Saturday, October 8, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 1001. - 1100.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.




1001. पूर्णिमा - सुबह के समय हल्दी में थोडा पानी डालकर उससे घर के मुख्य दरवाज़े / प्रवेश द्वार पर ॐ बनायें.

1002. फड़कन - अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सीधे हाथ में लगातार खुजली हो, तो समझ लेना चाहिए कि आपको धन लाभ होने वाला है.

1003. फड़कन - कमर की दाहिनी ओर की फड़फड़ाहट किसी विपदा का संकेत देती है, वहीं बांई आरे की फड़फड़ाहट किसी शुभ समाचार का संकेत देती है.

1004. फड़कन - छाती में फड़फडाहट होना मित्र से मिलने की सूचना, छाती के दाहिनी आरे फडफ़डा़हट हो तो विपदा का संकेत, बांयी ओर फड़फड़ाहट हो तो जीवन में सघंर्ष और मध्य में फडफ़डाहट हो तो शुभ समाचार मिलता है.

1005. फड़कन - यदि  आपकी दाई कोहनी फड़कती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि भविष्य में आपकी किसी से साथ बड़ी लड़ाई होने वाली है.  लेकिन अगर बाईं कोहनी में फड़कन होती है तो यह बताता है कि समाज में आपकी प्रतिष्ठा और ओहदा बढ़ने वाला है.

1006. फड़कन - यदि  आपकी हथेली में  हलचल होती है तो यह यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आप जल्द ही किसी बड़ी समस्या में घिरने वाले हैं और अगर अंगुलियां फड़कती है तो यह इशारा करता है कि किसी पुराने दोस्त से आपकी मुलाकात होने वाली है.

1007. फड़कन - यदि  आपको अपनी  भौहों के बीच हलचल महसूस होती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि निकट भविष्य में आपको सुखदायक और खुशहाल जीवन मिलने वाला है.  इसके अलावा यह इस बात का भी संकेतक है कि आप जिस भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं आपको उसमें अनापेक्षित सफलता मिलने वाली है.

1008. फड़कन - यदि  इंसान के दोनों गाल एक साथ फड़कते हैं तो इससे धन लाभ की संभावना बढ़ जाती है.

1009. फड़कन - यदि  इंसान के होंठ फड़क रहे है तो इसका अर्थ है उसके जीवन में नया दोस्त आने वाला है.

1010. फड़कन - यदि  कनपटी के पास फड़कन पर धन लाभ होता है.

1011. फड़कन - यदि  दाई जांघ फड़कती है तो यह इस बात को दर्शाता है कि आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा और बाईं जांघ के फड़कने का संबंध धन लाभ से है.

1012. फड़कन - यदि  दाई पैर के तलवे के फड़कने का संबंध सामाजिक प्रतिष्ठा में हानि से और बाएं पैर के फड़कने का अर्थ निकट भविष्य में यात्रा से है.

1013. फड़कन - यदि  दाया कन्धा फड़कता है तो यह इस बात का संकेत है कि आपको अत्याधिक धन लाभ होने वाला है.  वहीं बाएं कंधे के फड़कने का संबंध जल्द ही मिलने वाली सफलता से है.  परंतु अगर आपके दोनों कंधे एक साथ फड़कते हैं तो यह किसी के साथ आपकी बड़ी लड़ाई को दर्शाता है.

1014. फड़कन - यदि  पीठ के फड़कने का अर्थ है कि आपको बहुत बड़ी समस्याओं को झेलना पड़ सकता है.

1015. फड़कन - यदि  पुरुष के शरीर के दाएं भाग में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई बड़ी खुशखबरी सुनने को मिल सकती है.  जबकि महिलाओं के मामले में यह उलटा है, दाएं हिस्से के फड़कने पर बुरी खबर सुनाई दे सकती है.

1016. फड़कन - यदि  बायें हाथ की हथेली में फड़फड़ाहट हो और वह व्यक्ति रोगी हो तो उसे शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ हो जाता है.

1017. फड़कन - यदि  माथे पर अगर हलचल होती है तो उसे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.

1018. फड़कन - यदि  व्यक्ति की ठोडी में फडफ़डा़हट का अनुभव हो तो मित्र के आगमन की सूचना देता है.

1019. फड़कन - यदि  व्यक्ति की दाईं आंख फड़कती है तो यह इस बात का संकेत है कि उसकी सारी इच्छाएं पूरी होने वाली हैं और अगर उसकी बाईं आंख में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई अच्छी खबर मिल सकती है.  लेकिन अगर दाईं आंख बहुत देर या दिनों तक फड़कती है तो यह लंबी बीमारी की तरफ इशारा करता है.

1020. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाये हाथ की हथेली में फड़फड़ाहट हो तो ये शुभ शकुन है.  उसे आने वाले समय में शुभ सपंदा की प्राप्ति होती है.

1021. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाहिने हाथ का अंगूठा फड़फड़ाये तो उसकी अभिलाषा पूर्ति में विलबं होता है और हाथ की अंगुलियां फडफ़डा़यें तो अभिलाषा की पूर्ति के साथ-साथ किसी मित्र से मिलन होता है.

1022. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाहिने हाथ की कोहनी फड़फड़ाती है, तो किसी से झगडा़ तो होता है परतुं विजय उसे ही मिलती है आरै बायें हाथ की कोहनी  फड़फडा़यें तो धन की प्राप्ति होती है.

1023. फड़कन - यदि  हथेली के किसी काने में फडफ़डा़हट हो तो निकट भविष्य में व्यक्ति किसी विपदा में फसं जाता है.

1024. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति का ऊपरी होठ फडफ़डायें तो शत्रुओं से हो रहे झगडे़ में समझौता हो जाता है.

1025. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की कमर का सीधा हिस्सा फड़कता है तो यह इस बात का संकेत है कि भविष्य में धन लाभ की संभावनाएं हैं.

1026. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की गर्दन बांयी तरफ से फड़कती हो तो धन हानि होने की आशंका तथा गर्दन दांयी तरफ से फडके तो स्वर्ण आभूषणों की प्राप्ति होती है.

1027. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की नाक फड़फड़ाती हो तो उसके व्यवसाय में बढ़ोत्तरी हातेी है.   किसी व्यक्ति के नाक के नथुने के अंदर फड़फड़ाहट महसूस हो तो उसे सुख मिलता है.  यदि नाक की जड़े फड़के तो लडा़ई झगड़ा होने की संभावना रहती है.

1028. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति के दोनो आरे के गाल समान रूप से फडफ़डाएं तो उसे  धन की प्राप्ति होती है.

1029. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति के संतान उत्पन्न होने वाली हो और उसके बायें गाल के मध्य में फड़फड़ाहट हो तो उसके घर कन्या का जन्म होता है और जन्म होने की संभावना न हो तो पुत्री से कोई शुभ समाचार मिलता है.

1030. फड़कन - यदि किसी स्वस्थ व्यक्ति का दाहिना गाल फड़के तो उसे लाभ होता है.  सुंदर स्त्री से लाभ मिलता है.

1031. फड़कन - यदि गले का फड़कना भी एक अच्छा संकेत है क्योंकि यह आपके लिए खुशहाली, सम्मान और आराम लाने वाला है.

1032. फड़कन - यदि जब किसी व्यक्ति का दाहिना कंधा फड़फड़ाहट करता है तो उसे धन संपदा मिलती है.

1033. फड़कन - यदि जीभ फड़के तो लड़ाई झगड़ा होता है.

1034. फड़कन - यदि दाँया तालु फड़के तो धन की प्राप्ति होती है.  यदि बाँया तालु फड़के तो व्यक्ति को जेल यात्रा करनी पड़ सकती है.

1035. फड़कन - यदि दाँयी बाजू फडफ़डा़ती है तो धन और यश की प्राप्ति होती है तथा बाँयी ओर की बाहं फडफ़डाए तो नष्ट अथवा खोई हुई वस्तु की प्राप्ति हो जाती है.

1036. फड़कन - यदि दांत का ऊपरी भाग फडफ़ड़ाहट करता है तो व्यक्ति को प्रसन्नता प्राप्त होती है.

1037. फड़कन - यदि दाहिनी आंख का मध्य भाग फड़के तो व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर धन अर्जित कर लेता है.  दाहिनी आंख चारो तरफ से फड़के तो व्यक्ति के रागी होने की संभावना रहती है.

1038. फड़कन - यदि दाहिने कान का छेद फड़फडा़ता है तो मित्र से मुलाकात होती है.  यदि दाहिना कान फड़फड़ाता है तो  अच्छे समाचार की प्राप्ति होती है.

1039. फड़कन - यदि दोनों होठ फडफडा़यें तो कहीं से सुखद समाचार मिलता है.

1040. फड़कन - यदि बांये कान का पिछला भाग फडक़ ता है तो मित्र से बुलावा आता ह अथवा कोई खुश खबरी भरा पत्र मिलता है.  यदि बांया कान बजे तो बुरी खबर सुनने को मिलती है.

1041. फड़कन - यदि बायीं आख का फड़कना स्त्री से दुख का, वियोग का लक्षण है.  बांयी आंख चारो ओर से फड़कने लगे तो विवाह के योग बनते हैं.

1042. फड़कन - यदि मुंह का फड़फड़ाना पुत्र की ओर से किसी शुभ समाचार को सुनवाता है.  यदि पूरा मुंह फड़के तो व्यक्ति की मनोकामनापूर्ण होती है.

1043. फड़कन - यदि ललाट मध्य से फडक़ने लगे तो लाभदायक यात्रायें हातेी है.  यदि पूरा ललाट फड़के तो सम्मान तथा नौकरी में प्रमोशन होना होता है.

1044. फड़कन - यदि संपूर्ण मस्तक का फड़कना दूर स्थान की यात्रा का संकेत समझना चाहिए तथा मार्ग में परशोनियां भी आती है.

1045. फड़कन - यदि सिर का मध्य भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है तथा परेशानियों से मुक्ति मिलती है.

1046. मंत्र केतु - "ऊँ ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।।" जप समय-रात्रि जप संख्या-17000 हवन समिधा-कुशा. इस मंत्र का जप हर रिश्तों में तनाव दूर का कर सुख-शांति देता है.

1047. मंत्र गुरु - "ऊँ ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः।।" जप समय-संध्या जप संख्या-19000 हवन समिधा-अश्वत्थ. इस मंत्र के जप से सुखद वैवाहिक जीवन, आजीविका व सौभाग्य प्राप्त होता है.

1048. मंत्र चंद्र - "ऊँ ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।।" जप समय-संध्या जप संख्या-11000 हवन समिधा-पलाश. इस मंत्र के जप से मानसिक परेशनियां दूर होती है। पेट व आंखों की बीमारियों में राहत मिलती है.

1049. मंत्र बुध - "ऊँ ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।" जप समय-5 घटी शेष दिन जप संख्या-9000 हवन समिधा- अपामार्ग. इस मंत्र का जप बुद्धि व धन का लाभ देता है। घर या कारोबार की आर्थिक समस्याएं व निर्णय क्षमता बढ़ाता है.

1050. मंत्र मंगल - "ऊँ ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।" जप समय-2 घटी शेष दिन जप संख्या-10000 हवन समिधा-खदिर. इस मंत्र के जप से भूमि, संपति व विवाह बाधा दूर होने के साथ ही सांसारिक सुख मिलते हैं.

1051. मंत्र राहु - "ऊँ ऊँ भ्रां भीं भौं सः राहवे नमः।।" जप समय-रात्रि जप संख्या-18000 हवन समिधा-दुर्वा. इस मंत्र का जप मानसिक तनाव व विवादों का अंत करता है। साथ ही आध्यात्मिक सुख भी देता है.

1052. मंत्र शनि - "ऊँ ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।" जप समय-मघ्यान्ह जप संख्या-23000 हवन समिधा-शमी. इस मंत्र का जप तन, मन, धन से जुडी तमाम परेशानियां दूर करता है। भाग्यशाली बनाता है.

1053. मंत्र शुक्र - "ऊँ ऊँ द्रां द्रां द्रौं सः शुक्राय नमः।।" जप समय-सूर्याेदय जप संख्या-16000 हवन समिधा-उटुम्बर. इस मंत्र का जप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाता है। वैवाहिक जीवन में कलह व अशांति को दूर करता है.

1054. मंत्र सूर्य -  "ऊँ ऊँ ह्नां ह्नीं ह्नौं सः सूर्याय नमः।।"  जप समय-सूर्य उदय जप संख्या-7000 हवन समिधा-अर्क . इस मंत्र के जप से पद, यश, सफलता, तरक्की, सामजिक प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, संतान सुख प्राप्त होता है.

1055. मनीप्लांट  -  को कभी ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में ना रखें.  इससे पैसों का नुकसान तो होगा ही, सेहत और रिश्तों पर भी नेगेटिव असर पड़ेगा.

1056. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट के पत्तों का मुरझाना या सफ़ेद हो जाना भी अशुभ माना जाता है.  रोज़ मनी प्लांट को पानी दें और सफ़ेद या मुरझाई पत्तियों को कांट दें.

1057. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट के लिए आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) को श्रेष्ठ माना जाता है.  इसे गणेशजी की दिशा मानी जाती है.  यहां रखा मनीप्लांट सुख-समृद्धि बढ़ाता है.

1058. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट को घर के बाहर लगाने की जगह घर के अंदर ही लगाना शुभ होता है.  इसे गमले या बोतल में लगाया जा सकता है.

1059. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट धन के साथ-साथ रिश्तों में मधुरता लाने का काम भी करता है.  इसे भूलकर भी पूर्व-पश्चिम में न लगाए वरना पति-पत्नी के बीच तनाव हो सकता है

1060. मनीप्लांट  -  हमेशा ध्यान रखें मनी प्लांट की बेलें कभी भी जमीन पर नहीं फैलानी चाहिए.  ऐसा होना भी घर में कई तरह के नुकसान का कारण बन सकता है.

1061. मान सम्मान -  कबूतरों/चिड़ियों को चावल-बाजरा मिश्रित कर के डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें.

1062. मान सम्मान - "अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:. चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्. ."इसका सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर उनकी सेवा करता है.  उसकी उम्र, विद्या,ज्ञान यश और शक्ति लगातार बढ़ती जाती है.

1063. मान सम्मान - अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो, गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें, हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें .

1064. मान सम्मान - अगर आपको कड़ी मेहनत के बाद भी बार-बार असफलता मिल रही है तो नींबू का एक छोटा सा उपाय आपके सारे काम बना देगा.  इसके लिए आप एक नींबू और 4 लौंग लेकर किसी निकट के हनुमान मंदिर में जाएं.  वहां हनुमानजी की प्रतिमा के सामने बैठकर नींबू के ऊपर चारों लौंग लगा दें, इसके बाद हनुमानचालिसा का पाठ करें.  पाठ करने के बाद हनुमानजी से सफलता दिलवाने की प्रार्थना करें और इस नींबू को जेब में लेकर जाएं.  आपको निश्चित ही सफलता मिलेगी.

1065. मान सम्मान - अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें.  उसपर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें : "ॐ ॐ श्री हनुमते नम:" 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं.  काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी.

1066. मान सम्मान - अपने बच्चे के दूध का प्रथम दाँत संभाल कर रखे, इसे चाँदी के यंत्र में रखकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

1067. मान सम्मान - आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें . उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय. प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें . धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी.

1068. मान सम्मान - आप जिस कार्य के बारे में जानना चाहते हैं वह शुभ नहीं है उसके बारे में सोचना बंद कर दें.  नवग्रह की पूजा करने से आपको सफलता मिलेगी.

1069. मान सम्मान - आपकी समस्याएं शीघ्र ही दूर होंगी.  आप सिर्फ आपके काम में मन लगाएं और भगवान शंकर की पूजा करें.

1070. मान सम्मान - आपके ग्रह अनुकूल नहीं है इसलिए आप रोज नवग्रहों की पूजा करें.  इससे आपकी समस्याएं कम होंगी और लाभ मिलेगा.

1071. मान सम्मान - एक सूर्ख लाल रंग के मोटे कागज का टुकड़ा ले लीजिये.  इसको त्रिभुजाकार काट लीजिये.  तीनों भुजाएं बराबर होना चाहिए.  इस त्रिभुज वाले टुकड़े को अपने काम के स्थान पर रखें.  वहां रखे जाहां आप बराबर आप उसे देख सकें.  इससे आपका मणिपुर चक्र इंप्रूव होगा और आपके साहस एवं आत्म विश्वास का स्तर बढ़ जाएगा.

1072. मान सम्मान - किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें.  मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं.  इससे सफलता प्राप्त होती है.

