Tuesday, October 11, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 1101. - 1200.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.




1101. मान सम्मान - रात में सोते समय सिरहाने ताम्बे के बर्तन में जल भर कर उसमें थोड़ा शहद के साथ कोई भी सोने /चाँदी का सिक्का या अंगूठी रख लें फिर सुबह उठकर प्रभु का स्मरण करने के बाद सबसे पहले बिना कुल्ला किये उस जल को पी लें.

1102. मान सम्मान - शत्रुओं से निपटने के लिए प्रात:काल कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें.  अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा.

1103. मान सम्मान - सक्षम होने पर गरीबों को भोजन या अन्नदान से मिले पुण्य अदृश्य दोषों का नाश कर परिवार को संकट से बचाते हैं.  दान करने से सिर्फ एक पीढ़ी का नहीं सात पीढिय़ों का कल्याण होता है.

1104. मान सम्मान - सरकारी या निजी रोजगार क्षेत्र में परिश्रम के उपरांत भी सफलता नहीं मिल रही हो, तो नियमपूर्वक किये गये विष्णु यज्ञ की विभूति ले कर, अपने पितरों की `कुशा´ की मूर्ति बना कर, गंगाजल से स्नान करायें तथा यज्ञ विभूति लगा कर, कुछ भोग लगा दें और उनसे कार्य की सफलता हेतु कृपा करने की प्रार्थना करें.  किसी धार्मिक ग्रंथ का एक अध्याय पढ़ कर, उस कुशा की मूर्ति को पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें.  सफलता अवश्य मिलेगी.

1105. मान सम्मान - सुबह नींद से जागकर सबसे पहले अपनी दोनों हथेलियों को आपस मे मिलाकर किसी पुस्तक की तरह खोल लें और उसको ऊपर से नीचे तक गौर से देखते हुए यह श्लोक पढ़े –" “कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती. करमूले तू गोविन्दः प्रभाते कर दर्शनम “॥ इसके बाद जो स्वर चल रहा हो ( नाक के जिस छिद्र से साँस ले रहे हो ) धरती माता का दाहिने हाथ से स्पर्श करके उसी तरफ का पाँव जमीन पर रखें , और तभी घर के किसी भी सदस्य का चेहरा देखे. लेकिन यह ध्यान रखे कि शीशे में अपना चेहरा कम से कम आधे घंटे या नहाने से पहले बिलकुल भी ना देखे अन्यथा समाज में लाख चाह कर मान प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं हो पाती है या लंबे समय तक टिक नहीं पाती है.

1106. मान सम्मान - सुबह बिस्तर छोड़ते समय इस बात का अवश्य ही ध्यान दे कि आपका बिस्तर भी जल्दी ही व्यवस्थित हो जाय, जिन लोगो का बिस्तर , चादर, तकिया देर तक बिखरा पड़ा रहता है उन्हें अधिकतर मानसिक तनाव, चिंताएं घेरे रहती है, उनके ऊपर हर वक्त चिड़चडाहट सवार रहती है, उन्हें समाज में उचित सम्मान भी नहीं मिलता है, उनको शनि और राहु से भी पीड़ा मिलती है.

1107. रंग - अपने घर के पर्दों और अन्य वस्तुओं के रंग पर भी ध्यान दें.  काला, भूरा, कत्थई, मटमेला, सूर्ख लाल, जामूनी आदि रंगों का कम ही इस्तेमाल करें.

1108. रंग - कार्य में रुकावट या सफलता में आपके घर और कपड़े के रंग का भी बहुत योगदान रहता है.  कभी भी हल्के, काले, कत्थई, भूरे और मटमैले रंग के कपड़े न पहनें.  अधिकतर सफेद, नीले, लाल, हरे और गुलाबी रंग के कपड़े ही पहनें.

1109. लाभ - किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर “बटुक भैरव स्तोत्र´´ का एक पाठ कर के गौ, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए.  ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी.

1110. लौंग - अगर किसी जरूरी काम में सफलता चाहते हैं तो एक नींबू के ऊपर 4 लौंग गाड़ दें और "ॐ ॐ श्री हनुमते नम:" मंत्र का 21 बार जाप कर उस नींबू को अपने साथ ले कर जाएं. आपका काम बन जाएगा.

1111. लौंग - इच्छा के विरूद्ध कार्य करना पड़ रहा हो तो इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है.  यदि ऐसा है तो आप कपूर और एक फूल वाली लौंग एक साथ जलाकर दो-तीन दिन में थोड़ी-थोड़ी खा लें.  आपकी इच्छा के विपरीत कार्य होना बंद हो जाएगा.

1112. लौंग - कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें.  अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा.

1113. लौंग - गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई हो.  इसकी आराधना करें.  इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें.

1114. लौंग - सुबह पूजा के बाद आरती करते समय दीपक में 2 लौंग डाल कर आरती करें या कपूर में दो फूल वाले लौंग डालकर आरती करें. आपके हर काम सुगमता से होंगे और किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आएगी.

1115. वास्तु -  हर रोज इष्ट देव की पूजा के दौरान हाथों में सफेद चन्दन लगे सफेद फूल व अक्षत लेकर वास्तुदेव का नीचे लिखे वेद मंत्र से ध्यान कर घर-परिवार से सारे कलह, संकट व दोष दूर करने की कामना करें व फूल, अक्षत इष्टदेव को चढ़ाकर धूप, दीप आरती करें. "वास्तोष्पते प्रति जानीह्यस्मान् त्स्वावेशो अनमीवो: भवान्.  यत् त्वेमहे प्रति तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे. . " ऋग्वेद के इस मंत्र का सरल शब्दों में अर्थ है – हे वास्तु देवता, हम आपकी सच्चे हृदय से उपासना करते हैं.  हमारी प्रार्थना को सुन आप हमें रोग-पीड़ा और दरिद्रता से मुक्त करें.  हमारी धन-वैभव की इच्छा भी पूरी करें.  वास्तु क्षेत्र या घर में रहने वाले सभी परिजनों, पशुओं व वाहनादि का भी शुभ व मंगल करें.

1116. वास्तु - अक्सर लोग शुभ विचारों के आगमन हेतु घर के प्रवेश द्वार पर बिना सोचे समझे ही गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा लगा देते हैं .  ध्यान दें यदि आपके घर का मुँह उत्तर या दक्षिण मुखी है तभी गणेश जी की प्रतिमा लगायें अन्यथा नहीं.

1117. वास्तु - जिस प्रकार धन को छुपाकर रखते हैं उसी प्रकार झाड़ू को भी घर में आने जाने वालों की नज़रों से दूर रखें.  जो लोग झाड़ू के लिए एक नियत स्थान बनाने की बजाय कहीं भी रख देते हैं, उनके घर में धन का आगमन प्रभावित होता है.  इससे आय और व्यय में असंतुलन बना रहता है.  आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

1118. विवाह  - "ॐ ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम: ॥" मंत्र का पांच माला प्रति गुरुवार जप करें.

1119. विवाह  - अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है.

1120. विवाह  - कन्या के विवाह की चर्चा करने उसके घर के लोग जब भी किसी के यहाँ जायें तो कन्या खुले बालों से, लाल वस्त्र धारण कर हँसते हुए उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे.  विवाह की चर्चा सफल होगी.

1121. विवाह  - कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहाँ पर दुल्हन को मेहँदी लग रही हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस दुल्हन के हाथ से लगवा ले इससे विवाह का मार्ग शीघ्र प्रशस्त होता है.

1122. विवाह  - कन्या सफेद खरगोश को पाले तथा अपने हाथ से उसे भोजन के रूप में कुछ दे.

1123. विवाह  - गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये .  यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए,इससे शीघ्र विवाह के योग निस्संदेह बनते है.

1124. विवाह  - गुरुवार को केले के वृ्क्ष पर जल अर्पित करके शुद्ध घी का दीपक जलाकर गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने से जल्दी ही जीवनसाथी की तलाश पूर्ण हो जाती है.

1125. विवाह  - गुरुवार को बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए.  पीले रंग की वस्तुएं जैसे हल्दी, पीला फल, पीले रंग का वस्त्र, पीले फूल, केला, चने की दाल आदि इसी तरह की वस्तुएं गुरु ग्रह को चढ़ानी चाहिए.

1126. विवाह  - गुरूवार को वट वृक्ष, पीपल, केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से विवाह बाधा दूर होती है.

1127. विवाह  - जिन लड़कों का विवाह नहीं हो रहा हो या प्रेम विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र मनपसंद विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए. “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा. ”

1128. विवाह  - जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोड़ा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है.

1129. विवाह  - पूर्णिमा को वट वृक्ष की 108 परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है.

1130. विवाह  - प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करें . विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी .

1131. विवाह  - बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है इनकी पूजा से विवाह के मार्ग में आ रही सभी अड़चनें स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं.  इनकी पूजा के लिए गुरुवार का विशेष महत्व है.

1132. विवाह  - बृहस्पति, शुक्र, बुद्ध और सोम इन वारों में विवाह करने से कन्या सौभाग्यवती होती है. विवाह में चतुर्दशी, नवमी इन तिथियों को त्याग देना चाहिए.

1133. विवाह  - यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :—- शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें . इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें . तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें .

1134. विवाह  - यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें . भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें . विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी .

1135. विवाह  - यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है तो वह कन्या विवाह की कामना से भगवान श्रीगणेश को मालपुए का भोग लगाए तो शीघ्र ही उसका विवाह हो जाता है.

1136. विवाह  - यदि विवाह के पूर्व लड़का-लड़की मिलना चाहें तो वह इस प्रकार बैठे कि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो.

1137. विवाह  - विवाह के पश्चात एक वर्ष तक पिण्डदान,मृक्ति का स्नान, तिलतर्पण, तीर्थयात्रा,मुण्डन,प्रेतानुगमन आदि नहीं करना चाहिये.

1138. विवाह  - विवाह के लिए मंत्र " गौरी आवे ,शिव जो ब्यावे (विवाह योग्य लड़के या लड़की का नाम) का विवाह तुरंत सिद्ध करेँ, देर ना करेँ, जो देर होए , तो शिव को त्रिशूल पड़े, गुरु गोरखनाथ की दुहाई फिरै.. "

1139. विवाह  - विवाह योग्य युवक-युवती जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या कबाड़ का सामान कभी भी नहीं रखना चाहिए.

1140. विवाह  - विवाह योग्य लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है.

1141. विवाह  - विवाह योग्य व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए.

1142. विवाह  - विवाह वार्ता के लिए घर आए अतिथियों को इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख घर में अंदर की ओर हो, उन्हें द्वार दिखाई न दे.

1143. विवाह  - शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक ईंट के ऊपर कोयले से “बाधायें” लिखकर ईंट को उल्टा करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख दीजिये,और शादी के बाद उस ईंट को उठाकर किसी पानी वाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खाने का सामान डाल दीजिये, विवाह के समय और विवाह के बाद में वर/वधु के दाम्पत्य जीवन में बाधायें नहीं आयेंगी, यह काम वर – वधु या उनके घर का कोई भी सदस्य कर सकता है.

1144. विवाह  - शिव-पार्वती का पूजन करने स भी विवाह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं.  इसके लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें.

1145. विवाह  - शिव-पार्वती का पूजन करने से भी विवाह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं.  इसके लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें.

1146. विवाह  - शीघ्र विवाह की इच्छा रखने वाले युवाओं को गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए. इस व्रत में खाने में पीले रंग का खाना ही खाएं, जैसे चने की दाल, पीले फल, केले खाने चाहिए.  इस दिन व्रत करने वाले को पीले रंग के वस्त्र ही पहनने चाहिए.

1147. विवाह  - शीघ्र विवाह के लिए सोमवार को 1200 ग्राम चने की दाल व सवा लीटर कच्चे दूध का दान करें.  यह प्रयोग तब तक करते रहना है जब तक कि विवाह न हो जाय.

1148. विवाह  - शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें.

1149. विवाह  - शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सात केले, सात गौ ग्राम गुड़ और एक नारियल लेकर किसी नदी या सरोवर पर जाएं.  अब कन्या को वस्त्र सहित नदी के जल में स्नान कराकर उसके ऊपर से जटा वाला नारियल ऊसारकर नदी में प्रवाहित कर दें.  इसके बाद थोड़ा गुड़ व एक केला चंद्रदेव के नाम पर व इतनी ही सामग्री सूर्यदेव के नाम पर नदी के किनारे रखकर उन्हें प्रणाम कर लें.  थोड़े से गुड़ को प्रसाद के रूप में कन्या स्वयं खाएं और शेष सामग्री को गाय को खिला दें.  इस टोटके से कन्या का विवाह शीघ्र ही हो जाएगा.

1150. विवाह - अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है.

1151. विवाह - कन्या के विवाह की चर्चा करने उसके घर के लोग जब भी किसी के यहाँ जायें तो कन्या खुले बालों से,लाल वस्त्र धारण कर हँसते हुए उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे, विवाह की चर्चा सफल होगी.

1152. विवाह - कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहाँ पर दुल्हन को मेहँदी लग रही हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस दुल्हन के हाथ से लगवा ले इससे विवाह का मार्ग शीघ्र प्रशस्त होता है.

1153. विवाह - कन्या सफेद खरगोश को पाले तथा अपने हाथ से उसे भोजन के रूप में कुछ दे.

1154. विवाह - किसी भी शुभ दिवस पर मिटटी का एक नया कुल्हड़ लाएँ तथा उसमे एक लाल वस्त्र,सात काली मिर्च एवं सात ही नमक की साबुत कंकड़ी रख दें, हांडी का मुख लाल कपडे से बंद कर दें एवँ कुल्हड़ के बाहर कुमकुम की सात बिंदियाँ लगा दे फिर उसे सामने रख कर निम्न मंत्र की ५ माला जप करेँ. मन्त्र जप के पश्चात हांडी को चौराहे पर रखवा देँ| यह बहुत ही असरदायक प्रयोग है.

1155. विवाह - के पश्चात एक वर्ष तक पिण्डदान,मृक्ति का स्नान, तिलतर्पण, तीर्थयात्रा,मुण्डन,प्रेतानुगमन आदि नहीं करना चाहिये.

1156. विवाह - के लिए सोमवार को १२०० ग्राम चने की दाल व सवा लीटर कच्चे दूध का दान करें| यह प्रयोग तब तक करते रहना है जब तक कि विवाह न हो जाय.

1157. विवाह - गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये | यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए,इससे शीघ्र विवाह के योग निस्संदेह बनते है.

1158. विवाह - गुरुवार को केले के वृ्क्ष पर जल अर्पित करके शुद्ध घी का दीपक जलाकर गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने से जल्दी ही जीवनसाथी की तलाश पूर्ण हो जाती है.

