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Saturday, October 8, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 1001. - 1100.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.




1001. पूर्णिमा - सुबह के समय हल्दी में थोडा पानी डालकर उससे घर के मुख्य दरवाज़े / प्रवेश द्वार पर ॐ बनायें.

1002. फड़कन - अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सीधे हाथ में लगातार खुजली हो, तो समझ लेना चाहिए कि आपको धन लाभ होने वाला है.

1003. फड़कन - कमर की दाहिनी ओर की फड़फड़ाहट किसी विपदा का संकेत देती है, वहीं बांई आरे की फड़फड़ाहट किसी शुभ समाचार का संकेत देती है.

1004. फड़कन - छाती में फड़फडाहट होना मित्र से मिलने की सूचना, छाती के दाहिनी आरे फडफ़डा़हट हो तो विपदा का संकेत, बांयी ओर फड़फड़ाहट हो तो जीवन में सघंर्ष और मध्य में फडफ़डाहट हो तो शुभ समाचार मिलता है.

1005. फड़कन - यदि  आपकी दाई कोहनी फड़कती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि भविष्य में आपकी किसी से साथ बड़ी लड़ाई होने वाली है.  लेकिन अगर बाईं कोहनी में फड़कन होती है तो यह बताता है कि समाज में आपकी प्रतिष्ठा और ओहदा बढ़ने वाला है.

1006. फड़कन - यदि  आपकी हथेली में  हलचल होती है तो यह यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आप जल्द ही किसी बड़ी समस्या में घिरने वाले हैं और अगर अंगुलियां फड़कती है तो यह इशारा करता है कि किसी पुराने दोस्त से आपकी मुलाकात होने वाली है.

1007. फड़कन - यदि  आपको अपनी  भौहों के बीच हलचल महसूस होती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि निकट भविष्य में आपको सुखदायक और खुशहाल जीवन मिलने वाला है.  इसके अलावा यह इस बात का भी संकेतक है कि आप जिस भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं आपको उसमें अनापेक्षित सफलता मिलने वाली है.

1008. फड़कन - यदि  इंसान के दोनों गाल एक साथ फड़कते हैं तो इससे धन लाभ की संभावना बढ़ जाती है.

1009. फड़कन - यदि  इंसान के होंठ फड़क रहे है तो इसका अर्थ है उसके जीवन में नया दोस्त आने वाला है.

1010. फड़कन - यदि  कनपटी के पास फड़कन पर धन लाभ होता है.

1011. फड़कन - यदि  दाई जांघ फड़कती है तो यह इस बात को दर्शाता है कि आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा और बाईं जांघ के फड़कने का संबंध धन लाभ से है.

1012. फड़कन - यदि  दाई पैर के तलवे के फड़कने का संबंध सामाजिक प्रतिष्ठा में हानि से और बाएं पैर के फड़कने का अर्थ निकट भविष्य में यात्रा से है.

1013. फड़कन - यदि  दाया कन्धा फड़कता है तो यह इस बात का संकेत है कि आपको अत्याधिक धन लाभ होने वाला है.  वहीं बाएं कंधे के फड़कने का संबंध जल्द ही मिलने वाली सफलता से है.  परंतु अगर आपके दोनों कंधे एक साथ फड़कते हैं तो यह किसी के साथ आपकी बड़ी लड़ाई को दर्शाता है.

1014. फड़कन - यदि  पीठ के फड़कने का अर्थ है कि आपको बहुत बड़ी समस्याओं को झेलना पड़ सकता है.

1015. फड़कन - यदि  पुरुष के शरीर के दाएं भाग में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई बड़ी खुशखबरी सुनने को मिल सकती है.  जबकि महिलाओं के मामले में यह उलटा है, दाएं हिस्से के फड़कने पर बुरी खबर सुनाई दे सकती है.

1016. फड़कन - यदि  बायें हाथ की हथेली में फड़फड़ाहट हो और वह व्यक्ति रोगी हो तो उसे शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ हो जाता है.

1017. फड़कन - यदि  माथे पर अगर हलचल होती है तो उसे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.

1018. फड़कन - यदि  व्यक्ति की ठोडी में फडफ़डा़हट का अनुभव हो तो मित्र के आगमन की सूचना देता है.

1019. फड़कन - यदि  व्यक्ति की दाईं आंख फड़कती है तो यह इस बात का संकेत है कि उसकी सारी इच्छाएं पूरी होने वाली हैं और अगर उसकी बाईं आंख में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई अच्छी खबर मिल सकती है.  लेकिन अगर दाईं आंख बहुत देर या दिनों तक फड़कती है तो यह लंबी बीमारी की तरफ इशारा करता है.

1020. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाये हाथ की हथेली में फड़फड़ाहट हो तो ये शुभ शकुन है.  उसे आने वाले समय में शुभ सपंदा की प्राप्ति होती है.

1021. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाहिने हाथ का अंगूठा फड़फड़ाये तो उसकी अभिलाषा पूर्ति में विलबं होता है और हाथ की अंगुलियां फडफ़डा़यें तो अभिलाषा की पूर्ति के साथ-साथ किसी मित्र से मिलन होता है.

1022. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाहिने हाथ की कोहनी फड़फड़ाती है, तो किसी से झगडा़ तो होता है परतुं विजय उसे ही मिलती है आरै बायें हाथ की कोहनी  फड़फडा़यें तो धन की प्राप्ति होती है.