1073. मान सम्मान - किसी दुकान में जाकर किसी भी शुक्रवार को कोई भी एक स्टील का ताला खरीद लीजिए . लेकिन ताला खरीदते वक्त न तो उस ताले को आप खुद खोलें और न ही दुकानदार को खोलने दें ताले को जांचने के लिए भी न खोलें . उसी तरह से डिब्बी में बन्द का बन्द ताला दुकान से खरीद लें . इस ताले को आप शुक्रवार की रात अपने सोने के कमरे में रख दें . शनिवार सुबह उठकर नहा-धो कर ताले को बिना खोले किसी मन्दिर, गुरुद्वारे या किसी भी धार्मिक स्थान पर रख दें . जब भी कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला खुल जायगा .

1074. मान सम्मान - किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य ही कार्य में सफलता मिलती है.

1075. मान सम्मान - किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें.  फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें.  उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें.  तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें.  इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है.

1076. मान सम्मान - किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर चावल चढ़ाएं, ध्यान रहे सभी चावल पूरे होने चाहिए.  खंडित चावल नहीं चढ़ाने चाहिए. लाभ  होता है.

1077. मान सम्मान - की प्राप्ति के लिए कबूतरों को चावल डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें.

1078. मान सम्मान - कोई काम न बन रहा हो तो 19 शनिवार तक आप पीपल के पेड़ में धागा लपेटें और तिल के तेल का ही दीया जलाएं.  इस दीये में 11 दाने काली उड़द के जरूर रखें.  इसके अलावा प्रतिदिन संध्या को पीपल में घी का दीया जलाकर रखें.  ध्यान रखें कि पीपल को शनिवार को ही छुएं.

1079. मान सम्मान - कोई शत्रु परेशान कर रहा है तो चांदी के पांच छोटे-छोटे सांप बनवाकर उनकी आंखों में सुरमा लगाएं और 21 दिनों तक अपने पैरों के नीचे दबाकर सोएं.  शत्रु परेशान करना छोड़ देगा.

1080. मान सम्मान - गले, हाथ या पैर में काले डोरे को पहनने से व्यक्ति को समाज में सरलता से मान सम्मान की प्राप्ति होती है, उसे हर क्षेत्र में विजय मिलती है.

1081. मान सम्मान - गले, हाथ या पैर में काले डोरे को पहनने से व्यक्ति को समाज में सरलता से मान सम्मान की प्राप्ति होती है, उसे हर क्षेत्र में विजय मिलती है.

1082. मान सम्मान - गुरु ग्रह को सौभाग्य, सम्मान और समृद्धि नियत करने वाला माना गया है. यश व सफलता के इच्छुक हर इंसान के लिये गुरु ग्रह दोष शांति का एक बहुत ही सरल उपाय बताया गया है. यह उपाय औषधीय स्नान के रूप में प्रसिद्ध है इसे हर इंसान दिन की शुरुआत में नहाते वक्त कर सकता है.

1083. मान सम्मान - जिन व्यक्तियों को निरन्तर कर्ज घेरे रहते हैं, उन्हें प्रतिदिन “ऋणमोचक मंगल स्तोत्र´´ का पाठ करना चाहिये.  यह पाठ शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिये.  यदि प्रतिदिन किसी कारण न कर सकें, तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करना चाहिये.

1084. मान सम्मान - जिन व्यक्तियों को लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान न बन पा रहा हो, प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं.  ऐसा नियमित करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी या पैतृक सम्पति प्राप्त होगी.  अगर सम्भव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें.  “ॐ ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति. . ´´

1085. मान सम्मान - जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता.

1086. मान सम्मान - ज्येष्ठा नक्षत्र में जामुन के वृक्ष की जड़ लाकर अपने पास संभल कर रखने से उस व्यक्ति को समाज से / प्रसाशन से अवश्य ही मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

1087. मान सम्मान - ताले की दुकान पर किसी भी शुक्रवार को जाएं और एक स्टील या लोहे का ताला खरीद लें.  लेकिन ध्यान रखें ताला बंद होना चाहिए, खुला नहीं.  ताला खरीदते समय उसे न दुकानदार को खोलने दें और न आप खुद खोलें.  ताला सही है या नहीं, यह जांचने के लिए भी न खोलें.  बस, बंद ताले को खरीदकर ले आएं.  उस ताले को एक डिब्बे में रखें और शुक्रवार की रात को ही अपने सोने वाले कमरे में बिस्तर के पास रख लें.  शनिवार सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर ताले को बिना खोले किसी मंदिर या देवस्थान पर रख दें.  ताले को रखकर बिना कुछ बोले, बिना पलटे वापस अपने घर आ जाएं.  जैसे ही कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला भी खुल जाएगा.

1088. मान सम्मान - दुर्गा सप्तशती के द्वादश (12 वें ) अध्याय के नियमित पाठ करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होती है.

1089. मान सम्मान - नमक जब भी डिब्बे से निकाले चम्मच का प्रयोग करें उसे उँगलियों से नहीं निकाले. पुराने ज़माने में बड़े बूढ़े कहते थे कि यदि नमक गिराओगे तो आँखों की पलकों से उठाना पड़ेगा. जिस घर में नमक का निरादर होता है, नमक का नुकसान होता है या नमक का ज्यादा सेवन होता है तो वहाँ निवासियों को मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है.  उन्हें कभी भी समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता है. इस दोष से बचने के लिए आप लगातार 7 रविवार को 5 बादाम किसी धार्मिक स्थान में चढ़ाएं. रविवार को यथा संभव नमक का प्रयोग ना करें या सेंधा नमक का ही प्रयोग करें और एक समय मीठा भोजन ग्रहण करें.

1090. मान सम्मान - नहाते वक्त नीचे लिखी चीजों में से थोड़ी मात्रा में कोई भी एक चीज जल में डालकर नहाने से गुरु दोष शांति होती है और व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है. गुड़, सोने की कोई वस्तु ,हल्दी, शहद, शक्कर, नमक, मुलेठी, पीले फूल, सरसों.

1091. मान सम्मान - नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें. उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें . ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें . उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो.

1092. मान सम्मान - पक्षी को खिलाने से व्यापार-नौकरी में लाभ होता है, घर में खुशियां बढ़ती हैं और व्यक्ति समृद्धि के द्वार खोल देता है.

1093. मान सम्मान - महालक्ष्मी मंदिर में तीन झाड़ू, गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें.  ये दान किसी को बिना बताए करें. लाभ  होता है.

1094. मान सम्मान - यदि आप अपने करियर को लेकर चिंतित हैं तो श्रीगणेश की पूजा करने से आपको लाभ मिलेगा.

1095. मान सम्मान - यदि आप चाहते है कि आप जो भी काम कर रहे है आपको उसमे सफलता मिले आपको अपने काम से मान सम्मान की प्राप्ति हो तो आप अपने घर के दक्षिणी हिस्से में गमलो में ढ़ेर सारे लाल फूल लगाकर उनकी देखभाल करें.

1096. मान सम्मान - यदि आप चाहते हैं कि आपके कार्यों की सर्वत्र सराहना हो, लोग आपका सम्मान करें, आपकी यश कीर्ति बड़े तो रात को सोने से पूर्व अपने सिरहाने तांबे के बर्तन में जल भरकर रखें और प्रात:काल इस जल को अपने ऊपर से सात बार उसार करके किसी भी कांटे वाले पेड़ की जड़ में डाल दें.  ऐसा नियमित 40 दिन तक करने से आपको अवश्य ही लाभ मिलेगा.

1097. मान सम्मान - यदि आपकी कुंडली में मंगल खराब असर देने वाला सिद्ध हो रहा है, या नीच का हो या फिर कुंडली मांगलिक हो तो सफेद सुरमा आंखों में लगाएं.  इससे मंगल शुभ फल देने लगता है.

1098. मान सम्मान - यदि आपकी गलती ना होते हुए भी आप पर झूठा कलंक लग गया हो तो आप सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले एक सफ़ेद रुमाल में थोड़े से कोयले रखकर उसे किसी निर्जन स्थान पर रख आये और मन ही मन में भगवान श्री गणेश जी से अपने ऊपर लगे कलंक को दूर करने के लिए प्रार्थना करें. फिर हाथ जोड़कर लौट आये, पीछे मुड़कर ना देखे. घर पर आकर अपने हाथ पाँव अच्छी तरह से धो लें, इस उपाय को बिलकुल गोपनीय तरीके से करें.  ऐसा कम से कम 6 महीने तक माह में एक बार अवश्य ही करें.

1099. मान सम्मान - यदि आपको जीवन में मान सम्मान की चाह है तो आप नमक का कम से कम सेवन करें. यह भी ध्यान रहे कि आपके घर में नमक खुला ना पड़ा हो या इधर उधर गिरता ना हो.

1100. मान सम्मान - यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो काला कम्बल किसी गरीब को दान दें, 6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों , कुएं में दूध डालें-  उस कुएं में पानी होना चहिए.