1159. विवाह - गुरुवार को बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए.  पीले रंग की वस्तुएं जैसे हल्दी, पीला फल, पीले रंग का वस्त्र, पीले फूल, केला, चने की दाल आदि इसी तरह की वस्तुएं गुरु ग्रह को चढ़ानी चाहिए.  साथ ही शीघ्र विवाह की इच्छा रखने वाले युवाओं को गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए. इस व्रत में खाने में पीले रंग का खाना ही खाएं, जैसे चने की दाल, पीले फल, केले खाने चाहिए.  इस दिन व्रत करने वाले को पीले रंग के वस्त्र ही पहनने चाहिए. "ॐ ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम: ॥" मंत्र का पांच माला प्रति गुरुवार जप करें.

1160. विवाह - गुरूवार को वट वृक्ष, पीपल, केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से विवाह बाधा दूर होती है

1161. विवाह - जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है. परन्तु विवाह संपन्न होने में बाधा आ रही है उन व्यक्तियों को यह उपाय करना चाहिए. इस उपाय में शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें|

1162. विवाह - जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोड़ा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है.

1163. विवाह - पश्चिम दिशा  की  तरफ शुकरवार को 4 लाल गुलाब लगाए, विवाह के योग मजबूत होंगे.

1164. विवाह - पूर्णिमा को वट वृक्ष की १०८ परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है.

1165. विवाह - प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे. विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी

1166. विवाह - प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करें ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी |

1167. विवाह - बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है इनकी पूजा से विवाह के मार्ग में आ रही सभी अड़चनें स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं.  इनकी पूजा के लिए गुरुवार का विशेष महत्व है.

1168. विवाह - बृहस्पति, शुक्र, बुद्ध और सोम इन वारों में विवाह करने से कन्या सौभाग्यवती होती है.  विवाह में चतुर्दशी, नवमी इन तिथियों को त्याग देना चाहिए.

1169. विवाह - में बार-बार बाधाएं आ रही हैं तो शनिवार के दिन लगड़ी से जमीन में गड्ढा कर काला सूरमा दबाना चाहिए.  शीघ्र विवाह कार्यक्रम होंगे.

1170. विवाह - यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :—- शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !

1171. विवाह - यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें . इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें . तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए, लाभ होगा.

1172. विवाह - यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !

1173. विवाह - यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें . भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें.

1174. विवाह - यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है तो वह कन्या आज विवाह की कामना से भगवान श्रीगणेश को मालपुए का भोग लगाए तो शीघ्र ही उसका विवाह हो जाता है.

1175. विवाह - यदि किसी युवक के विवाह में परेशानियां आ रही हैं तो वह भगवान श्रीगणेश को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं तो उसका विवाह भी जल्दी हो जाता है.

1176. विवाह - यदि विवाह के पूर्व लड़का-लड़की मिलना चाहें तो वह इस प्रकार बैठे कि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो.

1177. विवाह - योग्य युवक-युवती जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या कबाड़ का सामान कभी भी नहीं रखना चाहिए.

1178. विवाह - वार्ता के लिए घर आए अतिथियों को इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख घर में अंदर की ओर हो, उन्हें द्वार दिखाई न दे.

1179. विवाह - विवाह योग्य लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है|

1180. विवाह - विवाह योग्य व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए|

1181. विवाह - शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक ईंट के ऊपर कोयले से “बाधायें” लिखकर ईंट को उल्टा करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख दीजिये,और शादी के बाद उस ईंट को उठाकर किसी पानी वाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खाने का सामान डाल दीजिये, विवाह के समय और विवाह के बाद में वर/वधु के दाम्पत्य जीवन में बाधायें नहीं आयेंगी, यह काम वर – वधु या उनके घर का कोई भी सदस्य कर सकता है लेकिन यह काम बिल्कुल चुपचाप करना चाहिए.

1182. विवाह - शिव-पार्वती का पूजन करने से भी विवाह की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं.  इसके लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, बिल्व पत्र, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें.

1183. विवाह - शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सात केले, सात गौ ग्राम गुड़ और एक नारियल लेकर किसी नदी या सरोवर पर जाएं.  अब कन्या को वस्त्र सहित नदी के जल में स्नान कराकर उसके ऊपर से जटा वाला नारियल ऊसारकर नदी में प्रवाहित कर दें.  इसके बाद थोड़ा गुड़ व एक केला चंद्रदेव के नाम पर व इतनी ही सामग्री सूर्यदेव के नाम पर नदी के किनारे रखकर उन्हें प्रणाम कर लें.  थोड़े से गुड़ को प्रसाद के रूप में कन्या स्वयं खाएं और शेष सामग्री को गाय को खिला दें.  कन्या का विवाह शीघ्र ही हो जाएगा.

1184. विवाह (प्रेम) - कृष्ण मंदिर में बांसुरी और पान अर्पण से प्रेम की प्राप्ति होती है.

1185. विवाह (प्रेम) - गिफ्ट में कभी भी काले रंग की कोई वस्तु एक-दूसरे को न दें.  इससे आपस में दूरियां हो सकती है.  लाल, गुलाबी, पीले और सुनहरे पीले रंग की वस्तुओं को उपहार में देना अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है.  चाहे तो प्रियतम/प्रेयसी को हीरा भी भेंट कर सकते हैं परन्तु यह काला या नीला नहीं होना चाहिए.  इसके अतिरिक्त एक-दूसरे को नुकीली या काले रंग की कोई वस्तु कभी भी न दें.  इससे संबंध खराब होने की संभावना होती है

1186. विवाह (प्रेम) - प्रेम प्रसंग वरन अन्य स्थानों पर भी सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं अगर स्वयं की जन्मकुंडली में सप्तमेश या सप्तम भाव में विराजमान ग्रह की शांति अवश्य करा लें.

1187. विवाह (प्रेम) - प्रेम में सफलता पाने के लिए प्रेमी युगल को शनिवार और अमावस्या के दिन नहीं मिलना चाहिए.  इन दिनों में मिलने से आपस में किसी भी बात पर विवाद हो सकता है.  ये दोनों ही दिन प्रेमियों के बीच झगड़ा तथा नफरत पैदा करते हैं.  बहुत संभव है कि आपके प्रेम संबंध ही टूट जाएं.

1188. विवाह (प्रेम) - प्रेमी या प्रेमिका का मन ही मन ध्यान करते हुए उपरोक्त मंत्र से राधा-कृष्ण की प्रतिमा, तस्वीर या मंदिर में जाकर सच्चे मन से 108 बार भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करें तथा "ॐ ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा:" मंत्र का जाप करें.  प्रत्येक शुक्रवार नजदीक के किसी भी राधाकृष्ण मंदिर में जाकर उनकी प्रतिमा का दर्शन कर, फूल माला चढ़ाएं तथा मिश्री का भोग लगाएं.  आपके प्रेम विवाह में आ रही हर अड़चन शीघ्र ही दूर होगी तथा आपका वैवाहिक जीवन सफलता और शांति से बीतेगा.

1189. विवाह (प्रेम) - प्रेमी युगल को यथासंभव प्रयास करना चाहिए कि वे दोनों शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन अवश्य मिलें.  यदि शुक्रवार के दिन पूर्णिमा हो प्रेमियों के लिए वह दिन अत्यंत शुभ रहता है, इस दिन मिलने से परस्पर प्रेम व आकर्षण बढ़ता है.

1190. विवाह (प्रेम) - प्रेमी/प्रेमिका में से कोई एक मांगलिक हैं और प्रेम-विवाह में बाधा आ रही है तो तो विवाह की लिए पुन: विचार करें नहीं तो मंगल दोष का तत्काल निवारण अवश्य ही कर लें, अन्यथा जीवन भर पछताना पड़ सकता है.

1191. विवाह (प्रेम) - में सफलता के लिए शुक्ल पक्ष में प्राण प्रतिष्ठत असली नेपाली गौरी-शंकर रुद्राक्ष, व्हाइट गोल्ड में धारण करें.

1192. विवाह (प्रेम) - वशीकरण अथवा सम्मोहन का प्रयोग तभी करना चाहिए जब आपका प्रेम सच्चा हो तथा आपकी भावना सामने वाले के प्रति निश्छल हो.  साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आप उसके योग्य हो तथा उसे प्रसन्न रख पाएंगे. यदि  आप किसी का अहित करने की सोचेंगे तो निश्चय ही आप खुद का अहित करेंगे.

1193. विवाह (प्रेम) - सोलह सोमवार के व्रत तथा भगवान शिव के पूजन से योग्य, सुन्दर, सुशील और प्रेम करने वाला जीवन साथी मिलता है.

1194. वीरवार को करें - गुरुवार लक्ष्मी नारायण का दिन होता है.  इस दिन लक्ष्मी और नारायण का एक साथ पूजन जीवन में खुशियों की अपार वृद्धि कराने वाला होता है.  इस दिन लक्ष्मी और नारायण की एक साथ पूजन करने से पति- पत्नी के बीच कभी दूरिया नहीं आती है.  साथ ही धन की वृद्धि होती है.

1195. वीरवार को ना करें - जिस प्रकार से बृहस्पति का प्रभाव शरीर पर रहता है.  उसी प्रकार से घर पर भी बृहस्पति का प्रभाव उतना ही अधिक गहरा होता है.  वास्तु अनुसार घर में ईशान कोण का स्वामी गुरु होता है.  ईशान कोण का संबंध परिवार के नन्हे सदस्यों यानी कि बच्चों से होता है.  साथ ही घर के पुत्र संतान का संबंध भी इसी कोण से होता है.  ईशान कोण धर्म और शिक्षा की दिशा है.  घर में अधिक वजन वाले कपड़ों को धोना, कबाड़ घर से बाहर निकालना, घर को धोना या पोछा लगाना.  घर के ईशान कोण को कमजोर करता है.  उससे घर के बच्चों, पुत्रों, घर के सदस्यों की शिक्षा, धर्म आदि पर शुभ प्रभाव में कमी आती है.

1196. वीरवार को ना करें - शास्त्रों में गुरुवार को महिलाओं को बाल धोने से इसलिए मनाही की गई है.  क्योंकि महिलाओं की जन्मकुंडली में बृहस्पति पति का कारक होता है.  साथ ही बृहस्पति ही संतान का कारक होता है.  इस प्रकार अकेला बृहस्पति ग्रह संतान और पति दोनों के जीवन को प्रभावित करता है.  बृहस्पतिवार को सिर धोना बृहस्पति को कमजोर बनाता है जिससे कि बृहस्पति के शुभ प्रभाव में कमी होती है.  इसी कारण से इस दिन बाल भी नहीं कटवाना चाहिए जिसका असर संतान और पति के जीवन पर पड़ता है.  उनकी उन्नति बाधित होती है.

1197. वीरवार को ना करें -शास्त्रों में गुरु ग्रह को जीव कहा गया है.  जीव मतलब जीवन.  जीवन मतलब आयु.  गुरुवार को नेल कटिंग और शेविंग करना गुरु ग्रह को कमजोर करता है.  जिससे जीवन शक्ति दुष्प्रभावित होती है.  उम्र में से दिन कम करती है.

1198. शनि देव मान जाते हैं अगर - साँपो को दूध पिलाए, कभी भी साँपो को परेशान न करें , न ही मारे.

1199. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - अपने कमरे के पर्दे , बिस्तर का कवर , दीवारों का रंग आदि पीला रंग की करवाए यह आप के लिए उत्तम रहेगा.

1200. शनि देव मान जाते हैं अगर आप - अपने घर पर एक काला कुत्ता पाले तथा उस का ध्यान रखें.

