर्माण विधि : सब द्रव्यों को मोटा-मोटा कूट-पीसकर 5 लीटर पानी में डालकर उबालें. जब पानी सवा लीटर बचे तब उतार लें. इसमें सरसों व तिल का तेल डालकर फिर से आग पर रखकर उबालें. जब पानी जल जाए और सिर्फ तेल बचे, तब उतारकर ठंडा कर लें, इसमें शुद्ध कपूर मिलाकर अच्छी तरह मिला लें. बस दवा तैयार है. असामान्य व अविकसित स्तन निश्चित प्रकार आप जो प्यार और हमेशा के लिए भरोसा कर सकते हैं के लिए देख रहे हैं तो इस जादू आप के लिए है. निषंग-चाप-सायकं, धरं त्रिलोक-नायकम्. . 3 नोट : नौकरी बचाने, ट्रांसफर रुकवाने में नौकरी/धन/अच्‍छे कैरियर के लिए: पठन्ति से स्तवं इदं, नराऽऽदरेण ते पदम्. पतन्ति नो भवार्णवे, वितर्क-वीचि-संकुले. . 7 पति को वश में करने का उपाय: पति को वश में करने के लिए : पति सहवास में अति करने, अप्राकृतिक एवं असुविधापूर्ण आसनों में अति वेग के साथ सहवास करने, अति प्रसव करने और शरीर के कमजोर एवं शिथिल होने के कारण स्त्रियों का योनि मार्ग ढीला, पोला और विस्तीर्ण हो जाता है, जिससे सहवास करते समय सुख एवं आनन्द की अनुभूति नहीं होती. पति-पत्नी में विवाद आम बात है क्योंकि जहां प्यार होता है तकरार भी वहीं होती है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है पति बिना किसी बात के ही अपनी पत्नी पर गुस्सा करने लगते हैं और धीरे-धीरे यह उनका आदत बन जाती है. अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो नीचे लिखा उपाय करें. पति-पत्‍नी के बीच यौन संबंध का एक लक्ष्‍य माता-पिता बनना भी होता है. वात्‍सयायन के कामसूत्र में संभोग की स्थितियों यानी पोजीशंस के बारे में बताया गया है. इसी में ऐसी पोजीशन भी बताई गई हैं, जिनमें संभोग करने से गभीधारण आसान हो जाता है. आज हम आपको कुछ पोजीशंस बताएंगे, जो गर्भधारण में सहायक होती हैं. साथ ही हम आपको कुछ टिप्‍स भी देंगे- पत्नी बीमार हो तो गोदान करें. परखे और कारगर उपायों जिन्हें टोने-टोटके के रूप में जाना जाता है को भी आजमाना चाहिये. तो देखें ऐसे ही कुछ आसान किंतु प्रभावशाली परनिंदा यानी दूसरों की बुराई करना. ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं. इसलिए एकादशी के दिन दूसरों की बुराई न करते हुए भगवान विष्णु का ही ध्यान करना चाहिए. परिक्रमा से मिटे रोग और शोक : अक्सर आपने देखा होगा कि परिवार - परिवार में टकराव , अनबन सबसे ज्यादा सास और बहु के बीच ही होती है , लेकिन इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव लड़के पर ही पड़ता है. यहाँ पर हम कुछ उपाय बता रहे है जिससे सास बहु के बीच कलह दूर रह सकती है. परिवार में सुख समृधी बडती है. पल्सेटिला : यह महिलाओं की खास दवा है. सीपिया और कैल्केरिया कार्ब की तरह यह दवा स्त्री के यौनांग पर विशेष प्रभाव डालती है. ये तीन दवाएँ स्त्री शरीर के हारमोन्स को सक्रिय कर देती हैं. पहले पल्सेटिला की एक खुराक 3 एक्स शक्ति में देकर आधा घंटे बाद पल्सेटिला 30 एक्स शक्ति में देना चाहिए. इस तरह दिन में 3-3 खुराक देना चाहिए, इसी के साथ सप्ताह में दो बार सीपिया 200 शक्ति में और पवित्र विवाह – पहला उपाए- संतान गोपाल मंत्र के सवा लाख जप शुभ मुहूर्त में शुरू करें. साथ ही बालमुकुंद (लड्डूगोपाल जी) भगवान की पूजन करें. उनको माखन-मिश्री का भोग लगाएं. गणपति का स्मरण करके शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करके निम्न मंत्र का जप करें. पहला- आदि बन्ध्यत्व यानी जो स्त्री पूरे जीवन में कभी गर्भ धारण ही न करे, इसे प्राइमरी स्टेरेलिटी कहते हैं. पहली बार गर्भवती हुई कई महिलाएँ शुरू के सप्ताहों में सेक्स में जरा भी रुचि नहीं लेती हैं. वहीं दो-तीन माह बीतने पर वे ही महिलाएँ गर्भावस्था में भी सेक्स का भरपूर आनंद उठाती हैं, उनकी प्रतिदिन सेक्स करने की इच्छा होती है. पहली रोटी गाय को दें पांच गुप्त सम्मोहन उपाय पांचवां उपाए- आम, बील, आंवले, नीम, पीपल के पांच पौधे लगाने से संतान की प्राप्ति होती है. पिंडदान पर साधारण या नीच मनुष्यों की दृष्टि पहने से वह पितरों को नहीं पहुंचता. पितृदोष से मुक्ति : पीपल और बरगद की पूजा करें : पीपल के नीचे करें ये उपाय पीपल पर जल चढ़ाएं पुत्र प्राप्ति के लिए संतान गणपति