आधी रात के बाद तक ही बनाएं शारीरिक संबंध आप अपने जीवनसाथी और जिस व्यक्ति के साथ आप अपने जीवन के बाकी खर्च करेगा को पूरा करने के लिए बनाया गया है. एक बार के आप अपने प्रेमी सच रखें आप अपने सभी काम बहुत ही सावधानीपूर्वक करना पसंद करते हैं. आप जिंदगी में एडवेंचर चाहते हैं, लेकिन सतर्कता के साथ. घर के मुख्य द्वार के बाहर मौजूद फायर हाईड्रेंट (अग्निशमन यंत्र) इस बात की ओर इशारा करता है कि आप संभावित खतरों के प्रति सचेत रहना पसंद करते हैं. आप कामदेव के शत्रु महादेव जी के द्वारा वन्दित, ब्रह्मा आदि देवताओं से सेवित, विशुद्ध ज्ञानमय विग्रह और समस्त दोषों को नष्ट करने वाले हैं. आप जल्द ही खुद को बोझिल महसूस करने लगते हैं, लेकिन आपमें सबसे अच्छी बात यही है कि आप आशावादी हैं और खुद को बेहतर स्थिति में ला पाने में सक्षम है. आपने जो कुछ पीछे छोड़ दिया, उसके बारे में सोचिए. बुरा समय कठिन था. आप जितने ज्यादा वक्त तक काम करेंगे, उतना खुद को आजाद पाएंगे. आप ढेर सारे पैसे कमाना चाहते हैं, लेकिन आप ये भी जानते हैं कि इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. घर के मुख्य द्वार से सीधे ऊपर जाती सीढ़ियां ये इशारा करती हैं कि आप में आगे बढ़ने और जीवन में कुछ बड़ा करने की ललक है. आप नितान्त सुन्दर श्याम, संसार (आवागमन) रूपी समुद्र को मथने के लिये मन्दराचल रूप, फूले हुए कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं. आप बुरे समय को पीछे छोड़ चुके हैं. फिर भी आपमें वो क्षमता है कि उजाले को पा सकें. वो दूर ही सही, लेकिन आप उस तक पहुंच सकते हैं. आप लाइफ में रिस्क लेने से नहीं डरते और ऊंचाई पाने की आपकी यही ललक आपको नए मुकाम तक ले जा सकती है. बस प्रयास करते रहिए, सफलता जल्द आपके कदम चूमेगी….. आप सरल स्वभाव के शांति प्रिय व्यक्ति हैं. आप अपना अधिकांश समय एकांत में बिताना पसंद करते हैं. आपको अपने करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ उठना-बैठना ज्यादा रास आता है. कुल मिलाकार आप ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के कथन में विश्वास रखते हैं. आप हमेशा जानते हैं कि अगला कदम क्या होगा. आप खुले तौर पर अपने विचार रखते हैं. आपके लिए हर दरवाजा, दरवाजा ही है जिससे आप गुजर सकते हैं. आपका भविष्य खुशहाल है, क्योंकि आप जानते हैं कि आपको ज़िंदगी में क्या चाहिए. संतोषी होने की प्रवृत्ति आपको ईर्ष्यालु होने से बचाती है और यही आपकी खुशहाली और तरक्की की वजह भी है. आपकी उत्सुकता और एडवेंचर पहचानने की कला आपको आगे ले जाएगी. आप जो करना चाहते हैं, उसे बस कर गुजरें. सही है या गलत, ये न सोचें. आपके लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है. आपके जीवन में उतार-चढ़ाव हैं लेकिन उनसे पार पाने का माद्दा भी आपके पास है. आपका अच्छा समय आने वाला है बस आपको अपने आस-पास के लोगों की सही पहचान करनी है. आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या हो और बिगड़े काम नहीं बन रहे हो तो ज्योतिषियों द्वारा बताए गए अद्भुत उपाय अपनाएं और बिगड़े काम बनाएं. विदेश यात्रा में अड़चन, उन्नति में रुकावट, धन प्राप्ति में कठिनाई, विवाह में विलंब आदि सभी तरह के कार्यों के समाधान के लिए यहां प्रस्तुत हैं ऐसे ही कुछ उपाय या टोटके जिसको करने से सभी तरह की सम्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है. आपने अक्सर देखा होगा कि आम-अशोक है खास : हिन्दू धर्म में जब भी कोई मांगलिक कार्य होते हैं तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम या अशोक के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव के माहौल को धार्मिक और वातावरण को शुद्ध किया जाता है. अक्सर धार्मिक पंडाल और मंडपों में सजावट के लिए आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. आम या अशोक के पत्ते से सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होकर वातावरण शुद्ध होता है. आम के वृक्ष की हजारों किस्में हैं और इसमें जो फल लगता है वह दुनियाभर में प्रसिद्ध है. आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं. आमदनी बढ़ाने के लिए आमने-सामने रखी मूर्तियां आयुर्वेद के अनुसार इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है कि गर्भ के सातवें मास तक सेक्स किया जा सकता है, लेकिन सावधानीपूर्वक. आयुर्वेद का मानना है कि यदि गर्भ में लड़का है तो स्त्री की संभोग की इच्छा नहीं होगी या कम होगी. साथ ही यदि गर्भ में लड़की है तो स्त्री को संभोग की इच्छा बनी रहेगी. आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन का कारण हो सकता है. यूँ तो बन्ध्यत्व के कई कारण हो सकते हैं पर मुख्यतः स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का होता है- आयुर्वेद ने स्तनों की उत्तमता को यूं कहा है- स्तन अधिक ऊंचे न हों, अधिक लम्बे न हों, अधिक कृश (मांसरहित) न हों, अधिक मोटे न हों. स्तनों के चुचुक (निप्पल) उचित रूप से ऊंचे उठे हुए हों, ताकि बच्चा भलीभांति मुंह में लेकर सुखपूर्वक दूध पी सके, ऐसे स्तन उत्तम (स्तन सम्पत्‌) माने गए हैं. आयुर्वेद में बताया गया है कि कम उम्र के बच्चों और ज्यादा उम्र के पुरुषों को वाजीकरण औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए. इनका सेवन लगभग 16 से 50 साल तक की उम्र के लोगों को करना चाहिए. क्योंकि यही उम्र सेक्स करने के लिए सबसे ज्यादा अच्छा होता है. 16 साल से कम उम्र में या 50 साल से ज्यादा की उम्र में सेक्स करना बेकार होता है क्योंकि बाल्यकाल (युवावस्था से पहले की उम्र) में शरीर की धातुएं (वीर्य, शुक्राणु) पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं और अगर ऐसे में वह स्त्री के साथ संभोग क्रिया करता है तो वह उसके लिए व्यर्थ ही होता है और कभी-कभी हानिकारक भी हो जाता है. आयुर्वेदिक उपचार : अरंडी के पत्ते, घीग्वार (ग्वारपाठा) की जड़, इन्द्रायन की जड़, गोरखमुंडी एक छोटी कटोरी, सब 50-50 ग्राम. पीपल वृक्ष की अन्तरछाल, केले का पंचांग (फूल, पत्ते, तना, फल व जड़) , सहिजन के पत्ते, अनार की जड़ और अनार के छिलके, खम्भारी की अन्तरछाल, कूठ और कनेर की जड़, सब 10-10 ग्राम. सरसों व तिल का तेल 250-250 मिलीग्राम तथा शुद्ध कपूर 15 ग्राम. यह सभी आयुर्वेद औषधि की दुकान पर मिल आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी में हम अभी तक विभिन्न रोगों की दवाएँ बता चुके हैं. इसी कड़ी के अंतर्गत स्त्री संबंधी तथा पुरुष संबंधी रोगों में उपयोगी दवाओं की जानकारी दे रहे हैं. आरती में लौंग : आर्थिक तंगी दूर करने के लिए हनुमानजी के सामने करें 11 पीपल के पत्तों का यह उपाय आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए - आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए : इंद्रिय संयम – इंसान सादगी और मितव्ययता से रहे यह प्रशंसनीय है. किंतु सादगी और दरिद्रता तथा मितव्ययता और कंजूसी में फर्क बना रहे यह इन 6 बातों में पहला काम है इन उपायों से धन, संपत्ति, विवाह और भाग्य संबंधी बाधाएं दूर हो सकती हैं. इन उपायों से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी के पत्ते- इन नियमों का पालन करने से आपको समाज में मान सम्मान मिलना शुरू हो जायेगा. इन पांच को खाना खिलाएं- इन बातों का भी सदा रखे ध्यान इन वास्तु शास्त्र टिप्स से बनाये अपनी पढ़ाई बेहतर इस ग्रन्थ में मानव मस्तिष्क के 42 प्रभागों को जन्म कुंडली के विभिन्न घरों से संबंधित कर दिया गया है. हस्तरेखा के सिधान्तो और व्यक्ति की जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति से व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओ का बताया जा सकता है. इस टोटके इस तरह कर सकते है वास्तुदोष का अंत इस तरह यह कुछ सरल और प्रभावशाली टोटके हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता. ध्यान रहें, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं. इस दिशा में घड़ी लगाना है शुभ- इस दिशा में न रखें इस दिशा में न लगाएं घडी- इस दोष से बचने के लिए आप लगातार 7 रविवार को 5 बादाम किसी धार्मिक स्थान में चढ़ाएं. रविवार को यथा संभव नमक का प्रयोग ना करें या सेंधा नमक का ही प्रयोग करे और एक समय मीठा भोजन ग्रहण करें. इस प्रकार की हास्यास्पद स्थिति से बचने व बीमारी का इलाज करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार यहां दिए जा रहे हैं- इस प्रकार बन्ध्यत्व को दो भागों में बाँटा जा सकता है, एक तो पूर्ण रूप से बन्ध्यत्व होना, जिसका कोई इलाज न हो सके और दूसरा अपूर्ण बन्ध्यत्व होना, जिसे उचित चिकित्सा द्वारा दूर किया जा सके. किसी होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें या निम्नलिखित दवाई का प्रयोग करें- इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें. यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं. इस विधि का गलत प्रयोग न करें. इस व्याधि में योनि मार्ग पर लाल दाने और दाह भी हो सकता है. यह व्याधि आमतौर पर स्त्रियों में पाई जा रही है. इस श्लोक में 6 बातें बताई गई हैं, जिनका ध्यान दैनिक जीवन में रखने पर सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो सकती हैं. इस श्लोक में दूसरी बात बताई गई है इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि तुलसी के पत्ते और गंगाजल कभी बासी नहीं माने जाते हैं, अत: इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है. शेष सामग्री ताजी ही उपयोग करनी चाहिए. यदि कोई फूल सूंघा हुआ है या खराब है तो वह भगवान को अर्पित न करें. इसका सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर उनकी सेवा करता है. उसकी उम्र, विद्या,ज्ञान यश और शक्ति लगातार बढ़ती जाती है. इसके अतिरिक्त आज कल की संस्कृति, तेजी से बढ़ते टी वी , इन्टरनेट के चलन, बढ़ते भौतिकवाद के कारण भी नव दम्पति अपनी एक अलग ही रूमानी दुनिया का सृजन कर लेते है जिसके कारण भी कई बार टकराव होने लगता है. इसके अलावा युवतियों की एक समस्या और है- बेडौल, ज्यादा बड़े आकार के व शिथिल स्तन होना. इसके कारण हैं शरीर का मोटा होना, चर्बी ज्यादा होना, ज्यादा मात्रा में भोजन करना, मीठे व गरिष्ठ पदार्थों का सेवन, सुबह ज्यादा देर तक सोना, दिन में अधिक देर तक सोना आदि. मानसिक कारणों में एक कारण और है- कामुक विचारों का चिंतन करना, अश्लील साहित्य या चित्रों का अवलोकन, हमउम्र सहेलियों से इसके अलावा स्त्री के प्रजनन अंग का आंशिक या पूर्णतः विकसित न होना यानी योनि या गर्भाशय का अभाव, डिंबवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में दोष होना, पुरुष शुक्राणुहीनता के कारण गर्भ धारण न कर पाना, श्वेत प्रदर, गर्भाशय ग्रीवा शोथ, योनि शोथ, टीबी आदि कारणों से योनिगत स्राव क्षारीय हो जाता है, जिसके संपर्क में आने पर शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं व गर्भ नहीं ठहर पाता. इसलिए यदि आप चाहते हैं कि घर पर हमेशा लक्ष्मी मेहरबान रहे तो इस बात का ध्यान रखें कि किचन में जूठन न रखें व खाना भगवान को अर्पित करने के बाद ही जूठा करें. साथ ही, घर में किसी तरह की गंदगी जाले आदि न रहे. इसका खास ख्याल रखें. इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी इससे न केवल इससे पता चलता है कि आप निश्चित तौर पर उत्सुक स्वभाव के हैं, लेकिन कभी-कभी यह उत्सुकता नुकसान पहुंचा जाती है. आपके स्वभाव में उत्सुकता और सावधानी के बीच बड़ा अंतर है और आप इसे बेहतर ढंग से जानते हैं. आप अप्रत्याशित रूप से खतरा उठाने में सक्षम है, लेकिन ऐसी स्थिति में आपको नतीजों की भी फिक्र करनी चाहिए. इसी तरह जो बहु अपने सास ससुर की अपने माता पिता के तरह सेवा करती है उसके स्वयं के माता पिता को कोई भी कष्ट नहीं उठाना पड़ता है. उनका बुढ़ापा बहुत आसानी से हँस खेल कर कट जाता है. इसी तरह से 50 साल की उम्र अर्थात वृद्धावस्था में शरीर की सारी धातुएं (वीर्य, शुक्राणु) कमजोर हो जाती हैं. कमजोर शरीर वाला, कमजोर हड्डियों वाला व्यक्ति अगर किसी स्त्री के साथ संभोग करने में लग जाता है तो वह इसमें कुछ पाने के बजाय अपने शरीर का नाश करवा लेता है. रसायन औषधि के सेवन से जहां नए यौवन की प्राप्ति होती है वही वाजीकरण औषधियों के सेवन से यौनसुख मिलता है. जिस व्यक्ति का मन उसके वश में रहता है वह हमेशा वाजीकरण औषधि का सेवन कर सकता है. इसे भी पढ़े: ताजमहल और इसके साथ जुड़े 12 रोचक तथ्य इसे भी पढ़े:साहित्य के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन पर उनसे जुडी 5 बातें ईश्वर हर जगह नहीं हो सकता, इसलिए उसने मां बनाई... यह कहावत जितनी सच है, उतना ही बड़ा सच यह भी है कि किसी महिला को मां के दर्जे तक पहुंचाने वाले नौ महीने बेशकीमती होते हैं. इन नौ महीनों में वह क्या सोचती है, क्या खाती है, क्या करती है, क्या पढ़ती है, ये तमाम चीजें मिलकर आनेवाले बच्चे की सेहत और पर्सनैलिटी तय करती हैं. इन नौ महीनों को अच्छी तरह प्लान करके कैसे मां एक सेहतमंद जिंदगी को जीवन दे सकती है. उठे हुए बनाया जा सकता है. उत्तर : आप गम्भारी की छाल 50 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब महीन बारीक चूर्ण कर लें. इसे जैतून के तेल में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें. इसे सुबह नहाने से पहले स्तनों पर लगाकर मालिश करें. रात को सोते समय लेप कर मालिश करें और सुबह स्नान करते समय धो लें. यदि शरीर दुबला पतला हो तो पौष्टिक आहार लें. 3-4 माह में स्तनों का आकार सुडौल और पुष्ट हो जाएगा. उत्तर : आप यह प्रयोग करें- वीर्यशोधन वटी, दिव्य रसायन वटी, एडीजुआ और पुष्पधन्वा रस. चारों 1-1 गोली सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लें. इसके साथ दो दवाएँ होम्‍ियोपैथी की भी लेनी हैं. सप्ताह में एक दिन कोनियम 200 की 6-7 गोली मुंह में डालकर चूस लें. सिर्फ एक ही बार लें. सप्ताह के शेष छह दिन तक डेमियाना टरनेरा मदद टिंचर की 10-15 बूंद आधा कप पानी में डालकर सुबह-शाम पिएँ. जिस दिन कोनियम 200 लें उस उत्तर : ऋतुकाल तो पहले दिन से ही माना जाता है, जो कि 16 दिन का होता है, लेकिन गर्भाधान और सहवास के लिए सातवीं रात्रि से लेकर ऋतुकाल के अंतिम सोलहवें दिन तक की कुल 13 रात्रियाँ सेवन योग्य होती हैं. 16वीं रात्रि को गर्भाशय का मुँह बंद होने की संभावना भी रहती है, इसलिए 16वीं रात्रि को उपयोग में लेने का निर्देश नहीं दिया जाता, वरना यह रात्रि भी पुत्र प्राप्ति के लिए उपयोगी मानी गई है. उत्तेजना पर ध्यान- उन (आप) को जो एक (अद्वितीय), अद्भूत (मायिक जगत् में विलक्षण), प्रभु (सर्वसमर्थ), इच्छारहित, ईश्वर (सबके स्वामी), व्यापक, जगद्गुरू, सनातन (नित्य), तुरीय (तीनों गुणों से सर्वथा परे) और केवल (अपने स्वरूप में स्थित) हैं. उनके दिल में रहना है तो .

Thursday, October 6, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 0901. - 1000.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.

0901. प‌ितृपक्ष  - यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है जब तक भोजन कराकर वस्त्र और दक्षिणा नहीं दी जाती उसका फल नहीं मिलता.

0902. प‌ितृपक्ष  - रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं.  आसन में लोहा किसी भी रूप में प्रयुक्त नहीं होना चाहिए.

0903. प‌ितृपक्ष  - वस्त्र दान देना श्राद्ध का मुख्य लक्ष्य भी है.

0904. प‌ितृपक्ष  - शुक्लपक्ष में, रात्रि में, युग्म दिनों (एक ही दिन दो तिथियों का योग)में तथा अपने जन्मदिन पर कभी श्राद्ध नहीं करना चाहिए.  धर्म ग्रंथों के अनुसार सायंकाल का समय राक्षसों के लिए होता है, यह समय सभी कार्यों के लिए निंदित है.  अत: शाम के समय भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए.

0905. प‌ितृपक्ष  - श्राद्ध करते समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदरपूर्वक भोजन करवाना चाहिए.  जो व्यक्ति ऐसे समय में घर आए याचक को भगा देता है उसका श्राद्ध कर्म पूर्ण नहीं माना जाता और उसका फल भी नष्ट हो जाता है.

0906. प‌ितृपक्ष  - स्वर्ण और नए वस्‍त्रों की खरीदारी नहीं करनी चाह‌िए.  ऐसा इसल‌िए माना जाता है क्योंक‌ि प‌ितृपक्ष उत्सव का नहीं बल्क‌ि एक तरह से शोक व्यक्त करने का समय होता है उनके प्रत‌ि जो अब हमारे बीच नहीं रहे.

0907. पीपल - के प्रत्येक तत्व जैसे छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा एवं कोंपल तथा लाख सभी प्रकार की आधि-व्याधियों के निदान में काम आते हैं.  हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में पीपल को अमृततुल्य माना गया है.  सर्वाधिक ऑक्सीजन नि:सृत करने के कारण इसे प्राणवायु का भंडार कहा जाता है.  सबसे अधिक ऑक्सीजन का सृजन और विषैली गैसों को आत्मसात करने की इसमें अकूत क्षमता है.

0908. पीपल - के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें.  फिर वापस घर आ जाएँ एवं पीछे मुड़कर न देखें. धन लाभ होगा.

0909. पीपल - के वृक्ष की पूजा करें व दीपक लगाएं.  आपके घर में तनाव नहीं होगा और धन लाभ भी होगा.

0910. पीपल - के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं.  ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें.  बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा.

0911. पीपल - के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें. लाभ होगा.

0912. पीपल - के वृक्ष पर प्रतिदिन जल अर्पित करने और हनुमान चालीसा पढ़ने से पितृदोष का शमन होता है.  पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है.

0913. पीपल - के वृक्ष में जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें और घर से बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाए. घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें. लाभ होगा.

0914. पीपल और वटवृक्ष की परिक्रमा का विधान है.  स्कंद पुराण में वर्णित पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास है.  पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है.  इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है तथा तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है.  इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है.

0915. पूजन  - कर्म में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए.  ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है.

0916. पूजन  - किसी भी मंदिर में या हमारे घर में जब भी पूजन कर्म होते हैं तो वहां कुछ मंत्रों का जप अनिवार्य रूप से किया जाता है. लेकिन जब भी आरती पूर्ण होती है तो यह मंत्र विशेष रूप से बोला जाता है- कपूरगौरं मंत्र  "कपूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्.  सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि. . " अर्थ : - कपूरगौरं- कपूर के समान गौर वर्ण वाले.  करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं.  संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं.  भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं.   सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है.  मंत्र का पूरा अर्थ- जो कपूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है.

0917. पूजन  - के लिए ऐसे चावल का उपयोग करना चाहिए जो अखंडित (पूरे चावल) हो यानी टूटे हुए ना हो.  चावल चढ़ाने से पहले इन्हें हल्दी से पीला करना बहुत शुभ माना गया है.  इसके लिए थोड़े से पानी में हल्दी घोल लें और उस घोल में चावल को डूबोकर पीला किया जा सकता है.

0918. पूजन  - के समय घंटी अवश्य बजाएं, साथ ही एक बार पूरे घर में घूमकर भी घंटी बजानी चाहिए.  ऐसा करने पर घंटी की आवाज से नकारात्मकता नष्ट होती है और सकारात्मकता बढ़ती है.

0919. पूजन  - गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि का दाता माना गया है.  इनकी पीठ के दर्शन करना वर्जित किया गया है.  गणेशजी के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े अंग निवास करते हैं.  गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है.  गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है. ऐसा माना जाता है श्रीगणेश की पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है.  गणेशजी की पीठ के दर्शन करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है.  इसी वजह से इनकी पीठ नहीं देखना चाहिए.  जाने-अनजाने पीठ देख ले तो श्री गणेश से क्षमा याचना कर उनका पूजन करें.  तब बुरा प्रभाव नष्ट होगा.

0920. पूजन  - गीले कपड़ों में करनी चाह‌िए धार्मिक स्थलों की परिक्रमा. अगर आप ज्यादा फायदा उठाना चाहते हैं तो आपके बाल गीले होने चाहिए.  इसी तरह और ज्यादा फायदा उठाने के लिए आपके कपड़े भी गीले होने चाहिए. पहले हर मंदिर में एक जल कुंड जरूर होता था, जिसे आमतौर पर कल्याणी कहा जाता था.  ऐसी मान्यता है कि पहले आपको कल्याणी में एक डुबकी लगानी चाहिए और फिर गीले कपड़ों में मंदिर भ्रमण करना चाहिए, जिससे आप उस प्रतिष्ठित जगह की ऊर्जा को सबसे अच्छे तरीके से ग्रहण कर सकें.

0921. पूजन  - घर के मंदिर के आसपास शौचालय होना भी अशुभ रहता है.  अत: ऐसे स्थान पर पूजन कक्ष बनाएं, जहां आसपास शौचालय न हो.

0922. पूजन  - घर के मंदिर में ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए.  शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि यदि हम मंदिर में शिवलिंग रखना चाहते हैं तो शिवलिंग हमारे अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए.  शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है और इसी वजह से घर के मंदिर में छोटा सा शिवलिंग रखना शुभ होता है.  अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी छोटे आकार की ही रखनी चाहिए.  अधिक बड़ी मूर्तियां बड़े मंदिरों के लिए श्रेष्ठ रहती हैं, लेकिन घर के छोटे मंदिर के लिए छोटे-छोटे आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं.

0923. पूजन  - घर में जिस स्थान पर मंदिर है, वहां चमड़े से बनी चीजें, जूते-चप्पल नहीं ले जाना चाहिए.

0924. पूजन  - घर में पूजा करने वाले व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होगा तो बहुत शुभ रहता है.  इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.  यदि यह संभव ना हो तो पूजा करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होगा तब भी श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं.

0925. पूजन  - घर में पूजा स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या भारी चीज न रखें.

0926. पूजन  - घर में मंदिर ऐसे स्थान पर बनाया जाना चाहिए, जहां दिनभर में कभी भी कुछ देर के लिए सूर्य की रोशनी अवश्य पहुंचती हो.  जिन घरों में सूर्य की रोशनी और ताजी हवा आती रहती है, उन घरों के कई दोष स्वतः: ही शांत हो जाते हैं.  सूर्य की रोशनी से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है.