1023. फड़कन - यदि  हथेली के किसी काने में फडफ़डा़हट हो तो निकट भविष्य में व्यक्ति किसी विपदा में फसं जाता है.

1024. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति का ऊपरी होठ फडफ़डायें तो शत्रुओं से हो रहे झगडे़ में समझौता हो जाता है.

1025. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की कमर का सीधा हिस्सा फड़कता है तो यह इस बात का संकेत है कि भविष्य में धन लाभ की संभावनाएं हैं.

1026. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की गर्दन बांयी तरफ से फड़कती हो तो धन हानि होने की आशंका तथा गर्दन दांयी तरफ से फडके तो स्वर्ण आभूषणों की प्राप्ति होती है.

1027. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की नाक फड़फड़ाती हो तो उसके व्यवसाय में बढ़ोत्तरी हातेी है.   किसी व्यक्ति के नाक के नथुने के अंदर फड़फड़ाहट महसूस हो तो उसे सुख मिलता है.  यदि नाक की जड़े फड़के तो लडा़ई झगड़ा होने की संभावना रहती है.

1028. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति के दोनो आरे के गाल समान रूप से फडफ़डाएं तो उसे  धन की प्राप्ति होती है.

1029. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति के संतान उत्पन्न होने वाली हो और उसके बायें गाल के मध्य में फड़फड़ाहट हो तो उसके घर कन्या का जन्म होता है और जन्म होने की संभावना न हो तो पुत्री से कोई शुभ समाचार मिलता है.

1030. फड़कन - यदि किसी स्वस्थ व्यक्ति का दाहिना गाल फड़के तो उसे लाभ होता है.  सुंदर स्त्री से लाभ मिलता है.

1031. फड़कन - यदि गले का फड़कना भी एक अच्छा संकेत है क्योंकि यह आपके लिए खुशहाली, सम्मान और आराम लाने वाला है.

1032. फड़कन - यदि जब किसी व्यक्ति का दाहिना कंधा फड़फड़ाहट करता है तो उसे धन संपदा मिलती है.

1033. फड़कन - यदि जीभ फड़के तो लड़ाई झगड़ा होता है.

1034. फड़कन - यदि दाँया तालु फड़के तो धन की प्राप्ति होती है.  यदि बाँया तालु फड़के तो व्यक्ति को जेल यात्रा करनी पड़ सकती है.

1035. फड़कन - यदि दाँयी बाजू फडफ़डा़ती है तो धन और यश की प्राप्ति होती है तथा बाँयी ओर की बाहं फडफ़डाए तो नष्ट अथवा खोई हुई वस्तु की प्राप्ति हो जाती है.

1036. फड़कन - यदि दांत का ऊपरी भाग फडफ़ड़ाहट करता है तो व्यक्ति को प्रसन्नता प्राप्त होती है.

1037. फड़कन - यदि दाहिनी आंख का मध्य भाग फड़के तो व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर धन अर्जित कर लेता है.  दाहिनी आंख चारो तरफ से फड़के तो व्यक्ति के रागी होने की संभावना रहती है.

1038. फड़कन - यदि दाहिने कान का छेद फड़फडा़ता है तो मित्र से मुलाकात होती है.  यदि दाहिना कान फड़फड़ाता है तो  अच्छे समाचार की प्राप्ति होती है.

1039. फड़कन - यदि दोनों होठ फडफडा़यें तो कहीं से सुखद समाचार मिलता है.

1040. फड़कन - यदि बांये कान का पिछला भाग फडक़ ता है तो मित्र से बुलावा आता ह अथवा कोई खुश खबरी भरा पत्र मिलता है.  यदि बांया कान बजे तो बुरी खबर सुनने को मिलती है.

1041. फड़कन - यदि बायीं आख का फड़कना स्त्री से दुख का, वियोग का लक्षण है.  बांयी आंख चारो ओर से फड़कने लगे तो विवाह के योग बनते हैं.

1042. फड़कन - यदि मुंह का फड़फड़ाना पुत्र की ओर से किसी शुभ समाचार को सुनवाता है.  यदि पूरा मुंह फड़के तो व्यक्ति की मनोकामनापूर्ण होती है.

1043. फड़कन - यदि ललाट मध्य से फडक़ने लगे तो लाभदायक यात्रायें हातेी है.  यदि पूरा ललाट फड़के तो सम्मान तथा नौकरी में प्रमोशन होना होता है.

1044. फड़कन - यदि संपूर्ण मस्तक का फड़कना दूर स्थान की यात्रा का संकेत समझना चाहिए तथा मार्ग में परशोनियां भी आती है.

1045. फड़कन - यदि सिर का मध्य भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है तथा परेशानियों से मुक्ति मिलती है.

1046. मंत्र केतु - "ऊँ ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।।" जप समय-रात्रि जप संख्या-17000 हवन समिधा-कुशा. इस मंत्र का जप हर रिश्तों में तनाव दूर का कर सुख-शांति देता है.

1047. मंत्र गुरु - "ऊँ ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः।।" जप समय-संध्या जप संख्या-19000 हवन समिधा-अश्वत्थ. इस मंत्र के जप से सुखद वैवाहिक जीवन, आजीविका व सौभाग्य प्राप्त होता है.

1048. मंत्र चंद्र - "ऊँ ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।।" जप समय-संध्या जप संख्या-11000 हवन समिधा-पलाश. इस मंत्र के जप से मानसिक परेशनियां दूर होती है। पेट व आंखों की बीमारियों में राहत मिलती है.

