ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं. इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए. उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका ना हो , इसका ख़याल रखे.
0101. कौआ - को भोजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है. कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रु का नाश होता है. शनि को प्रसन्न करना हो तो कौवों को भोजन कराना चाहिए.
0102. कौआ - यदि उड़ता हुआ कौआ किसी के सिर पर बीट करे, तो उसे रोग व संताप होता है और यदि हड्डी का टुकड़ा गिरा दे, तो उस व्यक्ति पर भारी संकट आ सकता है.
0103. कौआ - यदि किसी महिला के सिर पर कौआ बैठता है, तो उसके पति को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है.
0104. कौआ - यदि किसी व्यक्ति के ऊपर कौआ आकर बैठ जाए, तो उसे धन व सम्मान की हानि हो सकती है.
0105. कौआ - यदि कौआ यात्रा करने वाले व्यक्ति के सामने आकर सामान्य स्वर में कांव-कांव करे और चला जाए तो कार्य सिद्धि की सूचना देता है.
0106. कौआ - यदि कौआ ऊपर मुंह करके पंखों को फडफ़ड़ाता है और कर्कश स्वर में आवाज करता है तो वह हानि का सिग्नल है.
0107. कौआ - यदि कौआ पंख फडफ़ड़ाता हुआ उग्र स्वर में बोलता है, तो यह अशुभ संकेत है.
0108. कौआ - यदि कौआ पानी से भरे घड़े पर बैठा दिखाई दे तो धन-धान्य की वृद्धि होती है.
0109. कौआ - यदि कौआ मुंह में रोटी, मांस आदि का टुकड़ा लाता दिखाई दे, तो मन की इच्छा पूरी होती है.
0110. कौआ - यदि पेड़ पर बैठा कौआ यदि शांत स्वर में बोलता है, तो स्त्री सुख मिलता है.
0111. कौआ - यदि बहुत से कौए किसी नगर या गांव में एकत्रित होकर शोर करें, तो उस नगर या गांव पर भारी विपत्ति आने के योग बनते हैं.
0112. क्रोध - 24 घंटे क्रोध में रहने वाला भी मृत समान ही है. हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करना ऐसे लोगों का काम होता है. क्रोध के कारण मन और बुद्धि, दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं. जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता है.
0113. क्रोध - कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें अन्य लोगों में सिर्फ दोष ही नजर आते हैं. ऐसे लोग सामाजिक नहीं कहे जाते. लोग इनके साथ घुलना-मिलना पसंद नहीं करते. ऐसे लोग को परिवार व समाज में भी उचित स्थान नहीं मिलता. अतः इस बुरी आदत से बचना चाहिए.
0114. क्रोध - कुछ लोगों का स्वभाव बहुत ही बुरा होता है. ऐसे लोग दूसरों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करते हैं. वे अपने-पराए में भेद नहीं कर पाते. इसलिए परिवार व समाज में इन्हें उचित स्थान नहीं मिलता.
0115. क्रोध - कुछ लोगों की आदत होती है दूसरों से ईर्ष्या करने की. ऐसे लोग दूसरों की तरक्की देखकर जलते हैं और उन्हें हमेशा भला-बुरा कहते हैं. ऐसे लोगों को जीवन में कभी संतोष नहीं मिलता.
0116. क्रोध - गाली देकर बात करने वाले लोगों को सभ्य नहीं माना जाता. ये भी क्रोध से उत्पन्न होने वाली एक बुराई ही है. क्रोध में आकर किसी को गाली देते समय व्यक्ति अपने आपे में नहीं रहता और बड़े बूढ़ों का लिहाज भी नहीं करता. इसलिए ऐसी स्थिति से बचना चाहिए.
0117. क्रोध - जो लोग दूसरों के धन को बलपूर्वक छिन लेते हैं, वे सभी की निंदा के पात्र होते हैं. ऐसे लोग निजी हित के लिए अपनों का नुकसान करने से भी नहीं चूकते. इसलिए इन लोगों से कोई मेल-जोल नहीं बढ़ाता. सभी बच कर रहने की कोशिश करते हैं.