उनमें से कुछ समस्या इस प्रकार है- उपरोक्त में से एक न एक बाधा पितृ दोष के कारण बनी रहती है. उपाय उपाय 1 उपाय करके अपनी आर्थ‌िक परेशान‌ियों को दूर करने की कोश‌िश कर सकते हैं. उपाय के तौर पर महंगे यज्ञ और हवन आदि महेंगी रस्मो की आवश्यकता नही है. उपाय जरूर करना चाहिए. इसके 400 ग्राम सूरमा पानी में बहाएं, राहु शांत हो जाएगा उल्लू - से जुड़े शकुन-अपशकुन ऊँ नम: शिवाय. ऊं क्लीं देवकी सूत गोविंदो वासुदेव जगतपते देहि मे, ऋग्वेद (4/32/20-21) का प्रसिद्ध मन्त्र इस प्रकार है - ऋग्वेद के इस मंत्र का सरल शब्दों में अर्थ है – हे वास्तु देवता, हम आपकी सच्चे हृदय से उपासना करते हैं. हमारी प्रार्थना को सुन आप हमें रोग-पीड़ा और दरिद्रता से मुक्त करें. हमारी धन-वैभव की इच्छा भी पूरी करें. वास्तु क्षेत्र या घर में रहने वाले सभी परिजनों, पशुओं व वाहनादि का भी शुभ व मंगल करें. एक दिन में एक ही उपाय करना चाहिए . यदि एक से ज्यादा उपाय करने हों तो छोटा उपाय पहले करें . एक उपाय के दौरान दूसरे उपाय का कोई सामान भी घर में न रखें . एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:. एकादश भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय /टोटके :- एकादशी का व्रत रखें : एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए. पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए. भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के निकट बैठकर भजन करते हुए ही जागरण करना चाहिए. इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है. पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है. इसलिए एकादशी के दिन पान न खा कर व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए. एकादशी के दिन हिंसा करने की मनाही है. हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है. इससे मन में विकार आता है. इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए. एकादशी के द‌िन चावल और चावल से बनी चीजें क्यों नहीं खानी चाह‌िए? एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए. इससे मानसिक हिंसा होती है. अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए और मन शांत रखना चाहिए. एकादशी पर दातून (मंजन) करने की भी मनाही है. एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता. अतः एकादशी पर स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए. एकादशी व्रत करना ऐसी स्थिति में प्रायः पति लोग सहवास क्रिया में रुचि नहीं ले पाते और कोई-कोई पति परस्त्रीगमन की ओर उन्मुख हो जाते हैं. विलासी एवं रसिक स्वभाव के पति घर की सुन्दर नौकरानियों से ही यौन संबंध कायम कर लेते हैं. इस व्याधि को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय उपयोगी एवं कारामद सिद्ध हुए हैं. ऐसे लोग होते हैं कल्पनाशील और रोमांटिक स्वभाव के: कुंडली के ग्रह-नक्षत्र से जानिए किसका स्वभाव कैसा है ऐसे समय में व्यक्ति को अध्ययन, मनन, ध्यान तथा भगवान की पूजा-पाठ जैसे कार्य करने चाहिए. कोई नई योजना बनानी हो तो भी उसके लिए यह समय बहुत उपयुक्त है. परन्तु इस समय भूल कर भी शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए अन्यथा पुरुषत्व की हानि होने के साथ-साथ व्यक्ति का बुरा समय आरंभ हो जाता है. शारीरिक संबंध बनाने के लिए सर्वोत्तम समय बह्म मुहूर्त के प्रहर से पहले (अर्थात् सुबह 3 बजे से पहले) का ही ठीक माना जाता है. ऐसे स्थान पर न जाएं, जहां पर तांत्रिक अनुष्ठान होता हो. जहां पर किसी पशु की बलि दी जाती हो या जहां भी लोभान आदि के धुएं से भूत भगाने का दावा किया जाता हो. भूत भागाने वाले सभी स्थानों से बच कर रहें, क्योंकि यह धर्म और पवित्रता के विरुद्ध है. औरम म्यूर नैट्रोनेटम : इसे स्त्री बाँझपन को दूर करने की विशिष्ट दवा माना जाता है. गर्भाशय के दोषों को दूर कर यह दवा गर्भ स्थापना होने की स्थिति बना देती है. गर्भाशय में सूजन हो, स्थानभ्रंण यानी प्रोलेप्स ऑफ यूटेरस की स्थिति हो, योनि मार्ग में जख्म हो या छाले हों तो नैट्रोनेटम 2 एक्स या 3 एक्स शक्ति में सुबह-शाम सेवन करना चाहिए. इसे 30 शक्ति में भी लिया जा सकता है. औषधि के सेवन काल के दौरान खटाई, सेवन करना चाहिए. कई कारणों से स्त्रियों की योनि में खुजली (कण्डु) होने लगती है. खुजली होने पर युवती को बार-बार अपना हाथ वहाँ ले जाना पड़ता है, यह अशोभनीय लगता है. कई बार ऐसा होता है कि बहुत प्रयास करने के बाद भी कोई काम नहीं बनता और यदि बन भी जाता है तो बनते-बनते बिगड़ जाता है. सफलता आते-आते आपके हाथों से फिसल जाती है. आखिर इसके पीछे कुछ तो कारण होगा? कई बार शादी में हमें बाधाओं का सामना करना पड़ता है, बनते-बनते बात बिगड़ जाती है. तो कई बार हमारे पास रिश्ते हीं नहीं आते है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपाय जिन्हें आजमाने से आपकी शादी से सम्बन्धित बाधाएँ दूर हो जाएँगी. और आपकी शादी जल्दी हो जाएगी. तो आइए हम जानते हैं कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं. कई लोग अपनी पत्नी की ओर से प्यार और ध्यान की कमी महसूस करते हैं और इस कारण उपेक्षा करते हैं, उन्हें सिर्फ आने वाले बच्चे के प्रति मोह रहता है, पत्नी के प्रति कम हो जाता है. वे यह सोचकर तथा कह कर अपने फर्ज की इतिश्री कर लेते हैं कि गर्भवती को तो गर्भावस्था की परेशानियों को सहन करना ही पड़ता है. कक्ष के आसपास शौचालय नहीं होना चाहिए : कन्या राशि :- कपड़े पहने सोच समझ कर: कपड़े पहनें रंगदार और साफ-सुथरे : कपूर की धूप : कभी -कभी हम किसी कार्य के लिए जाते है और हमारा कार्य नहीं होता है व्यक्ति कोई न कोई बहाना बना कर हमें निराश कर देता है उनके लिए ये प्रयोग अपनाए. किसी भी गणेश चतुर्थी को कभी-कभी रोड पर नींबू-मिर्च पड़ी हुई दिख जाती है, किसी चौराहे या तिराहे पर कोई नींबू या नींबू के टुकड़े पड़े रहते हैं तो ध्यान रखें उन हमारा पैर नहीं लगाना चाहिए. करते रहना चाहिए. करना चाहिये कर्क राशि :- कर्ज उतारने के लिए : कर्ज से मुक्ति कर्म शुद्ध है तो भाग्य भी शुद्ध है. भाग्य जाग्रत है तो किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होगी और हर तरह का मनचाहा कार्य निर्विघ्न संपन्न होगा. यदि भाग्य जाग्रत है तो आपको धनवान बनने से कोई रोक नहीं सकता. कष्टार्तव (मासिक धर्म के समय दर्द) पेडू का दर्द : ऋतुरूजाहर, रजः प्रवर्तनी वटी, अशोकारिष्ट, लोध्रासव, कुमारी आसव, पुष्पावरोधग्न चूर्ण. कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण ने सूर्य के सारथी अरुण से यह विद्या प्राप्त की थी. रावण की दुनिया समाप्त होने के बाद यह ग्रंथ किसी प्रकार ‘आद’ नामक स्थान पर पहुंच गया, जहां इसका अनुवाद अरबी और फारसी भाषा में किया गया. आज भी यह मान्यता है कि यह पुस्तक फारसी भाषा में उपलब्ध है. यह ग्रंथ आजकल पाकिस्तान के पुस्तकालय में सुरक्षित है और उर्दू भाषा में है. परन्तु इस अरुण संहिता या लाल किताब का कुछ अंश गायब है. एक मान्यता के अनुसार एक बार लाहौर में जमीन खोदने का कार्य चल रहा था, उसमें से तांबे की पट्टिकाएं मिलीं जिनपर उर्दू एवं अरबी भाषा में लाल किताब लिखी मिली. सन 1936 में अरबी भाषा में लाहौर में प्रकाशित की गई और यह प्रसिद्ध हो गई. कहां होती है भाग्य रेखा कांटेदार पौधे काजल के ये टोटके नहीं जाने देंगे नौकरी, शत्रु भी वश में होगा कामशक्ति को बढ़ाने वाले उपाय कामशक्ति बढ़ाने वाली मलहम- कामुकतापूर्ण बातें, किसी बहाने से अपने स्तन सहलवाना या मर्दन करवाना, किसी बहाने से स्तनों को छूने के पुरुषों को ज्यादा मौके देना आदि. कामों में रुकावट आना कार्य सिद्धि हेतु : कालसर्प योग काला जादू काली मिर्च और लौंग काली मिर्च का ही सेवन करें काली मिर्च शनि का कारण होती है. काली हल्‍दी के 3 अचूक टोटके, होली पर आजमाएं विशेष रूप से काले तिल के ये उपाय करने से दूर होता है दुर्भाग्य कि अधिक से अधिक हो जाएगा. इस जादू को विशेष रूप से तैयार किया गया है और आप में परिवर्तन करना होगा कि अपने दोस्त को एक किंतु साथ ही कुछ जांचे-परखे और कारगर उपायों जिन्हें टोने-टोटके के रूप में जाना जाता है को भी आजमाना चाहिये. किया-कराया समाप्त करने के लिए : किशोर अवस्था पार कर नवयौवन में प्रवेश करने वाली नवयुवतियों, नवविवाहिताओं व छोटे शिशुओं की माताओं को भी अनियमित मासिक धर्म की शिकायत रहती है. किस ओर हो श्रीगणेश की सूंड किस जगह कैसी मूर्ति रखना होगा शुभ किस रंग की घड़ी न लगाएं- किसी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को खाना खिलाएं किसी गर्भवती महिला का दूध सुख जाना किसी भी उपाय के बीच मांस, मदिरा, झूठे वचन, परस्त्री गमन की विशेष मनाही है . किसी भी जन्मकुंडली में दूसरा और ग्यारहवां भाव धन के स्थान होते हैं. गुरु ग्रह इन दोनों ही स्थानों का कारक ग्रह होता है. गुरुवार को गुरु ग्रह को कमजोर किए जाने वाले काम करने से धन की वृद्धि रुक जाती है. धन लाभ की जो भी स्थितियां बन रही हों. उन सभी में रुकावट आने लगती है. सिर धोना, भारी कपड़े धोना, बाल कटवाना, शेविंग करवाना, शरीर के बालों को साफ करना, फेशियल करना, नाखून काटना, घर से मकड़ी के जाले साफ करना, घर के उन कोनों की सफाई करना जिन कोनों की रोज सफाई नहीं की जा सकती हो. ये सभी काम गुरुवार को करना धन हानि का संकेत हैं. तरक्की को कम करने का संकेत हैं. किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कपूरगौरम् करुणावतारं….मंत्र ही क्यों बोला जाता है, इसके पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं. भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई हुई मानी गई है. अमूमन ये माना जाता है कि शिव शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी वाला है. लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका स्वरुप बहुत दिव्य है. शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है, वे मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति. ये स्तुति इसी कारण से गाई जाती है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में वास करे. शिव श्मशान वासी हैं, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं. हमारे मन में शिव वास करें, मृत्यु का भय दूर हो. किसी भी प्रकार के टोने-टोटकों से बच कर रहें. किसी भी शनिवार की शाम को माँ की दाल के दाने लें. उसपर थोड़ी सी दही और सिन्दूर लगाकर पीपल के वृक्ष के नीचे रख दें और बिना मुड़कर देखे वापिस आ जायें. सात शनिवार लगातार करने से आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली बनी रहेगी. किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें. किसी रोग से ग्रसित होने पर : किसी व्यक्ति के जीवन में यौन समस्याएं उसके यौन जीवन में शुरुआत में विकसित हो सकती हैं या असुखद व असंतोषजनक यौन अनुभव होने के बाद भी हो सकती हैं. यौन समस्याओं के कारण शारीरिक, मानसिक, या दोनों हो सकते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं पुरुषों में कमजोरी पैदा करने वाली समस्याओं को खत्म करने के लिए कुछ नेचुरल नुस्खे. ये इस समस्या में रामबाण की तरह काम करते हैं. किसी शुभ कार्य के जाने से पहले - कुंडली में चंद्र और मंगल कमजोर है तो : कुंभ राशि :- कुछ आसान वाजीकरण (संभोग शक्ति बढ़ाने वाले) योग- कुछ महिलाएँ इस काल में सेक्स का आनंद नहीं उठा पातीं. कभी-कभी वे इतनी थकान महसूस करती हैं कि उनके भीतर एक आनंदपूर्ण संभोग का मजा उठाने की ऊर्जा और उत्साह नहीं रहता. कई बार रक्त स्राव या योनि में पीड़ा होने के कारण भी वे सेक्स से मना करती हैं. डॉक्टर भी ऐसी स्थिति में पति-पत्नी को सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. कुछ लोग रात को सोते समय इत्र या सेंट लगाकर सोते हैं. शास्त्रों के अनुसार कुत्ते को शकुन शास्त्र में शकुन रत्न कहा गया है, क्योंकि कुत्ता इंसानों के काफी करीब है. शकुन शास्त्र के अनुसार कुत्ते के क्रिया-कलापों को देखकर भविष्य में होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांकि वर्तमान समय में इन बातों पर विश्वास करना काफी कठिन है, लेकिन इन बातों को सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता. आज हम आपको कुत्तों से जुड़े कुछ ऐसे ही शकुन-अपशकुन के बारे में बता रहे हैं- कुलदेवता पूजन और श्राद्ध- के 10 चमत्कारिक टोटके के साथ ही यहां बताई जा रही सभी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए. साथ ही केमद्रुम योग केला हर मौसम में सरलता से उपलब्ध होने वाला अत्यंत पौष्टिक एवं स्वादिष्ट फल है. केला रोचक, मधुर, शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला, नेत्रदोष में हितकारी है. पके केले के नियमित सेवन से शरीर पुष्ट होता है. यह कफ, रक्तपित, वात और प्रदर के उपद्रवों को नष्ट करता है. केले का पेड़ : कैल्केरिया कार्ब 200 शक्ति में दिन में एक बार देना चाहिए. इस प्रयोग से दो या तीन माह में बन्ध्यत्व दूर हो जाता है. कैसा हो घड़ी का शेप- कैसा होगा आपका भविष्य कैसा होगा भविष्य कैसी मूर्तियां रखनी चाहिए मंदिर में : कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:. कोनियम मेक : सिर को दाएँ-बाएँ हिलाने से चक्कर आ जाना इसका मुख्य लक्षण है. बाँझ स्त्री में यह लक्षण होना ही इस दवा को चुन लेने के लिए काफी है. डिम्ब कोश की क्षीणता के कारण गर्भ स्थापित न होता हो तो कोनियम मेक का सेवन लाभ करता है. कोनियम मेक सिर्फ 3 शक्ति में सुबह-शाम चूसकर सेवन करना चाहिए. कौंच के बीजों, उड़द की दाल को प्रयोग में लाने से पहले उन्हें गर्म पानी या दूध में उबालकर उनके छिलके उतार लेने चाहिए. कौए से जुड़े शकुन-अपशकुन क्या आप एक करीबी दोस्त है, जो तुम चुपके से आकर्षित कर रहे हैं? शायद आप इस मित्र की तरह करने के लिए एक छोटा सा सिर्फ इतना है क्या कहता है आयुर्वेद क्यों रखते है शिखा ? क्या है इसकी वैज्ञानिकता ? खंडित मूर्तियां ना रखें : खंडित शिवलिंग की पूजा हो सकती है पर खंडित शिव मूर्ति की नहीं, जाने क्यों ? खराब या बंद उपकरण खाने की किसी चीज़ से चिढ हो जाना खुले बाल नहीं सोना चाहिए खुश हो जाइए, आप का बुरा समय अब जाने को है…पिछले कुछ दिनों से आप पर्सनल और प्रोफेशनल फ्रंट पर संघर्ष कर रहे थे. आपको शुभचिंतक और भरोसेमंद लोगों का साथ पसंद है और आप ऐसे लोगों की तलाश में हैं. खुशियां बढ़ाने के लिए : खोया प्यार जादू या मंत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं या प्रदर्शन, यदि आप अपने प्यार को खो दिया है और सभी प्रयासों की कोशिश की है कि आप गजकेसरी योग

Saturday, October 8, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 1001. - 1100.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.




1001. पूर्णिमा - सुबह के समय हल्दी में थोडा पानी डालकर उससे घर के मुख्य दरवाज़े / प्रवेश द्वार पर ॐ बनायें.

1002. फड़कन - अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सीधे हाथ में लगातार खुजली हो, तो समझ लेना चाहिए कि आपको धन लाभ होने वाला है.

1003. फड़कन - कमर की दाहिनी ओर की फड़फड़ाहट किसी विपदा का संकेत देती है, वहीं बांई आरे की फड़फड़ाहट किसी शुभ समाचार का संकेत देती है.

1004. फड़कन - छाती में फड़फडाहट होना मित्र से मिलने की सूचना, छाती के दाहिनी आरे फडफ़डा़हट हो तो विपदा का संकेत, बांयी ओर फड़फड़ाहट हो तो जीवन में सघंर्ष और मध्य में फडफ़डाहट हो तो शुभ समाचार मिलता है.

1005. फड़कन - यदि  आपकी दाई कोहनी फड़कती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि भविष्य में आपकी किसी से साथ बड़ी लड़ाई होने वाली है.  लेकिन अगर बाईं कोहनी में फड़कन होती है तो यह बताता है कि समाज में आपकी प्रतिष्ठा और ओहदा बढ़ने वाला है.

1006. फड़कन - यदि  आपकी हथेली में  हलचल होती है तो यह यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आप जल्द ही किसी बड़ी समस्या में घिरने वाले हैं और अगर अंगुलियां फड़कती है तो यह इशारा करता है कि किसी पुराने दोस्त से आपकी मुलाकात होने वाली है.

1007. फड़कन - यदि  आपको अपनी  भौहों के बीच हलचल महसूस होती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करता है कि निकट भविष्य में आपको सुखदायक और खुशहाल जीवन मिलने वाला है.  इसके अलावा यह इस बात का भी संकेतक है कि आप जिस भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं आपको उसमें अनापेक्षित सफलता मिलने वाली है.