स्तोत्र पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान का तरीका पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्वसिद्धप्रदायकम्.. पुरानी मान्यता है कि गुरुवार को घर में पोंछा न लगाएं ऐसा करने से लक्ष्मी रूठ जाती है. शेष सभी दिनों में पोंछा लगाना चाहिए. पुरुष रोगों की दवाएँ पुरुषों को अपनी गर्भवती पत्नियों के समीप रहकर उनमें बराबर रुचि लेते रहना चाहिए. अधिकांश पुरुष शुरू में बहुत ध्यान रखते हैं, लेकिन बाद में सेक्स से वंचित रहने के कारण उनकी रुचि अपनी पत्नी में कम हो जाती है. पूजन कक्ष में नहीं ले जाना चाहिए ये चीजें : पूजन में शिवजी से परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें और इस मंत्र का जप करें- पूजन सामग्री से जुड़ी खास बातें : पूजा करते समय किस दिशा की ओर होना चाहिए अपना मुंह : पूजा में शिवजी को घी, शक्कर या मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद धूप, दीप से आरती करें. पूजा से सम्बंधित 30 जरूरी नियम पूर्णरूप से की है. पूर्णिमा का विशेष महत्व / उपाय पूर्णिमा के दिन प्रचलित मान्यता के अनुसार अगर सुई लगा नींबू किसी बीमार के सिर पर से 7 बार वार (उसार) कर चौराहे पर रख देना चाहिए. चौराहे से जाते हुए जो भी व्यक्ति उस नींबू को पार कर चला जाएगा या उसे स्पर्श करेगा तो बीमार व्यक्ति की सारी बीमारी उसको को लग जाती है. प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पीपल, तुलसी एवं सूर्य देव को जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें. प्रथम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय /टोटके :- प्रदर (लाल, पीला, सफेद, पानी जाना) : अशोकारिष्ट, फेमीकेयर सीरप, प्रदरहर वटी, पत्रांगासव, लोध्रासव, प्रदरांतक लौह, पुष्पानुग चूर्ण. प्रपन्नजनपालाय प्रणतार्तिविनाशिने.. प्रफुल्ल-कंज-लोचनं, मदादि-दोष-मोचनम्. . 2 प्रयोग जारी रखें. प्रयोग विधि : इस तेल को नहाने से आधा घंटा पूर्व और रात को सोते समय स्तनों पर लगाकर हलके-हलके मालिश करें. प्रलम्ब-बाहु-विक्रमं, प्रभो•प्रमेय-वैभवम्. प्रश्न : ऋतुकाल का आरंभ ऋतु स्राव बंद होने पर मानें या जिस दिन से ऋतु स्राव शुरू हो उस दिन से ? प्रश्न : मेरे स्तन बहुत छोटे हैं, सहेलियाँ मजाक उड़ाती हैं, इन्हें सामान्य अवस्था में लाने का उपाय बताएँ ? प्रश्न : विवाह को छह वर्ष हो गए हैं, अभी तक पत्नी गर्भवती नहीं हो सकी है. हम दोनों यौन विषय में बहुत ज्यादा संतुष्ट हैं, हमने जाँच करवाई तो मेरी जाँच रिपोर्ट में यह दोष पाया गया कि वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम है और उनकी जीवनी शक्ति का प्रतिशत भी कम है. कोई इलाज बताएँ ? प्रसव के पश्चात उपयोगी : दशमूलारिष्ट, सुपारी पाक, जीरकाद्यरिष्ट दशमूल काढ़ा. प्रसीद मे नमामि ते, पदाब्ज-भक्तिं देहि मे. . 11 प्रस्तुत आर्टिकल के माध्यम से हमारे वास्तुशास्त्र एक्सपर्ट ने आपके स्टडी रूम को थोड़ा और बेहतर बना आपकी पढ़ाई को थोड़ा और बेहतर बनाने की कोशिश की है . आशा करते हैं ये आपको पसंद आएगा . प्राक-क्रीड़ा को लंबा न खींचे- प्रेग्नेंसी और सेक्स प्रेम प्रसंगों में किसी पर भी (चाहे वह लड़का हो या लड़की) प्रेम विवाह - प्रेम विवाह में सफल होने के लिए : प्रेम संबंधो में फैंगशुई का महत्व
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ना (बार-बार पेशाब जाना व तकलीफ से थोड़ा-थोड़ा होना) : चन्द्रप्रभा वटी, गोक्षुरादि गूगल, शुद्ध शिलाजीत. प्लेटिना 6 एक्स: अत्यंत संवेदनशील और भावुक स्वभाव होना, जननांग को छूते ही स्त्री का शरीर ऐंठने, मचलने लगे, अत्यंत कामुक प्रकृति, हिस्टीरियाई रोग के लक्षण होना, मासिक धर्म अनियमित हो, तीव्र कामवासना की प्रवृत्ति हो तो प्लेटिनम या प्लेटिना 6 एक्स शक्ति में सुबह-शाम चूसकर लेना चाहिए. पढ़ें : कैसे चुने एक बेहतर कैरियर विकल्प प‌ितृपक्ष में नहीं करने चाह‌िए यह 7 काम, जानिए क्यों? फंसा हुआ धन वापिस लेने के लिए फंसा हुआ धन वापिस लेने के लिए : फड़कन - यदि पुरुष के शरीर का अगर बायां भाग फड़कता है तो भविष्य में उसे कोई दुखद घटना झेलनी पड़ सकती है. जबकि महिलाओं के मामले में यह उलटा है, यानि उनके बाएं हिस्से