0118. क्रोध - मनु स्मृति के अनुसार चुगली करना क्रोध से उत्पन्न 8 बुरी आदतों में से एक मानी गई है. चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है. कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है.
0119. क्रोध - में आकर बिना कुछ सोचे-समझे द्रोह करना यानी विरोध करना भी एक बुरी आदत है. बाद में स्थिति सामान्य होने पर आपको स्वयं पर शर्मिंदा भी होना पड़ सकता है.
0120. क्रोध - साहसी होना अच्छी बात है, लेकिन कुछ लोग क्रोध में आकर दुःसाहसी हो जाते हैं और ये ऐसा काम कर जाते हैं, जिसकी इनसे उम्मीद नहीं की जा सकती. ऐसे लोग कई बार अन्य लोगों के गुस्से का शिकार भी हो सकते हैं.
0121. गणेश चतुर्थी के दौरान - 7 नारियल की माला बनाएं और श्रीगणेश को चढ़ाएं, इससे कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं.
0122. गणेश चतुर्थी के दौरान - कच्चे धागे में 7 गांठ लगाएं और गणेशजी को चढ़ाएं. साथ ही गणपति जी से प्रार्थना करें कि सभी कष्ट दूर हों. पूजा के बाद यह धागा अपने पर्स में रखें.
0123. गणेश चतुर्थी के दौरान - किसी पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाएं. यह उपाय रात में किया जाना चाहिए. दीपक लगाकर घर लौट आए, पीछे पलटकर न देखें.
0124. गणेश चतुर्थी के दौरान - किसी ब्राह्मण, जरूरतमंद व्यक्ति या गरीब बच्चों को अनाज, मिठाई दान करें. कपड़ों का दान करना भी अच्छा रहता है.
0125. गणेश चतुर्थी के दौरान - गणेश भगवान को एक पूरी सुपारी रोज चढ़ाएं और एक कटोरी चावल दान करें. यह क्रिया एक वर्ष तक करें, नजर दोष व भूत-प्रेत बाधा आदि के कारण बाधित सभी कार्य पूरे होंगे.
0126. गणेश चतुर्थी के दौरान - गणेश मंदिर जाएं और जरूरतमंद लोगों को अपने सामथ्र्य के अनुसार धन का दान करें. दान से पुराने पापों का असर खत्म हो जाता है.
0127. गणेश चतुर्थी के दौरान - घर में भगवान गणेश की बैठी मुद्रा में और दुकान या ऑफिस में खड़े गणपति की मूर्ति या तस्वीर रखना बहुत ही शुभ माना जाता है.
0128. गणेश चतुर्थी के दौरान - घर में श्री गणेशजी का चित्र लगाते समय ध्यान रखें कि चित्र में मोदक और चूहा अवश्य हो. इससे घर में बरकत रहती है.
0129. गणेश चतुर्थी के दौरान - तालाब या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं. शास्त्रों के अनुसार इस उपाय से बड़ी-बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं.
0130. गणेश चतुर्थी के दौरान - दूर्वा की 21 गांठ श्री गणेशजी को रोज चढ़ानी चाहिए. ऐसा करने से घर-परिवार में बरकत बनी रहती है.
0131. गणेश चतुर्थी के दौरान - नियमित रूप से श्री गणेशजी का अभिषेक करने से भी घर परिवार की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं. साथ ही गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी करें.
0132. गणेश चतुर्थी के दौरान - बड़ी से बड़ी परेशानी दूर करने के लिए किसी हाथी को हरा चारा खिलाएं और मंदिर जाकर भगवान श्रीगणेश से परेशानियों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें.
0133. गणेश चतुर्थी के दौरान - रोज सुबह स्नान के बाद एक थाली में चंदन से "ऊँ ऊँ गं गणपतयै नम:" मंत्र लिखें. इसके बाद इस थाली में पांच बूंदी के लड्डू रखें और गणेशजी को चढ़ाएं.