1008. फड़कन - यदि  इंसान के दोनों गाल एक साथ फड़कते हैं तो इससे धन लाभ की संभावना बढ़ जाती है.

1009. फड़कन - यदि  इंसान के होंठ फड़क रहे है तो इसका अर्थ है उसके जीवन में नया दोस्त आने वाला है.

1010. फड़कन - यदि  कनपटी के पास फड़कन पर धन लाभ होता है.

1011. फड़कन - यदि  दाई जांघ फड़कती है तो यह इस बात को दर्शाता है कि आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा और बाईं जांघ के फड़कने का संबंध धन लाभ से है.

1012. फड़कन - यदि  दाई पैर के तलवे के फड़कने का संबंध सामाजिक प्रतिष्ठा में हानि से और बाएं पैर के फड़कने का अर्थ निकट भविष्य में यात्रा से है.

1013. फड़कन - यदि  दाया कन्धा फड़कता है तो यह इस बात का संकेत है कि आपको अत्याधिक धन लाभ होने वाला है.  वहीं बाएं कंधे के फड़कने का संबंध जल्द ही मिलने वाली सफलता से है.  परंतु अगर आपके दोनों कंधे एक साथ फड़कते हैं तो यह किसी के साथ आपकी बड़ी लड़ाई को दर्शाता है.

1014. फड़कन - यदि  पीठ के फड़कने का अर्थ है कि आपको बहुत बड़ी समस्याओं को झेलना पड़ सकता है.

1015. फड़कन - यदि  पुरुष के शरीर के दाएं भाग में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई बड़ी खुशखबरी सुनने को मिल सकती है.  जबकि महिलाओं के मामले में यह उलटा है, दाएं हिस्से के फड़कने पर बुरी खबर सुनाई दे सकती है.

1016. फड़कन - यदि  बायें हाथ की हथेली में फड़फड़ाहट हो और वह व्यक्ति रोगी हो तो उसे शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ हो जाता है.

1017. फड़कन - यदि  माथे पर अगर हलचल होती है तो उसे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.

1018. फड़कन - यदि  व्यक्ति की ठोडी में फडफ़डा़हट का अनुभव हो तो मित्र के आगमन की सूचना देता है.

1019. फड़कन - यदि  व्यक्ति की दाईं आंख फड़कती है तो यह इस बात का संकेत है कि उसकी सारी इच्छाएं पूरी होने वाली हैं और अगर उसकी बाईं आंख में हलचल रहती है तो उसे जल्द ही कोई अच्छी खबर मिल सकती है.  लेकिन अगर दाईं आंख बहुत देर या दिनों तक फड़कती है तो यह लंबी बीमारी की तरफ इशारा करता है.

1020. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाये हाथ की हथेली में फड़फड़ाहट हो तो ये शुभ शकुन है.  उसे आने वाले समय में शुभ सपंदा की प्राप्ति होती है.

1021. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाहिने हाथ का अंगूठा फड़फड़ाये तो उसकी अभिलाषा पूर्ति में विलबं होता है और हाथ की अंगुलियां फडफ़डा़यें तो अभिलाषा की पूर्ति के साथ-साथ किसी मित्र से मिलन होता है.

1022. फड़कन - यदि  व्यक्ति के दाहिने हाथ की कोहनी फड़फड़ाती है, तो किसी से झगडा़ तो होता है परतुं विजय उसे ही मिलती है आरै बायें हाथ की कोहनी  फड़फडा़यें तो धन की प्राप्ति होती है.

1023. फड़कन - यदि  हथेली के किसी काने में फडफ़डा़हट हो तो निकट भविष्य में व्यक्ति किसी विपदा में फसं जाता है.

1024. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति का ऊपरी होठ फडफ़डायें तो शत्रुओं से हो रहे झगडे़ में समझौता हो जाता है.

1025. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की कमर का सीधा हिस्सा फड़कता है तो यह इस बात का संकेत है कि भविष्य में धन लाभ की संभावनाएं हैं.

1026. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की गर्दन बांयी तरफ से फड़कती हो तो धन हानि होने की आशंका तथा गर्दन दांयी तरफ से फडके तो स्वर्ण आभूषणों की प्राप्ति होती है.

1027. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति की नाक फड़फड़ाती हो तो उसके व्यवसाय में बढ़ोत्तरी हातेी है.   किसी व्यक्ति के नाक के नथुने के अंदर फड़फड़ाहट महसूस हो तो उसे सुख मिलता है.  यदि नाक की जड़े फड़के तो लडा़ई झगड़ा होने की संभावना रहती है.

1028. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति के दोनो आरे के गाल समान रूप से फडफ़डाएं तो उसे  धन की प्राप्ति होती है.

1029. फड़कन - यदि किसी व्यक्ति के संतान उत्पन्न होने वाली हो और उसके बायें गाल के मध्य में फड़फड़ाहट हो तो उसके घर कन्या का जन्म होता है और जन्म होने की संभावना न हो तो पुत्री से कोई शुभ समाचार मिलता है.

1030. फड़कन - यदि किसी स्वस्थ व्यक्ति का दाहिना गाल फड़के तो उसे लाभ होता है.  सुंदर स्त्री से लाभ मिलता है.

1031. फड़कन - यदि गले का फड़कना भी एक अच्छा संकेत है क्योंकि यह आपके लिए खुशहाली, सम्मान और आराम लाने वाला है.

1032. फड़कन - यदि जब किसी व्यक्ति का दाहिना कंधा फड़फड़ाहट करता है तो उसे धन संपदा मिलती है.

1033. फड़कन - यदि जीभ फड़के तो लड़ाई झगड़ा होता है.

1034. फड़कन - यदि दाँया तालु फड़के तो धन की प्राप्ति होती है.  यदि बाँया तालु फड़के तो व्यक्ति को जेल यात्रा करनी पड़ सकती है.

1035. फड़कन - यदि दाँयी बाजू फडफ़डा़ती है तो धन और यश की प्राप्ति होती है तथा बाँयी ओर की बाहं फडफ़डाए तो नष्ट अथवा खोई हुई वस्तु की प्राप्ति हो जाती है.

1036. फड़कन - यदि दांत का ऊपरी भाग फडफ़ड़ाहट करता है तो व्यक्ति को प्रसन्नता प्राप्त होती है.

1037. फड़कन - यदि दाहिनी आंख का मध्य भाग फड़के तो व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर धन अर्जित कर लेता है.  दाहिनी आंख चारो तरफ से फड़के तो व्यक्ति के रागी होने की संभावना रहती है.

1038. फड़कन - यदि दाहिने कान का छेद फड़फडा़ता है तो मित्र से मुलाकात होती है.  यदि दाहिना कान फड़फड़ाता है तो  अच्छे समाचार की प्राप्ति होती है.

1039. फड़कन - यदि दोनों होठ फडफडा़यें तो कहीं से सुखद समाचार मिलता है.

1040. फड़कन - यदि बांये कान का पिछला भाग फडक़ ता है तो मित्र से बुलावा आता ह अथवा कोई खुश खबरी भरा पत्र मिलता है.  यदि बांया कान बजे तो बुरी खबर सुनने को मिलती है.

1041. फड़कन - यदि बायीं आख का फड़कना स्त्री से दुख का, वियोग का लक्षण है.  बांयी आंख चारो ओर से फड़कने लगे तो विवाह के योग बनते हैं.

1042. फड़कन - यदि मुंह का फड़फड़ाना पुत्र की ओर से किसी शुभ समाचार को सुनवाता है.  यदि पूरा मुंह फड़के तो व्यक्ति की मनोकामनापूर्ण होती है.

1043. फड़कन - यदि ललाट मध्य से फडक़ने लगे तो लाभदायक यात्रायें हातेी है.  यदि पूरा ललाट फड़के तो सम्मान तथा नौकरी में प्रमोशन होना होता है.

1044. फड़कन - यदि संपूर्ण मस्तक का फड़कना दूर स्थान की यात्रा का संकेत समझना चाहिए तथा मार्ग में परशोनियां भी आती है.

1045. फड़कन - यदि सिर का मध्य भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है तथा परेशानियों से मुक्ति मिलती है.

1046. मंत्र केतु - "ऊँ ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।।" जप समय-रात्रि जप संख्या-17000 हवन समिधा-कुशा. इस मंत्र का जप हर रिश्तों में तनाव दूर का कर सुख-शांति देता है.

1047. मंत्र गुरु - "ऊँ ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः।।" जप समय-संध्या जप संख्या-19000 हवन समिधा-अश्वत्थ. इस मंत्र के जप से सुखद वैवाहिक जीवन, आजीविका व सौभाग्य प्राप्त होता है.

1048. मंत्र चंद्र - "ऊँ ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।।" जप समय-संध्या जप संख्या-11000 हवन समिधा-पलाश. इस मंत्र के जप से मानसिक परेशनियां दूर होती है। पेट व आंखों की बीमारियों में राहत मिलती है.

1049. मंत्र बुध - "ऊँ ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।" जप समय-5 घटी शेष दिन जप संख्या-9000 हवन समिधा- अपामार्ग. इस मंत्र का जप बुद्धि व धन का लाभ देता है। घर या कारोबार की आर्थिक समस्याएं व निर्णय क्षमता बढ़ाता है.

1050. मंत्र मंगल - "ऊँ ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।" जप समय-2 घटी शेष दिन जप संख्या-10000 हवन समिधा-खदिर. इस मंत्र के जप से भूमि, संपति व विवाह बाधा दूर होने के साथ ही सांसारिक सुख मिलते हैं.

1051. मंत्र राहु - "ऊँ ऊँ भ्रां भीं भौं सः राहवे नमः।।" जप समय-रात्रि जप संख्या-18000 हवन समिधा-दुर्वा. इस मंत्र का जप मानसिक तनाव व विवादों का अंत करता है। साथ ही आध्यात्मिक सुख भी देता है.

1052. मंत्र शनि - "ऊँ ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।" जप समय-मघ्यान्ह जप संख्या-23000 हवन समिधा-शमी. इस मंत्र का जप तन, मन, धन से जुडी तमाम परेशानियां दूर करता है। भाग्यशाली बनाता है.

1053. मंत्र शुक्र - "ऊँ ऊँ द्रां द्रां द्रौं सः शुक्राय नमः।।" जप समय-सूर्याेदय जप संख्या-16000 हवन समिधा-उटुम्बर. इस मंत्र का जप वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाता है। वैवाहिक जीवन में कलह व अशांति को दूर करता है.

1054. मंत्र सूर्य -  "ऊँ ऊँ ह्नां ह्नीं ह्नौं सः सूर्याय नमः।।"  जप समय-सूर्य उदय जप संख्या-7000 हवन समिधा-अर्क . इस मंत्र के जप से पद, यश, सफलता, तरक्की, सामजिक प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, संतान सुख प्राप्त होता है.

1055. मनीप्लांट  -  को कभी ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में ना रखें.  इससे पैसों का नुकसान तो होगा ही, सेहत और रिश्तों पर भी नेगेटिव असर पड़ेगा.

1056. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट के पत्तों का मुरझाना या सफ़ेद हो जाना भी अशुभ माना जाता है.  रोज़ मनी प्लांट को पानी दें और सफ़ेद या मुरझाई पत्तियों को कांट दें.

1057. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट के लिए आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) को श्रेष्ठ माना जाता है.  इसे गणेशजी की दिशा मानी जाती है.  यहां रखा मनीप्लांट सुख-समृद्धि बढ़ाता है.

1058. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट को घर के बाहर लगाने की जगह घर के अंदर ही लगाना शुभ होता है.  इसे गमले या बोतल में लगाया जा सकता है.

1059. मनीप्लांट  -  मनी प्लांट धन के साथ-साथ रिश्तों में मधुरता लाने का काम भी करता है.  इसे भूलकर भी पूर्व-पश्चिम में न लगाए वरना पति-पत्नी के बीच तनाव हो सकता है

1060. मनीप्लांट  -  हमेशा ध्यान रखें मनी प्लांट की बेलें कभी भी जमीन पर नहीं फैलानी चाहिए.  ऐसा होना भी घर में कई तरह के नुकसान का कारण बन सकता है.

1061. मान सम्मान -  कबूतरों/चिड़ियों को चावल-बाजरा मिश्रित कर के डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें.

1062. मान सम्मान - "अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:. चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्. ."इसका सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर उनकी सेवा करता है.  उसकी उम्र, विद्या,ज्ञान यश और शक्ति लगातार बढ़ती जाती है.

1063. मान सम्मान - अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो, गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें, हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें .

1064. मान सम्मान - अगर आपको कड़ी मेहनत के बाद भी बार-बार असफलता मिल रही है तो नींबू का एक छोटा सा उपाय आपके सारे काम बना देगा.  इसके लिए आप एक नींबू और 4 लौंग लेकर किसी निकट के हनुमान मंदिर में जाएं.  वहां हनुमानजी की प्रतिमा के सामने बैठकर नींबू के ऊपर चारों लौंग लगा दें, इसके बाद हनुमानचालिसा का पाठ करें.  पाठ करने के बाद हनुमानजी से सफलता दिलवाने की प्रार्थना करें और इस नींबू को जेब में लेकर जाएं.  आपको निश्चित ही सफलता मिलेगी.

1065. मान सम्मान - अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें.  उसपर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें : "ॐ ॐ श्री हनुमते नम:" 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं.  काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी.

1066. मान सम्मान - अपने बच्चे के दूध का प्रथम दाँत संभाल कर रखे, इसे चाँदी के यंत्र में रखकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

1067. मान सम्मान - आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें . उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय. प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें . धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी.

1068. मान सम्मान - आप जिस कार्य के बारे में जानना चाहते हैं वह शुभ नहीं है उसके बारे में सोचना बंद कर दें.  नवग्रह की पूजा करने से आपको सफलता मिलेगी.

1069. मान सम्मान - आपकी समस्याएं शीघ्र ही दूर होंगी.  आप सिर्फ आपके काम में मन लगाएं और भगवान शंकर की पूजा करें.

1070. मान सम्मान - आपके ग्रह अनुकूल नहीं है इसलिए आप रोज नवग्रहों की पूजा करें.  इससे आपकी समस्याएं कम होंगी और लाभ मिलेगा.

1071. मान सम्मान - एक सूर्ख लाल रंग के मोटे कागज का टुकड़ा ले लीजिये.  इसको त्रिभुजाकार काट लीजिये.  तीनों भुजाएं बराबर होना चाहिए.  इस त्रिभुज वाले टुकड़े को अपने काम के स्थान पर रखें.  वहां रखे जाहां आप बराबर आप उसे देख सकें.  इससे आपका मणिपुर चक्र इंप्रूव होगा और आपके साहस एवं आत्म विश्वास का स्तर बढ़ जाएगा.

1072. मान सम्मान - किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें.  मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं.  इससे सफलता प्राप्त होती है.

