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Thursday, September 22, 2016

अच्छे जीवन के उपाय 0001. - 0100.


ध्यान रखें यहां बताए जा रहे सभी उपाय ज्योतिष से संबंधित हैं.  इस कारण इन्हें आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए.  उपाय करते समय मन में किसी प्रकार की शंका ना हो , इसका ख़याल रखे.

 ज्योतिष् के घरेलू  उपाय


0001. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  अगर घर मैं कोई ज़यादा बीमार हो तो  किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें.  अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा.  प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए.

0002. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं.  तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें.  महामृत्युजंय मंत्र की एक माला का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें.  पीछे मुड़कर नहीं देखें.

0003. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  एक पाचंमुखी रूद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार कर इसे किसी नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर दें. 

0004. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है.  इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं.  इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “ॐॐ नम: शिवाय ॐ´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं.  इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें.  लाभ मिलता है.

0005. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं.  उसे छाया में सुखा लें.  जिस कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से ´´ ॐ ॐ माधवाय नम:.  ॐ ॐ अनंताय नम:.  ॐ ॐ अच्युताय नम:. ´´ मन्त्र की एक माला का जाप करें.  कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा.  दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य करें.  इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा.

0006. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है.

0007. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए.  दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है.

0008. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  घर मैंकोई  बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं.  पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें.

0009. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं.  ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं.  कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें.  वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी पास नही आती

0010. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं.

0011. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें.  रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें.  सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं.  जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें. 

0012. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  मंदिर में गुप्त दान करें.

0013. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे.

0014. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाना चाहिये,  दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है.

0015. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  रात्रि को पानी किसी लोटे या गिलास में सुबह उठ कर पीने के लिये रख दें.  उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृत सम्बन्धी परेशानियां नहीं होती तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है.

0016. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं,लाभ मिलता है.

0017. अच्छे स्वास्थ्य के लिये -  सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए.

0018. अमावस्या  - अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के पूजन से शनि पीड़ा से व्यक्ति मुक्त हो जाता है.  श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिल जाती है.

0019. अमावस्या - अमावस्या के दिन शनि देव पर कड़वा तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, काला कपड़ा और नीला पुष्प चढ़ाकर शनि का पौराणिक मंत् “ऊँ ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम.  छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम. . ” की एक माला का जाप करने से शनि का प्रकोप शांत होता है , एवं अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है

0020. अमावस्या - इस दिन संध्या के समय पितरों के निमित थोड़ी खीर पीपल के नीचे भी रखनी चाहिए.

0021. अमावस्या - की तिथि को कोई भी नया कार्य, यात्रा, क्रय-विक्रय तथा समस्त शुभ कर्मों को निषेध कहा गया है, इसलिए इस दिन इन कार्यों को नहीं करना चाहिए .

0022. अमावस्या - की रात्रि में 12 बजे अपने दाहिने हाथ में काली राई लेकर अपने घर की छत पर तीन चक्कर उलटे काटे, फिर दसो दिशाओं में हाथ की राई के दाने “ऊँ ऊँ हीं ऋणमोचने स्वाहा”॥ मन्त्र का जप करते हुए फेंकते जाय, इस उपाय से धन हानि बंद होती है ,ऋण के उतरने के योग प्रबल होते है.  यह बहुत ही अमोघ प्रयोग है इसे किसी भी अमावस्या को किया जा सकता है लेकिन दीवाली की रात में इसे करने से शीघ्र ही फल मिलता है.

0023. अमावस्या - की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिबिया काले कपडे में बांध कर संदूक में रखे, इससे शीघ्र ही आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है.

0024. अमावस्या - के तुरंत बाद प्रथम मंगलवार को 400 ग्राम दूध से चावल धोकर बहती नदी अथवा झरने में प्रवाहित करें.  यह उपाय लगातार सात मंगलवार करें, दुर्घटना होना बंद हो जाएगा.