के फड़कने में खुशखबरी होती है फूल चढाने सम्बन्धी नियम : बंद किस्मत खोले ताला : बंद घडी बंध्यत्व : फल घृत, वंग भस्म, शुद्ध शिलाजीत, अशोकारिष्ट. बच्चों को वश में करने का अनुभूत मन्त्र प्रयोग बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं. इन्हीं उपायों में से एक उपाय यहां बताया जा रहा है. इस उपाय को विधिवत किया जाए तो बहुत जल्दी सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं. यह उपाय पीपल के पत्तों से किया जाता है. बल की वृद्धि होती है. बहरहाल इन टोने-टोटकों में कितनी सच्चाई है ये इसके इस्तेमाल के बाद ही पता चलेगा. लेकिन उसके लिए इन उपायों को प्रयोग में लाना भी चाहिए क्या पता आपकी भी किस्मत चमक जाए और सारे बिगड़े काम बन जाए. बहुत अधिक गरिष्ठ भोजन, जैसे पिज्जा, बर्गर जैसे फास्ट फूड भी इसका एक बड़ा कारण हैं. अधिक घी-दूध, मेवे-मिठाई आदि का सेवन करना भी आयुर्वेद की दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है. बहुत से लोगों की यह धारणा बनी हुई है कि एक वीर्यवान पुरुष ही स्त्री को संभोग क्रिया के समय पूरी तरह से चरमसुख तक पहुंचा सकता है. संभोगशक्ति को बढ़ाने के लिए वीर्य को शुद्ध, गाढ़ा, और शुक्राणुओं की वृद्धि, स्तंभन शक्ति बढ़ाने के लिए आयुर्वेद के विद्वानों ने वाजीकरण नाम के अलग विभाग की रचना की है. उनके हिसाब से वीर्य को बढ़ाने के लिए, वीर्य से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए, संभोग शक्ति और स्तंभन शक्ति बढ़ाने के लिए वाजीकरण औषधि का सेवन करना बहुत जरूरी है. वाजीकरण को वृष्य भी कहते हैं. इसलिए मनुष्य के शरीर में जिन खाद्य पदार्थों, यौगिक क्रियाओं या औषधियों के द्वारा शक्ति प्राप्त होती है उसे वाजीकरण के नाम से जाना जाता है. बहुत से लोगों को पेड़ पौधे लगाने का शौक होता है. ऐसे में अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे लगाने की चाह में कई लोग कांटेदार पौधों को घर में सजा लेते है, जो की घर में धन संबंधी परेशानियों का कारण बनते है. बाथरूप और टायलेट दोष से मुक्ति : बिगड़े काम बनाएं लौंग बिगड़े या रुके काम बनाएं : बिना पूजा पाठ करें गृह शांति बिना शर्त जाएगा. इसके अलावा, अगर अपने प्यार को किसी और के साथ है तो इस की शक्ति से अपने प्यार के जादू उसके या उसके संबंध बिल्व वृक्ष : बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) विश्व के कई हिस्सों में पाया जाने वाला वृक्ष है. हिन्दू धर्म में बिल्व वृक्ष भगवान शिव की आराधना का मुख्य अंग है. शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं. औषधीय गुणों से परिपूर्ण बिल्व की पत्तियों में टैनिन, लौह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम जैसे रसायन पाए जाते हैं. बिल्व पत्र आंखों की रोशनी बढ़ाने, पेट के कीड़े मारने और कैंसर की रोकथाम में बहुत काम आता है. बीमारी ठीक करने के लिए उपाय बुरी नज़र लगने के लक्षण और नज़र उतारने के उपाय बृहस्पति को किस तरह कमजोर करते है घर में किए गए ये कार्य ब्राह्मण का सम्मान करना ब्लड प्रेशर/डिप्रेशन से बचने का उपाय: भगवान की खंडित मूर्ति भगवान विष्णु का पूजन करना भजामि ते पदाम्बुजं, अकामिनां स्व-धामदम्. . 1 भजामि भाव-वल्लभं, कु-योगिनां सु-दुलर्भम्. भजे स-शक्ति सानुजं, शची-पति-प्रियानुजम्. . 6 भवष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक.. भविष्य में कुछ गड़बड़ियों के लिए तैयार रहिए, लेकिन ये ऐसी नहीं हैं कि जिन्हें आप संभाल न सकें. जब भी ऐसी स्थिति आए, दूसरे रास्ते को चुनने में देर न करें. कुछ अच्छी खबरें, अच्छी बातें आपके नजदीक आ रही है, इसलिए अस्वाभाविक आश्चर्य के लिए तैयार रहें. हालांकि, यह आपके लिए नई नहीं होंगी, लेकिन आपको चौकाएंगी जरूर. भविष्यवक्ता शमी : विक्रमादित्य के समय में सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर ने अपने 'बृहत्संहिता'नामक ग्रंथ के 'कुसुमलता' नाम के अध्याय में वनस्पति शास्त्र और कृषि उपज के संदर्भ में जो जानकारी प्रदान की है उसमें शमी वृक्ष अर्थात खिजड़े का उल्लेख मिलता है. भाग्य चमकाने का अचूक टोटका : भाग्य रेखा का फलादेश भाग्य रेखा टूटी हुई या अन्य