1073. मान सम्मान - किसी दुकान में जाकर किसी भी शुक्रवार को कोई भी एक स्टील का ताला खरीद लीजिए . लेकिन ताला खरीदते वक्त न तो उस ताले को आप खुद खोलें और न ही दुकानदार को खोलने दें ताले को जांचने के लिए भी न खोलें . उसी तरह से डिब्बी में बन्द का बन्द ताला दुकान से खरीद लें . इस ताले को आप शुक्रवार की रात अपने सोने के कमरे में रख दें . शनिवार सुबह उठकर नहा-धो कर ताले को बिना खोले किसी मन्दिर, गुरुद्वारे या किसी भी धार्मिक स्थान पर रख दें . जब भी कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला खुल जायगा .

1074. मान सम्मान - किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य ही कार्य में सफलता मिलती है.

1075. मान सम्मान - किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें.  फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें.  उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें.  तब पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें.  इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है.

1076. मान सम्मान - किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर चावल चढ़ाएं, ध्यान रहे सभी चावल पूरे होने चाहिए.  खंडित चावल नहीं चढ़ाने चाहिए. लाभ  होता है.

1077. मान सम्मान - की प्राप्ति के लिए कबूतरों को चावल डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें.

1078. मान सम्मान - कोई काम न बन रहा हो तो 19 शनिवार तक आप पीपल के पेड़ में धागा लपेटें और तिल के तेल का ही दीया जलाएं.  इस दीये में 11 दाने काली उड़द के जरूर रखें.  इसके अलावा प्रतिदिन संध्या को पीपल में घी का दीया जलाकर रखें.  ध्यान रखें कि पीपल को शनिवार को ही छुएं.

1079. मान सम्मान - कोई शत्रु परेशान कर रहा है तो चांदी के पांच छोटे-छोटे सांप बनवाकर उनकी आंखों में सुरमा लगाएं और 21 दिनों तक अपने पैरों के नीचे दबाकर सोएं.  शत्रु परेशान करना छोड़ देगा.

1080. मान सम्मान - गले, हाथ या पैर में काले डोरे को पहनने से व्यक्ति को समाज में सरलता से मान सम्मान की प्राप्ति होती है, उसे हर क्षेत्र में विजय मिलती है.

1081. मान सम्मान - गले, हाथ या पैर में काले डोरे को पहनने से व्यक्ति को समाज में सरलता से मान सम्मान की प्राप्ति होती है, उसे हर क्षेत्र में विजय मिलती है.

1082. मान सम्मान - गुरु ग्रह को सौभाग्य, सम्मान और समृद्धि नियत करने वाला माना गया है. यश व सफलता के इच्छुक हर इंसान के लिये गुरु ग्रह दोष शांति का एक बहुत ही सरल उपाय बताया गया है. यह उपाय औषधीय स्नान के रूप में प्रसिद्ध है इसे हर इंसान दिन की शुरुआत में नहाते वक्त कर सकता है.

1083. मान सम्मान - जिन व्यक्तियों को निरन्तर कर्ज घेरे रहते हैं, उन्हें प्रतिदिन “ऋणमोचक मंगल स्तोत्र´´ का पाठ करना चाहिये.  यह पाठ शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिये.  यदि प्रतिदिन किसी कारण न कर सकें, तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करना चाहिये.

1084. मान सम्मान - जिन व्यक्तियों को लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान न बन पा रहा हो, प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं.  ऐसा नियमित करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी या पैतृक सम्पति प्राप्त होगी.  अगर सम्भव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें.  “ॐ ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति. . ´´

1085. मान सम्मान - जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता.

1086. मान सम्मान - ज्येष्ठा नक्षत्र में जामुन के वृक्ष की जड़ लाकर अपने पास संभल कर रखने से उस व्यक्ति को समाज से / प्रसाशन से अवश्य ही मान सम्मान की प्राप्ति होती है.

1087. मान सम्मान - ताले की दुकान पर किसी भी शुक्रवार को जाएं और एक स्टील या लोहे का ताला खरीद लें.  लेकिन ध्यान रखें ताला बंद होना चाहिए, खुला नहीं.  ताला खरीदते समय उसे न दुकानदार को खोलने दें और न आप खुद खोलें.  ताला सही है या नहीं, यह जांचने के लिए भी न खोलें.  बस, बंद ताले को खरीदकर ले आएं.  उस ताले को एक डिब्बे में रखें और शुक्रवार की रात को ही अपने सोने वाले कमरे में बिस्तर के पास रख लें.  शनिवार सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर ताले को बिना खोले किसी मंदिर या देवस्थान पर रख दें.  ताले को रखकर बिना कुछ बोले, बिना पलटे वापस अपने घर आ जाएं.  जैसे ही कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला भी खुल जाएगा.

1088. मान सम्मान - दुर्गा सप्तशती के द्वादश (12 वें ) अध्याय के नियमित पाठ करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होती है.

1089. मान सम्मान - नमक जब भी डिब्बे से निकाले चम्मच का प्रयोग करें उसे उँगलियों से नहीं निकाले. पुराने ज़माने में बड़े बूढ़े कहते थे कि यदि नमक गिराओगे तो आँखों की पलकों से उठाना पड़ेगा. जिस घर में नमक का निरादर होता है, नमक का नुकसान होता है या नमक का ज्यादा सेवन होता है तो वहाँ निवासियों को मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है.  उन्हें कभी भी समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता है. इस दोष से बचने के लिए आप लगातार 7 रविवार को 5 बादाम किसी धार्मिक स्थान में चढ़ाएं. रविवार को यथा संभव नमक का प्रयोग ना करें या सेंधा नमक का ही प्रयोग करें और एक समय मीठा भोजन ग्रहण करें.

1090. मान सम्मान - नहाते वक्त नीचे लिखी चीजों में से थोड़ी मात्रा में कोई भी एक चीज जल में डालकर नहाने से गुरु दोष शांति होती है और व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है. गुड़, सोने की कोई वस्तु ,हल्दी, शहद, शक्कर, नमक, मुलेठी, पीले फूल, सरसों.

1091. मान सम्मान - नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें. उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें . ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें . उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो.

1092. मान सम्मान - पक्षी को खिलाने से व्यापार-नौकरी में लाभ होता है, घर में खुशियां बढ़ती हैं और व्यक्ति समृद्धि के द्वार खोल देता है.

1093. मान सम्मान - महालक्ष्मी मंदिर में तीन झाड़ू, गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें.  ये दान किसी को बिना बताए करें. लाभ  होता है.

1094. मान सम्मान - यदि आप अपने करियर को लेकर चिंतित हैं तो श्रीगणेश की पूजा करने से आपको लाभ मिलेगा.

1095. मान सम्मान - यदि आप चाहते है कि आप जो भी काम कर रहे है आपको उसमे सफलता मिले आपको अपने काम से मान सम्मान की प्राप्ति हो तो आप अपने घर के दक्षिणी हिस्से में गमलो में ढ़ेर सारे लाल फूल लगाकर उनकी देखभाल करें.

1096. मान सम्मान - यदि आप चाहते हैं कि आपके कार्यों की सर्वत्र सराहना हो, लोग आपका सम्मान करें, आपकी यश कीर्ति बड़े तो रात को सोने से पूर्व अपने सिरहाने तांबे के बर्तन में जल भरकर रखें और प्रात:काल इस जल को अपने ऊपर से सात बार उसार करके किसी भी कांटे वाले पेड़ की जड़ में डाल दें.  ऐसा नियमित 40 दिन तक करने से आपको अवश्य ही लाभ मिलेगा.

1097. मान सम्मान - यदि आपकी कुंडली में मंगल खराब असर देने वाला सिद्ध हो रहा है, या नीच का हो या फिर कुंडली मांगलिक हो तो सफेद सुरमा आंखों में लगाएं.  इससे मंगल शुभ फल देने लगता है.

1098. मान सम्मान - यदि आपकी गलती ना होते हुए भी आप पर झूठा कलंक लग गया हो तो आप सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले एक सफ़ेद रुमाल में थोड़े से कोयले रखकर उसे किसी निर्जन स्थान पर रख आये और मन ही मन में भगवान श्री गणेश जी से अपने ऊपर लगे कलंक को दूर करने के लिए प्रार्थना करें. फिर हाथ जोड़कर लौट आये, पीछे मुड़कर ना देखे. घर पर आकर अपने हाथ पाँव अच्छी तरह से धो लें, इस उपाय को बिलकुल गोपनीय तरीके से करें.  ऐसा कम से कम 6 महीने तक माह में एक बार अवश्य ही करें.

1099. मान सम्मान - यदि आपको जीवन में मान सम्मान की चाह है तो आप नमक का कम से कम सेवन करें. यह भी ध्यान रहे कि आपके घर में नमक खुला ना पड़ा हो या इधर उधर गिरता ना हो.

1100. मान सम्मान - यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो काला कम्बल किसी गरीब को दान दें, 6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों , कुएं में दूध डालें-  उस कुएं में पानी होना चहिए.