1049. मंत्र बुध - "ऊँ ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।" जप समय-5 घटी शेष दिन जप संख्या-9000 हवन समिधा- अपामार्ग. इस मंत्र का जप बुद्धि व धन का लाभ देता है। घर या कारोबार की आर्थिक समस्याएं व निर्णय क्षमता बढ़ाता है.

1050. मंत्र मंगल - "ऊँ ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।" जप समय-2 घटी शेष दिन जप संख्या-10000 हवन समिधा-खदिर. इस मंत्र के जप से भूमि, संपति व विवाह बाधा दूर होने के साथ ही सांसारिक सुख मिलते हैं.

1051. मंत्र राहु - "ऊँ ऊँ भ्रां भीं भौं सः राहवे नमः।।" जप समय-रात्रि जप संख्या-18000 हवन समिधा-दुर्वा. इस मंत्र का जप मानसिक तनाव व विवादों का अंत करता है। साथ ही आध्यात्मिक सुख भी देता है.

1052. मंत्र शनि - "ऊँ ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।" जप समय-मघ्यान्ह जप संख्या-23000 हवन समिधा-शमी. इस मंत्र का जप तन, मन, धन से जुडी तमाम परेशानियां दूर करता है। भाग्यशाली बनाता है.

1053. मंत्र शुक्र - "ऊँ ऊँ द्रां द्रां द्रौं सः शुक्राय नमः।।" जप समय-सूर्याेदय जप संख्या-16000 हवन समिधा-उटुम्बर. इस मंत्र का जप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाता है। वैवाहिक जीवन में कलह व अशांति को दूर करता है.

1054. मंत्र सूर्य -  "ऊँ ऊँ ह्नां ह्नीं ह्नौं सः सूर्याय नमः।।"  जप समय-सूर्य उदय जप संख्या-7000 हवन समिधा-अर्क . इस मंत्र के जप से पद, यश, सफलता, तरक्की, सामजिक प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, संतान सुख प्राप्त होता है.

1055. मनीप्लांट  -  को कभी ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में ना रखें.  इससे पैसों का नुकसान तो होगा ही, सेहत और रिश्तों पर भी नेगेटिव असर पड़ेगा.

1056. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट के पत्तों का मुरझाना या सफ़ेद हो जाना भी अशुभ माना जाता है.  रोज़ मनी प्लांट को पानी दें और सफ़ेद या मुरझाई पत्तियों को कांट दें.

1057. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट के लिए आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) को श्रेष्ठ माना जाता है.  इसे गणेशजी की दिशा मानी जाती है.  यहां रखा मनीप्लांट सुख-समृद्धि बढ़ाता है.

1058. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट को घर के बाहर लगाने की जगह घर के अंदर ही लगाना शुभ होता है.  इसे गमले या बोतल में लगाया जा सकता है.

1059. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट धन के साथ-साथ रिश्तों में मधुरता लाने का काम भी करता है.  इसे भूलकर भी पूर्व-पश्चिम में न लगाए वरना पति-पत्नी के बीच तनाव हो सकता है

1060. मनीप्लांट  -  हमेशा ध्यान रखें मनी प्लांट की बेलें कभी भी जमीन पर नहीं फैलानी चाहिए.  ऐसा होना भी घर में कई तरह के नुकसान का कारण बन सकता है.

1061. मान सम्मान -  कबूतरों/चिड़ियों को चावल-बाजरा मिश्रित कर के डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें.

1062. मान सम्मान - "अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:. चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्. ."इसका सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर उनकी सेवा करता है.  उसकी उम्र, विद्या,ज्ञान यश और शक्ति लगातार बढ़ती जाती है.

1063. मान सम्मान - अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो, गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें, हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें .

1064. मान सम्मान - अगर आपको कड़ी मेहनत के बाद भी बार-बार असफलता मिल रही है तो नींबू का एक छोटा सा उपाय आपके सारे काम बना देगा.  इसके लिए आप एक नींबू और 4 लौंग लेकर किसी निकट के हनुमान मंदिर में जाएं.  वहां हनुमानजी की प्रतिमा के सामने बैठकर नींबू के ऊपर चारों लौंग लगा दें, इसके बाद हनुमानचालिसा का पाठ करें.  पाठ करने के बाद हनुमानजी से सफलता दिलवाने की प्रार्थना करें और इस नींबू को जेब में लेकर जाएं.  आपको निश्चित ही सफलता मिलेगी.

1065. मान सम्मान - अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें.  उसपर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें : "ॐ ॐ श्री हनुमते नम:" 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं.  काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी.

1066. मान सम्मान - अपने बच्चे के दूध का प्रथम दाँत संभाल कर रखे, इसे चाँदी के यंत्र में रखकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

1067. मान सम्मान - आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें . उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय. प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें . धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी.

1068. मान सम्मान - आप जिस कार्य के बारे में जानना चाहते हैं वह शुभ नहीं है उसके बारे में सोचना बंद कर दें.  नवग्रह की पूजा करने से आपको सफलता मिलेगी.

1069. मान सम्मान - आपकी समस्याएं शीघ्र ही दूर होंगी.  आप सिर्फ आपके काम में मन लगाएं और भगवान शंकर की पूजा करें.

1070. मान सम्मान - आपके ग्रह अनुकूल नहीं है इसलिए आप रोज नवग्रहों की पूजा करें.  इससे आपकी समस्याएं कम होंगी और लाभ मिलेगा.