0134. गणेश चतुर्थी के दौरान - श्री गणेशजी को चढ़ाएं - शमी पत्र, भंगरेया, बिल्वपत्र, दूर्वादल, बेर, धतूरा, तुलसी, सेम, अपामार्ग, भटकटैया, तेजपात, अगस्त्य, कनेर, कदलीफल का पत्ता, आक, अर्जुन, देवदारू, मरुआ, गांधारी पत्र, केतकी का पत्ता.
0135. गणेश चतुर्थी के दौरान - श्री गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि भगवान का मुंह नैर्त्रत्य कोण यानी दक्षिण दिशा की ओर न हों. इससे घर-दूकान पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
0136. गणेश चतुर्थी के दौरान - श्री गणेशजी को का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, उनकी आराधना करें. उनके आगे लौंग तथा सुपारी रखें. जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो इस लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा.
0137. गणेश चतुर्थी के दौरान - श्री गणेशजी को जनेऊ अर्पित करें. सिंदूर से शृंगार करें. मोदक का भोग लगाएं. गणेश मंत्र का जाप करें.
0138. गणेश चतुर्थी के दौरान - सर्व मंगल की कामना करने वालों को सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना करनी चाहिए. ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है.
0139. गणेश चतुर्थी के दौरान - सुबह स्नान के बाद गणेश मंदिर जाएं और गुड़ की 21 ढेली या 21 छोटे-छोटे टुकड़े चढ़ाएं. साथ ही दूर्वा भी चढ़ाएं.
0140. गणेश चतुर्थी के दौरान - सुबह स्नान के बाद श्री गणेशजी को शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं. पूजा के बाद घी और गुड़ का दान कर दें.
0141. गाय - के गोबर का कण्डा और जली हुई लकड़ी की राख को पानी में गूंद कर एक गोला बनाएं. इसमें एक कील तथा एक सिक्का भी डाल दें. इसके ऊपर रोली और काजल से 7 निशान लगाएं. इस गोले को एक उपले पर रख कर रोगी के ऊपर से 3 बार उतार कर सुर्यास्त के समय मौन रह कर चौराहे पर रखें. पीछे मुड़ कर न देखें.
0142. गाय - जब गाय के ऊपर बहुत सारी मक्खियां बैठी हुई दिखाई दें, तो अच्छी वर्षा होने की संभावना मानी जाती है.
0143. गाय - में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है. घर के आसपास गाय होने का मतलब है कि आप सभी तरह के संकटों से दूर रहकर सुख और समृद्धिपूर्वक जीवन जी रहे हैं. गाय को प्रतिदिन भोजन कराने से घर में धन-समृद्धि और शांति बढ़ती है. गाय को खिलाने से घर की पीड़ा दूर होगी.
0144. गाय - यदि किसी व्यक्ति को यात्रा पर जाते समय सांड अपने सींग या खुर से जमीन खोदता हुआ दिखाई दे तो यह भी शुभ शकुन माना जाता है.
0145. गाय - यदि किसी व्यक्ति को सांड अपनी बांई ओर से दाहिना ओर जाता हुआ दिखाई दे तो यह शुभ शकुन माना जाता है.
0146. गाय - यात्रा करते समय यदि किसी व्यक्ति को दोनों ओर भैंस दिखाई दे, तो यात्री की मृत्यु होने का भय रहता है.
0147. गाय - यात्रा पर जा रहे व्यक्ति को गाय अपने खुरों से जमीन खुरचती दिखाई दे तो आने वाले समय में उसे बीमारी का सामना करना पड़ सकता है.
0148. गाय - यात्री को गाय अपने बछड़े से मिलने के लिए रंभाती दिखाई दे, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होने के योग बनते हैं.
0149. गाय - रात के समय अगर गाय हुंकार भरती या पुकारती है, तो यह ही शुभ शकुन माना जाता है.
0150. गाय - सफर करते समय गाय रोती हुई दिखाई दे, तो यात्री को कष्ट होने की आशंका रहती है.
0151. गाय - सफर करते समय यदि बांई ओर से गाय की आवाज सुनाई दे तो यह शुभ माना जाता है.