रेखाओं से कटी हुई हो तो यह भाग्यहीनता का संकेत है. भाग्य रेखा सामान्यत: जीवन रेखा, मणिबंध, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा या चंद्र पर्वत से प्रारंभ होकर शनि पर्वत (मध्यमा उंगली के नीचे वाला भाग शनि पर्वत कहलाता है) की ओर जाती है. भाग्य रेखा हथेली के प्रारंभ से जितनी अधिक दूरी से शुरू होती है, व्यक्ति का भाग्योदय उतने ही विलंब से होता है. भाग्य रेखा हृदय रेखा पर रुक जाए तो व्यक्ति प्रेम संबंध के कारण असफलताएं प्राप्त करता है, लेकिन यह रेखा हृदय रेखा के साथ गुरु पर्वत तक जा पहुंचे तो वह व्यक्ति प्रेम संबंध से सफलताएं प्राप्त करता है. भाग्यवान बनने के लिए कुछ बातों में सावधानी रखना होगी और कुछ ऐसे उपाय करना होंगे जिन्हें हम टोटके कहते हैं. टोटके कहने से कुछ लोग इसका गलत अर्थ निकालते हैं जबकि यह सात्विक उपाय होते हैं. भारत के सभी पर्वों में दीवाली का सर्वाधिक महत्व है. इस दिन शुभ मुहूर्त में सही विधि-विधान से लक्ष्मी का पूजन करने पर अगली दीवाली तक के लिए लक्ष्मी कृपा से घर में धन और धान्य की कमी नहीं आती है. साथ ही शास्त्रों में बताए टोने-टोटके के उपायों से भी बहुत जल्दी ही लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है. लक्ष्मी कृपा पाने के लिए ज्योतिषियों के बताए 51 उपाय यहां दिए जा रहे हैं, इन्हें सभी राशियों के लोग कर सकते हैं. इनमें से कोई भी एक या अधिक उपाय करने से दरिद्रता दूर होकर सुख-सम्पत्ति का आगमन होता है. भारत में पंजाब प्रांत के ग्राम फरवाला (जिला जालंधर) के निवासी पंडित रूप चंद जोशी जी ने 1939 से 1952 के बीच में इसके पाँच खण्डों की रचना की. भावार्थ- अर्थात कई सगुण साधकों, ऋषियों यहां तक कि देवताओं ने भी वटवृक्ष में भगवान विष्णु की उपस्थिति के दर्शन किए हैं. -रामचरित मानस भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना है वो पहले पांच बार भी जरूरी है. कई बार होता यह है कि इंसान अपनी दरिद्रता को सादगी का मुखोटा पहनाकर मन बहलाता रहता है. भूखों को अनाज का दान धार्मिक नजरिए से बहुत पुण्यदायी होता है. संकेत है कि भूत भगाने के 10 सरल उपाय भूत व प्रेतबाधा मुक्ति के 10 सरल उपाय (Bhoot Bhagane ke Upay Mantra) भ्रूण दोनों के लिए कष्टदायी तथा नुकसानदेह हो सकता है. मंगल की शांति मंगल दोष मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है. इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं. इस पंचक में अग्नि का भय होता है. ये अशुभ होता है. इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है. इनसे नुकसान हो सकता है. मंत्र मंत्र 2: मंत्र का जप करें. इसके बाद आंखें बंद करके अपना सवाल पूछें और भगवान श्रीगणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर कर्सर घुमाते हुए रोक दें. जिस कोष्ठक(खाने) पर कर्सर रुके, उस कोष्ठक में लिखे अंक के फलादेश को ही अपने अपने प्रश्न का उत्तर समझें. मंदिर तक पहुंचनी चाहिए सूर्य की रोशनी और ताजी हवा : मकर राशि :- मकान का निर्माण अगर वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत हो गया तो, उस नव-निर्मित मकान में पैदा होने वाले वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम, उस मकान में निवास करने वालों के जीवन को समस्याग्रस्त स्थिति में परिवर्तित कर देंगे, क्योंकि आपका वर्तमान और भविष्य, आपके मकान की वास्तु के आधार पर ही प्रभावित होगा. मकान जीवन में बार-बार नहीं बनाए जाते हैं, अत: इतना चिंतन अवश्य करें कि मकान के निर्माण में एक कुशल व अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ का मार्गदर्शन आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सक्षम होगा. मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं मजाक उड़ाती हैं सभी मणिबंध: हथेली जिस स्थान से प्रारंभ होती है, वहां आड़ी अवस्था में कुछ रेखाएं होती हैं, इन्हीं रेखाओं को मणिबंध कहा जाता है. मन की बैचेनी मिटाएं : मनपंसद संतान-प्राप्ति के योग मनपसंद जीवन साथी पाने के उपाय शीघ्र विवाह के उपाय मनी प्लांट के लिए वास्तु टिप्स (Vastu Tips For Money Plant) मनोकामना पूर्ति का एक सरल प्रयोग.docx