1071. मान सम्मान - एक सूर्ख लाल रंग के मोटे कागज का टुकड़ा ले लीजिये.  इसको त्रिभुजाकार काट लीजिये.  तीनों भुजाएं बराबर होना चाहिए.  इस त्रिभुज वाले टुकड़े को अपने काम के स्थान पर रखें.  वहां रखे जाहां आप बराबर आप उसे देख सकें.  इससे आपका मणिपुर चक्र इंप्रूव होगा और आपके साहस एवं आत्म विश्वास का स्तर बढ़ जाएगा.

1072. मान सम्मान - किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें.  मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं.  इससे सफलता प्राप्त होती है.

1073. मान सम्मान - किसी दुकान में जाकर किसी भी शुक्रवार को कोई भी एक स्टील का ताला खरीद लीजिए . लेकिन ताला खरीदते वक्त न तो उस ताले को आप खुद खोलें और न ही दुकानदार को खोलने दें ताले को जांचने के लिए भी न खोलें . उसी तरह से डिब्बी में बन्द का बन्द ताला दुकान से खरीद लें . इस ताले को आप शुक्रवार की रात अपने सोने के कमरे में रख दें . शनिवार सुबह उठकर नहा-धो कर ताले को बिना खोले किसी मन्दिर, गुरुद्वारे या किसी भी धार्मिक स्थान पर रख दें . जब भी कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला खुल जायगा .

1074. मान सम्मान - किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य ही कार्य में सफलता मिलती है.

1075. मान सम्मान - किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें.  फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें.  उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें.  तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें.  इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है.

1076. मान सम्मान - किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर चावल चढ़ाएं, ध्यान रहे सभी चावल पूरे होने चाहिए.  खंडित चावल नहीं चढ़ाने चाहिए. लाभ  होता है.

1077. मान सम्मान - की प्राप्ति के लिए कबूतरों को चावल डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें.

1078. मान सम्मान - कोई काम न बन रहा हो तो 19 शनिवार तक आप पीपल के पेड़ में धागा लपेटें और तिल के तेल का ही दीया जलाएं.  इस दीये में 11 दाने काली उड़द के जरूर रखें.  इसके अलावा प्रतिदिन संध्या को पीपल में घी का दीया जलाकर रखें.  ध्यान रखें कि पीपल को शनिवार को ही छुएं.

1079. मान सम्मान - कोई शत्रु परेशान कर रहा है तो चांदी के पांच छोटे-छोटे सांप बनवाकर उनकी आंखों में सुरमा लगाएं और 21 दिनों तक अपने पैरों के नीचे दबाकर सोएं.  शत्रु परेशान करना छोड़ देगा.

1080. मान सम्मान - गले, हाथ या पैर में काले डोरे को पहनने से व्यक्ति को समाज में सरलता से मान सम्मान की प्राप्ति होती है, उसे हर क्षेत्र में विजय मिलती है.

1081. मान सम्मान - गले, हाथ या पैर में काले डोरे को पहनने से व्यक्ति को समाज में सरलता से मान सम्मान की प्राप्ति होती है, उसे हर क्षेत्र में विजय मिलती है.

1082. मान सम्मान - गुरु ग्रह को सौभाग्य, सम्मान और समृद्धि नियत करने वाला माना गया है. यश व सफलता के इच्छुक हर इंसान के लिये गुरु ग्रह दोष शांति का एक बहुत ही सरल उपाय बताया गया है. यह उपाय औषधीय स्नान के रूप में प्रसिद्ध है इसे हर इंसान दिन की शुरुआत में नहाते वक्त कर सकता है.

1083. मान सम्मान - जिन व्यक्तियों को निरन्तर कर्ज घेरे रहते हैं, उन्हें प्रतिदिन “ऋणमोचक मंगल स्तोत्र´´ का पाठ करना चाहिये.  यह पाठ शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिये.  यदि प्रतिदिन किसी कारण न कर सकें, तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करना चाहिये.

1084. मान सम्मान - जिन व्यक्तियों को लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान न बन पा रहा हो, प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं.  ऐसा नियमित करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी या पैतृक सम्पति प्राप्त होगी.  अगर सम्भव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें.  “ॐ ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति. . ´´

1085. मान सम्मान - जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता.

1086. मान सम्मान - ज्येष्ठा नक्षत्र में जामुन के वृक्ष की जड़ लाकर अपने पास संभल कर रखने से उस व्यक्ति को समाज से / प्रसाशन से अवश्य ही मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

1087. मान सम्मान - ताले की दुकान पर किसी भी शुक्रवार को जाएं और एक स्टील या लोहे का ताला खरीद लें.  लेकिन ध्यान रखें ताला बंद होना चाहिए, खुला नहीं.  ताला खरीदते समय उसे न दुकानदार को खोलने दें और न आप खुद खोलें.  ताला सही है या नहीं, यह जांचने के लिए भी न खोलें.  बस, बंद ताले को खरीदकर ले आएं.  उस ताले को एक डिब्बे में रखें और शुक्रवार की रात को ही अपने सोने वाले कमरे में बिस्तर के पास रख लें.  शनिवार सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर ताले को बिना खोले किसी मंदिर या देवस्थान पर रख दें.  ताले को रखकर बिना कुछ बोले, बिना पलटे वापस अपने घर आ जाएं.  जैसे ही कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला भी खुल जाएगा.

1088. मान सम्मान - दुर्गा सप्तशती के द्वादश (12 वें ) अध्याय के नियमित पाठ करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होती है.