0152. गुरु ग्रह - गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले कपड़े पर विराजित करें और पूजा करें. पूजा में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल और प्रसाद के लिए पीले पकवान या फल चढ़ाएं.
0153. गुरु ग्रह - गुरु मंत्र का जप करें- मंत्र- ॐ बृं बृहस्पते नम:. मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए.
0154. गुरु ग्रह - गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान करें. पीली वस्तु जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम (फल) आदि.
0155. गुरु ग्रह - गुरुवार की विशेष पूजा के बाद स्वयं के माथे पर केसर का तिलक लगाएं. यदि केसर नहीं हो तो हल्दी का तिलक भी लगा सकते हैं.
0156. गुरु ग्रह - गुरुवार की शाम को केले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं. केले की पूजा करें और लड्डू या बेसन की मिठाई चढ़ाएं.
0157. गुरु ग्रह - गुरुवार को गुरु ग्रह के लिए व्रत रखें. इस दिन पीले कपड़े पहनें. बिना नमक का खाना खाएं. भोजन में पीले रंग का पकवान जैसे बेसन के लड्डू, आम, केले आदि भी शामिल करें.
0158. गुरु ग्रह - गुरुवार को माता-पिता एवं गुरु के चरण स्पर्श करें और आशीर्वाद प्राप्त करें.
0159. गुरु ग्रह - गुरुवार को सूर्योदय से पहले उठें. स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं. इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
0160. गुरु ग्रह - हर गुरुवार शिवजी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं. इस उपाय से गुरु ग्रह के दोष दूर होते हैं.
0161. गुरु वार और रविवार को गुड़ और घी मिलाकर उसे कंडे पर जलाएं. चाहे तो इसमें पके चावल भी मिला सकते हैं. इससे जो सुगंधित वातावरण निर्मित होगा, वह आपके मन और मस्तिष्क के तनाव को शांत कर देगा. जहां शांति होती है, वहां गृहकलह नहीं होता और जहां गृहकलह नहीं होता वहीं लक्ष्मी वास करती हैं.
0162. गुरु वार के दिन कुंवारी कन्या पीले वस्त्रों में दिख जाए, तो इसे भी शुभ संकेत मानना चाहिए. ये भी धन लाभ होने के संकेत है.
0163. गृह शांति - कन्या राशि वाले लोगों को गले हुए मूंग गाय को खिलाना चाहिए. इससे आपके धर में शांति बनी रहेगी.
0164. गृह शांति - कर्क राशि पर चंद्रमा का विशेष प्रभाव है चंद्रमा के शुभ प्रभाव के लिए आप 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को भोजन कराएं और दक्षिणा दें.
0165. गृह शांति - कुंभ राशि पर शनि देव का विशेष प्रभाव है इसलिए आप चिंटीयों को आटा और चिनी खिलाए.
0166. गृह शांति - तुला राशि शुक्र की राशि है इसलिए आप नव विवाहित वधू को भोजन कराएं तो आप पर लक्ष्मी जी प्रसन्न होंगी और घर में बरकत बनी रहेगी.
0167. गृह शांति - धनु राशि वाले रोज पीली गाय को चारा दें और हर गुरुवार को किसी ब्राह्मण को भोजन कराए.
0168. गृह शांति - मकर राशि वाले अपने घर मे शांति बनाए रखने के लिए आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति को काला कंबल दान दें.
0169. गृह शांति - मिथुन राशि वाले बुध से संबंधीत वस्तुओं का दान दें तो आपके घर में निश्चित ही शांति रहेगी. आप किन्नरों को हरे वस्त्र के साथ हरी चुड़ीयां दान दें.
0170. गृह शांति - मीन राशि के अनुसार आपको रोज मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना चाहिए या दाना डालना चाहिए.
0171. गृह शांति - मेष राशि वाले लोग अपनी राशि के अनुसार घर में लाल गाय का गौमूत्र छीटें और शाम को गुग्गल का धूप दें.