0927. पूजन  - घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए.  इन सभी की पूरी जानकारी किसी ब्राह्मण (पंडित) से प्राप्त की जा सकती है.

0928. पूजन  - घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग किया जाना चाहिए.  जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ बताई गई है.

0929. पूजन  - तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है.  इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है.

0930. पूजन  - तुलसी के बिना ईश्वर की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती.  तुलसी की मंजरी सब फूलों से बढ़कर मानी जाती है.  मंगल, शुक्र, रवि, अमावस्या, पूर्णिमा, द्वादशी और रात्रि और संध्या काल में तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए. तुलसी तोड़ते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि उसमें पत्तियों का रहना भी आवश्यक है.

0931. पूजन  - दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाना चाहिए.  कभी-कभी भगवान की प्रतिमा के सामने दीपक न लगाकर इधर-उधर लगा दिया जाता है, जबकि यह सही नहीं है.

0932. पूजन  - देवी-देवताओं को हार-फूल, पत्तियां आदि अर्पित करने से पहले एक बार साफ पानी से अवश्य धो लेना चाहिए.

0933. पूजन  - पूजन कक्ष में पूजा से संबंधित सामग्री ही रखना चाहिए.  अन्य कोई वस्तु रखने से बचना चाहिए.

0934. पूजन  - पूजन में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए.  धार्मिक कार्यों में खंडित सामग्री शुभ नहीं मानी जाती है.

0935. पूजन  - पूजन स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें.  चप्पल पहनकर कोई मंदिर तक नहीं जाना चाहिए.  चमड़े का बेल्ट या पर्स अपने पास रखकर पूजा न करें.  पूजन स्थल पर कचरा इत्यादि न जमा हो पाए.

0936. पूजन  - पूजा में बासी फूल, पत्ते अर्पित नहीं करना चाहिए.  स्वच्छ और ताजे जल का ही उपयोग करें.

0937. पूजन  - पूर्वजों के चित्र लगाने के लिए दक्षिण दिशा क्षेत्र रहती है.  घर में दक्षिण दिशा की दीवार पर मृतकों के चित्र लगाए जा सकते हैं, लेकिन मंदिर में नहीं रखना चाहिए.

0938. पूजन  - भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का रेशमी कपड़ा चढ़ाना चाहिए.  माता दुर्गा, सूर्यदेव व श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग का, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सफेद वस्त्र अर्पित करना चाहिए.

0939. पूजन  - भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही शंख से जल चढ़ाना चाहिए (शिव ने शंखचूड़ को अपने त्रिशुल से भस्म कर दिया और उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ.  चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अत: लक्ष्मी-विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है.  परंतु शिव ने चूंकि उसका वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है.  इसी वजह से शिवजी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है)

0940. पूजन  - भगवान सूर्य की 7, श्रीगणेश की 3, विष्णुजी की 4 और शिवजी की 1/2 परिक्रमा करनी चाहिए.

0941. पूजन  - में कुल देवता, कुल देवी, घर के वास्तु देवता, ग्राम देवता आदि का ध्यान करना भी आवश्यक है.

0942. पूजन  - में पान का पत्ता भी रखना चाहिए.  ध्यान रखें पान के पत्ते के साथ इलाइची, लौंग, गुलकंद आदि भी चढ़ाना चाहिए.  पूरा बना हुआ पान चढ़ाएंगे तो श्रेष्ठ रहेगा.

0943. पूजन  - में भगवान  का आवाहन (आमंत्रित करना) करना, ध्यान करना, आसन देना, स्नान करवाना, धूप-दीप जलाना, अक्षत (चावल), कुमकुम, चंदन, पुष्प (फूल), प्रसाद आदि अनिवार्य रूप से होना चाहिए.

0944. पूजन  - में हम जिस आसन पर बैठते हैं, उसे पैरों से इधर-उधर खिसकाना नहीं चाहिए.  आसन को हाथों से ही खिसकाना चाहिए.

0945. पूजन  - यदि आप प्रतिदिन घी का एक दीपक भी घर में जलाएंगे तो घर के कई वास्तु दोष भी दूर हो जाएंगे.

0946. पूजन  - यदि किसी छोटे कमरे में पूजा स्थल बनाया गया है तो वहां कुछ स्थान खुला होना चाहिए, जहां आसानी से बैठा जा सके.

0947. पूजन  - रोज रात को सोने से पहले मंदिर को पर्दे से ढंक देना चाहिए.  जिस प्रकार हम सोते समय किसी प्रकार का व्यवधान पसंद नहीं करते हैं, ठीक उसी भाव से मंदिर पर भी पर्दा ढंक देना चाहिए.  जिससे भगवान के विश्राम में बाधा उत्पन्न ना हो.

0948. पूजन  - वर्षभर में जब भी श्रेष्ठ मुहूर्त आते हैं, तब पूरे घर में गौमूत्र का छिड़काव करना चाहिए.  गौमूत्र के छिड़काव से पवित्रता बनी रहती है और वातावरण सकारात्मक हो जाता है.  शास्त्रों के अनुसार गौमूत्र बहुत चमत्कारी होता है और इस उपाय घर पर दैवीय शक्तियों की विशेष कृपा होती है.

0949. पूजन  - शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित की गई है.  जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है, उसे पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए और किसी पवित्र बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.  खंडित मूर्तियों की पूजा अशुभ मानी गई है.  इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ शिवलिंग कभी भी, किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता है.

0950. पूजन  - शिवजी को बिल्व पत्र अवश्य चढ़ाएं और किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए अपनी इच्छा के अनुसार भगवान को दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए, दान करना चाहिए.  दक्षिणा अर्पित करते समय अपने दोषों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.  दोषों को जल्दी से जल्दी छोड़ने पर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी.

0951. पूजन  - शिवलिंग का पूजन किसी भी दिशा से किया जा सकता है लेकिन पूजन करते वक्त भक्त का मुंह उत्तर दिशा की ओर हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

0952. पूजन  - सदैव दाएं हाथ की अनामिका एवं अंगूठे की सहायता से फूल अर्पित करने चाहिए.  चढ़े हुए फूल को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारना चाहिए.  फूल की कलियों को चढ़ाना मना है, किंतु यह नियम कमल के फूल पर लागू नहीं है.

0953. पूजन  - सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए.  प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए.  इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है

0954. पूजा -  अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलते हैं, वे रोगी होते हैं.

0955. पूजा -  अपने मंदिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार,काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियां न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरंत हटा दें.  शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित की गई है.  जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है, उसे पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए और किसी पवित्र बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.  खंडित मूर्तियों की पूजा अशुभ मानी गई है.  इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ शिवलिंग कभी भी, किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता है.

0956. पूजा -  आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है.  ऐसा नहीं करना चाहिए.  फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए.

0957. पूजा -  किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए.  दक्षिणा अर्पित करते समय अपने दोषों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.  दोषों को जल्दी से जल्दी छोड़ने पर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी.

0958. पूजा -  केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए.

0959. पूजा -  गणेश या देवी की प्रतिमा तीन तीन, शिवलिंग दो,शालिग्राम दो,सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें.

0960. पूजा -  घर के मंदिर में सुबह एवं शाम को दीपक अवश्य जलाएं.  एक दीपक घी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए.

0961. पूजा -  घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें .

0962. पूजा -  तांबे के बर्तन में चंदन, घिसा हुआ चंदन या चंदन का पानी नहीं रखना चाहिए.

0963. पूजा -  तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए.  शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं.  तुलसी तोड़ने का मन्त्र (BASIL TULSI TODNE KA MANTRA) ॐ सुभद्राय नमः. ॐ सुप्रभाय नमः.  मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी. नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमो5स्तुते..

0964. पूजा -  तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है.  इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है.

0965. पूजा -  दूर्वा (एक प्रकार की घास) रविवार को नहीं तोडऩी चाहिए.

0966. पूजा -  पीपल मे जल देने का मन्त्र. कुलानामयुतं तेन तारितं नात्र संशयः.  यो5श्वत्थमूलमासिंचेत्तोयेन बहुना सदा..

0967. पूजा -  पूजन-कर्म और आरती पूर्ण होने के बाद उसी स्थान पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएं अवश्य करनी चाहिए.

0968. पूजा -  पूजा करते समय आसन के लिए ध्यान रखें कि बैठने का आसन ऊनी होगा तो श्रेष्ठ रहेगा.

0969. पूजा -  पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर करनी चाहिए.  यदि संभव हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में पूजा अवश्य करें.

0970. पूजा -  पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी,सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिए.

0971. पूजा -  प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए.  अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम और लोहे से बने बर्तन.  गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है.

0972. पूजा -  बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए.

0973. पूजा -  मंदिर और देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ दिखाकर नहीं बैठना चाहिए.

0974. पूजा -  मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता –पिता तथा पित्रों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें,उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें.

0975. पूजा -  मां दुर्गा को दूर्वा (एक प्रकार की घास) नहीं चढ़ानी चाहिए.  यह गणेशजी को विशेष रूप से अर्पित की जाती है.

0976. पूजा -  मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है.  इस फूल को पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन:  चढ़ा सकते हैं.

0977. पूजा -  रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए.

0978. पूजा -  विष्णु की चार, गणेश की तीन,सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं.

0979. पूजा -  शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना चाहिए.  सुबह 5-6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में पूजन और आरती होनी चाहिए.  इसके बाद प्रात: 9-10 बजे तक दूसरी बार का पूजन.  दोपहर 1-2 में तीसरी बार पूजन करना चाहिए.  इस पूजन के बाद भगवान को शयन करवाना चाहिए.  शाम के समय 4-5 बजे पुन: पूजन और आरती.  रात को 8-9 बजे शयन आरती करनी चाहिए.  जिन घरों में नियमित रूप से पांच बार पूजन किया जाता है, वहां सभी देवी-देवताओं का वास होता है और ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है.

0980. पूजा -  शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं.  अत: इन्हें जल छिड़क कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है.

0981. पूजा -  शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.

0982. पूजा -  सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.

0983. पूजा -  सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए.  प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए.  इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है.

0984. पूजा -  स्त्रियों को और अपवित्र अवस्था में पुरुषों को शंख नहीं बजाना चाहिए.  यह इस नियम का पालन नहीं किया जाता है तो जहां शंख बजाया जाता है, वहां से देवी लक्ष्मी चली जाती हैं.

0985. पूजा -  हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए.

0986. पूर्णिमा - अपने घर के मंदिर में प्रेम, शुभता और धन लाभ के लिए श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख आदि माता लक्ष्मी की प्रिय इन दिव्य वस्तुओं को अवश्य ही स्थान देना चाहिए. इनको साबुत अक्षत के ऊपर स्थापित करना चाहिए और हर पूर्णिमा को इन चावलों को जिनको आसान के रूप में स्थान दिया गया है उन्हें अवश्य ही बदल कर नए चावल रख देना चाहिए. पुराने चावलों को किसी वृक्ष के नीचे अथवा बहते हुए पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए.

0987. पूर्णिमा - की रात में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें अर्थात चन्द्रमा को लगातार देखें इससे नेत्रों की ज्योति तेज होती है एवं पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा की रौशनी में सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति बढती है.

0988. पूर्णिमा - के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए.  इस दिन जुए, शराब आदि नशे और क्रोध एवं हिंसा से भी दूर रहना चाहिए. इस दिन बड़े बुजुर्ग अथवा किसी भी स्त्री से भूलकर भी अपशब्द ना बोलें.

0989. पूर्णिमा - के दिन चन्द्रमा की चाँदनी सभी मनुष्यों के लिए अत्यंत लाभदायक है.

0990. पूर्णिमा - के दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए. इत्र की शीशी खोलकर माता के वस्त्र पर वह इत्र छिड़क दें , उस अगरबत्ती के पैकेट से भी कुछ अगरबत्ती निकल कर जला दें फिर धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें.

0991. पूर्णिमा - के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें. अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें.  इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी नहीं होती है.  इसके पश्चात प्रत्येक पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुन: हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे.  आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी.

0992. पूर्णिमा - के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बेलपत्र, शमीपत्र और फल चढ़ाने से भगवान शिव की जातक पर सदैव कृपा बनी रहती है. पूर्णिमा के दिन घिसे हुए सफ़ेद चंदन में केसर मिलाकर भगवान शंकर को अर्पित करने से घर से कलह और अशांति दूर होती है.

0993. पूर्णिमा - को चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर ,बनाकर माँ लक्ष्मी को उसका भोग लगाएं फिर उसे प्रशाद के रूप में वितरित करे, धन आगमन का मार्ग बनेगा.

0994. पूर्णिमा - जिस भी व्यक्ति को जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ”ॐ ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम: " या ” ॐ ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:. मन्त्र का जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए. इससे धीरे धीरे उसकी आर्थिक समस्याओं का निराकरण होता है.

0995. पूर्णिमा - प्रत्येक पूर्णिमा पर सुबह के समय घर के मुख्य दरवाज़े पर आम के ताजे पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य ही बांधें, इससे भी घर में शुभता का वातावरण बनता है.

0996. पूर्णिमा - यदि चन्द्रमा का प्रकाश गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है अत: गर्भवती स्त्रियों को तो विशेष रूप से कुछ देर अवश्य ही चन्द्रमा की चाँदनी में रहना चाहिए.

0997. पूर्णिमा - लम्बे और प्रेम से भरे दाम्पत्य जीवन के लिए पूर्णिमा और अमावस्या को जातक को शारीरिक सम्बन्ध बिलकुल भी नहीं बनाना चाहिए.

0998. पूर्णिमा - वैसे तो सभी पूर्णिमा का महत्व है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि अति विशेष मानी जाती है.

0999. पूर्णिमा - शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह लगभग 10 बजे पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है.  कहते है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करके धूप अगरबत्ती जला कर मां लक्ष्मी का पूजन करें और माता लक्ष्मी को अपने घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें तो उस जातक पर लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है.

1000. पूर्णिमा - सफल दाम्पत्य जीवन के लिए प्रत्येक पूर्णिमा को पति पत्नी में कोई भी चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही दें ( दोनों एक साथ भी दे सकते है) , इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है.