मनोज-वैरि-वन्दितं, अजादि-देव-सेवितम्. मस्तिष्क रेखा: यह रेखा हथेली के मध्य भाग में आड़ी स्थिति में रहती है. मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के प्रारंभिक स्थान के पास से ही शुरू होती है. मस्तिष्क रेखा यहां से प्रारंभ होकर हथेली की दूसरी ओर जाती है. महादेव की पूजा से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और कुंडली के ग्रह दोष शांत हो जाते हैं. यहां जानिए शिव कृपा पाने के लिए उपाय… महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए करें झाड़ू का ये उपाय महिलाओं के शरीर में स्तनों का विशिष्ट स्थान है, इस दृष्टि से इनकी देखभाल और सुरक्षा करना बहुत जरूरी है. आज हर युवती चाहती है कि उसके स्तन उन्नत, सुडौल व विकसित दिखें. चेहरे के अलावा स्त्रियों के उन्नत स्तन ही आकर्षण का केन्द्र होते हैं. मांगलिक कार्य निर्विघ्न संपन्न होने हेतु : माईग्रेन या आधा सीसी का दर्द का उपाय : माईग्रेन/आधा सीसी का दर्द से बचने का उपाय: मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी माता-पिता का आशीर्वाद लें मात्र इन दो आसान से उपाय से सभी प्रकार के टोने-टोटकों और बुरी नजर के प्रभाव से बचा जा सकता है. मान सम्मान - रात को सोते समय अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में थोड़ा सा पानी रख लें, सुबह वह पानी घर के बाहर डाल दें इससे रोग, वाद-विवाद, बेइज्जती, मिथ्या लांछन आदि से सदैव बचाव होता रहेगा. मान सम्मान प्राप्ति के उपाय / टोटके मान सम्मान प्राप्ति के उपाय / टोटके मान-सम्मान, प्रतिष्ठा व लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किए जाने वाली पूजा,उपाय / टोटकों के लिए पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ होता है. माना जाता है कि माना जाता है कि पितृदोष, कालसर्प दोष और ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव के कारण कभी कोई सुख प्रा‍प्त नहीं होता, तो कभी देवी-देवताओं के प्रति किए गए अपराध के चलते भी दुखों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यह सब ठीक होने के बावजूद कभी-कभी वास्तुदोष के कारण भी व्यक्ति समस्याओं से घिरा रहता है. उपरोक्त कारणों के चलते व्यक्ति कर्ज में डूब जाता है, संतान सुख चला जाता है, गृहकलह बढ़ जाती है, धन-समृद्धि भी साथ छोड़ देती है, दरिद्रता पीछे लग जाती है, रोग और शोक भी परेशान करते रहते हैं. इस तरह की अन्य कई समस्याओं से व्यक्ति घिर जाता है. माना जाता है कि. मालामाल होने का टोटका : मिथुन राशि :- मिशनरी पोजीशन: मीन राशि :- मुकदमे में विजय पाने का उपाय: मुकदमें में विजय पाने के लिए : मुक्त करें पक्षियों को : मुनीन्द्र-सन्त-रंजनम्, सुरारि-वृन्द-भंजनम्. . 4 मुरझाने ना दे पौधा- मूर्ति रखते समय ध्यान रखें ये बात में विफल रहा है और वहाँ कोई रास्ता नहीं है कि आप अपने प्यार वापस मिल सकता है. खोया प्यार जादू अपने प्यार को वापस लाने के लिए में, वे तुम्हारे साथ एक मजबूत भावनात्मक और प्यार बंधन महसूस होगा. इस कोर्स की सुनिश्चित करेंगे कि आप के रूप में लंबे समय के मेन गेट पर इस तरह लगाएं श्रीगणेश की तस्वीर मेरा पहला लेख लाल किताब के सिद्ध टोटके भागएक प्रकाशित हुआ था . जिसमें बहुत से सदस्यों ने रूचि ली थी . इसको हज़ारों सदस्यों ने देखा व पढा और उन उपायों को अपनाकर लाभ उठाया . बहुत से लोगों ने अपनी समस्यायों के समाधान के लिए और उपायों की मांग की थी . इस बाबत मुझे बहुत सी मेल व फोन भी आए . अतः लाल किताब के टोटके भाग दो आपकी सेवा में प्रस्तुत है . मेष राशि :- मोचरस, कौंच के बीज, शतावरी, तालमखाना को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग 400 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करने से बुढ़ापे में भी संभोग क्रिया का पूरा मजा लिया जा सकता है. इस योग को लगभग 2-3 महीने तक सेवन करना लाभकारी रहता है. यत् त्वेमहे प्रति तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे. . यदि यदि आप और पौराणिक कहानियाँ पढ़ना चाहे यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं. यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह दोष है, शनि की