1089. मान सम्मान - नमक जब भी डिब्बे से निकाले चम्मच का प्रयोग करें उसे उँगलियों से नहीं निकाले. पुराने ज़माने में बड़े बूढ़े कहते थे कि यदि नमक गिराओगे तो आँखों की पलकों से उठाना पड़ेगा. जिस घर में नमक का निरादर होता है, नमक का नुकसान होता है या नमक का ज्यादा सेवन होता है तो वहाँ निवासियों को मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है.  उन्हें कभी भी समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता है. इस दोष से बचने के लिए आप लगातार 7 रविवार को 5 बादाम किसी धार्मिक स्थान में चढ़ाएं. रविवार को यथा संभव नमक का प्रयोग ना करें या सेंधा नमक का ही प्रयोग करें और एक समय मीठा भोजन ग्रहण करें.

1090. मान सम्मान - नहाते वक्त नीचे लिखी चीजों में से थोड़ी मात्रा में कोई भी एक चीज जल में डालकर नहाने से गुरु दोष शांति होती है और व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है. गुड़, सोने की कोई वस्तु ,हल्दी, शहद, शक्कर, नमक, मुलेठी, पीले फूल, सरसों.

1091. मान सम्मान - नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें. उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें . ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें . उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो.

1092. मान सम्मान - पक्षी को खिलाने से व्यापार-नौकरी में लाभ होता है, घर में खुशियां बढ़ती हैं और व्यक्ति समृद्धि के द्वार खोल देता है.

1093. मान सम्मान - महालक्ष्मी मंदिर में तीन झाड़ू, गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें.  ये दान किसी को बिना बताए करें. लाभ  होता है.

1094. मान सम्मान - यदि आप अपने करियर को लेकर चिंतित हैं तो श्रीगणेश की पूजा करने से आपको लाभ मिलेगा.

1095. मान सम्मान - यदि आप चाहते है कि आप जो भी काम कर रहे है आपको उसमे सफलता मिले आपको अपने काम से मान सम्मान की प्राप्ति हो तो आप अपने घर के दक्षिणी हिस्से में गमलो में ढ़ेर सारे लाल फूल लगाकर उनकी देखभाल करें.

1096. मान सम्मान - यदि आप चाहते हैं कि आपके कार्यों की सर्वत्र सराहना हो, लोग आपका सम्मान करें, आपकी यश कीर्ति बड़े तो रात को सोने से पूर्व अपने सिरहाने तांबे के बर्तन में जल भरकर रखें और प्रात:काल इस जल को अपने ऊपर से सात बार उसार करके किसी भी कांटे वाले पेड़ की जड़ में डाल दें.  ऐसा नियमित 40 दिन तक करने से आपको अवश्य ही लाभ मिलेगा.

1097. मान सम्मान - यदि आपकी कुंडली में मंगल खराब असर देने वाला सिद्ध हो रहा है, या नीच का हो या फिर कुंडली मांगलिक हो तो सफेद सुरमा आंखों में लगाएं.  इससे मंगल शुभ फल देने लगता है.

1098. मान सम्मान - यदि आपकी गलती ना होते हुए भी आप पर झूठा कलंक लग गया हो तो आप सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले एक सफ़ेद रुमाल में थोड़े से कोयले रखकर उसे किसी निर्जन स्थान पर रख आये और मन ही मन में भगवान श्री गणेश जी से अपने ऊपर लगे कलंक को दूर करने के लिए प्रार्थना करें. फिर हाथ जोड़कर लौट आये, पीछे मुड़कर ना देखे. घर पर आकर अपने हाथ पाँव अच्छी तरह से धो लें, इस उपाय को बिलकुल गोपनीय तरीके से करें.  ऐसा कम से कम 6 महीने तक माह में एक बार अवश्य ही करें.

1099. मान सम्मान - यदि आपको जीवन में मान सम्मान की चाह है तो आप नमक का कम से कम सेवन करें. यह भी ध्यान रहे कि आपके घर में नमक खुला ना पड़ा हो या इधर उधर गिरता ना हो.

1100. मान सम्मान - यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो काला कम्बल किसी गरीब को दान दें, 6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों , कुएं में दूध डालें-  उस कुएं में पानी होना चहिए.