Vashikarn Hone Ke Sanket Aur Vashikaran Khatam Karne Ke Upay : वशीकरण करना या किसी व्यक्ति को अपने नियंत्रण में करना बहुत मुश्किल काम है। सभी चाहते हैं कि सभी लोग उनकी बात सुने, उनके वश में रहे लेकिन ऐसा संभव नहीं होता है। यही कारण है कि कुछ लोग दूसरे को वश में करने के लिए तंत्र-मंत्र या जादू-टोने का सहारा लेते हैं। ऐसे में अभिचार कर्म करने वाला अपनी नकारात्मक ऊर्जा से सामने वाले को नुकसान पहुंचाने के साथ ही उसे अपने वश में कर लेता है। यदि आपको भी लगता है कि आप पर या आपके किसी अपने पर वशीकरण प्रयोग हुआ है तो यहां बताए गए संकेतों से इसका पता लगा सकते हैं व इन उपायों से वशीकरण के प्रभाव को खत्म भी कर सकते हैं…. totkey tricks and totkes for your happy life vashikaran for Ex love back what-women-wantअगर पुरुष अपने साथी के साथ एक अच्छा रिश्ता कायम रखना चाहते हैं तो उनके लिए यह ज़रुरी हो जाता है कि वह महिलाओं की इच्छाओं और चाहतों को जानें. उन्हें मालूम होना चाहिए कि महिलाओं को क्या अच्छा लगता है. इसके अलावा पुरुष को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि महिलाएं कभी भी उनसे अपनी इच्छाएं ज़ाहिर Older Entries अकसर परिवारों में सास-बहू, भाई-बहन, भाभी, माता-पिता के टकरावों के बारें में हम सुनते है. किसी परिचित परिवार में यदि ऐसा अलगाव दिखता है तो मन में बहुत दुःख होता है.किसी का वश नहीं चलता हम अपने ही सामने अपने मित्र या सम्बन्धी व रिश्तेदार का परिवार जो कुछ समय पहले शांत तथा मिलजुल के रहने वाला था किन्तु आज पल भर में ही बिखर गया.इसमें किस की गलती है या किस की नहीं यह तो सोचने से बाहर की बात हो गयी चाहे कुछ हो एक घर जो बड़ी मुश्किलों से बनता है आज उसे हम बिखरता हुआ देख रहे है. अगर आपको किसी भी कारणवश कोइ कार्य अपनी इच्छा के विपरीत करना पड़ रहा हो तो आप भगवान की आरती करते समय एक कपूर और एक फूल वाली लौंग एक साथ जलाकर आरती के बाद प्रभु से निवेदन करे कि आपकी इच्छा के विरुद्ध कार्य ना हो और उसे ( कपूर और लौंग ) दो-तीन दिन में थोड़ी-थोड़ी खा लें. इससे आपकी इच्छा के विपरीत कार्य होना बंद हो जाएगा. अगर बहु का व्यवहार अच्छा है तो वह अपनी सास और उनकी सास के साथ आसानी से वैतरणी को पार कर लेती है अन्यथा उसे घोर कष्ट मिलते है. अगर मां को हाइपरटेंशन है तो बच्चे की ग्रोथ कम हो सकती है और वह काफी कमजोर हो सकता है. प्री-मच्योर डिलिवरी की आशंका भी बढ़ जाती है. अगले पन्ने पर दूसरा उपाय.. अग्निहोत्र कर्म करें : अचूक टोटके भाग्यवान और धनवान बनने हेतु अचूक टोटके भाग्यवान और धनवान बनने हेतु अच्छा विचार और व्यवहार. संदेश है कि अच्छे लोग किसी भी प्रकार का धार्मिक और मांगलिक कार्य रात में नहीं करते जबकि दूसरे लोग अपने सभी धार्मिक और मांगलिक कार्य सहित सभी सांसारिक कार्य रात में ही करते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. हिंदू माह के 15 वें दिवस शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं इस दिन चन्द्रमा अपने पूरे आकार में नज़र आता है. इस दिन का भारतीय जनजीवन में बहुत ही महत्व हैं. सामान्यता हर माह की पूर्णिमा को कोई न कोई पर्व अथवा व्रत अवश्य ही मनाया जाता हैं. अत: यह स्पष्ट है कि सास और बहु दोनों को ही आपस में मिलकर रहना चाहिए , एक दूसरे की कमियों को नहीं देखना चाहिए , गलतियाँ नहीं निकालनी चाहिए, अगर कोई परेशानी हो भी तो आपसे में मिलकर या यहाँ पर बताये हुए उपायों को चुपचाप करते हुए सम्बन्ध अच्छे बना कर रखना चाहिए अतीत से ही हम भारतीयों ने कला, साहित्य, विज्ञान एवं शिक्षा के हर क्षेत्र में विश्व-पटल पर अपनी एक विशेष छाप छोड़ी है . हमारी वास्तुकला के कुछ उत्कृष्ट उदहारण आज भी बड़ी शान से भारत के बेजोड़ वास्तुकला के हुनर को बयां करती नज़र आ जाती है . विज्ञान एवं कला के महासंगम द्वारा जनित वास्तु-शास्त्र विद्या आज अपनी सटीकता के फलस्वरूप हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गयी है . आज विज्ञान के आधार पर सरपट दौड़ती हमारी युवा पीढ़ी भी इस प्राचीनतम कला में अपनी अच्छी खासी दिलचस्पी ले रहे हैं, और रखे भी क्यों न आखिर हम भारतीयों को अपने इस ट्रेडिशनल हिन्दू शास्त्र में इतना भरोसा जो है . अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ हैं. दरिद्र व्यक्ति को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योकि वह पहले ही मरा हुआ होता है. बल्कि गरीब लोगों की मदद नहीं चाहिए. अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है. यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है. यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय. अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु. . अध्ययन कक्षा में अध्ययनों से यह पता चला है कि पहली बार गर्भवती हुई महिला की गर्भावस्था के शुरू के सप्ताहों में सेक्स में कम रुचि होती है, जबकि दूसरी या इससे अधिक बार गर्भवती होने वाली महिलाएँ अपनी यौन भावना में कोई विशेष अंतर नहीं पाती हैं. अध्ययनों से यह भी तथ्य सामने आया है कि कुछ महिलाएँ मानती हैं कि मतली, वमन तथा अवसाद का समय बीत जाने पर उन्हें सेक्स में पहले की तुलना में अधिक आनंद प्राप्त होता है. अनजाना भय : अनार से बढ़ती सेक्स पावर : अनियमित मासिक धर्म अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'. अनूप-रूप-भूपतिं, नतोऽहमुर्विजा-पतिम्. अन्नदान – अन्य ज्ञानवर्धक लेख अन्य धार्मिक लेख- अन्य सम्बंधित अपनी ईमानदारी और मेहतन की कमाई का 2 प्रतिशत हिस्सा, जीव-जंतु, प्रकृति, राष्ट्र एवं समाज की भलाई में खर्च करें. यहां पर लगाया धन लाख गुना होकर शीघ्र ही लौट आता है. अपनी पूरी जिंदगी के जमापूँजी से जब कोई घर बनाता है तो उसकी कोशिश यही रहती है कि मेरा घर लाखों में एक बने और यही वजह है कि घर को मॉडर्न आर्किटेक्ट का टच देने के लिए हम घर में काफी साजो-सामान भी सजा लेते हैं परन्तु क्या आपको पता है कि कभी-कभी घर में रखी हुई कुछ चीजे भी आपके वास्तु दोष की एक प्रमुख वजह बन सकती है . अपने दिल टूट गया है? क्या आप को नीचा दिखाया है, पर धोखा दिया है या इस्तेमाल किया साथ तंग आ गया? इस जादू के लिए मदद से अपने प्रेमी में अपने मित्र को करें अपने सच्चे जीवनसाथी अबॉर्शन और सिजेरियन: अगर पहले अबॉर्शन हो चुका है या पहला बच्चा सिजेरियन है तो भी प्रेग्नेंसी हाई रिस्क कैटिगरी में आती है. ऐसे मामलों में बच्चों के बीच अच्छा गैप रखें. अमावस्या के चमत्कारी उपाय अमावस्या पर करें ये उपाय अमुक के स्थान पर जिस लड़की का विवाह न हो रहा हो उसका नाम लिख सकते है ! अर्थात अर्थात: अलग तरह से अपने आप को देखो बनाने के लिए बनाया गया है. वे तुम्हें बहुत ही वांछनीय है और आकर्षक रूप में देखना शुरू कर देंगे. अवश्य ध्यान रखे घडी से जुडी ये वास्तु टिप्स अविकसित ही रहेंगे. अशोक से मिटे शोक अश्वत्थोपनयन व्रत के संदर्भ में महर्षि शौनक कहते हैं कि मंगल मुहूर्त में पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढ़ाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है. पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है. अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखंड सौभाग्य पाती है. अष्टम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय /टोटके :- असामान्य व अविकसित स्तन आइए जानते हैं कि रात को कौनसे 6 कार्य नहीं करने चाहिए जिन्हें करने से दुर्भाग्य आता है आज के जीवन में धन की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता हैं , पर यह धन का आगमन हो कैसे कुछ को तो व्यापार अपने परिवार से मिला हैं तो कुछ स्वतः ही इस और आकर्षित हो जाते हैं पर बहुसंख्यक वर्ग तो एक नौकरी किसी तरह मिल जाए उसी पर ही निर्भर करता हैं पर भले ही कितनी रोजगार के अवसर मिल रहे हो या सामने आ आरहे हो पर एक रोजगार मिलना या नौकरी मिलना इतना भी आसान कहाँ. आज के भौतिक संसार में मनुष्य अध्यात्म को छोड़कर भौतिक सुखों के पीछे भाग रहा है. समय के अभाव ने उसे रिश्तों के प्रति उदासीन बना दिया है. किंतु आज भी मनुष्य अपने घर में संसार के सारे सुखों को भोगना चाहता है. इसके लिए हमें वैवाहिक जीवन को वास्तु से जोड़ना होगा. आज भी यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है. यहां जानिए कौन-कौन सी बुरी आदतें, काम और बातें व्यक्ति को जीते जी मृत समान बना देती हैं. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के लंकाकांड में एक प्रसंग आता है, जब लंका दरबार में रावण और अंगद के बीच संवाद होता है. इस संवाद में अंगद ने रावण को बताया है कि कौन-कौन से 14 दुर्गण या बातें आने पर व्यक्ति जीते जी मृतक समान हो जाते हैं. आज सभी की आवश्यकता है धन और धन के बिना जीवन जीना बहुत दुर्लभ है खास कर गृहस्थ व्यक्ति के लिए रात-दिन मेहनत के बाद भी पैसे की परेशानी से जूझता रहता है कुछ व्यक्ति जीवन में कठिनाइयो का सामना करते हुए पूरा जीवन व्यतीत कर देते है आज हम आपको ऐसे ही कुछ अलग-अलग डिज़ाइन के दरवाज़े दिखाने जा रहे हैं. हम आपको कुल आठ तरह के दरवाजे इस आर्टिकल में दिखाएंगे. आपको बस अपनी पसंद का एक दरवाज़ा चुनना है. आप जिस नंबर के दरवाज़े को चुनेंगे उसी से खुलेंगे आपके व्यवहार और भविष्य से जुड़े राज़. आज हमारी एक बड़ी आबादी एवं बड़े-बड़े डेवेलपर्स घर बनाते वक़्त वास्तु शास्त्र पर खास ध्यान देते हैं . आइये डालते है नजर कुछ ऐसे ही वास्तु शास्त्र टिप्स के ऊपर जिसका अनुसरण कर आप भी एक खुशहाल जीवनशैली की नीव रख सकते हैं . आजकल बच्चे नशे या कुकर्मों में लिप्त होकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. काम नहीं करते हैं और यूं ही समय बर्बाद करते हैं. कहना भी नहीं मानते हैं. अपने माता-पिता की चिन्ता का कारण बने हुए हैं.

Wednesday, October 5, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 0801. - 0900.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.



0801. परिवार -  घर में तुलसी का पौधा लगाएं तथा प्रतिदिन इसका पूजन करें.  सुबह-शाम दीपक लगाएं.  इस को करने से घर में सदैव शांति का वातावरण बना रहेगा.

0802. परिवार -  घर में सुख शांति के लिए बहू को चाहिए की सूर्योदय से पहले घर में झाडू लगाकर कचड़े को घर के बाहर फेंके, यह किसी काम वाली बाई से भी करा सकते है.

0803. परिवार -  घर में सुख शांति के लिए मंगलवार को सूजी का हलवा बनाकर उसको मंदिर के बाहर बैठे गरीबों में स्वयं बाँटना चाहिए.

0804. परिवार -  जिस घर की स्त्रियां / बहु घर के वायव्य अर्थात उत्तर-पश्चिम कोण में शयन / निवास करती है वह अपना अलग से घर बसाने के सपने देखने लगती है. इसलिए इस दिशा में नई दुल्हन को तो बिलकुल भी नहीं रखे अन्यथा उसका परिवार के साथ अलग होना तय है. वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार दक्षिण-पश्चिम कोण में सास को सोना चाहिए , उसके बाद बड़ी बहु को पश्चिम दिशा में और उससे छोटी बहु को पूर्व दिशा में शयन करना चाहिए.  इससे घर की स्त्रियों में प्रेम बना रहेगा.

0805. परिवार -  जो स्त्रियां घर के वायव्य उत्तर-पश्चिम कोण में शयन / निवास करती है उनके मन में उच्चाटन का भाव आने लगता है वह अपने अलग से घर बसाने के सपने देखने लगती है. इस लिए इस कोण में अविवाहित कन्याओं को निवास करना शुभ होता है जिससे उनका विवाह शीघ्र हो.

0806. परिवार -  दक्षिण में सोने वाली स्त्री को अपने पति के बायीं और शयन करना चाहिए अग्नि कोण में सोने वाली स्त्री को अपने पति के दायी और शयन करना चाहिए.

0807. परिवार -  दक्षिण-पश्चिम कोण दिशा घर की सबसे शक्तिशाली होती है इसमें सास को सोना चाहिए अगर सास ना हो तो घर की बड़ी बहू को सोना चाहिए उससे छोटी को पश्चिम दिशा में रहना चाहिए उससे भी छोटी तीसरे नम्बर की बहु को पूर्व दिशा में शयन करना चाहिए यदि और भी छोटी बहू हो तो उसे ईशान कोण में निवास रखना चाहिए.

0808. परिवार -  नवदंपतियों के लिए बिस्तर बिलकुल नया होना चाहिए.  कोशिश करें कि ऐसी चादर बिलकुल ही प्रयोग में न लाएँ जिसमें छेद हों.  रोज़ रात को बिस्तर बिलकुल साफ करके ही सोयें.

0809. परिवार -  परिवार का जो भी सदस्य यदि दक्षिण-पश्चिम में निवास करता है तो वह घर में प्रभावशाली हो जाता है अत: स्पष्ट है कि घर के मुखिया उसकी स्त्री को घर के दक्षिण-पश्चिम में निवास करना चाहिये. तथा कनिष्ठ स्त्री-पुरुष, देवरानिया या बहू को शयन नहीं करना चाहिये.

0810. परिवार -  बेड के सामने या कहीं भी ऐसी जगह शीशा नहीं लगाना चाहिए, जहां से आपके बेड का प्रतिबिंब दिखता हो.  इससे संबंधों में दरार आती है और आप अनिद्रा, और बदन दर्द के भी शिकार हो सकते हैं.  यदि इसे टाला न जा सके तो आप रात्रि में उस शीशे पर एक पर्दा डालकर ही सोयें.

0811. परिवार -  बैडरूम में प्रवेश द्वार वाली दीवार के साथ अपना बैड लगाने से बचना चाहिए. इससे आपसी रिश्तों में कटुता आती है. उस दीवार से सटाकर भी अपना बेड न लगाएँ जिसकी दूसरी ओर बाथरूम या टॉयलेट हो और न ही ऐसी जगह, जहां से बाथरूम या टॉयलेट का दरवाजा ठीक सामने दिखता हो. यदि ऐसा हो तो इसका दरवाजा हमेशा बंद कर के ही रखना चाहिए या बीच पर्दा जरूर डालें.

0812. परिवार -  यदि किसी परिवार में सास बहु में झगड़ा होता रहता हो तो बहु पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में रखे और फिर वह खीर अपनी सास को खिला दे.  इससे सास-बहू में बनने लगेगी. यह उपाय अगर बहु ना करे तो सास भी कर सकती है.

0813. परिवार -  यदि किसी बुरी शक्ति के कारण घर में झगड़े होते हों तो प्रतिदिन सुबह घर में गोमूत्र अथवा गाय के दूध में गंगाजल मिलाकर छिड़कने से घर की शुद्धि होती है तथा बुरी शक्ति का प्रभाव कम होता है.

0814. परिवार -  यदि किसी महिला की सास या ससुर उससे नाराज रहता हो तो वह महिला प्रतिदिन जल में गुड़ मिलाकर सूर्यदेव को अध्र्य दे तो उसकी यह समस्या दूर हो जाती है.

0815. परिवार -  रंगों का रिश्तों पर बहुत ही खासा असर होता है.  घर की दीवारों के लिए हलका गुलाबी, नीला, हल्का ग्रे या हल्का येलो रंग का ही प्रयोग करें.  ये रंग शान्ति और प्यार को बड़ाने वाले माने जाते हैं.

0816. परिवार -  रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटी बनाएं. लाभ  होता है.

0817. परिवार -  वायव्य कोण में नई दुल्हन को तो बिलकुल मत रखे इससे उसका परिवार के साथ अलगाव रहेगा.

0818. परिवार -  सास बहु में कलेश होने पर जो चाहता है कि आपसी रिश्ते सुधरे उसे गले में चांदी की चेन धारण करनी चाहिए और यह भी ध्यान रहे कि कभी किसी से भी कोई सफेद वस्तु न लें.

0819. परिवार -  हमेशा याद रखिये कि अपना बिस्तर खिड़की से सटाकर कभी भी न लगाएँ.  इससे रिश्तों में तनाव उत्पन्न होता है और आपसी असहयोग की प्रवृत्ति बडती है.  ऐसी स्थिति से बचने के लिए अपने सिरहाने और खिड़की के बीच पर्दा जरूर डालें.  इससे नकारात्मक ऊर्जा आपके रिश्तों पर असर नहीं कर पाएगी.

0820. परिवार -  हर दम्पति यह कोशिश करें कि उसके पलंग के नीचे कुछ भी सामान न रखा हो.  पलंग के नीचे जगह को खाली रहने दें.  इससे आपके बेड के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बिना किसी बाधा के प्रवाहित हो सकेगी.

0821. परिवार - अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूध निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है.

0822. परिवार - आत्मा और परमात्मा के मिलन के लिए परिवार के सदस्य सुख और शांति के लिए कड़ी मेहनत, परिश्रम और पुरुषार्थ करें.

0823. परिवार - एक साबूत पानीदार नारियल लें और उसे अपने उपर से 21 बार वारकर किसी देवस्थान की आग में डाल दें.  यह उपाय आप मंगलवार और शनिवार को ही करें.  ऐसा पांच बार करें.  ऐसा घर के सभी सदस्यों के उपर से वारकर करेंगे तो उत्तम होगा.