0172. गृह शांति - वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है इसलिए आप रोज रात को तांबे के बर्तन में पानी भर कर उसे अपने सिरहाने रख कर सोए और सुबह कांटेदार वृक्ष में डाल दें तो आपके घर में शांति रहेगी और सारी नकारात्मकता खत्म हो जाएगी.
0173. गृह शांति - वृष राशि का स्वामी शुक्र है इसलिए आपको लक्ष्मी जी के मन्दिर में गाय का घी दान देना चाहिए.
0174. गृह शांति - सिंह राशि का स्वामी सूर्य है और आप पर सूर्य का विशेष प्रभाव है. इसलिए आप रोज सूर्योदय के समय तांबे के पात्र से सूर्य को जल चढ़ाए.
0175. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - केतु – लहसुनिया (Ketu – Cat’s eye) - जिन लोगों की कुंडली में केतु की महादशा चल रही है, उन्हें लहसुनिया धारण करना चाहिए. इसके लिए भी शनिवार श्रेष्ठ दिन है. शनिवार को सूर्यास्त के बाद मिडिल फिंगर यानी मध्यमा उंगली में लहसुनिया धारण करना चाहिए.
0176. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - गुरु – पुखराज (Jupiter – Yellow Sapphire) - पुखराज उन लोगों को धारण करना चाहिए, जिन लोगों की कुंडली में गुरु की महादशा चल रही हो. इसके लिए गुरुवार श्रेष्ठ दिन है. गुरुवार को सुबह 10 बजे से 12 बजे के बीच तर्जनी उंगली यानी इंडेक्स फिंगर में धारण करना चाहिए.
0177. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - चंद्रमा – मोती (Moon – White Pearl) - मोती उन लोगों को धारण करना चाहिए, जिन लोगों की कुंडली में चंद्र की महादशा चल रही हो. किसी भी सोमवार को शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच अनामिका या कनिष्ठा (सबसे छोटी उंगली) में मोती धारण करना चाहिए.
0178. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - ध्यान रहे, किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए. कभी-कभी रत्न का प्रभाव बहुत जल्दी हो जाता है. कुछ परिस्थितियों में रत्न विपरीत प्रभाव भी दे सकते हैं, अत: बिना ज्योतिषी के परामर्श के रत्न धारण नहीं करना चाहिए.
0179. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - बुध – पन्ना (Mercury – Emerald) - जिन लोगों की कुंडली में बुध की महादशा चल रही हो, उन्हें पन्ना धारण करना चाहिए. पन्ना धारण करने के लिए बुधवार श्रेष्ठ दिन है. दिन के समय 12 बजे से 2 बजे तक सबसे छोटी उंगली में पन्ना धारण कर सकते हैं.
0180. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - मंगल – मूंगा (Mars – Coral) - मंगल की महादशा में मूंगा धारण करना सबसे अच्छा उपाय है. मंगलवार के दिन शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच मूंगा अनामिका यानी फिंगर में धारण करने पर श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं.
0181. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - राहु – गोमेद (Rahu – Hessonite) - जिन लोगों की कुंडली में राहु की महादशा चल रही है, उन्हें गोमेद धारण करना चाहिए. इसके लिए शनिवार श्रेष्ठ दिन है. शनिवार को सूर्यास्त के बाद मिडिल फिंगर यानी मध्यमा उंगली में गोमेद धारण करना चाहिए.
0182. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - शनि – नीलम (Saturn – Blue Sapphire) - यदि किसी व्यक्ति को शनि की महादशा चल रही है, उन्हें नीलम धारण करना चाहिए. नीलम धारण करने के लिए शनिवार सबसे अच्छा दिन है. शाम 5 बजे से 7 बजे तक मिडिल फिंगर यानी मध्यमा उंगली में नीलम धारण किया जा सकता है.
0183. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - शुक्र – हीरा (Venus – Diamond) - जिन लोगों को शुक्र की महादशा चल रही है, उन्हें हीरा धारण करना चाहिए. इसके लिए शुक्रवार सबसे अच्छा है. शुक्रवार को सुबह 10 बजे से 12 बजे के बीच हीरा मध्यमा उंगली यानी मिडिल फिंगर में पहनना चाहिए.