0025. अमावस्या - के दिन अपने घर के दरवाजे के ऊपर काले घोड़े की नाल को स्थापित करें.  ध्यान रहे कि उसका मुंह ऊपर की ओर खुला रखें.  लेकिन दुकान या अपने आफिस के द्वार पर लगाना हो तो उसका खुला मुंह नीचे की ओर रखें.  इससे नज़र नहीं लगती है और घर में स्थाई सुख समृद्धि का निवास होता है.

0026. अमावस्या - के दिन एक कागजी नींबू लेंकर शाम के समय उसके चार टुकड़े करके किसी भी चौराहे पर चुपचाप चारों दिशाओं में फेंक दें.  इस उपाय से जल्दी ही बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाती है.

0027. अमावस्या - के दिन एक ब्राह्मण को भोजन अवश्य ही कराएं.  इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे, आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएँगी, घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेंगी और आपका घर, परिवार को टोने-टोटको के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा.

0028. अमावस्या - के दिन काले कुत्ते को कड़वा तेल लगाकर रोटी खिलाएं.  इससे ना केवल दुश्मन शांत होते है वरन आकस्मिक विपदाओं से भी रक्षा होती है.

0029. अमावस्या - के दिन किसी सरोवर पर गेहूं के आटे की गोलियां ले जाकर मछलियों को डालें.  इस उपाय से पितरों के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है, धन सम्बन्धी सभी समस्याओं का निराकरण होता है.

0030. अमावस्या - के दिन क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, माँस, मदिरा का सेवन  एवं  स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध, मैथुन कार्य आदि का निषेध बताया गया है, जीवन में स्थाई सफलता हेतु इस दिन इन सभी कार्यों से दूर रहना चाहिए

0031. अमावस्या - के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर पवित्र होकर जो व्यक्ति रोगी है उसके कपड़े से धागा निकालकर रूई के साथ मिलाकर उसकी बत्ती बनाएं.  फिर एक मिट्टी का दीपक लेंकर उसमें घी भरकर, रूई और धागे की बत्ती लगाकर यह दीपक हनुमानजी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें.  इस उपाय से रोगी की तबियत जल्दी ही सुधरने लगती. यह उपाय उसके बाद कम से कम 7 मंगलवार और शनिवार को भी नियमित रूप से करना चाहिए.

0032. अमावस्या - को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है. इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं,  आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा.

0033. अमावस्या - को गाय को पांच फल भी नियमपूर्वक खिलाने चाहिए, इससे भी घर में शुभता एवं हर्ष का वातावरण बना रहता है

0034. अमावस्या - को पितृ अपने घर पर आते है अतः इस दिन हर व्यक्ति  को यथाशक्ति उनके नाम से दान करना चाहिए.   इस दिन बबूल के पेड़ पर संध्या के समय पितरों के निमित्त भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है.

0035. अमावस्या - को पीपल के पेड़ के नीचे कड़वे तेल का दिया जलाने से भी पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं.

0036. अमावस्या - ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या तिथि के दिन वटवृक्ष की पूजा का विधान है.  शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन वटवृक्ष की पूजा से सौभाग्य एवं स्थायी धन और सुख-शांति की प्राप्ति होती है.

0037. अमावस्या - धन लाभ के लिए इस दिन पीली  त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लगातार लहराती रहे, आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा.  झंडा लगातार वहाँ लगा रहना अनिवार्य  है. लगातार स्थाई लाभ हेतु यह  ध्यान रहे की झंडा वहाँ लगा रहना चाहिए.  उसे आप समय समय पर स्वयं बदल भी सकते है.

0038. अमावस्या - पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए.  अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें.

0039. अमावस्या - पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए. तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल , कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी  के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए.  तर्पण, में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है.  ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चड़ा देना चाहिए वह जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए.

0040. अमावस्या - पर पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजन करना चाहिए.  यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है.  पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है, मेहनत के उचित फल प्राप्त नहीं होती है.