0824. परिवार - कर्मेंन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों पर संयम रखना.  जिसका मतलब है परिवार के सदस्य शौक-मौज में इतना न डूब जाए कि कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को भूलने से परिवार दु:ख और कष्टों से घिर जाए.

0825. परिवार - किचन कभी भी घर के ईशान कोण या मध्य में ना हो, यह आपसी संबंधों के लिए बेहद घातक है.

0826. परिवार - के सदस्य संस्कार और जीवन मूल्यों से जुड़े रहें.  अपने बड़ों का सम्मान करें.  रोज सुबह उनका आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत करें ताकि सभी का स्वभाव, चरित्र और व्यक्तित्व श्रेष्ठ बने. 

0827. परिवार - जिस कुल के पितृ और कुल देवता उस कुल के लोगों से संतुष्ट रहते हैं.  उनकी सात पीढिय़ां खुशहाल रहती है. 

0828. परिवार - जिस घर में किचन में खाना बिना चखें भगवान को अर्पित किया जाता है.  उस घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है. 

0829. परिवार - ना करें - माँ-बाप का अपमान नही करना चाहिये.

0830. परिवार - परिजनों की बीमारी के कारण चिंतित हैं तो रोज महामृत्युंजय मंत्र का जप करें.  कुछ ही दिनों में आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी.

0831. परिवार - पारिवारिक सदस्य सुख शांति से न रहते हों तो शनिवार के दिन सुबह काले कपड़े में नालियल लपेटकर 21 काजल की बिंदी लगा लें और घर के बाहर लटका दें. लाभ होगा.

0832. परिवार - बांस का पौधा रोपना अशुभ होता है.  जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए.  इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है.

0833. परिवार - मिश्री संग खाने से गर्भवती स्त्री की शारीरिक दुर्बलता दूर होती है तथा बच्चा सुंदर होता है।

0834. परिवार - यदि कन्या 7 साबुत हल्दी की गांठें, पीतल का एक टुकड़ा, थोड़ा सा गुड लेकर ससुराल की तरफ फेंक दें तो वह कन्या को ससुराल में सुख ही सुख मिलता है.

0835. परिवार - यदि पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता है तो ज्योतिषानुसार शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को पत्नी अशोक वृक्ष की जड़ में घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती जलाकर नैवेद्य चढ़ाएं.  पेड़ को जल अर्पित करते समय उससे अपनी कामना करनी चाहिए.  फिर वृक्ष से 7 पत्ते तोड़कर घर लाएं, श्रद्धाभाव से उनकी पूजा करें व घर के मंदिर में रख दें.  अगले सोमवार फिर से यह उपासना करें तथा बाद में सूखे पत्तों को बहते जल में प्रवाहित कर दें.

0836. परिवार - सास या बहु में जो भी कोई सम्बन्ध सुधारने को इच्छुक हो वह शुक्ल पक्ष के प्रथम बृहस्पतिवार से माथे पर हल्दी या केसर की बिंदी लगाना शुरू करें.

0837. परिवार - सास व बहू के आपसी संबंध में कटुता होने पर बहू या सास दोनों में कोई भी चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें, और ईश्वर से अपनी सास / बहु से सम्बन्ध अच्छे रहने की प्रार्थना करे. इससे दोनों के बीच में सम्बन्ध प्रगाढ़ होते है.

0838. परिवार - सास-ससुर का कमरा सदैव दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए और बेटे-बहू का कमरा पश्चिमी या दक्षिण दिशा में.  अगर बेटे-बहू का रूम दक्षिण-पश्चिम में होता है, तो उनका सास-ससुर से झगडा बना ही रहेगा. परिवार पर अपना नियंत्रण रखने के लिए इस दिशा में घर के बडों को ही रहना चाहिए.

0839. परिवार - सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है.

0840. पितृ दोष -  सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि मैं श्राद्ध के लिए जरूरी धन और साधन न होने से पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हूं.  इसलिए आप मेरे पितरों तक मेरा भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उन्हें तृप्त करें. लाभ  होता है.

0841. पितृ दोष - अगर कोई व्यक्ति गरीब हो और चाहने पर भी धन की कमी से पितरों का श्राद्ध करने में समर्थ न हो पाए तो वह किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करे.

0842. पितृ दोष - गुड़-घी की धूप देने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है.  घर में किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है.

0843. पितृ दोष - घर-परिवार में किसी न किसी कारण झगड़ा होता रहता है। परिवार के सदस्यों में मनमुटाव बना रहता है व मानसिक अशांति के कारण जीना दूभर हो जाता है।

0844. पितृ दोष - जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके यहां संतान होने में समस्याएं आती हैं। कई बार तो संतान पैदा ही नहीं होती और यदि संतान हो जाए तो उनमें से कुछ अधिक समय तक जीवित नहीं करती है।

0845. पितृ दोष - जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी शादी होने में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।

0846. पितृ दोष - पितरों के श्राद्ध में केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराए या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा दान करें.  इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है.

0847. पितृ दोष - पितरों को याद कर गाय को चारा खिला दे.  इससे भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं.

0848. पितृ दोष - पितृ दोष होने के कारण कन्या के विवाह में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है या तो कन्या का विवाह जल्दी नहीं होता या फिर मनचाहा वर नहीं मिल पाता.

0849. पितृ दोष - पितृ दोष होने पर परिवार का एक न एक सदस्य निरंतर रूप से बीमार रहता है। यह बीमारी भी जल्दी ठीक नहीं होती।

0850. पितृ दोष - यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक किसी मुकद्में में उलझा रहे या बिना किसी कारण उसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटना पड़े तो ये भी पितृ दोष का कारण हो सकता है।

0851. पितृ दोष - विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने मात्र से भी फायदा होता है. लाभ  होता है.

0852. पितृ दोष - होने के कारण ऐसे लोगों को हमेशा धन की कमी रहती है। किसी न किसी रूप में धन की हानि होती रहती है।

0853. पितृ दोष उपाय - अगर कोई व्यक्ति गरीब हो और चाहने पर भी धन की कमी से पितरों का श्राद्ध करने में समर्थ न हो पाए तो वह किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करे। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।

0854. पितृ दोष उपाय - अगर श्राद्ध करने वाले की साधारण आय हो तो वह पितरों के श्राद्ध में केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराए या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा दान करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।

0855. पितृ दोष उपाय - तो सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि मैं श्राद्ध के लिए जरूरी धन और साधन न होने से पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हूं। इसलिए आप मेरे पितरों तक मेरा भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उन्हें तृप्त करें.

0856. पितृ दोष उपाय - पितरों को याद कर गाय को चारा खिला दे। इससे भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।

0857. पितृ दोष उपाय - ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने मात्र से भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।

0858. पितृ पक्ष में दान - अनाज का - अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए। इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है।

0859. पितृ पक्ष में दान - किसी भी प्रकार का दान करते समय यह श्लोक बोलकर भगवान विष्णु से श्राद्धकर्म की शुभ फल की प्रार्थना करना चाहिए.

0860. पितृ पक्ष में दान - गाय का - धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है।

0861. पितृ पक्ष में दान - गुड़ का - गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला माना गया है।

0862. पितृ पक्ष में दान - घी का - श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

0863. पितृ पक्ष में दान - चांदी का - पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है।

0864. पितृ पक्ष में दान - तिल का - श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है।

0865. पितृ पक्ष में दान - नमक का - पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है।

0866. पितृ पक्ष में दान - ब्राह्मणों को दान देते समय यह मंत्र बोलना चाहिए. "यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु। न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्।।"

0867. पितृ पक्ष में दान - भूमि का - अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है। किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले दान करने के लिए थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं।

0868. पितृ पक्ष में दान - वस्त्रों का - इस दान में धोती और दुपट्टा सहित दो वस्त्रों के दान का महत्व है। यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए।

0869. पितृ पक्ष में दान - सोने का - सोने का दान कलह का नाश करता है। किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं।

0870. प‌ितृपक्ष  - (श्राद्ध) तर्पण, इसमें दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल पितरों को तृप्त करने हेतु दिया जाता है.  श्राद्ध पक्ष में इसे नित्य करने का विधान है.

0871. प‌ितृपक्ष  - इन द‌िनों दाढ़ी मूंछें भी नहीं काटे जाते हैं.  इसका संबंध भी शोक व्यक्त करने से है.

0872. प‌ितृपक्ष  - इन द‌िनों नए वाहन नहीं खरीदने चाह‌िए.  असल में वाहन खरीदने में कोई बुराई नहीं है.  शास्‍त्रों में इस बात की कहीं मनाही नहीं है.  बात बस इतनी है क‌ि इसे भौत‌िक सुख से जोड़कर जाना जाता है.  जब आप शोक में होते हैं तो या क‌िसी के प्रत‌ि दुख प्रकट करते है तो जश्न नहीं मनाते हैं.  इसल‌िए धारणा है क‌ि इन द‌िनों वाहन नहीं खरीदना चाह‌िए

0873. प‌ितृपक्ष  - ऐसी मान्यता है क‌ि प‌ितृपक्ष के द‌िनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाह‌िए यानी स्‍त्री पुरुष संसर्ग से बचना चाह‌िए.  इसके पीछे यह धारणा है क‌ि प‌ितर आपके घर में होते हैं और यह उनके प्रत‌ि श्रद्धा प्रकट करने का समय होता है इसल‌िए इन द‌िनों संयम का पालन करना चाह‌िए.

0874. प‌ितृपक्ष  - कुत्ते और कौए के निमित्त निकाला भोजन कुत्ते और कौए को ही कराएं किंतु देवता और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं.  इसके बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं.  पूरी तृप्ति से भोजन कराने के बाद ब्राह्मणों के मस्तक पर तिलक लगाकर यथाशक्ति कपड़े, अन्न और दक्षिणा दान कर आशीर्वाद पाएं.

0875. प‌ितृपक्ष  - चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, अपवित्र फल या अन्न श्राद्ध में निषेध हैं.

0876. प‌ितृपक्ष  - चाहे मनुष्य देवकार्य में ब्राह्मण का चयन करते समय न सोचे, लेकिन पितृ कार्य में योग्य ब्राह्मण का ही चयन करना चाहिए क्योंकि श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों द्वारा ही होती है.

0877. प‌ितृपक्ष  - जो पितृ शस्त्र आदि से मारे गए हों उनका श्राद्ध मुख्य तिथि के अतिरिक्त चतुर्दशी को भी करना चाहिए.  इससे वे प्रसन्न होते हैं.  श्राद्ध गुप्त रूप से करना चाहिए. 

0878. प‌ितृपक्ष  - जो व्यक्ति किसी कारणवश एक ही नगर में रहनी वाली अपनी बहिन, जमाई और भानजे को श्राद्ध में भोजन नहीं कराता, उसके यहां पितर के साथ ही देवता भी अन्न ग्रहण नहीं करते.

0879. प‌ितृपक्ष  - तिथि के पूर्व ही यथाशक्ति विद्वान ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलावा दें.  श्राद्ध के दिन भोजन के लिए आए ब्राह्मणों को दक्षिण दिशा में बैठाएं.

0880. प‌ितृपक्ष  - तुलसी से पितृगण प्रसन्न होते हैं.  ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्णु लोक को चले जाते हैं.  तुलसी से पिंड की पूजा करने से पितर लोग प्रलयकाल तक संतुष्ट रहते हैं.

0881. प‌ितृपक्ष  - तैयार भोजन में से गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए थोड़ा सा भाग निकालें.  इसके बाद हाथ जल, अक्षत यानी चावल, चन्दन, फूल और तिल लेकर ब्राह्मणों से संकल्प लें.

0882. प‌ितृपक्ष  - दिन के आठवें मुहूर्त (कुतपकाल) में पितरों के लिए दिया गया दान अक्षय होता है.

0883. प‌ितृपक्ष  - दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए.  वन, पर्वत, पुण्यतीर्थ एवं मंदिर दूसरे की भूमि नहीं माने जाते क्योंकि इन पर किसी का स्वामित्व नहीं माना गया है.  अत: इन स्थानों पर श्राद्ध किया जा सकता है.

0884. प‌ितृपक्ष  - द्वार पर आए अत‌िथ‌ि और याचक को ब‌िना भोजन पानी द‌िए जाने नहीं देना चाह‌िए.  माना जाता है क‌ि प‌ितर क‌िसी भी रुप में श्राद्ध मांगने आ सकते हैं.  इसल‌िए क‌िसी का अनादर नहीं करना चाह‌िए.

0885. प‌ितृपक्ष  - पितरों की पसंद का भोजन दूध, दही, घी और शहद के साथ अन्न से बनाए गए पकवान जैसे खीर आदि है.  इसलिए ब्राह्मणों को ऐसे भोजन कराने का विशेष ध्यान रखें.

0886. प‌ितृपक्ष  - पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए.  पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है.  पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में सपिंडों

0887. प‌ितृपक्ष  - ब‌िना प‌ितरों को भोजन द‌िया स्वयं भोजन नहीं करना चाह‌िए इसका मतलब यह है क‌ि जो भी भोजन बने उसमें एक ह‌िस्सा गाय, कुत्ता, ब‌िल्ली, कौआ को ख‌िला देना चाह‌िए.

0888. प‌ितृपक्ष  - ब्राह्मण हीन श्राद्ध से मनुष्य महापापी होता है.

0889. प‌ितृपक्ष  - ब्राह्मणों को भोजन के बाद घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करके आएं.  क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितर लोग भी चलते हैं.  ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही अपने परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भोजन कराएं.

0890. प‌ितृपक्ष  - भविष्य पुराण के अनुसार श्राद्ध 12 प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं 1- नित्य, 2- नैमित्तिक, 3- काम्य, 4- वृद्धि, 5- सपिण्डन, 6- पार्वण, 7- गोष्ठी, 8- शुद्धर्थ, 9- कर्मांग, 10- दैविक, 11- यात्रार्थ, 12- पुष्टयर्थ.

0891. प‌ितृपक्ष  - भोजन व पिण्ड दान- पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन दिया जाता है.  श्राद्ध करते समय चावल या जौ के पिण्ड दान भी किए जाते हैं.

0892. प‌ितृपक्ष  - माना जाता है क‌ि प‌ितृपक्ष में नया घर नहीं लेना चाह‌िए. जहां प‌ितरों की मृत्यु हुई होती है वह अपने उसी स्‍थान पर लौटते हैं.  अगर उनके परिजन उस स्‍थान पर नहीं म‌िलते हैं तो उन्हें तकलीफ होती है.

0893. प‌ितृपक्ष  - में गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए.  यह ध्यान रखें कि गाय को बच्चा हुए दस दिन से अधिक हो चुके हैं.  दस दिन के अंदर बछड़े को जन्म देने वाली गाय के दूध का उपयोग श्राद्ध कर्म में नहीं करना चाहिए.

0894. प‌ितृपक्ष  - में चांदी के बर्तनों का उपयोग व दान पुण्यदायक तो है ही राक्षसों का नाश करने वाला भी माना गया है.  पितरों के लिए चांदी के बर्तन में सिर्फ पानी ही दिए जाए तो वह अक्षय तृप्तिकारक होता है.  पितरों के लिए अर्घ्य, पिण्ड और भोजन के बर्तन भी चांदी के हों तो और भी श्रेष्ठ माना जाता है.

0895. प‌ितृपक्ष  - में जौ, कांगनी, मटर और सरसों का उपयोग श्रेष्ठ रहता है.  तिल की मात्रा अधिक होने पर श्राद्ध अक्षय हो जाता है.  वास्तव में तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं.  कुशा (एक प्रकार की घास) राक्षसों से बचाते हैं.

0896. प‌ितृपक्ष  - में प्रसन्न पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, विद्या, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष और स्वर्ग प्रदान करते हैं.  श्राद्ध के लिए शुक्लपक्ष की अपेक्षा कृष्णपक्ष श्रेष्ठ माना गया है.

0897. प‌ितृपक्ष  - में ब्राह्मण को भोजन करवाते समय परोसने के बर्तन दोनों हाथों से पकड़ कर लाने चाहिए, एक हाथ से लाए अन्न पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षस छीन लेते हैं.

0898. प‌ितृपक्ष  - में ब्राह्मण को भोजन करवाना आवश्यक है, जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण के श्राद्ध कर्म करता है, उसके घर में पितर भोजन नहीं करते, श्राप देकर लौट जाते हैं. 

0899. प‌ितृपक्ष  - में ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर एवं व्यंजनों की प्रशंसा किए बगैर करना चाहिए क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं जब तक ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करें.

0900. प‌ितृपक्ष  - में ये चीजें होना महत्वपूर्ण हैं- गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र, कुश और तिल.  केले के पत्ते पर श्राद्ध भोजन निषेध है.  सोने, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम हैं.  इनके अभाव में पत्तल उपयोग की जा सकती है.