आधी रात के बाद तक ही बनाएं शारीरिक संबंध आप अपने जीवनसाथी और जिस व्यक्ति के साथ आप अपने जीवन के बाकी खर्च करेगा को पूरा करने के लिए बनाया गया है. एक बार के आप अपने प्रेमी सच रखें आप अपने सभी काम बहुत ही सावधानीपूर्वक करना पसंद करते हैं. आप जिंदगी में एडवेंचर चाहते हैं, लेकिन सतर्कता के साथ. घर के मुख्य द्वार के बाहर मौजूद फायर हाईड्रेंट (अग्निशमन यंत्र) इस बात की ओर इशारा करता है कि आप संभावित खतरों के प्रति सचेत रहना पसंद करते हैं. आप कामदेव के शत्रु महादेव जी के द्वारा वन्दित, ब्रह्मा आदि देवताओं से सेवित, विशुद्ध ज्ञानमय विग्रह और समस्त दोषों को नष्ट करने वाले हैं. आप जल्द ही खुद को बोझिल महसूस करने लगते हैं, लेकिन आपमें सबसे अच्छी बात यही है कि आप आशावादी हैं और खुद को बेहतर स्थिति में ला पाने में सक्षम है. आपने जो कुछ पीछे छोड़ दिया, उसके बारे में सोचिए. बुरा समय कठिन था. आप जितने ज्यादा वक्त तक काम करेंगे, उतना खुद को आजाद पाएंगे. आप ढेर सारे पैसे कमाना चाहते हैं, लेकिन आप ये भी जानते हैं कि इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. घर के मुख्य द्वार से सीधे ऊपर जाती सीढ़ियां ये इशारा करती हैं कि आप में आगे बढ़ने और जीवन में कुछ बड़ा करने की ललक है. आप नितान्त सुन्दर श्याम, संसार (आवागमन) रूपी समुद्र को मथने के लिये मन्दराचल रूप, फूले हुए कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं. आप बुरे समय को पीछे छोड़ चुके हैं. फिर भी आपमें वो क्षमता है कि उजाले को पा सकें. वो दूर ही सही, लेकिन आप उस तक पहुंच सकते हैं. आप लाइफ में रिस्क लेने से नहीं डरते और ऊंचाई पाने की आपकी यही ललक आपको नए मुकाम तक ले जा सकती है. बस प्रयास करते रहिए, सफलता जल्द आपके कदम चूमेगी….. आप सरल स्वभाव के शांति प्रिय व्यक्ति हैं. आप अपना अधिकांश समय एकांत में बिताना पसंद करते हैं. आपको अपने करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ उठना-बैठना ज्यादा रास आता है. कुल मिलाकार आप ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के कथन में विश्वास रखते हैं. आप हमेशा जानते हैं कि अगला कदम क्या होगा. आप खुले तौर पर अपने विचार रखते हैं. आपके लिए हर दरवाजा, दरवाजा ही है जिससे आप गुजर सकते हैं. आपका भविष्य खुशहाल है, क्योंकि आप जानते हैं कि आपको ज़िंदगी में क्या चाहिए. संतोषी होने की प्रवृत्ति आपको ईर्ष्यालु होने से बचाती है और यही आपकी खुशहाली और तरक्की की वजह भी है. आपकी उत्सुकता और एडवेंचर पहचानने की कला आपको आगे ले जाएगी. आप जो करना चाहते हैं, उसे बस कर गुजरें. सही है या गलत, ये न सोचें. आपके लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है. आपके जीवन में उतार-चढ़ाव हैं लेकिन उनसे पार पाने का माद्दा भी आपके पास है. आपका अच्छा समय आने वाला है बस आपको अपने आस-पास के लोगों की सही पहचान करनी है. आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या हो और बिगड़े काम नहीं बन रहे हो तो ज्योतिषियों द्वारा बताए गए अद्भुत उपाय अपनाएं और बिगड़े काम बनाएं. विदेश यात्रा में अड़चन, उन्नति में रुकावट, धन प्राप्ति में कठिनाई, विवाह में विलंब आदि सभी तरह के कार्यों के समाधान के लिए यहां प्रस्तुत हैं ऐसे ही कुछ उपाय या टोटके जिसको करने से सभी तरह की सम्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है. आपने अक्सर देखा होगा कि आम-अशोक है खास : हिन्दू धर्म में जब भी कोई मांगलिक कार्य होते हैं तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम या अशोक के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव के माहौल को धार्मिक और वातावरण को शुद्ध किया जाता है. अक्सर धार्मिक पंडाल और मंडपों में सजावट के लिए आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. आम या अशोक के पत्ते से सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होकर वातावरण शुद्ध होता है. आम के वृक्ष की हजारों किस्में हैं और इसमें जो फल लगता है वह दुनियाभर में प्रसिद्ध है. आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं. आमदनी बढ़ाने के लिए आमने-सामने रखी मूर्तियां आयुर्वेद के अनुसार इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है कि गर्भ के सातवें मास तक सेक्स किया जा सकता है, लेकिन सावधानीपूर्वक. आयुर्वेद का मानना है कि यदि गर्भ में लड़का है तो स्त्री की संभोग की इच्छा नहीं होगी या कम होगी. साथ ही यदि गर्भ में लड़की है तो स्त्री को संभोग की इच्छा बनी रहेगी. आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन का कारण हो सकता है. यूँ तो बन्ध्यत्व के कई कारण हो सकते हैं पर मुख्यतः स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का होता है- आयुर्वेद ने स्तनों की उत्तमता को यूं कहा है- स्तन अधिक ऊंचे न हों, अधिक लम्बे न हों, अधिक कृश (मांसरहित) न हों, अधिक मोटे न हों. स्तनों के चुचुक (निप्पल) उचित रूप से ऊंचे उठे हुए हों, ताकि बच्चा भलीभांति मुंह में लेकर सुखपूर्वक दूध पी सके, ऐसे स्तन उत्तम (स्तन सम्पत्‌) माने गए हैं. आयुर्वेद में बताया गया है कि कम उम्र के बच्चों और ज्यादा उम्र के पुरुषों को वाजीकरण औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए. इनका सेवन लगभग 16 से 50 साल तक की उम्र के लोगों को करना चाहिए. क्योंकि यही उम्र सेक्स करने के लिए सबसे ज्यादा अच्छा होता है. 