0041. अमावस्या - पितरों को खीर बहुत पसंद होती है इसलिए प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है, जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है.

0042. अमावस्या - यदि कोई व्यक्ति अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध , गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये  “ऊँ ऊँ  नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुये 7 बार परिक्रमा करें तत्पश्चात्  "ऊँ ॐ पितृभ्यः नमः " मंत्र का जप करते हुए अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं  का निवारण हो जाता है.  और अगर सोमवती अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है.

0043. अमावस्या - वैसे तो सभी अमावस्या का महत्व है लेकिन सोमवार एवं शनिवार को पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है.  इसके अतिरिक्त मौनी अमावस्या और सर्वपितृ दोष अमावस्या अति महत्वपूर्ण मानी गयी है.

0044. अमावस्या - हर अमावस्या को घर के कोने कोने को अच्छी तरह से साफ करें, सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दें.  इस दिन सुबह शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दिया अवश्य ही जलाएं इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है.

0045. आसन  - बल, शक्ति आदि प्रयोगों के लिए लाल रंग का आसन का प्रयोग करें.

0046. आसन  - लक्ष्मी संबंधी प्रयोग में आप पीले वस्त्रों का ही प्रयोग करें.  यदि पीले वस्त्र न हों तो मात्र धोती पहन लें एवं उपर शाल लपेट लें.  आप चाहे तो धोती को केशर के पानी में भिगोंकर पीला भी रंग सकते हैं.

0047. आसन  - लक्ष्मी, ऐश्वर्य, धन संबंधी प्रयोगों के लिए पीले रंग के आसन का प्रयोग करें.

0048. आसन  - वशीकरहण, उच्चाटन आदि प्रयोगों के लिए काले रंग के आसन का प्रयोग करें. 

0049. आसन  - सात्विक साधनाओं, प्रयोगां के लिए कुशा के बने आसन का प्रयोग करें.

0050. उल्लू - (सफेद) का दिखाई देना शुभ माना जाता है.

0051. उल्लू - की आवाज सुनने को अशुभ माना जाता है.

0052. उल्लू - मेहमान के पीछे की तरफ यदि उल्लू दिखाई दे तो काम में सफलता मिलने के योग बढ़ जाते हैं.

0053. उल्लू - यदि उल्लू रात में यात्रा कर रहे व्यक्ति को होम-होम की आवाज करता मिले तो शुभ फल मिलता है, क्योंकि इसी प्रकार की ध्वनि यदि वह फिर करता है तो उसकी इच्छा रमण करने की होती है.

0054. उल्लू - यदि किसी के दरवाजे पर उल्लू तीन दिन तक लगातार रोता है, तो उसके घर में चोरी अथवा डकैती होने की संभावना अधिक रहती है.  अथवा उसे किसी न किसी रूप में धन की हानि अवश्य होती है.

0055. उल्लू - यदि किसी घर की छत पर बैठ कर उल्लू बोलता है तो उस घर के स्वामी अथवा परिवार के ऊपर संकट का समय है.

0056. उल्लू - यदि कोई उल्लू किसी के घर पर बैठना प्रारंभ कर दे, तो वह घर शीघ्र ही उजड़ सकता है और उस घर के मालिक पर कोई विपत्ति आने की संभावना बढ़ जाती है.

0057. उल्लू - शकुन शास्त्र के अनुसार उल्लू का बांई ओर बोलना और दिखाई देना शुभ रहता है.  दाहिने देखना और बोलना अशुभ होता है.

0058. कपूर - अति सुगंधित पदार्थ होता है तथा इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है.  कपूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है.  प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कपूर जरूर जलाएं.

0059. कपूर - का वास्तुदोष को मिटाने के लिए बहुत‍ महत्व है.  यदि सीढ़ियां, टॉयलेट या द्वार किसी गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं, तो सभी जगह 1-1 कपूर की बट्टी रख दें.  वहां रखा कपूर चमत्कारिक रूप से वास्तुदोष को दूर कर देगा.  रात्रि में सोने से पहले पीतल के बर्तन में घी में भीगा हुआ कपूर जला दें.  इससे तनावमुक्ति होगी और गहरी नींद आएगी.