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Tuesday, October 4, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 0701. - 0800


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.



0701. ना करें -  जो व्यक्ति परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है.  जो व्यक्ति ये सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं.  हम जो करते हैं, वही होता है.  संसार हम ही चला रहे हैं.  जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता है, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है.

0702. ना करें -  जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है.  उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं.  हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए.  पाप की कमाई पाप में ही जाती है.

0703. ना करें -  जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले.  जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो.  नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है.  ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं.

0704. ना करें -  जो व्यक्ति सूर्यास्त के बाद झाड़ू-पोछा करता है, देवी लक्ष्मी उस घर में निवास नहीं करती और वहां से चली जाती हैं.

0705. ना करें -  जो संत, ग्रंथ, पुराण और वेदों का विरोधी है, वह भी मृत समान होता है.

0706. ना करें -  ज्यादा नमक खाने से हाई BP की प्रॉब्लम हो सकती है.  इससे किडनी डैमेज और हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

0707. ना करें -  ज्यादा मात्रा में रेड मीट खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है.  इससे हार्ट अटैक और कैंसर का खतरा हो सकता है.

0708. ना करें -  ज्यादा शराब पीने से हाई BP, हाई ब्लड फैट्स और हार्ट फेलियर की प्रॉब्लम हो सकती है.  इससे मिलने वाली केलोरी से वजन भी बढेगा, जो अच्छा नहीं है.

0709. ना करें -  टूटा शीशा घर के लिए बिल्कुल भी ठीक नही है, इससे घर मैं ग़रीबी बनी रहती हैं, इसी समय इसे दूर कर दे.

0710. ना करें -  टूटी हुई कन्घी से कंगा नही करना  चाहिये.

0711. ना करें -  तम्बाकू से ब्लड क्लॉट होता है.  ऐसे में बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरह से नहीं हो पाता और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ती है.

0712. ना करें -  ताजमहल की गिनती विश्व के कुछ उत्कृष्ट कलाओं में की जाती है एवं लोगों के बीच ये प्यार का प्रतीक भी समझा जाता है परन्तु ध्यान दें ताजमहल मुमताजमहल की कब्र है. ऐसे में घर में ताजमहल के आकृति वाले शो पिस रखना या फोटो टांगना निष्क्रियता को बढ़ावा देता है .

0713. ना करें -  देर तक टी वी के सामने बैठे रहना  नुकसानदायक है.  कम मूवमेंट्स की वजह से ब्लड सर्कुलेशन सही तरह से नहीं हो पाता, जिससे डिजीज का खतरा बढ़ता है.

0714. ना करें -  नटराज हमारी कला का आयाम जरुर हो सकता है परन्तु ये महादेव के रूद्र अवतार एवं विनाश का प्रतीक है.

0715. ना करें -  नदी,तालाब में शौच साफ  और उसमें पेशाब नही करना  चाहिये.

0716. ना करें -  पीने का पानी रात में खुला नही रखना चाहिये.

0717. ना करें -  पूजा स्थान पर बांस से बनी हुई अगरबत्तियां न जलाएं.  बांस के जलने से दुर्भाग्य पैदा होता है.  ऐसी अगरबत्ति का इस्तेमाल करें जिसमें लकड़ी की तिलियां लगी हो.  या केवल धूप बत्ति जलाएं.

0718. ना करें -  पेड़ के नीचे पेशाब नही करना चाहिये.

0719. ना करें -  बेर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं.  इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं.  घर में कैक्टस के पौधे नहीं लगाएं.

0720. ना करें -  बोनसाई पौधा घर में तैयार नहीं करने चाहिए और न ही बाहर से लाकर लगाने चाहिए.  बोनसाई पौधा घर में रहने वाले सदस्यों का आर्थिक विकास रोकते हैं.

0721. ना करें -  भोजन कक्ष में झाड़ू न रखें, क्योंकि इससे घर का अनाज जल्दी खत्म हो सकता है.  साथ ही, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

0722. ना करें -  यदि भोजन करते समय आपको दाल या सब्जी आदि में नमक कम लगे तो उपर से नमक न डालें (सफेद नमक तो बिल्कुल भी नही) ऐसे में काला नमक तथा मिर्च कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें.

0723. ना करें -  रसोई घर के पास में पेशाब नही  करना चाहिये.

0724. ना करें -  रात के समय भूलकर भी श्मशान के आस-पास नहीं जाना चाहिए.  श्मशान व कब्रिस्तान में रात के समय वहां की मृत आत्माएं चेतन हो जाती हैं.  यहीं नहीं मृत व्यक्तियों के संबंधियों द्वारा अंतिम संस्कार करते समय रोने-बिलखने से भी इन स्थानों पर नकारात्मक ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में होती है जो रात के समय आसानी से किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है.

0725. ना करें -  रात को झाडू नही लगाना चाहिये.

0726. ना करें -  रात को झूठे बर्तन किचन में न रखें.  धन के नुकसान से  बचा जा सकता हैं

0727. ना करें -  रात में लड़कियों को बालों को खुला रखकर नहीं सोना चाहिए.  रात में खुले बाल सोने पर नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती हैं.  इसीलिए रात को न केवल महिलाएं वरन चोटी रखने वाले पुरुष भी अपनी चोटी को बांध लेते हैं.

0728. ना करें -  लहसुन प्याज के  छिलके कभी भी नही जलाने  चाहिये.

0729. ना करें -  शुगरी, फैटी और ऑयली फ़ूड में ज्यादा कैलोरी और बहुत कम न्यूट्रिएंट्स होते है.  इन्हें खाने से वजन बढ़ता है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक है.

0730. ना करें -  श्यमशान भूमि में कभी भी हँसना नही  चाहिये.

0731. ना करें -  संध्या समय सोना, मिलन करना निषिद्ध है.

0732. ना करें -  सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू पोंछा गलती से भी नहीं लगाना चाहिए.  ऐसा करना अपशकुन माना जाता है.

0733. ना करें -  स्टडीज कहती है कि अक्सर स्ट्रेस में रहने से हार्ट डिजीज की आशंका बढ़ती है.  मेडिटेशन और एक्सरसाइज करने से स्ट्रेस कम करने में मदद मिलेगी.

0734. ना करें -  हमारे भाग्य का संबंध कपड़ों से भी होता है.  अत: आप कौन से ग्रहों के वस्त्र पहनते हैं इससे भी आपका भाग्य निर्मित होता है.  यदि आप राहु और केतु से संबंधित वस्त्र पहन रहे हैं तो जीवन में अचानक आने वाले संकटों का सामना करना होगा.

0735. ना करें -  हाथ धोए बगैर भोजन कभी नही करना चाहिये.

0736. ना करें -  हार्ट को हेल्दी रखने के लिए सब्जियां और फल खाना बहुत जरूरी है.  डाइट में ये पर्याप्त मात्रा में शामिल नहीं करने से हार्ट प्रॉब्लम हो सकती है.

0737. ना हों -  मेहमान आने पर नाराज नही होना चाहिये.

0738. नारी संसार - कभी किसी महिला को दान करने की इच्छा हो तो दान सामग्री में लाल सिन्दूर के साथ इतर की शीशी ,चने की दाल तथा केसर अवश्य रखें .इस से सुहाग की आयु में वृद्धि होती है.

0739. नारी संसार - प्रसव काल से कुछ ही समय पहले यदि प्रसूता को १०० ग्राम गोमूत्र पिलाया जाये तो प्रसव आसानी से हो जाता है .

0740. नारी संसार - प्रसूता के पेट पर यदि केसर का लेप किया जाये तो भी प्रसव आसानी से हो जाता है .

0741. नारी संसार - यदि किसी महिला को पेट मैं किसी कारण से अधिक दर्द रहता है तो वह मंगलवार से अपने सिरहाने किसी ताम्बे के लोटे में जल रखे और प्रति उठाने खाली पेट उस जल का सेवन करें .इस प्रकार से हर प्रकार के पेट दर्द का निवारण हो जायेगा .

0742. नारी संसार - यदि किसी स्त्री अथवा कन्या को मासिक से पहले पेट में बहुत दर्द होता है,तो उसे रात में सोते समय मूंज की रस्सी से पेट बाँध लें,प्रात: उस रस्सी को किसी चौराहे पर फैंक देने से लाभ होता है.

0743. नारी संसार - यदि किसी स्त्री का समय से पहले अर्थात ४२ वर्षायु से पहले ही मासिक रुक जाये तो उस स्त्री को पुन:मासिक धर्म आरम्भ करने के लिए इन्द्रायन की जड़ का योनी पर धुआं देने से लाभ प्राप्त होता है.

0744. नारी संसार - यदि किसी स्त्री को मासिक धर्म के समय कमर में दर्द हो तो वह मासिक आरम्भ होने से तीन दिन पहले पीपल की जड़ वह पीपल की सुखी शाखा को काले कपडे में लपेट कर अपने तकिये के नीच रख लें.

0745. नारी संसार - विवाहित महिला को अपने परिवार की सलामती के लिए ही माँ दुर्गा चालीसा के साथ माँ के १०८ नाम अथवा ३२ नाम की माला का जाप करना चाहिए .

0746. निरोग - कोई असाध्य रोग हो जाए तथा दवाईयां काम करना बंद कर दें तो पीडि़त व्यक्ति के सिरहाने रात को एक तांबे का सिक्का रख दें तथा सुबह इस सिक्के को किसी श्मशान में फेंक दें.  दवाईयां असर दिखाना शुरू कर देंगी और रोग जल्दी ही दूर हो जाएगा.

0747. निरोग - यदि किसी के साथ बार-बार दुर्घटना होती हैं तो शुक्ल पक्ष (अमावस्या के तुरंत बाद का पहला) के प्रथम मंगलवार को 400 ग्राम दूध से चावल धोकर बहती नदी अथवा झरने में प्रवाहित करें.  यह उपाय लगातार सात मंगलवार करें, दुर्घटना होना बंद हो जाएगा.

0748. निरोग - यदि कोई पुराना रोग ठीक नहीं हो रहा हो तो गोमती चक्र को लेकर एक चांदी की तार में पिरोएं तथा पलंग के सिरहाने बांध दें.  रोग जल्दी ही पीछा छोड़ देगा.

0749. निरोग - यदि व्यक्ति चिड़चिढ़ा हो रहा है तथा बात-बात पर गुस्सा हो रहा है तो उसके ऊपर से राई-मिर्ची उसार कर जला दें.  तथा पीडि़त व्यक्ति को उसे देखते रहने के लिए कहें.

0750. निरोग - सुबह नींद से जागकर बिस्तर छोड़ते समय इस बात ध्यान दें कि बिस्तर , उसके ऊपर की चादर जल्दी ही ठीक हो जाये या आप किसी का इंतज़ार किये बिना उसे स्वयं ही सही कर दें.

0751. निरोग - सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करें तो नीम की नवीन कोपलें, गुड़ व मसूर के साथ पीस कर खाने से व्यक्ति पूरे वर्ष निरोग तथा स्वस्थ रहता है.

0752. निरोगी - "ऊँ ऊँ  नमो काली कपाला देहि देहि स्वाहा. " मंत्र का १०८ बार जप करके सरसों का तेल अभिमंत्रित कर लें और उससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर मालिश करें, व्यक्ति पीड़ामुक्त हो जाएगा.

0753. निरोगी - "ऊँ ऊँ नमः भवे भास्कराय आस्माक अमुक सर्व ग्रहणं पीड़ा नाशनं कु रु-कुरु स्वाहा. " जौ, तिल, सफेद सरसों, गेहूं, चावल, मूंग, चना, कुष, शमी, आम्र, डुंबरक पत्ते और अषोक, धतूरे, दूर्वा, आक व ओगां की जड़ को मिला लें और उसमें दूध, घी, मधु और गोमूत्र मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें.  फिर संध्या काल में हवन करें और मंत्र का १०८ बार जप कर इस मिश्रण से १०८ आहुतियां दें.

0754. निरोगी - "जीरा जीरा महाजीरा जिरिया चलाय.  जिरिया की शक्ति से फलानी चलि जाय॥ जीये तो रमटले मोहे तो मशान टले.  हमरे जीरा मंत्र से अमुख अंग भूत चले॥ जाय हुक्म पाडुआ पीर की दोहाई॥" मंत्र से थोड़ा-सा जीरा ७ बार अभिमंत्रित कर रोगी के शरीर से स्पर्श कराएं और उसे अग्नि में डाल दें.  रोगी को इस स्थिति में बैठाना चाहिए कि उसका धूंआ उसके मुख के सामने आये.  इस प्रयोग से भूत-प्रेत बाधा की निवृत्ति होती है.

0755. निरोगी - "हल्दी गीरी बाण बाण को लिया हाथ उठाय.  हल्दी बाण से नीलगिरी पहाड़ थहराय॥ यह सब देख बोलत बीर हनुमान.  डाइन योगिनी भूत प्रेत मुंड काटौ तान॥ आज्ञा कामरु कामाक्षा माई.  आज्ञा हाड़ि की चंडी की दोहाई॥" थोड़ी सी हल्दी को ३ बार  इस मंत्र से अभिमंत्रित करके अग्नि में इस तरह छोड़ें कि उसका धुआं रोगी के मुख की ओर जाए.  इसे हल्दी बाण मंत्र कहते हैं.

0756. निरोगी - अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का  1.25 kg आटा लें.  उसमें साबुत काले तिल मिला कर रोटी बनाएं.  अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें.  फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें.  फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें.  पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए.  भैंसा कहाँ मिलेगा, इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें.  भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है.  शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें.

0757. निरोगी - इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें, रोग दूर जाने लगेगा.

0758. निरोगी - उपले या लकड़ी के कोयले जलाकर उसमें धूनी की विशिष्ट वस्तुएं डालें और उससे उत्पन्न होने वाला धुआं पीड़ित व्यक्ति  को सुंघाएं.  ऊपरी हवाओं से मुक्ति मिलेगी.

0759. निरोगी - ऊपरी बाधाओं से मुक्ति हेतु निम्नोक्त मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए.  "ऊँ ऊँ नमो भगवते रुद्राय नमः कोशेश्वस्य नमो ज्योति पंतगाय नमो रुद्राय नमः सिद्धि स्वाहा. "

0760. निरोगी - एक बरगद, एक अनार, एक कड़ीपत्ता, एक जामफल, एक तुलसी, एक नींबू, एक अशोक, एक चमेली, एक चम्पा का वृक्ष लगाने से निरोगी काया रहकर घर में धन, समृद्धि और शांति बनी रहती है.

0761. निरोगी - कांसे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखें और यह तेल किसी मंदिर में दान कर दें.  5 तरह के फल ले जाकर किसी मंदिर में रख आएं.

0762. निरोगी - किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर खिलाए, रोगी ठीक होता चला जायेगा.

0763. निरोगी - किसी दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं.  अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें.  बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा.

0764. निरोगी - किसी रोग से ग्रसित होने पर.सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें . अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें . सेहत ठीक रहेगी.

0765. निरोगी - कुत्ता आपको राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है.  कुत्ते को खिलाने से दुश्मन आपसे दूर रहेंगे.  कुत्ते को प्रतिदिन भोजन देने से जहां दुश्मनों का भय मिट जाता है, वहीं व्यक्ति निडर हो जाता है.  कुत्ता पालने से लक्ष्मी आती है और कुत्ता घर के रोगी सदस्य की बीमारी अपने ऊपर ले लेता है.  पितृ पक्ष में कुत्तों को मीठी रोटी खिलानी चाहिए.

0766. निरोगी - कोई असाध्य रोग हो जाए तथा दवाईयां काम करना बंद कर दें तो पीडि़त व्यक्ति के सिरहाने रात को एक तांबे का सिक्का रख दें तथा सुबह इस सिक्के को किसी श्मशान में फेंक दें.  दवाईयां असर दिखाना शुरू कर देंगी और रोग जल्दी ही दूर हो जाएगा.

0767. निरोगी - गुग्गुल का उपयोग सुगंध, इत्र व औषधि में भी किया जाता है.  इसकी महक मीठी होती है और आग में डालने पर वह स्थान सुंगध से भर जाता है.  गुग्गल की सुगंध से जहां आपके मस्तिष्क का दर्द और उससे संबंधित रोगों का नाश होगा वहीं इसे दिल के दर्द में भी लाभदायक माना गया है.

0768. निरोगी - डि-हाइड्रेशन होने पर नारियल पानी में नीबू मिलाकर पिया जाता है.

0769. निरोगी - धान कूटने वाला मूसल और झाडू रोगी के ऊपर से उतार कर उसके सिरहाने रखें.