आधी रात के बाद तक ही बनाएं शारीरिक संबंध आप अपने जीवनसाथी और जिस व्यक्ति के साथ आप अपने जीवन के बाकी खर्च करेगा को पूरा करने के लिए बनाया गया है. एक बार के आप अपने प्रेमी सच रखें आप अपने सभी काम बहुत ही सावधानीपूर्वक करना पसंद करते हैं. आप जिंदगी में एडवेंचर चाहते हैं, लेकिन सतर्कता के साथ. घर के मुख्य द्वार के बाहर मौजूद फायर हाईड्रेंट (अग्निशमन यंत्र) इस बात की ओर इशारा करता है कि आप संभावित खतरों के प्रति सचेत रहना पसंद करते हैं. आप कामदेव के शत्रु महादेव जी के द्वारा वन्दित, ब्रह्मा आदि देवताओं से सेवित, विशुद्ध ज्ञानमय विग्रह और समस्त दोषों को नष्ट करने वाले हैं. आप जल्द ही खुद को बोझिल महसूस करने लगते हैं, लेकिन आपमें सबसे अच्छी बात यही है कि आप आशावादी हैं और खुद को बेहतर स्थिति में ला पाने में सक्षम है. आपने जो कुछ पीछे छोड़ दिया, उसके बारे में सोचिए. बुरा समय कठिन था. आप जितने ज्यादा वक्त तक काम करेंगे, उतना खुद को आजाद पाएंगे. आप ढेर सारे पैसे कमाना चाहते हैं, लेकिन आप ये भी जानते हैं कि इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. घर के मुख्य द्वार से सीधे ऊपर जाती सीढ़ियां ये इशारा करती हैं कि आप में आगे बढ़ने और जीवन में कुछ बड़ा करने की ललक है. आप नितान्त सुन्दर श्याम, संसार (आवागमन) रूपी समुद्र को मथने के लिये मन्दराचल रूप, फूले हुए कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं. आप बुरे समय को पीछे छोड़ चुके हैं. फिर भी आपमें वो क्षमता है कि उजाले को पा सकें. वो दूर ही सही, लेकिन आप उस तक पहुंच सकते हैं. आप लाइफ में रिस्क लेने से नहीं डरते और ऊंचाई पाने की आपकी यही ललक आपको नए मुकाम तक ले जा सकती है. बस प्रयास करते रहिए, सफलता जल्द आपके कदम चूमेगी….. आप सरल स्वभाव के शांति प्रिय व्यक्ति हैं. आप अपना अधिकांश समय एकांत में बिताना पसंद करते हैं. आपको अपने करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ उठना-बैठना ज्यादा रास आता है. कुल मिलाकार आप ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के कथन में विश्वास रखते हैं. आप हमेशा जानते हैं कि अगला कदम क्या होगा. आप खुले तौर पर अपने विचार रखते हैं. आपके लिए हर दरवाजा, दरवाजा ही है जिससे आप गुजर सकते हैं. आपका भविष्य खुशहाल है, क्योंकि आप जानते हैं कि आपको ज़िंदगी में क्या चाहिए. संतोषी होने की प्रवृत्ति आपको ईर्ष्यालु होने से बचाती है और यही आपकी खुशहाली और तरक्की की वजह भी है. आपकी उत्सुकता और एडवेंचर पहचानने की कला आपको आगे ले जाएगी. आप जो करना चाहते हैं, उसे बस कर गुजरें. सही है या गलत, ये न सोचें. आपके लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है. आपके जीवन में उतार-चढ़ाव हैं लेकिन उनसे पार पाने का माद्दा भी आपके पास है. आपका अच्छा समय आने वाला है बस आपको अपने आस-पास के लोगों की सही पहचान करनी है. आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या हो और बिगड़े काम नहीं बन रहे हो तो ज्योतिषियों द्वारा बताए गए अद्भुत उपाय अपनाएं और बिगड़े काम बनाएं. विदेश यात्रा में अड़चन, उन्नति में रुकावट, धन प्राप्ति में कठिनाई, विवाह में विलंब आदि सभी तरह के कार्यों के समाधान के लिए यहां प्रस्तुत हैं ऐसे ही कुछ उपाय या टोटके जिसको करने से सभी तरह की सम्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है. आपने अक्सर देखा होगा कि आम-अशोक है खास : हिन्दू धर्म में जब भी कोई मांगलिक कार्य होते हैं तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम या अशोक के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव के माहौल को धार्मिक और वातावरण को शुद्ध किया जाता है. अक्सर धार्मिक पंडाल और मंडपों में सजावट के लिए आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है. आम या अशोक के पत्ते से सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होकर वातावरण शुद्ध होता है. आम के वृक्ष की हजारों किस्में हैं और इसमें जो फल लगता है वह दुनियाभर में प्रसिद्ध है. आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं. आमदनी बढ़ाने के लिए आमने-सामने रखी मूर्तियां आयुर्वेद के अनुसार इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है कि गर्भ के सातवें मास तक सेक्स किया जा सकता है, लेकिन सावधानीपूर्वक. आयुर्वेद का मानना है कि यदि गर्भ में लड़का है तो स्त्री की संभोग की इच्छा नहीं होगी या कम होगी. साथ ही यदि गर्भ में लड़की है तो स्त्री को संभोग की इच्छा बनी रहेगी. आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन का कारण हो सकता है. यूँ तो बन्ध्यत्व के कई कारण हो सकते हैं पर मुख्यतः स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का होता है- आयुर्वेद ने स्तनों की उत्तमता को यूं कहा है- स्तन अधिक ऊंचे न हों, अधिक लम्बे न हों, अधिक कृश (मांसरहित) न हों, अधिक मोटे न हों. स्तनों के चुचुक (निप्पल) उचित रूप से ऊंचे उठे हुए हों, ताकि बच्चा भलीभांति मुंह में लेकर सुखपूर्वक दूध पी सके, ऐसे स्तन उत्तम (स्तन सम्पत्‌) माने गए हैं. आयुर्वेद में बताया गया है कि कम उम्र के बच्चों और ज्यादा उम्र के पुरुषों को वाजीकरण औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए. इनका सेवन लगभग 16 से 50 साल तक की उम्र के लोगों को करना चाहिए. क्योंकि यही उम्र सेक्स करने के लिए सबसे ज्यादा अच्छा होता है. 16 साल से कम उम्र में या 50 साल से ज्यादा की उम्र में सेक्स करना बेकार होता है क्योंकि बाल्यकाल (युवावस्था से पहले की उम्र) में शरीर की धातुएं (वीर्य, शुक्राणु) पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं और अगर ऐसे में वह स्त्री के साथ संभोग क्रिया करता है तो वह उसके लिए व्यर्थ ही होता है और कभी-कभी हानिकारक भी हो जाता है. आयुर्वेदिक उपचार : अरंडी के पत्ते, घीग्वार (ग्वारपाठा) की जड़, इन्द्रायन की जड़, गोरखमुंडी एक छोटी कटोरी, सब 50-50 ग्राम. पीपल वृक्ष की अन्तरछाल, केले का पंचांग (फूल, पत्ते, तना, फल व जड़) , सहिजन के पत्ते, अनार की जड़ और अनार के छिलके, खम्भारी की अन्तरछाल, कूठ और कनेर की जड़, सब 10-10 ग्राम. सरसों व तिल का तेल 250-250 मिलीग्राम तथा शुद्ध कपूर 15 ग्राम. यह सभी आयुर्वेद औषधि की दुकान पर मिल आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी में हम अभी तक विभिन्न रोगों की दवाएँ बता चुके हैं. इसी कड़ी के अंतर्गत स्त्री संबंधी तथा पुरुष संबंधी रोगों में उपयोगी दवाओं की जानकारी दे रहे हैं. आरती में लौंग : आर्थिक तंगी दूर करने के लिए हनुमानजी के सामने करें 11 पीपल के पत्तों का यह उपाय आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए - आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए : इंद्रिय संयम – इंसान सादगी और मितव्ययता से रहे यह प्रशंसनीय है. किंतु सादगी और दरिद्रता तथा मितव्ययता और कंजूसी में फर्क बना रहे यह इन 6 बातों में पहला काम है इन उपायों से धन, संपत्ति, विवाह और भाग्य संबंधी बाधाएं दूर हो सकती हैं. इन उपायों से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी के पत्ते- इन नियमों का पालन करने से आपको समाज में मान सम्मान मिलना शुरू हो जायेगा. इन पांच को खाना खिलाएं- इन बातों का भी सदा रखे ध्यान इन वास्तु शास्त्र टिप्स से बनाये अपनी पढ़ाई बेहतर इस ग्रन्थ में मानव मस्तिष्क के 42 प्रभागों को जन्म कुंडली के विभिन्न घरों से संबंधित कर दिया गया है. हस्तरेखा के सिधान्तो और व्यक्ति की जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति से व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओ का बताया जा सकता है. इस टोटके इस तरह कर सकते है वास्तुदोष का अंत इस तरह यह कुछ सरल और प्रभावशाली टोटके हैं, जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता. ध्यान रहें, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं. इस दिशा में घड़ी लगाना है शुभ- इस दिशा में न रखें इस दिशा में न लगाएं घडी- इस दोष से बचने के लिए आप लगातार 7 रविवार को 5 बादाम किसी धार्मिक स्थान में चढ़ाएं. रविवार को यथा संभव नमक का प्रयोग ना करें या सेंधा नमक का ही प्रयोग करे और एक समय मीठा भोजन ग्रहण करें. इस प्रकार की हास्यास्पद स्थिति से बचने व बीमारी का इलाज करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार यहां दिए जा रहे हैं- इस प्रकार बन्ध्यत्व को दो भागों में बाँटा जा सकता है, एक तो पूर्ण रूप से बन्ध्यत्व होना, जिसका कोई इलाज न हो सके और दूसरा अपूर्ण बन्ध्यत्व होना, जिसे उचित चिकित्सा द्वारा दूर किया जा सके. किसी होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें या निम्नलिखित दवाई का प्रयोग करें- इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें. यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं. इस विधि का गलत प्रयोग न करें. इस व्याधि में योनि मार्ग पर लाल दाने और दाह भी हो सकता है. यह व्याधि आमतौर पर स्त्रियों में पाई जा रही है. इस श्लोक में 6 बातें बताई गई हैं, जिनका ध्यान दैनिक जीवन में रखने पर सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो सकती हैं. इस श्लोक में दूसरी बात बताई गई है इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि तुलसी के पत्ते और गंगाजल कभी बासी नहीं माने जाते हैं, अत: इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है. शेष सामग्री ताजी ही उपयोग करनी चाहिए. यदि कोई फूल सूंघा हुआ है या खराब है तो वह भगवान को अर्पित न करें. इसका सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर उनकी सेवा करता है. उसकी उम्र, विद्या,ज्ञान यश और शक्ति लगातार बढ़ती जाती है. इसके अतिरिक्त आज कल की संस्कृति, तेजी से बढ़ते टी वी , इन्टरनेट के चलन, बढ़ते भौतिकवाद के कारण भी नव दम्पति अपनी एक अलग ही रूमानी दुनिया का सृजन कर लेते है जिसके कारण भी कई बार टकराव होने लगता है. इसके अलावा युवतियों की एक समस्या और है- बेडौल, ज्यादा बड़े आकार के व शिथिल स्तन होना. इसके कारण हैं शरीर का मोटा होना, चर्बी ज्यादा होना, ज्यादा मात्रा में भोजन करना, मीठे व गरिष्ठ पदार्थों का सेवन, सुबह ज्यादा देर तक सोना, दिन में अधिक देर तक सोना आदि. मानसिक कारणों में एक कारण और है- कामुक विचारों का चिंतन करना, अश्लील साहित्य या चित्रों का अवलोकन, हमउम्र सहेलियों से इसके अलावा स्त्री के प्रजनन अंग का आंशिक या पूर्णतः विकसित न होना यानी योनि या गर्भाशय का अभाव, डिंबवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में दोष होना, पुरुष शुक्राणुहीनता के कारण गर्भ धारण न कर पाना, श्वेत प्रदर, गर्भाशय ग्रीवा शोथ, योनि शोथ, टीबी आदि कारणों से योनिगत स्राव क्षारीय हो जाता है, जिसके संपर्क में आने पर शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं व गर्भ नहीं ठहर पाता. इसलिए यदि आप चाहते हैं कि घर पर हमेशा लक्ष्मी मेहरबान रहे तो इस बात का ध्यान रखें कि किचन में जूठन न रखें व खाना भगवान को अर्पित करने के बाद ही जूठा करें. साथ ही, घर में किसी तरह की गंदगी जाले आदि न रहे. इसका खास ख्याल रखें. इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी इससे न केवल इससे पता चलता है कि आप निश्चित तौर पर उत्सुक स्वभाव के हैं, लेकिन कभी-कभी यह उत्सुकता नुकसान पहुंचा जाती है. आपके स्वभाव में उत्सुकता और सावधानी के बीच बड़ा अंतर है और आप इसे बेहतर ढंग से जानते हैं. आप अप्रत्याशित रूप से खतरा उठाने में सक्षम है, लेकिन ऐसी स्थिति में आपको नतीजों की भी फिक्र करनी चाहिए. इसी तरह जो बहु अपने सास ससुर की अपने माता पिता के तरह सेवा करती है उसके स्वयं के माता पिता को कोई भी कष्ट नहीं उठाना पड़ता है. उनका बुढ़ापा बहुत आसानी से हँस खेल कर कट जाता है. इसी तरह से 50 साल की उम्र अर्थात वृद्धावस्था में शरीर की सारी धातुएं (वीर्य, शुक्राणु) कमजोर हो जाती हैं. कमजोर शरीर वाला, कमजोर हड्डियों वाला व्यक्ति अगर किसी स्त्री के साथ संभोग करने में लग जाता है तो वह इसमें कुछ पाने के बजाय अपने शरीर का नाश करवा लेता है. रसायन औषधि के सेवन से जहां नए यौवन की प्राप्ति होती है वही वाजीकरण औषधियों के सेवन से यौनसुख मिलता है. जिस व्यक्ति का मन उसके वश में रहता है वह हमेशा वाजीकरण औषधि का सेवन कर सकता है. इसे भी पढ़े: ताजमहल और इसके साथ जुड़े 12 रोचक तथ्य इसे भी पढ़े:साहित्य के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिन पर उनसे जुडी 5 बातें ईश्वर हर जगह नहीं हो सकता, इसलिए उसने मां बनाई... यह कहावत जितनी सच है, उतना ही बड़ा सच यह भी है कि किसी महिला को मां के दर्जे तक पहुंचाने वाले नौ महीने बेशकीमती होते हैं. इन नौ महीनों में वह क्या सोचती है, क्या खाती है, क्या करती है, क्या पढ़ती है, ये तमाम चीजें मिलकर आनेवाले बच्चे की सेहत और पर्सनैलिटी तय करती हैं. इन नौ महीनों को अच्छी तरह प्लान करके कैसे मां एक सेहतमंद जिंदगी को जीवन दे सकती है. उठे हुए बनाया जा सकता है. उत्तर : आप गम्भारी की छाल 50 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब महीन बारीक चूर्ण कर लें. इसे जैतून के तेल में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें. इसे सुबह नहाने से पहले स्तनों पर लगाकर मालिश करें. रात को सोते समय लेप कर मालिश करें और सुबह स्नान करते समय धो लें. यदि शरीर दुबला पतला हो तो पौष्टिक आहार लें. 3-4 माह में स्तनों का आकार सुडौल और पुष्ट हो जाएगा. उत्तर : आप यह प्रयोग करें- वीर्यशोधन वटी, दिव्य रसायन वटी, एडीजुआ और पुष्पधन्वा रस. चारों 1-1 गोली सुबह-शाम मीठे दूध के साथ लें. इसके साथ दो दवाएँ होम्‍ियोपैथी की भी लेनी हैं. सप्ताह में एक दिन कोनियम 200 की 6-7 गोली मुंह में डालकर चूस लें. सिर्फ एक ही बार लें. सप्ताह के शेष छह दिन तक डेमियाना टरनेरा मदद टिंचर की 10-15 बूंद आधा कप पानी में डालकर सुबह-शाम पिएँ. जिस दिन कोनियम 200 लें उस उत्तर : ऋतुकाल तो पहले दिन से ही माना जाता है, जो कि 16 दिन का होता है, लेकिन गर्भाधान और सहवास के लिए सातवीं रात्रि से लेकर ऋतुकाल के अंतिम सोलहवें दिन तक की कुल 13 रात्रियाँ सेवन योग्य होती हैं. 16वीं रात्रि को गर्भाशय का मुँह बंद होने की संभावना भी रहती है, इसलिए 16वीं रात्रि को उपयोग में लेने का निर्देश नहीं दिया जाता, वरना यह रात्रि भी पुत्र प्राप्ति के लिए उपयोगी मानी गई है. उत्तेजना पर ध्यान- उन (आप) को जो एक (अद्वितीय), अद्भूत (मायिक जगत् में विलक्षण), प्रभु (सर्वसमर्थ), इच्छारहित, ईश्वर (सबके स्वामी), व्यापक, जगद्गुरू, सनातन (नित्य), तुरीय (तीनों गुणों से सर्वथा परे) और केवल (अपने स्वरूप में स्थित) हैं. उनके दिल में रहना है तो .

Thursday, October 6, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 0901. - 1000.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका   ना हो , इसका ख़याल रखे.

0901. प‌ितृपक्ष  - यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है जब तक भोजन कराकर वस्त्र और दक्षिणा नहीं दी जाती उसका फल नहीं मिलता.

0902. प‌ितृपक्ष  - रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं.  आसन में लोहा किसी भी रूप में प्रयुक्त नहीं होना चाहिए.

0903. प‌ितृपक्ष  - वस्त्र दान देना श्राद्ध का मुख्य लक्ष्य भी है.

0904. प‌ितृपक्ष  - शुक्लपक्ष में, रात्रि में, युग्म दिनों (एक ही दिन दो तिथियों का योग)में तथा अपने जन्मदिन पर कभी श्राद्ध नहीं करना चाहिए.  धर्म ग्रंथों के अनुसार सायंकाल का समय राक्षसों के लिए होता है, यह समय सभी कार्यों के लिए निंदित है.  अत: शाम के समय भी श्राद्धकर्म नहीं करना चाहिए.

0905. प‌ितृपक्ष  - श्राद्ध करते समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदरपूर्वक भोजन करवाना चाहिए.  जो व्यक्ति ऐसे समय में घर आए याचक को भगा देता है उसका श्राद्ध कर्म पूर्ण नहीं माना जाता और उसका फल भी नष्ट हो जाता है.

0906. प‌ितृपक्ष  - स्वर्ण और नए वस्‍त्रों की खरीदारी नहीं करनी चाह‌िए.  ऐसा इसल‌िए माना जाता है क्योंक‌ि प‌ितृपक्ष उत्सव का नहीं बल्क‌ि एक तरह से शोक व्यक्त करने का समय होता है उनके प्रत‌ि जो अब हमारे बीच नहीं रहे.

0907. पीपल - के प्रत्येक तत्व जैसे छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा एवं कोंपल तथा लाख सभी प्रकार की आधि-व्याधियों के निदान में काम आते हैं.  हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में पीपल को अमृततुल्य माना गया है.  सर्वाधिक ऑक्सीजन नि:सृत करने के कारण इसे प्राणवायु का भंडार कहा जाता है.  सबसे अधिक ऑक्सीजन का सृजन और विषैली गैसों को आत्मसात करने की इसमें अकूत क्षमता है.

0908. पीपल - के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें.  फिर वापस घर आ जाएँ एवं पीछे मुड़कर न देखें. धन लाभ होगा.

0909. पीपल - के वृक्ष की पूजा करें व दीपक लगाएं.  आपके घर में तनाव नहीं होगा और धन लाभ भी होगा.

0910. पीपल - के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं.  ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें.  बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा.

0911. पीपल - के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें. लाभ होगा.

0912. पीपल - के वृक्ष पर प्रतिदिन जल अर्पित करने और हनुमान चालीसा पढ़ने से पितृदोष का शमन होता है.  पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है.

0913. पीपल - के वृक्ष में जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें और घर से बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाए. घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें. लाभ होगा.

0914. पीपल और वटवृक्ष की परिक्रमा का विधान है.  स्कंद पुराण में वर्णित पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास है.  पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है.  इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है तथा तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है.  इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है.

0915. पूजन  - कर्म में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए.  ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है.

0916. पूजन  - किसी भी मंदिर में या हमारे घर में जब भी पूजन कर्म होते हैं तो वहां कुछ मंत्रों का जप अनिवार्य रूप से किया जाता है. लेकिन जब भी आरती पूर्ण होती है तो यह मंत्र विशेष रूप से बोला जाता है- कपूरगौरं मंत्र  "कपूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्.  सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि. . " अर्थ : - कपूरगौरं- कपूर के समान गौर वर्ण वाले.  करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं.  संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं.  भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं.   सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है.  मंत्र का पूरा अर्थ- जो कपूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है.