साढे साती चल रही है. शनि के अशुभ प्रभाव से आप किसी रोग से पीड़ित हैं तो यह उपाय करें यदि आपके घर में रहने वाले सदस्यों में हमेशा अनबन रहती है, कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है. सारा पैसा बीमारी में चला जाता है या घर में पैसों की बरकत नही होती है और आपके घर में शांति नही है तो बिना पूजा पाठ एवं तंत्र मंत्र से आप गृह शांति कर सकते है. अगर आप राशि के अनुसार कुछ छोटे छोटे प्रयोग करें तो निश्चित ही आपके घर में शांति हो जाएगी. यदि आपको जीवन में मान सम्मान की चाह है तो आप नमक का कम से कम सेवन करें. यह भी ध्यान रहे कि आपके घर में नमक खुला ना पड़ा हो या इधर उधर गिरता ना हो. नमक जब भी डिब्बे से निकाले चम्मच का प्रयोग करें उसे उँगलियों से नहीं निकाले. पुराने ज़माने में बड़े बूढ़े कहते थे कि यदि नमक गिराओगे तो आँखों की पलकों से उठाना पड़ेगा. जिस घर में नमक का निरादर होता है, नमक का नुकसान होता है या नमक का ज्यादा सेवन होता है तो वहाँ निवासियों को मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है. उन्हें कभी भी समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता है. यदि आपको धन की परेशानी है, नौकरी मे दिक्कत आ रही है, प्रमोशन नहीं हो रहा है या आप अच्छे करियर की तलाश में है तो यह उपाय कीजिए : यदि आपको पर्याप्त मात्रा में धन की प्राप्ति नहीं हो रही है या आया हुआ धन आपके पास रूक नहीं रहा है तो आप राशि अनुसार निम्न ज्योतिष उपाय कर सकते है. यदि आपको विश्वास है कि अपने प्रेमी एक रोविंग नजर है, तो इस जादू उन्हें आकर्षक प्रतीयमान से दूसरों को बंद हो जाएगा. एक ही समय यदि किसी व्यक्ति की हथेली में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर शनि पर्वत तक गई हो और दोष रहित है तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है. ऐसे लोग जीवन में सफलताएं प्राप्त करते हैं. यदि कुंडली में शनि या राहु-केतु का कोई दोष हो तो रोज रात को जो यदि घर में कोई वास्तु दोष होता है तो नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. यहां जानिए ऐसी 25 छोटी-छोटी बातें और उपाय जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाएंगे… यदि घर में लगा रखा है मनी प्लांट तो ध्यान रखें ये बातें यदि घर में लगा रखी है तुलसी तो जरूर जानिए ये बातें यदि चंद्र पर्वत से निकलकर कोई अन्य रेखा भाग्य रेखा के साथ-साथ चले तो व्यक्ति की शादी अत्यंत धनी परिवार में होती है. वह व्यक्ति किसी स्त्री की मदद से सफलताएं प्राप्त करता है. यदि बेहद कोशिशों के बाद भी घर में पैसा नहीं रूकता है तो एक छोटा सा उपाय करें. यदि भाग्य रेखा किसी स्थान पर जीवन रेखा को काट दे तो उस आयु में व्यक्ति को कोई अपमान या कलंक झेलना पड़ सकता है. यदि भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा पर रुक जाए तो व्यक्ति खुद की गलती से असफलताएं प्राप्त करता है. यदि भाग्य रेखा हथेली को पार करते हुए मध्यमा उंगली (मिडिल फिंगर) तक जा पहुंचे तो यह अशुभ योग दर्शाती है. ऐसा व्यक्ति खुद की गलतियों से हानि उठाता है. यदि रहना है सुखी तो : यदि वंशानुगत शारीरिक दुबलापन न हो तो उचित आहार और हलके व्यायाम से शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाया जा सकता है. जब पूरा शरीर हृष्ट-पुष्ट हो जाएगा तो स्तन भी विकसित और पुष्ट हो जाएंगे. शरीर बहुत ज्यादा दुबला-पतला, चेहरा पिचका हुआ और आंखें धंसी हुई होंगी तो यही हालत स्तनों की भी होता स्वाभाविक है. यदि हथेली में भाग्य रेखा जीवन रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति खुद की मेहनत से काफी अधिक धन प्राप्त करता है. यन्त्र मंत्र और तंत्र से ये उपाय बहुत अलग है. यह 28 दिन की अवधि में न हो, बहुत थोड़ी मात्रा में हो, कष्ट के साथ हो तो यह अनियमित मासिक धर्म कहलाता है. उपरोक्त वर्णित तकलीफ में यह इलाज करें- यह ज्योतिष के सिधान्तो और हस्तरेखा के सिधान्तो को सरल रूप से समझाता है. यह टोटका बहुत ही लाभदायक है. ये क्रिया प्रत्येक रविवार को करे . यह दरवाजा संघर्ष का सूचक है. फिर वह नौकरी को लेकर हो या कोई कानूनी लड़ाई. आप अपने जीवन में बहुत से