0770. निरोगी - नारियल के पानी में पोटैशियम अधिक मात्रा में होता है.  इसे पीने से शरीर में किसी भी प्रकार की सुन्नता नहीं रहती.

0771. निरोगी - नारियल पानी में पोटेशियम और क्लोरीन होता है जो मां के दूध के समान होता है। जिन शिशुओं को दूध नहीं पचता उन्हें दूध के साथ नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए.

0772. निरोगी - नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा, हृदय को प्रिय, अग्नि, वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, कफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न प्रमेह को नष्ट करता है.

0773. निरोगी - प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहित उखाड़ कर उसे धरती में ऐसा दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाएं.  इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहती और व्यक्ति सुख-शांति का अनुभव करता है.

0774. निरोगी - प्रेत बाधा निवारक हनुमत मंत्र – "ॐ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ॐॐ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा.  इस हनुमान मंत्र का पांच बार जाप करने से भूत कभी भी निकट नहीं आ सकते.

0775. निरोगी - बेडरूम में बिस्तर पर सोते वक़्त ये जरुर ध्यान रखें कि आपका मुँह दक्षिण दिशा में हो .  उत्तर दिशा में मुँह करके सोने से अनिंद्रा, पाचन, एसिडिटी इत्यादि जैसे विकार जन्म ले सकते हैं .

0776. निरोगी - यदि आप ब्लड प्रेशर या डिप्रेशन से परेशान हैं तो इतवार की रात को सोते समय अपने सिरहाने की तरफ 325 ग्राम दूध रख कर सोंए . सोमवार को सुबह उठ कर सबसे पहले इस दूध को किसी कीकर या पीपल के पेड को अर्पित कर दें . यह उपाय 5 इतवार तक लगातार करें . लाभ होगा .

0777. निरोगी - यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें. कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा.

0778. निरोगी - यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें . फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें . बुखार उतर जायगा .

0779. निरोगी - यदि कोई पुराना रोग ठीक नहीं हो रहा हो तो गोमती चक्र को लेकर एक चांदी की तार में पिरोएं तथा पलंग के सिरहाने बांध दें.  रोग जल्दी ही पीछा छोड़ देगा.

0780. निरोगी - यदि कोई व्यक्ति अचानक ही बीमार हो जाए तथा उस पर दवाओं का कोई असर न हों तो इसके लिए भी नींबू का उपाय किया जाता है.  ऐसी स्थिति में एक साबूत नींबू के उपर काली स्याही से 307 लिख दें और उस व्यक्ति के उपर उल्टी तरफ से 7 बार उतारें.  इसके पश्चात उसी नींबू को चार भागों में इस प्रकार से काटें कि वह नीचें से जुड़े रहें.  और फिर उसी नींबू को घर से बाहर किसी निर्जन स्थान पा फेंक दें.  इस उपाय को करने से पीडि़त व्यक्ति 24 घंटों के अंदर ही स्वस्थ हो जायेगा.

0781. निरोगी - यदि पर्याप्त उपचार करने पर भी रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो तो ऐसे व्यक्ति को अपने वजन के बराबर गेहू¡ का दान रविवार के दिन करना चाहिए.  गेहूँ का दान जरूरतमंद एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों को ही करना चाहिए.

0782. निरोगी - रात में पूर्व की ओर अपना सिर करके सोएं.  सोते समय एक कटोरी में थोड़ा सा सेंधा नमक रख लें.  इससे आपकी बीमारी में लाभ होगा.

0783. निरोगी - शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें.  शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का टुकड़ा रखें.   रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें. इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें  ऐसा 3 शनिवार करें. बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा.

0784. निरोगी - सरसों के तेल को गरम कर इसमें एक चमड़े का टुकड़ा डालें, पुन: गर्म कर इसमें नींबू, फिटकरी, कील और काली कांच की चूड़ी डाल कर मिट्टी के बर्तन में रख कर, रोगी के सिर पर फिराएं.  इस बर्तन को एकांत में गाड़ दें.

0785. निरोगी - साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग और ज्वार चारों बराबर-बराबर ले कर साफ कर के मिला दें.  कुल वजन 1 किलो हो.  इसको रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर उनको एक साथ पकाएं.  जब चारों अनाज पूरी तरह पक जाएं, तब उसमें तेल-गुड़ मिला कर, किसी मिट्टी के दीये में डाल कर दोपहर को, किसी चौराहे पर रख दें.  उसके साथ मिट्टी का दीया तेल से भर कर जलाएं, अगरबत्ती जलाएं.  फिर पानी से उसके चारों ओर घेरा बना दें.  पीछे मुड़ कर न देखें.  घर आकर पांव धो लें.  रोगी ठीक होना शुरू हो जायेगा.

0786. निरोगी - सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करें तो नीम की नवीन कोपलें, गुड़ व मसूर के साथ पीस कर खाने से व्यक्ति पूरे वर्ष निरोग तथा स्वस्थ रहता है.

0787. निरोगी - हर मंगल और शनिवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कुत्तों को खिलाने से धीरे-धीरे आराम मिलता है.  यह कार्य कम से कम 7 सप्ताह करना चाहिये.  बीच में रूकावट न हो, अन्यथा वापस शुरू करना होगा.

0788. परिवार -  अगर  पूजा घर सीढियों के निचे बना हुआ है तो बहुत गलत है, इससे बहु और सास में झगडे होते हैं, आपके घर में शादी विवाह में रुकावट आएगी, आपके पड़ोसियों से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहेंगे, आपके घर में अशांति रहेगी, इस लिए सीढियों के नीचे  अपने घर में पूजा घर ना बनाइये.

0789. परिवार -  अगर घर में सास बहु में सदैव कलह रहती हो तो घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर श्वेतार्क (सफेद आक के गणेश) लगाये  इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी.

0790. परिवार -  अगर रसोई घर आग्नेय दिशा के स्थान पर किसी और दिशा में बनी हो तो उसकी दक्षिण और आग्नेय दिशा की दीवार को लाल रंग से रंगकर कर उसका दोष दूर किया जा सकता हैं, ओर ऐसा करने से मनमुटाव धीरे धीरे कम होता जाएगा,

0791. परिवार -  आजकल बेडरूम में टीवी, फ्रिज या कंप्यूटर आदि रखना एक फैशन सा हो गया है इससे सदैव ही बचना चाहिए इनसे निकलने वाली हानिकारक तरंगे शरीर पर दुष्प्रभाव डालती हैं.  पर यदि टीवी, कंप्यूटरआदि रखना ही पड़े तो जब वह इस्तेमाल में न हो तो उसे किसी कपड़े से ढँककर ही रखें.

0792. परिवार -  इस बात का ध्यान रखे कि उत्तराभिमुख घर में उत्तर दिशा से ईशान कोण तक, पूर्वाभिमुख घर में पूर्व दिशा मध्य से अग्नि कोण पर्यन्त, दक्षिणाभिमुख मकान में दक्षिण दिशा मध्य से दक्षिण-पश्चिम कोण तक तथा पश्चिममुख मकानों में पश्चिम दिशा से वायव्य कोण तक यदि बाह्य द्वार न रखा जाय तो घर की सभी स्त्रियां आपस में समन्वय व प्रेम की और अग्रसर हो कर सुख की अनुभूति करती है तथा घर में सुख-शांति बनी रहेगी.

0793. परिवार -  एक नारियल लेकर उस पर काला धागा लपेट दें फिर इसे पूजा स्थान पर रख दें.  शाम को उस नारियल को धागे सहित जला दें.  घर में शांति बनी रहेगी.

0794. परिवार -  ऐसी चीज का प्रयोग करने से बचें जो अलगाव दर्शाती हो.  छत पर बीम का होना और दो अलग मैट्रेस का प्रयोग भी प्रेम संबंधो में दूरी बनाता है, जहाँ तक संभव हो पति पत्नी एक ही मैट्रेस के ऊपर सोयें.

0795. परिवार -  कहते है जो सास अपनी बहु को अपनी बेटी मानती है , उसे अपनी बेटी की तरह ही लाड़ प्यार करती है उसकी स्वयं की बेटी का भी दाम्पत्य जीवन सदैव सुखमय रहता है.  उससे देवता भी प्रसन्न रहते है , उसका और उस घर के बुजुर्गो का स्वास्थ्य ठीक बना रहता है.  वह जीवन के अंतिम समय तक भी बिस्तर पर रोगी बनकर नहीं रहते है अर्थात उनका शरीर उनका साथ देता है.

0796. परिवार -  की मुखिया सास या बड़ी बहू को कभी भी ईशान कोण में नहीं सोना चाहिए इससे परिवार में प्रभाव कम हो कर हास्यास्पद स्थिति रहती है वृद्धावस्था में अग्नि कोण में रह सकती है.

0797. परिवार -  गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें गुड़ तथा मीठा तेल डालकर जलाएं.  फिर इसे घर के मुख्य द्वार के मध्य में रखें. घर में शांति बनी रहेगी तथा समृद्धि में वृद्धि होगी.

0798. परिवार -  ग्रहस्थ जीवन में पत्नी को हमेशा पति के बायीं और ही शयन करना चाहिए इससे पति और पत्नी के मध्य प्रेम बना रहता है.

0799. परिवार -  ग्रहस्थ सांसारिक मामलों में पत्नी को हमेशा पति के बायीं और ही शयन करना चाहिए .

0800. परिवार -  घर के बर्तन के गिरने टकराने की आवाज न आने दें. , घर सजाकर सुन्दर रखें. प्रतिदिन पहली रोटी गाय को एवं आखरी रोटी कुत्ते को खिलाऐं. ॐ ॐ शांति मन्त्र का जाप सास-बहू दोनों 21 दिन तक लगातर 11-11 माला करें.  घर में शांति बनी रहेगी.

नज़र - रविवार तक सूर्य को नित्य रक्त पुष्प डाल कर अर्ध्य दिया जाता है. अर्ध्य द्वारा विसर्जित जल को दक्षिण नासिका, नेत्र, कर्ण व भुजा को स्पर्शित करें. यदि आप ऐसे नहीं करेंगे तो इससे शनि का दुष्प्रभाव शुरू हो जाएगा. शनि के दुष्प्रभाव से बचें : इससे धन का क्षय होता है. नवग्रह मंत्र, जप विधि और फायदे :Navgraha Mantra, Jap Vidhi, Benefits Navgraha Mantra, Jap Vidhi, Benefits: ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं और सभी ग्रहों का अलग-अलग असर होता है। कुंडली में जिस ग्रह की स्थिति अशुभ होती है, उससे शुभ फल पाने के लिए कई उपाय हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय ये है कि अशुभ ग्रह के मंत्र का जप किया जाए। ग्रहों के मंत्र जप से अशुभ असर कम हो सकता है। यहां जानिए किस ग्रह के लिए कौन से मंत्र का जप करना चाहिए… Must Read- जानिए आरती के बाद क्यों बोलते हैं कर्पूरगौरं मंत्र Navgraha Mantra, Beej Mantra, Jap Vidhi, Benefits, Fayde, मंत्र जप की सामान्य विधि (Navgraha Mantra Jap Vidhi)- जिस ग्रह के लिए मंत्र जप करना चाहते हैं, उस ग्रह की विधिवत पूजा करें। पूजा में सभी आवश्यक सामग्रियां चढ़ाएं। इसके लिए किसी ब्राह्मण की मदद भी ली जा सकती है। पूजा में संबंधित ग्रह के मंत्र का जप करें। वैसे तो हर गृह के लिए मंत्र जप की संख्या निश्चित है। लेकिन यदि आप उतना मंत्र जप नहीं कर पाए तो कम से कम 108 मंत्र जप अवश्य करे । जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है। loading... नवग्रह मंत्र (Navgraha Mantra) (Surya Mantra)- (Chandra Mantra)- अन्य धार्मिक लेख- Pitra Dosh Nivaran Ke Upay : पितृ दोष निवारण के उपाय Pitra dosh nivaran ke upay in Hindi: हिंदू धर्म में श्राद्ध की व्यवस्था इसलिए की गई है कि मनुष्य साल में एक बार अपने पितरों को याद कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके। श्राद्ध का अर्थ अपने पितरों से प्रति व्यक्त की गई श्रद्धा से है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, उसके लिए भी श्राद्ध पक्ष का समय विशेष होता है क्योंकि इन 16 दिनों में किए गए कर्मों के आधार पर ही पितृ दोष से मुक्ति मिलना संभव है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो लोग श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण, पिण्डदान व श्राद्ध नहीं करते, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनमें से कुछ समस्या इस प्रकार है- उपरोक्त में से एक न एक बाधा पितृ दोष के कारण बनी रहती है। पितृ दोष निवारण के उपाय श्राद्ध में कौन सी वस्तु दान करने से क्या फल मिलता है? Shradh (Pitru Paksha) mein kya kare dan: पितृ पक्ष के सोलह दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म हो जाते हैं। श्राद्ध में गाय, तिल, भूमि, नमक, घी आदि दान करने की परंपरा है। Shradh (Pitru Paksha) mein kya kare dan इन सभी वस्तुओं को दान करने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं। धर्म ग्रंथों में श्राद्ध में दान की गई वस्तु से मिलने वाले फलों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है, लेकिन बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं श्राद्ध में क्या वस्तु दान करने से उसका क्या फल प्राप्त होता है- ये है श्राद्ध की सबसे आसान विधि आश्विन कृष्ण पक्ष में जिस दिन पूर्वजों की श्राद्ध तिथि आए, उस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध विधि-विधान से करना चाहिए। किंतु अगर आप किसी कारणवश शास्त्रोक्त विधानों से न कर पाएं तो यहां बताई श्राद्ध की सरल विधि से भी श्राद्ध कर सकते हैं- श्राद्ध विधि सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लीपकर व गंगाजल से पवित्र करें। घर के आंगन में रांगोली बनाएं। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं। श्राद्ध का अधिकारी श्रेष्ठ ब्राह्मण (या कुल के अधिकारी जैसे दामाद या बहन का पुत्र आदि) को न्योता देकर बुलाएं। ब्राह्मण से पितरों की पूजा एवं तर्पण आदि करवाएं। पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर अर्पित करें। गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास निकालें। ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, मुखशुद्धि, वस्त्र, दक्षिणा आदि से सम्मान करें। ब्राह्मण स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें एवं गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें। OCTOBER 7, 2015 BY AG LEAVE A COMMENT बार-बार उल्टी या डायरिया का होना - बिना बात के धन संबंधी नुकसान होना - ये भी पढ़े- ऐसे करें दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन, घर आएंगी सुख-समृद्धि ये भी पढ़े- दीपावली की रात को किए जाते हैं ये 11 अचूक टोने-टोटके शनि देव मान जाते हैं अगर आप - गाय , बैल को लात नही मारना चाहिये. ( एक ही परिवार के) को श्राद्ध करना चाहिए. एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है. फिर उस पुतली को छाती से लगाकर रखें. इससे स्त्री वशीभूत हो जाएगी. फूक मार के दीपक नही बुझाना. चाहिये. धन प्राप्ति के लिए राशि अनुसार उपाय - गृह क्लेश क्यों होता है teg :- Hindi Kahaniya With Moral, Hindi Story on Moral Values, Moral Stories in Hindi, Motivational Stories in Hindi, Short Hindi St... सफलता कि आदतें सफलता कि आदतें दो बचपन के दोस्त बहुत सालों के बाद मिलते है , एक दोस्त अपनी अच्छी आदतों के कारण सफलता के शिखर प... खोखले बहाने हम सब लोग बहाने बहुत बनाते है , मैं गरीब घर से आया हूँ , मेरी हाईट नहीं है , मैं सुन नहीं सकता , मैं देख नहीं सकता , मेरी... गधे की माँ गधे की माँ किसी मज़ार पर एक फकीर रहते थे। सैकड़ों भक्त उस मज़ार पर आकर दान-दक्षिणा चढ़ाते थे। उन भक्तों में एक बंजार... ☝ ✔ ✍‪ ➟ ⇨ ====================================================== ऊँ ऊँ ॐ ॐ लाभ मिलता है. फायदा होता है. शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है. ताक़त के लिए ये टोटका हमेशा बुरी नजर से बचाएगा. शत्रु से मुक्ति सुख शांति के लिए लाभ होगा. चाहिये अच्छे स्वास्थ्य के लिये काजल से वशीकरण "ऊँ ऊँ नम: शिवाय: मंत्र" "ऊँ ऊँ गं गणपतयै नम:" लाभ होगा फायदा होता है. लाभ होता है. गणेश चतुर्थी के दौरान - श्री गणेशजी "तह कुठठ इलाही का बान. कूडूम की पत्ती चिरावन. भाग भाग अमुक अंक से भूत. मारुं धुलावन कृष्ण वरपूत. आज्ञा कामरु कामाख्या. हारि दासीचण्डदोहाई. 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