0917. पूजन  - के लिए ऐसे चावल का उपयोग करना चाहिए जो अखंडित (पूरे चावल) हो यानी टूटे हुए ना हो.  चावल चढ़ाने से पहले इन्हें हल्दी से पीला करना बहुत शुभ माना गया है.  इसके लिए थोड़े से पानी में हल्दी घोल लें और उस घोल में चावल को डूबोकर पीला किया जा सकता है.

0918. पूजन  - के समय घंटी अवश्य बजाएं, साथ ही एक बार पूरे घर में घूमकर भी घंटी बजानी चाहिए.  ऐसा करने पर घंटी की आवाज से नकारात्मकता नष्ट होती है और सकारात्मकता बढ़ती है.

0919. पूजन  - गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि का दाता माना गया है.  इनकी पीठ के दर्शन करना वर्जित किया गया है.  गणेशजी के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े अंग निवास करते हैं.  गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है.  गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है. ऐसा माना जाता है श्रीगणेश की पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है.  गणेशजी की पीठ के दर्शन करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है.  इसी वजह से इनकी पीठ नहीं देखना चाहिए.  जाने-अनजाने पीठ देख ले तो श्री गणेश से क्षमा याचना कर उनका पूजन करें.  तब बुरा प्रभाव नष्ट होगा.

0920. पूजन  - गीले कपड़ों में करनी चाह‌िए धार्मिक स्थलों की परिक्रमा. अगर आप ज्यादा फायदा उठाना चाहते हैं तो आपके बाल गीले होने चाहिए.  इसी तरह और ज्यादा फायदा उठाने के लिए आपके कपड़े भी गीले होने चाहिए. पहले हर मंदिर में एक जल कुंड जरूर होता था, जिसे आमतौर पर कल्याणी कहा जाता था.  ऐसी मान्यता है कि पहले आपको कल्याणी में एक डुबकी लगानी चाहिए और फिर गीले कपड़ों में मंदिर भ्रमण करना चाहिए, जिससे आप उस प्रतिष्ठित जगह की ऊर्जा को सबसे अच्छे तरीके से ग्रहण कर सकें.

0921. पूजन  - घर के मंदिर के आसपास शौचालय होना भी अशुभ रहता है.  अत: ऐसे स्थान पर पूजन कक्ष बनाएं, जहां आसपास शौचालय न हो.

0922. पूजन  - घर के मंदिर में ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए.  शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि यदि हम मंदिर में शिवलिंग रखना चाहते हैं तो शिवलिंग हमारे अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए.  शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है और इसी वजह से घर के मंदिर में छोटा सा शिवलिंग रखना शुभ होता है.  अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी छोटे आकार की ही रखनी चाहिए.  अधिक बड़ी मूर्तियां बड़े मंदिरों के लिए श्रेष्ठ रहती हैं, लेकिन घर के छोटे मंदिर के लिए छोटे-छोटे आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं.

0923. पूजन  - घर में जिस स्थान पर मंदिर है, वहां चमड़े से बनी चीजें, जूते-चप्पल नहीं ले जाना चाहिए.

0924. पूजन  - घर में पूजा करने वाले व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होगा तो बहुत शुभ रहता है.  इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.  यदि यह संभव ना हो तो पूजा करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होगा तब भी श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं.

0925. पूजन  - घर में पूजा स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या भारी चीज न रखें.

0926. पूजन  - घर में मंदिर ऐसे स्थान पर बनाया जाना चाहिए, जहां दिनभर में कभी भी कुछ देर के लिए सूर्य की रोशनी अवश्य पहुंचती हो.  जिन घरों में सूर्य की रोशनी और ताजी हवा आती रहती है, उन घरों के कई दोष स्वतः: ही शांत हो जाते हैं.  सूर्य की रोशनी से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है.

0927. पूजन  - घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए.  इन सभी की पूरी जानकारी किसी ब्राह्मण (पंडित) से प्राप्त की जा सकती है.

0928. पूजन  - घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग किया जाना चाहिए.  जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ बताई गई है.

0929. पूजन  - तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है.  इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है.

0930. पूजन  - तुलसी के बिना ईश्वर की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती.  तुलसी की मंजरी सब फूलों से बढ़कर मानी जाती है.  मंगल, शुक्र, रवि, अमावस्या, पूर्णिमा, द्वादशी और रात्रि और संध्या काल में तुलसी दल नहीं तोड़ना चाहिए. तुलसी तोड़ते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि उसमें पत्तियों का रहना भी आवश्यक है.

0931. पूजन  - दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाना चाहिए.  कभी-कभी भगवान की प्रतिमा के सामने दीपक न लगाकर इधर-उधर लगा दिया जाता है, जबकि यह सही नहीं है.

0932. पूजन  - देवी-देवताओं को हार-फूल, पत्तियां आदि अर्पित करने से पहले एक बार साफ पानी से अवश्य धो लेना चाहिए.

0933. पूजन  - पूजन कक्ष में पूजा से संबंधित सामग्री ही रखना चाहिए.  अन्य कोई वस्तु रखने से बचना चाहिए.

0934. पूजन  - पूजन में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए.  धार्मिक कार्यों में खंडित सामग्री शुभ नहीं मानी जाती है.

0935. पूजन  - पूजन स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें.  चप्पल पहनकर कोई मंदिर तक नहीं जाना चाहिए.  चमड़े का बेल्ट या पर्स अपने पास रखकर पूजा न करें.  पूजन स्थल पर कचरा इत्यादि न जमा हो पाए.

0936. पूजन  - पूजा में बासी फूल, पत्ते अर्पित नहीं करना चाहिए.  स्वच्छ और ताजे जल का ही उपयोग करें.

0937. पूजन  - पूर्वजों के चित्र लगाने के लिए दक्षिण दिशा क्षेत्र रहती है.  घर में दक्षिण दिशा की दीवार पर मृतकों के चित्र लगाए जा सकते हैं, लेकिन मंदिर में नहीं रखना चाहिए.

0938. पूजन  - भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का रेशमी कपड़ा चढ़ाना चाहिए.  माता दुर्गा, सूर्यदेव व श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग का, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सफेद वस्त्र अर्पित करना चाहिए.

0939. पूजन  - भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही शंख से जल चढ़ाना चाहिए (शिव ने शंखचूड़ को अपने त्रिशुल से भस्म कर दिया और उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ.  चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अत: लक्ष्मी-विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है.  परंतु शिव ने चूंकि उसका वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है.  इसी वजह से शिवजी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है)

0940. पूजन  - भगवान सूर्य की 7, श्रीगणेश की 3, विष्णुजी की 4 और शिवजी की 1/2 परिक्रमा करनी चाहिए.

0941. पूजन  - में कुल देवता, कुल देवी, घर के वास्तु देवता, ग्राम देवता आदि का ध्यान करना भी आवश्यक है.

0942. पूजन  - में पान का पत्ता भी रखना चाहिए.  ध्यान रखें पान के पत्ते के साथ इलाइची, लौंग, गुलकंद आदि भी चढ़ाना चाहिए.  पूरा बना हुआ पान चढ़ाएंगे तो श्रेष्ठ रहेगा.

0943. पूजन  - में भगवान  का आवाहन (आमंत्रित करना) करना, ध्यान करना, आसन देना, स्नान करवाना, धूप-दीप जलाना, अक्षत (चावल), कुमकुम, चंदन, पुष्प (फूल), प्रसाद आदि अनिवार्य रूप से होना चाहिए.

0944. पूजन  - में हम जिस आसन पर बैठते हैं, उसे पैरों से इधर-उधर खिसकाना नहीं चाहिए.  आसन को हाथों से ही खिसकाना चाहिए.

0945. पूजन  - यदि आप प्रतिदिन घी का एक दीपक भी घर में जलाएंगे तो घर के कई वास्तु दोष भी दूर हो जाएंगे.

0946. पूजन  - यदि किसी छोटे कमरे में पूजा स्थल बनाया गया है तो वहां कुछ स्थान खुला होना चाहिए, जहां आसानी से बैठा जा सके.

0947. पूजन  - रोज रात को सोने से पहले मंदिर को पर्दे से ढंक देना चाहिए.  जिस प्रकार हम सोते समय किसी प्रकार का व्यवधान पसंद नहीं करते हैं, ठीक उसी भाव से मंदिर पर भी पर्दा ढंक देना चाहिए.  जिससे भगवान के विश्राम में बाधा उत्पन्न ना हो.

0948. पूजन  - वर्षभर में जब भी श्रेष्ठ मुहूर्त आते हैं, तब पूरे घर में गौमूत्र का छिड़काव करना चाहिए.  गौमूत्र के छिड़काव से पवित्रता बनी रहती है और वातावरण सकारात्मक हो जाता है.  शास्त्रों के अनुसार गौमूत्र बहुत चमत्कारी होता है और इस उपाय घर पर दैवीय शक्तियों की विशेष कृपा होती है.

0949. पूजन  - शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित की गई है.  जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है, उसे पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए और किसी पवित्र बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.  खंडित मूर्तियों की पूजा अशुभ मानी गई है.  इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ शिवलिंग कभी भी, किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता है.

0950. पूजन  - शिवजी को बिल्व पत्र अवश्य चढ़ाएं और किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए अपनी इच्छा के अनुसार भगवान को दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए, दान करना चाहिए.  दक्षिणा अर्पित करते समय अपने दोषों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.  दोषों को जल्दी से जल्दी छोड़ने पर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी.

0951. पूजन  - शिवलिंग का पूजन किसी भी दिशा से किया जा सकता है लेकिन पूजन करते वक्त भक्त का मुंह उत्तर दिशा की ओर हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

0952. पूजन  - सदैव दाएं हाथ की अनामिका एवं अंगूठे की सहायता से फूल अर्पित करने चाहिए.  चढ़े हुए फूल को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारना चाहिए.  फूल की कलियों को चढ़ाना मना है, किंतु यह नियम कमल के फूल पर लागू नहीं है.

0953. पूजन  - सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए.  प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए.  इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है

0954. पूजा -  अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलते हैं, वे रोगी होते हैं.

0955. पूजा -  अपने मंदिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार,काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियां न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरंत हटा दें.  शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित की गई है.  जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है, उसे पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए और किसी पवित्र बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.  खंडित मूर्तियों की पूजा अशुभ मानी गई है.  इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ शिवलिंग कभी भी, किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता है.

0956. पूजा -  आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है.  ऐसा नहीं करना चाहिए.  फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए.

0957. पूजा -  किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए.  दक्षिणा अर्पित करते समय अपने दोषों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.  दोषों को जल्दी से जल्दी छोड़ने पर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी.

0958. पूजा -  केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए.

0959. पूजा -  गणेश या देवी की प्रतिमा तीन तीन, शिवलिंग दो,शालिग्राम दो,सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें.

0960. पूजा -  घर के मंदिर में सुबह एवं शाम को दीपक अवश्य जलाएं.  एक दीपक घी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए.

0961. पूजा -  घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें .

0962. पूजा -  तांबे के बर्तन में चंदन, घिसा हुआ चंदन या चंदन का पानी नहीं रखना चाहिए.

0963. पूजा -  तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए.  शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं.  तुलसी तोड़ने का मन्त्र (BASIL TULSI TODNE KA MANTRA) ॐ सुभद्राय नमः. ॐ सुप्रभाय नमः.  मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी. नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमो5स्तुते..

0964. पूजा -  तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है.  इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है.

0965. पूजा -  दूर्वा (एक प्रकार की घास) रविवार को नहीं तोडऩी चाहिए.

0966. पूजा -  पीपल मे जल देने का मन्त्र. कुलानामयुतं तेन तारितं नात्र संशयः.  यो5श्वत्थमूलमासिंचेत्तोयेन बहुना सदा..

0967. पूजा -  पूजन-कर्म और आरती पूर्ण होने के बाद उसी स्थान पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएं अवश्य करनी चाहिए.

0968. पूजा -  पूजा करते समय आसन के लिए ध्यान रखें कि बैठने का आसन ऊनी होगा तो श्रेष्ठ रहेगा.

0969. पूजा -  पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर करनी चाहिए.  यदि संभव हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में पूजा अवश्य करें.

0970. पूजा -  पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक की होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी,सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में नहीं होनी चाहिए.

0971. पूजा -  प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए.  अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम और लोहे से बने बर्तन.  गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है.

0972. पूजा -  बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए.

0973. पूजा -  मंदिर और देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ दिखाकर नहीं बैठना चाहिए.

0974. पूजा -  मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता –पिता तथा पित्रों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें,उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करें.

0975. पूजा -  मां दुर्गा को दूर्वा (एक प्रकार की घास) नहीं चढ़ानी चाहिए.  यह गणेशजी को विशेष रूप से अर्पित की जाती है.

0976. पूजा -  मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है.  इस फूल को पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन:  चढ़ा सकते हैं.

0977. पूजा -  रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए.

0978. पूजा -  विष्णु की चार, गणेश की तीन,सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं.

0979. पूजा -  शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना चाहिए.  सुबह 5-6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में पूजन और आरती होनी चाहिए.  इसके बाद प्रात: 9-10 बजे तक दूसरी बार का पूजन.  दोपहर 1-2 में तीसरी बार पूजन करना चाहिए.  इस पूजन के बाद भगवान को शयन करवाना चाहिए.  शाम के समय 4-5 बजे पुन: पूजन और आरती.  रात को 8-9 बजे शयन आरती करनी चाहिए.  जिन घरों में नियमित रूप से पांच बार पूजन किया जाता है, वहां सभी देवी-देवताओं का वास होता है और ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है.

0980. पूजा -  शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं.  अत: इन्हें जल छिड़क कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है.

0981. पूजा -  शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.

0982. पूजा -  सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.

0983. पूजा -  सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए.  प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए.  इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है.

0984. पूजा -  स्त्रियों को और अपवित्र अवस्था में पुरुषों को शंख नहीं बजाना चाहिए.  यह इस नियम का पालन नहीं किया जाता है तो जहां शंख बजाया जाता है, वहां से देवी लक्ष्मी चली जाती हैं.

0985. पूजा -  हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए.

0986. पूर्णिमा - अपने घर के मंदिर में प्रेम, शुभता और धन लाभ के लिए श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख आदि माता लक्ष्मी की प्रिय इन दिव्य वस्तुओं को अवश्य ही स्थान देना चाहिए. इनको साबुत अक्षत के ऊपर स्थापित करना चाहिए और हर पूर्णिमा को इन चावलों को जिनको आसान के रूप में स्थान दिया गया है उन्हें अवश्य ही बदल कर नए चावल रख देना चाहिए. पुराने चावलों को किसी वृक्ष के नीचे अथवा बहते हुए पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए.

0987. पूर्णिमा - की रात में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें अर्थात चन्द्रमा को लगातार देखें इससे नेत्रों की ज्योति तेज होती है एवं पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा की रौशनी में सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्र ज्योति बढती है.