16 साल से कम उम्र में या 50 साल से ज्यादा की उम्र में सेक्स करना बेकार होता है क्योंकि बाल्यकाल (युवावस्था से पहले की उम्र) में शरीर की धातुएं (वीर्य, शुक्राणु) पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं और अगर ऐसे में वह स्त्री के साथ संभोग क्रिया करता है तो वह उसके लिए व्यर्थ ही होता है और कभी-कभी हानिकारक भी हो जाता है. आयुर्वेदिक उपचार : अरंडी के पत्ते, घीग्वार (ग्वारपाठा) की जड़, इन्द्रायन की जड़, गोरखमुंडी एक छोटी कटोरी, सब 50-50 ग्राम. पीपल वृक्ष की अन्तरछाल, केले का पंचांग (फूल, पत्ते, तना, फल व जड़) , सहिजन के पत्ते, अनार की जड़ और अनार के छिलके, खम्भारी की अन्तरछाल, कूठ और कनेर की जड़, सब 10-10 ग्राम. सरसों व तिल का तेल 250-250 मिलीग्राम तथा शुद्ध कपूर 15 ग्राम. यह सभी आयुर्वेद औषधि की दुकान पर मिल आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी में हम अभी तक विभिन्न रोगों की दवाएँ बता चुके हैं. इसी कड़ी के अंतर्गत स्त्री संबंधी तथा पुरुष संबंधी रोगों में उपयोगी दवाओं की जानकारी दे रहे हैं. आरती में लौंग : आर्थिक तंगी दूर करने के लिए हनुमानजी के सामने करें 11 पीपल के पत्तों का यह उपाय आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए - आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए : इंद्रिय संयम – इंसान सादगी और मितव्ययता से रहे यह प्रशंसनीय है. किंतु सादगी और दरिद्रता तथा मितव्ययता और कंजूसी में फर्क बना रहे यह इन 6 बातों में पहला काम है इन उपायों से धन, संपत्ति, विवाह और भाग्य संबंधी बाधाएं दूर हो सकती हैं. इन उपायों से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी के पत्ते- इन नियमों का पालन करने से आपको समाज में मान सम्मान मिलना शुरू हो जायेगा. इन पांच को खाना खिलाएं- इन बातों का भी सदा रखे ध्यान इन वास्तु शास्त्र टिप्स से बनाये अपनी पढ़ाई बेहतर इस ग्रन्थ में मानव मस्तिष्क के 42 प्रभागों को जन्म कुंडली के विभिन्न घरों से संबंधित कर दिया गया है. हस्तरेखा के सिधान्तो और व्यक्ति की जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति से व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओ का बताया जा सकता है. इस टोटके इस तरह कर सकते है वास्तुदोष का अंत इस तरह यह कुछ सरल और प्रभावशाली टोटके हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता. ध्यान रहें, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं. इस दिशा में घड़ी लगाना है शुभ- इस दिशा में न रखें इस दिशा में न लगाएं घडी- इस दोष से बचने के लिए आप लगातार 7 रविवार को 5 बादाम किसी धार्मिक स्थान में चढ़ाएं. रविवार को यथा संभव नमक का प्रयोग ना करें या सेंधा नमक का ही प्रयोग करे और एक समय मीठा भोजन ग्रहण करें. इस प्रकार की हास्यास्पद स्थिति से बचने व बीमारी का इलाज करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार यहां दिए जा रहे हैं- इस प्रकार बन्ध्यत्व को दो भागों में बाँटा जा सकता है, एक तो पूर्ण रूप से बन्ध्यत्व होना, जिसका कोई इलाज न हो सके और दूसरा अपूर्ण बन्ध्यत्व होना, जिसे उचित चिकित्सा द्वारा दूर किया जा सके. किसी होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें या निम्नलिखित दवाई का प्रयोग करें- इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें. यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं. इस विधि का गलत प्रयोग न करें. इस व्याधि में योनि मार्ग पर लाल दाने और दाह भी हो सकता है. यह व्याधि आमतौर पर स्त्रियों में पाई जा रही है. इस श्लोक में 6 बातें बताई गई हैं, जिनका ध्यान दैनिक जीवन में रखने पर सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो सकती हैं. इस श्लोक में दूसरी बात बताई गई है इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि तुलसी के पत्ते और गंगाजल कभी बासी नहीं माने जाते हैं, अत: इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है. शेष सामग्री ताजी ही उपयोग करनी चाहिए. यदि कोई फूल सूंघा हुआ है या खराब है तो वह भगवान को अर्पित न करें. इसका सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर उनकी सेवा करता है. उसकी उम्र, विद्या,ज्ञान यश और शक्ति लगातार बढ़ती जाती है. इसके अतिरिक्त आज कल की संस्कृति, तेजी से बढ़ते टी वी , इन्टरनेट के चलन, बढ़ते भौतिकवाद के कारण भी नव दम्पति अपनी एक अलग ही रूमानी