संकटों से होकर गुजरे हैं या गुजर रहे हैं. लाल रंग ताकत (पावर) का सूचक है और दरवाज़े से निकले नुकीले तीर यह दर्शाते हैं कि आप अपना हक़ लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, फिर उसके लिए आपको जो भी कीमत चुकानी पड़े. यह नुस्खा महंगा है और धन संपन्न व्यक्ति ही इसको तैयार कर सकता है या बना बनाया बाजार से खरीद सकता है. यह प्रयोग 11 प्रदोष तक लगातार करें. पूर्ण फल मिलेगा. यह बहुत ही गुप्त प्रयोग है, इसे किसी को भी न बताएं और जब इसे प्रयोग करें तो खुद भी करके भूल जायें. यह भी पढ़े- यदि घर में लगा रखी है तुलसी तो जरूर जानिए ये बातें यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है. जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है. 'शिवपुराण' में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बताई गई है. यह माह में कभी दो बार या एक-डेढ़ माह में एक बार तक हो सकता है, यानी नियमित नहीं रहता, कभी ज्यादा गरम वस्तु खा ली कि मासिक शुरू हो जाता है. यह मुख्य विषय प्रारब्ध एवं भाग्य संबंधी होता है. किंतु ठीक उपाए कर लिए जाएं तो संतान की प्राप्ती निश्चित होती है. यह लाल किताब का जाना-माना प्रयोग है. अपनी किस्मत चमकाने के लिए इसे अवश्य आजमाएं…. यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में बांट देना चाहिए. यह सभी उपाय एक से बढ़कर एक हैं, एक बार में सिर्फ एक ही उपाय करें. ये सभी परीक्षित नुस्खे हैं. यह सावधानी रखें : यहा ना लगाएं पौधा- यहाँ कुछ ऐसे सरल टोटके बताये जा रहे हैं जिन्हें अपना कर अपने दांपत्य जीवन को सुखी बनाया जा सकता है. यहाँ होम्योपैथिक तरीके से इलाज का तरीका व दवाई के नाम बताए गए हैं. होम्योपैथिक चिकित्सा इस विषय विशेष में अच्छा दखल रखती है व बीमारी के उपचार में सहायता करती है. लेकिन दवाओं के इस्तेमाल से पूर्व योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें. यहां जानिए एक श्लोक जिसमें 6 ऐसे काम बताए गए हैं जो भाग्य को भी बदल सकते हैं… यहां जानिए कुछ उपाय, जिनसे गुरु ग्रह के दोषों को दूर किया जा सकता है यहां जानिए रोटी के कुछ उपाय, जिनसे कुंडली के दोष दूर हो सकते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है… यहां मिलेगा फायदा-. यही कारण हें कि आज के युग में यदि हम प्रक्टिकल वास्तु अपनाते है तो जीवन में किसी भी प्रकार के कष्ट से बिना यंत्र-मन्त्र-तंत्र से छुटकारा पा कर उन्नति के मार्ग में चल सकते है. याद रखिये साथ में रहने से परिवार और नव दम्पति दोनों को ही बहुत लाभ होते है. उस घर की आने वाली संताने सुशिक्षित और सुसंस्कृत होती है, परिवार में आर्थिक , सामाजिक और मानसिक सुरक्षा रहती है , बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी आसानी से हल हो जाती है. युवा अथवा प्रौढ़ आयु के विवाहित पुरुष जो यौन शक्ति में कमी का अनुभव करते हैं, स्तंभन शक्ति न रखते हों, यौनांग में शिथिलता व उत्साहहीनता का अनुभव करते हों, ऐसे पुरुष मानसिक व शारीरिक रूप से स्थिर रहकर नीचे दिए जा रहे नुस्खे का प्रयोग करें. यूँ तो आपमें से कई लोग टोटके शब्द से इत्तेफाक नहीं रखते होंगे क्योंकि कहीं ना कहीं ये अंधविश्वास से जुड़ा हुआ माना जाता है. लेकिन हर समय इसे अंधविश्वास से नहीं जोड़ना चाहिए कभी-कभी ये फायदेमंद भी सिद्ध होता है. आईये जानते हैं कौन से हैं वो टोटके जो आपके घर में बरकत करवा सकते हैं यूँ तो पूजन में तुलसी का विशेष महत्तव है पर ये तत्व दांतों के लिए फायदेमंद नहीं है. अत: तुलसी के पत्तों को बिना चबाए निगलना चाहिए. ये दिन है लक्ष्मी प्राप्ति का इसलिए देवी लक्ष्मी भी होती है प्रभावित ये नियम इस प्रकार हैं… ये भी पढ़ें: अचूक टोटके, बिना पैसे खर्च किए दूर होगी आपकी हर समस्या ये भी पढ़ें: अनहोनी से बचना है तो रात को भूल कर भी नहीं करें ये 6 काम ये भी पढ़ें: ऐसे बचाएं खुद को दूसरों के तांत्रिक प्रयोगों से ये भी पढ़ें: नींबू-लौंग के ये टोटके 24 घंटों में दूर करेंगे आपकी हर समस्या ये भी पढ़ें: नींबू-लौंग के ये टोटके 24 घंटों में दूर करेंगे आपकी हर समस्या ये भी पढ़ेः अचूक टोटके, बिना पैसे खर्च किए दूर होगी आपकी हर समस्या ये भी