0988. पूर्णिमा - के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए.  इस दिन जुए, शराब आदि नशे और क्रोध एवं हिंसा से भी दूर रहना चाहिए. इस दिन बड़े बुजुर्ग अथवा किसी भी स्त्री से भूलकर भी अपशब्द ना बोलें.

0989. पूर्णिमा - के दिन चन्द्रमा की चाँदनी सभी मनुष्यों के लिए अत्यंत लाभदायक है.

0990. पूर्णिमा - के दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगन्धित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए. इत्र की शीशी खोलकर माता के वस्त्र पर वह इत्र छिड़क दें , उस अगरबत्ती के पैकेट से भी कुछ अगरबत्ती निकल कर जला दें फिर धन, सुख समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी से अपने घर में स्थाई रूप से निवास करने की प्रार्थना करें.

0991. पूर्णिमा - के दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें. अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें.  इस उपाय से घर में धन की कोई भी कमी नहीं होती है.  इसके पश्चात प्रत्येक पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुन: हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे.  आप पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी.

0992. पूर्णिमा - के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बेलपत्र, शमीपत्र और फल चढ़ाने से भगवान शिव की जातक पर सदैव कृपा बनी रहती है. पूर्णिमा के दिन घिसे हुए सफ़ेद चंदन में केसर मिलाकर भगवान शंकर को अर्पित करने से घर से कलह और अशांति दूर होती है.

0993. पूर्णिमा - को चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर ,बनाकर माँ लक्ष्मी को उसका भोग लगाएं फिर उसे प्रशाद के रूप में वितरित करे, धन आगमन का मार्ग बनेगा.

0994. पूर्णिमा - जिस भी व्यक्ति को जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ”ॐ ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम: " या ” ॐ ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:. मन्त्र का जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए. इससे धीरे धीरे उसकी आर्थिक समस्याओं का निराकरण होता है.

0995. पूर्णिमा - प्रत्येक पूर्णिमा पर सुबह के समय घर के मुख्य दरवाज़े पर आम के ताजे पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य ही बांधें, इससे भी घर में शुभता का वातावरण बनता है.

0996. पूर्णिमा - यदि चन्द्रमा का प्रकाश गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है अत: गर्भवती स्त्रियों को तो विशेष रूप से कुछ देर अवश्य ही चन्द्रमा की चाँदनी में रहना चाहिए.

0997. पूर्णिमा - लम्बे और प्रेम से भरे दाम्पत्य जीवन के लिए पूर्णिमा और अमावस्या को जातक को शारीरिक सम्बन्ध बिलकुल भी नहीं बनाना चाहिए.

0998. पूर्णिमा - वैसे तो सभी पूर्णिमा का महत्व है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि अति विशेष मानी जाती है.

0999. पूर्णिमा - शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह लगभग 10 बजे पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है.  कहते है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करके धूप अगरबत्ती जला कर मां लक्ष्मी का पूजन करें और माता लक्ष्मी को अपने घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें तो उस जातक पर लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है.

1000. पूर्णिमा - सफल दाम्पत्य जीवन के लिए प्रत्येक पूर्णिमा को पति पत्नी में कोई भी चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही दें ( दोनों एक साथ भी दे सकते है) , इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है.

Vashikarn Hone Ke Sanket Aur Vashikaran Khatam Karne Ke Upay : वशीकरण करना या किसी व्यक्ति को अपने नियंत्रण में करना बहुत मुश्किल काम है। सभी चाहते हैं कि सभी लोग उनकी बात सुने, उनके वश में रहे लेकिन ऐसा संभव नहीं होता है। यही कारण है कि कुछ लोग दूसरे को वश में करने के लिए तंत्र-मंत्र या जादू-टोने का सहारा लेते हैं। ऐसे में अभिचार कर्म करने वाला अपनी नकारात्मक ऊर्जा से सामने वाले को नुकसान पहुंचाने के साथ ही उसे अपने वश में कर लेता है। यदि आपको भी लगता है कि आप पर या आपके किसी अपने पर वशीकरण प्रयोग हुआ है तो यहां बताए गए संकेतों से इसका पता लगा सकते हैं व इन उपायों से वशीकरण के प्रभाव को खत्म भी कर सकते हैं…. totkey tricks and totkes for your happy life vashikaran for Ex love back what-women-wantअगर पुरुष अपने साथी के साथ एक अच्छा रिश्ता कायम रखना चाहते हैं तो उनके लिए यह ज़रुरी हो जाता है कि वह महिलाओं की इच्छाओं और चाहतों को जानें. उन्हें मालूम होना चाहिए कि महिलाओं को क्या अच्छा लगता है. इसके अलावा पुरुष को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि महिलाएं कभी भी उनसे अपनी इच्छाएं ज़ाहिर Older Entries अकसर परिवारों में सास-बहू, भाई-बहन, भाभी, माता-पिता के टकरावों के बारें में हम सुनते है. किसी परिचित परिवार में यदि ऐसा अलगाव दिखता है तो मन में बहुत दुःख होता है.किसी का वश नहीं चलता हम अपने ही सामने अपने मित्र या सम्बन्धी व रिश्तेदार का परिवार जो कुछ समय पहले शांत तथा मिलजुल के रहने वाला था किन्तु आज पल भर में ही बिखर गया.इसमें किस की गलती है या किस की नहीं यह तो सोचने से बाहर की बात हो गयी चाहे कुछ हो एक घर जो बड़ी मुश्किलों से बनता है आज उसे हम बिखरता हुआ देख रहे है. अगर आपको किसी भी कारणवश कोइ कार्य अपनी इच्छा के विपरीत करना पड़ रहा हो तो आप भगवान की आरती करते समय एक कपूर और एक फूल वाली लौंग एक साथ जलाकर आरती के बाद प्रभु से निवेदन करे कि आपकी इच्छा के विरुद्ध कार्य ना हो और उसे ( कपूर और लौंग ) दो-तीन दिन में थोड़ी-थोड़ी खा लें. इससे आपकी इच्छा के विपरीत कार्य होना बंद हो जाएगा. अगर बहु का व्यवहार अच्छा है तो वह अपनी सास और उनकी सास के साथ आसानी से वैतरणी को पार कर लेती है अन्यथा उसे घोर कष्ट मिलते है. अगर मां को हाइपरटेंशन है तो बच्चे की ग्रोथ कम हो सकती है और वह काफी कमजोर हो सकता है. प्री-मच्योर डिलिवरी की आशंका भी बढ़ जाती है. अगले पन्ने पर दूसरा उपाय.. अग्निहोत्र कर्म करें : अचूक टोटके भाग्यवान और धनवान बनने हेतु अचूक टोटके भाग्यवान और धनवान बनने हेतु अच्छा विचार और व्यवहार. संदेश है कि अच्छे लोग किसी भी प्रकार का धार्मिक और मांगलिक कार्य रात में नहीं करते जबकि दूसरे लोग अपने सभी धार्मिक और मांगलिक कार्य सहित सभी सांसारिक कार्य रात में ही करते हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. हिंदू माह के 15 वें दिवस शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं इस दिन चन्द्रमा अपने पूरे आकार में नज़र आता है. इस दिन का भारतीय जनजीवन में बहुत ही महत्व हैं. सामान्यता हर माह की पूर्णिमा को कोई न कोई पर्व अथवा व्रत अवश्य ही मनाया जाता हैं. अत: यह स्पष्ट है कि सास और बहु दोनों को ही आपस में मिलकर रहना चाहिए , एक दूसरे की कमियों को नहीं देखना चाहिए , गलतियाँ नहीं निकालनी चाहिए, अगर कोई परेशानी हो भी तो आपसे में मिलकर या यहाँ पर बताये हुए उपायों को चुपचाप करते हुए सम्बन्ध अच्छे बना कर रखना चाहिए अतीत से ही हम भारतीयों ने कला, साहित्य, विज्ञान एवं शिक्षा के हर क्षेत्र में विश्व-पटल पर अपनी एक विशेष छाप छोड़ी है . हमारी वास्तुकला के कुछ उत्कृष्ट उदहारण आज भी बड़ी शान से भारत के बेजोड़ वास्तुकला के हुनर को बयां करती नज़र आ जाती है . विज्ञान एवं कला के महासंगम द्वारा जनित वास्तु-शास्त्र विद्या आज अपनी सटीकता के फलस्वरूप हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गयी है . आज विज्ञान के आधार पर सरपट दौड़ती हमारी युवा पीढ़ी भी इस प्राचीनतम कला में अपनी अच्छी खासी दिलचस्पी ले रहे हैं, और रखे भी क्यों न आखिर हम भारतीयों को अपने इस ट्रेडिशनल हिन्दू शास्त्र में इतना भरोसा जो है . अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ हैं. दरिद्र व्यक्ति को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योकि वह पहले ही मरा हुआ होता है. बल्कि गरीब लोगों की मदद नहीं चाहिए. अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है. यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है. यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय. अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु. . अध्ययन कक्षा में अध्ययनों से यह पता चला है कि पहली बार गर्भवती हुई महिला की गर्भावस्था के शुरू के सप्ताहों में सेक्स में कम रुचि होती है, जबकि दूसरी या इससे अधिक बार गर्भवती होने वाली महिलाएँ अपनी यौन भावना में कोई विशेष अंतर नहीं पाती हैं. अध्ययनों से यह भी तथ्य सामने आया है कि कुछ महिलाएँ मानती हैं कि मतली, वमन तथा अवसाद का समय बीत जाने पर उन्हें सेक्स में पहले की तुलना में अधिक आनंद प्राप्त होता है. अनजाना भय : अनार से बढ़ती सेक्स पावर : अनियमित मासिक धर्म अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'. अनूप-रूप-भूपतिं, नतोऽहमुर्विजा-पतिम्. अन्नदान – अन्य ज्ञानवर्धक लेख अन्य धार्मिक लेख- अन्य सम्बंधित अपनी ईमानदारी और मेहतन की कमाई का 2 प्रतिशत हिस्सा, जीव-जंतु, प्रकृति, राष्ट्र एवं समाज की भलाई में खर्च करें. यहां पर लगाया धन लाख गुना होकर शीघ्र ही लौट आता है. अपनी पूरी जिंदगी के जमापूँजी से जब कोई घर बनाता है तो उसकी कोशिश यही रहती है कि मेरा घर लाखों में एक बने और यही वजह है कि घर को मॉडर्न आर्किटेक्ट का टच देने के लिए हम घर में काफी साजो-सामान भी सजा लेते हैं परन्तु क्या आपको पता है कि कभी-कभी घर में रखी हुई कुछ चीजे भी आपके वास्तु दोष की एक प्रमुख वजह बन सकती है . अपने दिल टूट गया है? क्या आप को नीचा दिखाया है, पर धोखा दिया है या इस्तेमाल किया साथ तंग आ गया? इस जादू के लिए मदद से अपने प्रेमी में अपने मित्र को करें अपने सच्चे जीवनसाथी अबॉर्शन और सिजेरियन: अगर पहले अबॉर्शन हो चुका है या पहला बच्चा सिजेरियन है तो भी प्रेग्नेंसी हाई रिस्क कैटिगरी में आती है. ऐसे मामलों में बच्चों के बीच अच्छा गैप रखें. अमावस्या के चमत्कारी उपाय अमावस्या पर करें ये उपाय अमुक के स्थान पर जिस लड़की का विवाह न हो रहा हो उसका नाम लिख सकते है ! अर्थात अर्थात: अलग तरह से अपने आप को देखो बनाने के लिए बनाया गया है. वे तुम्हें बहुत ही वांछनीय है और आकर्षक रूप में देखना शुरू कर देंगे. अवश्य ध्यान रखे घडी से जुडी ये वास्तु टिप्स अविकसित ही रहेंगे. अशोक से मिटे शोक अश्वत्थोपनयन व्रत के संदर्भ में महर्षि शौनक कहते हैं कि मंगल मुहूर्त में पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढ़ाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है. पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है. अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखंड सौभाग्य पाती है. अष्टम भाव में शनि हो तो कष्ट निवारण के उपाय /टोटके :- असामान्य व अविकसित स्तन आइए जानते हैं कि रात को कौनसे 6 कार्य नहीं करने चाहिए जिन्हें करने से दुर्भाग्य आता है आज के जीवन में धन की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता हैं , पर यह धन का आगमन हो कैसे कुछ को तो व्यापार अपने परिवार से मिला हैं तो कुछ स्वतः ही इस और आकर्षित हो जाते हैं पर बहुसंख्यक वर्ग तो एक नौकरी किसी तरह मिल जाए उसी पर ही निर्भर करता हैं पर भले ही कितनी रोजगार के अवसर मिल रहे हो या सामने आ आरहे हो पर एक रोजगार मिलना या नौकरी मिलना इतना भी आसान कहाँ. आज के भौतिक संसार में मनुष्य अध्यात्म को छोड़कर भौतिक सुखों के पीछे भाग रहा है. समय के अभाव ने उसे रिश्तों के प्रति उदासीन बना दिया है. किंतु आज भी मनुष्य अपने घर में संसार के सारे सुखों को भोगना चाहता है. इसके लिए हमें वैवाहिक जीवन को वास्तु से जोड़ना होगा. आज भी यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है. यहां जानिए कौन-कौन सी बुरी आदतें, काम और बातें व्यक्ति को जीते जी मृत समान बना देती हैं. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के लंकाकांड में एक प्रसंग आता है, जब लंका दरबार में रावण और अंगद के बीच संवाद होता है. इस संवाद में अंगद ने रावण को बताया है कि कौन-कौन से 14 दुर्गण या बातें आने पर व्यक्ति जीते जी मृतक समान हो जाते हैं. आज सभी की आवश्यकता है धन और धन के बिना जीवन जीना बहुत दुर्लभ है खास कर गृहस्थ व्यक्ति के लिए रात-दिन मेहनत के बाद भी पैसे की परेशानी से जूझता रहता है कुछ व्यक्ति जीवन में कठिनाइयो का सामना करते हुए पूरा जीवन व्यतीत कर देते है आज हम आपको ऐसे ही कुछ अलग-अलग डिज़ाइन के दरवाज़े दिखाने जा रहे हैं. हम आपको कुल आठ तरह के दरवाजे इस आर्टिकल में दिखाएंगे. आपको बस अपनी पसंद का एक दरवाज़ा चुनना है. आप जिस नंबर के दरवाज़े को चुनेंगे उसी से खुलेंगे आपके व्यवहार और भविष्य से जुड़े राज़. आज हमारी एक बड़ी आबादी एवं बड़े-बड़े डेवेलपर्स घर बनाते वक़्त वास्तु शास्त्र पर खास ध्यान देते हैं . आइये डालते है नजर कुछ ऐसे ही वास्तु शास्त्र टिप्स के ऊपर जिसका अनुसरण कर आप भी एक खुशहाल जीवनशैली की नीव रख सकते हैं . आजकल बच्चे नशे या कुकर्मों में लिप्त होकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. काम नहीं करते हैं और यूं ही समय बर्बाद करते हैं. कहना भी नहीं मानते हैं. अपने माता-पिता की चिन्ता का कारण बने हुए हैं.

free dogecoin mining