दुनिया का सृजन कर लेते है जिसके कारण भी कई बार टकराव होने लगता है. इसके अलावा युवतियों की एक समस्या और है- बेडौल, ज्यादा बड़े आकार के व शिथिल स्तन होना. इसके कारण हैं शरीर का मोटा होना, चर्बी ज्यादा होना, ज्यादा मात्रा में भोजन करना, मीठे व गरिष्ठ पदार्थों का सेवन, सुबह ज्यादा देर तक सोना, दिन में अधिक देर तक सोना आदि. मानसिक कारणों में एक कारण और है- कामुक विचारों का चिंतन करना, अश्लील साहित्य या चित्रों का अवलोकन, हमउम्र सहेलियों से इसके अलावा स्त्री के प्रजनन अंग का आंशिक या पूर्णतः विकसित न होना यानी योनि या गर्भाशय का अभाव, डिंबवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में दोष होना, पुरुष शुक्राणुहीनता के कारण गर्भ धारण न कर पाना, श्वेत प्रदर, गर्भाशय ग्रीवा शोथ, योनि शोथ, टीबी आदि कारणों से योनिगत स्राव क्षारीय हो जाता है, जिसके संपर्क में आने पर शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं व गर्भ नहीं ठहर पाता. इसलिए यदि आप चाहते हैं कि घर पर हमेशा लक्ष्मी मेहरबान रहे तो इस बात का ध्यान रखें कि किचन में जूठन न रखें व खाना भगवान को अर्पित करने के बाद ही जूठा करें. साथ ही, घर में किसी तरह की गंदगी जाले आदि न रहे. इसका खास ख्याल रखें. इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी इससे न केवल इससे पता चलता है कि आप निश्चित तौर पर उत्सुक स्वभाव के हैं, लेकिन कभी-कभी यह उत्सुकता नुकसान पहुंचा जाती है. आपके स्वभाव में उत्सुकता और सावधानी के बीच बड़ा अंतर है और आप इसे बेहतर ढंग से जानते हैं. आप अप्रत्याशित रूप से खतरा उठाने में सक्षम है, लेकिन ऐसी स्थिति में आपको नतीजों की भी फिक्र करनी चाहिए. इसी तरह जो बहु अपने सास ससुर की अपने माता पिता के तरह सेवा करती है उसके स्वयं के माता पिता को कोई भी कष्ट नहीं उठाना पड़ता है. उनका बुढ़ापा बहुत आसानी से हँस खेल कर कट जाता है. इसी तरह से 50 साल की उम्र अर्थात वृद्धावस्था में शरीर की सारी धातुएं (वीर्य, शुक्राणु) कमजोर हो जाती हैं. कमजोर शरीर वाला, कमजोर हड्डियों वाला व्यक्ति अगर किसी स्त्री के साथ संभोग करने में लग जाता है तो वह इसमें कुछ पाने के बजाय अपने शरीर का नाश करवा लेता है. रसायन औषधि के सेवन से जहां नए यौवन की प्राप्ति होती है वही वाजीकरण औषधियों के सेवन से यौनसुख मिलता है. जिस व्यक्ति का मन उसके वश में रहता है वह हमेशा वाजीकरण औषधि का सेवन कर सकता है. इसे भी पढ़े: ताजमहल और इसके साथ जुड़े 12 रोचक तथ्य इसे भी पढ़े:साहित्य के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन पर उनसे जुडी 5 बातें ईश्वर हर जगह नहीं हो सकता, इसलिए उसने मां बनाई... यह कहावत जितनी सच है, उतना ही बड़ा सच यह भी है कि किसी महिला को मां के दर्जे तक पहुंचाने वाले नौ महीने बेशकीमती होते हैं. इन नौ महीनों में वह क्या सोचती है, क्या खाती है, क्या करती है, क्या पढ़ती है, ये तमाम चीजें मिलकर आनेवाले बच्चे की सेहत और पर्सनैलिटी तय करती हैं. इन नौ महीनों को अच्छी तरह प्लान करके कैसे मां एक सेहतमंद जिंदगी को जीवन दे सकती है. उठे हुए बनाया जा सकता है. उत्तर : आप गम्भारी की छाल 50 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब महीन बारीक चूर्ण कर लें. इसे जैतून के तेल में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें. इसे सुबह नहाने से पहले स्तनों पर लगाकर मालिश करें. रात को सोते समय लेप कर मालिश करें और सुबह स्नान करते समय धो लें. यदि शरीर दुबला पतला हो तो पौष्टिक आहार लें. 3-4 माह में स्तनों का आकार सुडौल और पुष्ट हो जाएगा. उत्तर : आप यह प्रयोग करें- वीर्यशोधन वटी, दिव्य रसायन वटी, एडीजुआ और पुष्पधन्वा रस. चारों 1-1 गोली सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लें. इसके साथ दो दवाएँ होम्‍ियोपैथी की भी लेनी हैं. सप्ताह में एक दिन कोनियम 200 की 6-7 गोली मुंह में डालकर चूस लें. सिर्फ एक ही बार लें. सप्ताह के शेष छह दिन तक डेमियाना टरनेरा मदद टिंचर की 10-15 बूंद आधा कप पानी में डालकर सुबह-शाम पिएँ. जिस दिन कोनियम 200 लें उस उत्तर : ऋतुकाल तो पहले दिन से ही माना जाता है, जो कि 16 दिन का होता है, लेकिन गर्भाधान और सहवास के लिए सातवीं रात्रि से लेकर ऋतुकाल के अंतिम सोलहवें दिन तक की कुल 13 रात्रियाँ सेवन योग्य होती हैं. 16वीं रात्रि को गर्भाशय का मुँह बंद होने की संभावना भी रहती है, इसलिए 16वीं रात्रि को उपयोग में लेने का निर्देश नहीं दिया जाता, वरना यह रात्रि भी पुत्र प्राप्ति के लिए उपयोगी मानी गई है. उत्तेजना पर ध्यान- उन (आप) को जो एक (अद्वितीय), अद्भूत (मायिक जगत् में विलक्षण), प्रभु (सर्वसमर्थ), इच्छारहित, ईश्वर (सबके स्वामी), व्यापक, जगद्गुरू, सनातन (नित्य), तुरीय (तीनों गुणों से सर्वथा परे) और केवल (अपने स्वरूप में स्थित) हैं. उनके दिल में रहना है तो .

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