पढ़ेः अनहोनी से बचना है तो रात को भूल कर भी नहीं करें ये 6 काम ये भी पढ़ेः ऐसे पहचाने आप पर तंत्र शक्ति (या काला जादू) प्रयोग की गई है ये भी पढ़ेः ऐसे होता है किसी व्यक्ति पर तंत्र शक्ति (या काले जादू) का प्रयोग ये भी पढ़ेः नींबू-लौंग के ये टोटके 24 घंटों में दूर करेंगे आपकी हर समस्या ये हैं शिवपुराण के छोटे-छोटे उपाय, कर सकते हैं आपकी हर इच्छा पूरी योनि की खुजली, योनि दाह योनि में खुजली होने के कई कारण हो सकते हैं, इन कारणों में संक्रमण (इन्फेक्शन) होना, गन्दगी यानी रोजाना सफाई-धुलाई न करने से अस्वच्छता का होना, फिरंग, पूयमेह या उपदंश आदि यौन रोग होना, रक्त विकार होना, हमेशा कब्ज रहना और पति के यौनांग में कोई इन्फेक्शन होना, जिस कारण पति सहवास के समय सम्पर्क होने से योनि में भी इन्फेक्शन होना आदि प्रमुख कारण हैं. योनि संकोचन यौनसुख अर्थात संभोग क्रिया के समय चरम सुख की प्राप्ति होना बहुत ही आनंददायक होता है. इसकी तुलना बहुत से विद्वानों ने स्वर्ग के सुख से की है. हर मनुष्य पूरे जीवन इस सुख को भोगना चाहता है. मनुष्य कभी भी काम अर्थात सेक्स से मुक्त नहीं होना चाहता. यही उसके जीवन का प्राथमिक बिंदु है. काम अर्थात सेक्स की शक्ति परमात्मा की शक्ति है इसलिए तो काम अर्थात सेक्स से शरीर में ऊर्जा पैदा होती है इसलिए मनुष्य को पूरी तरह से काम-शक्ति संपन्न होना चाहिए. रक्त प्रदर : रक्त स्तम्भक, कामदुधा, रस मौ.यु, कहरवा पिष्टी, बोलबद्ध रस, प्रवाल पिष्टी, अशोकारिष्ट, लोध्रासव, पुष्पानुग चूर्ण, दुग्ध पाषण भस्म. रति क्रिया के नियम रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है. इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं. इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है. रविवार को स्नानादि से निवृत्त होकर काले कपड़े की छोटी थैली में तुलसी के आठ पत्ते, आठ काली मिर्च और सहदेई की जड़ बांधकर गले में धारण करें, नजर दोष बाधा से मुक्ति मिलेगी. रहकर गृहस्थ जीवन की सफलता के लिए सुख-समृद्धि का होना निहायत ही जरूरी है. राम कृष्ण खुराना राम कृष्ण खुराना Sunday May 05, 2013 रावण-अंगद संवाद : ये 14 बुरी आदतें जीवित को भी बना देती हैं मृत समान राशि अनुसार उपाय - धनु राशि : राहु की शांति रूक सकता है प्रमोशन भी रूके हुए आर्थिक कार्यों की सिद्धि के लिए रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है. रोग और प्रेम से मुक्ति दिलाए नीम : रोग से मुक्ति हेतु रोगों से मुक्ति का उपाय: रोगों से मुक्ति पाने के लिए रोज रात को मंदिर पर ढंकें पर्दा : रोज सुबह उठकर अपनी हथेलियां देखें रोज़ सुबह कुछ तुलसी के पत्ते खाने से कई रोगों से मुक्ति भी मिलती है . रौशनी वाले, साफ़ एवं हवादार कमरे में पढ़ाई करने पर शारीरिक उर्जा संतुलित रहती है . फिर भी यदि आपके पास कोई ऐसा हवादार कमरा नहीं है तो कोशिश करें कमरे में पूरी रौशनी पहुँच पाए . अगर लकी होती है पेंडुलम वाली घड़ी- लक्ष्मी बंधन : लक्ष्मी, ऐश्वर्य,वशीकरहण,उच्चाटन,पुत्र प्राप्ति,राज लगातार बुखार आने पर : लाइलाज और बाकी पांचों प्रकार की नपुंसकता साध्य यानी इलाज द्वारा ठीक की जा सकने वाली है. लाभ : इस तेल के नियमित प्रयोग से 2-3 माह में स्तनों का उचित विकास हो जाता है और वे पुष्ट और सुडौल हो जाते हैं. ऐसी युवतियों को तंग चोली नहीं पहननी चाहिए और सोते समय चोली पहनकर नहीं सोना चाहिए. इस तेल का प्रयोग लाभ न होने तक करना चाहिए. लाभ : यह वटी वाजीकारक नुस्खों में अति उत्तम और संतोषप्रद लाभ करने वाली निरापद औषधि है. लाभ होता है लाभकारी शास्त्रीय वाजीकर योग- लाल किताब लाल किताब (गुटका) — सन 1941 में प्रकाशित लाल किताब उत्तर भारत में खास कर पंजाब में बहुत प्रसिद्ध है . अब इसका प्रचार धीरे-धीरे पूरे भारत में हो रहा है . इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण इसके आसान, सस्ते और सटीक उपाय हैं . इसमें कई उपाय ग्रहों की बजाय लक्षणों से बताये जाते हैं . आपके लाभ के लिए कुछ सिद्ध उपाय निम्न प्रकार से हैं – लाल किताब का इतिहास (History of Lal Kitab) लाल किताब की विशेषताएं :

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