0184. ग्रह के लिए कब, कैसे और कौनसा पहने रत्न - सूर्य – माणिक (Sun – Ruby) - जिनकी कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही हो, उन्हें माणिक धारण करना चाहिए. इसे धारण करने के लिए रविवार सर्वश्रेष्ठ है. रविवार को सूर्योदय के समय माणिक अनामिका उंगली यानी रिंग फिंगर में धारण करना चाहिए.
0185. घर - और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए - इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें . या एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें . इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें . यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें .
0186. घर - का जो हिस्सा वास्तु के अनुसार सही न हो, वहां घी मिश्रित सिंदूर से श्रीगणेश स्वरुप स्वास्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होने लगता है.
0187. घर - की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए घर में सोने का चौरस सिक्का रखें, कुत्ते को दूध दें, अपने कमरे में मोर का पंख रखें.
0188. घर - की छत पर पड़ा हुआ कबाड़, पुराना फर्निचर, लोहे का समान आदि अगर है तो इसको तुरंत हटा दे. ये पॉज़िटिव एनर्जी को रोकता है.
0189. घर - की दीवार मैं दरार ना होने दे, अगर आए तो इसकी मररमत जल्दी से जल्दी करवाएँ, ग़रीबी का सूचक है ये.
0190. घर - की दीवारों पर कोई-सा भी चित्र न लगाएं जिससे आपकी भावनाएं विकृत होती हों. दीवार पर लगा प्रकृति का चित्र या हंसमुख परिवार का चित्र आपके जीवन में खुशियां बढ़ा सकने में सक्षम है.
0191. घर - की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए घर में नींबू का पेड़ लगाए. नींबू के पेड़ से आसपास का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है. इसके साथ ही नींबू का पेड़ घर में लगाने से घर का वास्तु दोष भी दूर होता है.
0192. घर - की रसोई आग्नेय कोण यानी उत्तर-पूर्व में होनीं चाहिए , रसोई गलत जगह में होने पर सास-बहू के आपसी क्लेश, मनमुटाव बना ही रहेगा. अगर रसोई में दोष है तो उसके आग्नेय कोण में एक लाल रंग का बल्ब लगा दें.
0193. घर - के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल अशोकादि) लगाने चाहिए. इससे शुभता बढ़ती है. जिस घर की सीमा में निगुंडी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होती. जिस घर में एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है. जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो, उसे पलाश का पेड़ लगाना चाहिए. तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है.
0194. घर - के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें. कोई भी पौधा घर के मुख्य द्वार के सामने न रोपें. इससे जहां द्वार भेद होता है वहीं बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है.
0195. घर - के पूजा स्थान पर घी का दीपक जलाएं. कपूर और अष्टगंध की सुगंध प्रतिदिन घर में फैलाएं. गुरुवार और रविवार को गुड़ और घी मिलाकर उसे कंडे पर जलाएं.
0196. घर - के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए. घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए. पौधारोपण उत्तरा, स्वाति, हस्त, रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए. ऐसा करने पर रोपण निष्फल नहीं होता.
0197. घर - के प्रवेश में तुलसी का पौधा अवस्य लगायें एवं नियमित रूप से उसकी पूजा भी करें . शाम के वक़्त दीप भी जलायें .
0198. घर - के ब्रह्म स्थान यानी केंद्र में और पूर्व दिशा में मंगलकारी श्री गणेश की मूर्ति या चित्र जरूर लगाना चाहिए. ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
0199. घर - के मुख्य द्वार के समीप श्वेतार्क का पौधा लगाएं, घर ऊपरी हवाओं से मुक्त रहेगा.
0200. घर - के मेन गेट पर गणपति की दो मूर्ति या चित्र लगाने चाहिए. उन्हें ऐसे लगाएं कि दोनों गणेशजी की पीठ मिली रहे. ऐसा करने से सभी वास्तु दोष खत्म हो जाते है.