0060. काम - अनेक स्त्रियों के साथ रहना भी काम वासना से जुड़ी एक बुरी आदत है.  इसके कारण शरीर, यश, कीर्ति आदि सभी नष्ट हो जाता है.  व्यक्ति को परिवार व समाज में भी बुरी नजर से देखा जाता है.

0061. काम - जुआ खेलने से एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संपूर्ण परिवार नष्ट हो सकता है.  यह एक सामाजिक बुराई है.  अतः इससे बचकर रहने में ही भलाई है.

0062. काम - जो लोग काम वासना से ग्रसित होते हैं, शिकार खेलना उनकी एक बुरी आदत होती है.  इसके कारण कई बार मनुष्य को अनेक कष्ट उठाने पड़ सकते हैं.

0063. काम - परनिंदा यानी दूसरों की बुराई करना.  कुछ लोगों की आदत होती है कि वे हमेशा दूसरों लोगों की बुराई करते रहते हैं.  ऐसे लोग यदि आपके सामने दूसरों की बुराई करते हैं तो यह समझना चाहिए कि दूसरों के सामने वह आपकी भी बुराई अवश्य करते होंगे.

0064. काम - पारिवारिक जिम्मेदारी छोड़कर श्रृंगार रस की कविताएं लिखना व गाना भी काम से जुड़ी बुरी आदत मानी गई है (पुराने समय में), लेकिन वर्तमान समय में इसे बुरा नहीं माना जाता.

0065. काम - बिना किसी काम के दिन-भर इधर-उधर भटकते रहना भी एक बुरी आदत है.  ऐसे लोग न तो परिवार के काम आते हैं और न ही समाज के.  इनके जीवन का कोई लक्ष्य भी निर्धारित नहीं होता.

0066. काम - बिना किसी विशेष उद्देश्य के वाद्य यंत्र बजाना भी काम से जुड़ी बुरी आदत है. (अकेले में प्रेक्टिस अलग बात है)

0067. काम - बेमतलब नाचना भी काम वासना से जुड़ी एक बुरी आदत है.  जो मनुष्य इस आदत का शिकार होता है, उसे समाज में अच्छा नहीं माना जाता.  ऐसे लोगों को समाज से दूर ही रखा जाता है. (अकेले में प्रेक्टिस अलग बात है)

0068. काम - वासना से ग्रसित लोग दिन में सोते हुए कुछ भी सोचा करते हैं.  इनकी कल्पनाएं भी वासना से लिप्त रहती हैं व स्वयं के हित से जुड़ी होती हैं.  ऐसे लोग जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते.  इसलिए इस बुरी आदत से बचना चाहिए.

0069. काम - शराब पीने से व्यक्ति दुःसाहसी हो जाता है.  उसे अपने-पराए, भले-बुरे का भान नहीं रहता.  ऐसी अवस्था में वह कुछ ऐसे काम भी कर जाता है जिससे परिवार व समाज में उसे अपयश मिलता है.  कई बार उसका परिवार भी नष्ट हो जाता है.

0070. काली मिर्च - काली मिर्च के 7-8 दाने लेकर उसे घर के किसी कोने में दिए में रखकर जला दें.  इसके अलावा आप यह भी कर सकते हैं कि 5 ग्राम हींग और 5 ग्राम कपूर के साथ 5 ग्राम काली मिर्च को मिलाकर मिश्रण बना लें.  फिर इसकी राई के बराबर गोलियां बना लें. जितनी भी गोलियां बनी हो उसको दो भागों में बराबर बांट लें और फिर इसे सुबह और शाम को चलाएं.  यह प्रयोग तीन दिन तक करेंगे तो घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी.  इस उपाय से यदि किसी की बुरी नजर के कारण आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है तो वह दोष भी दूर हो जाता है.  इन गोलियां का सेवन करने से उल्टी एवं दस्त भी बंद हो जाते हैं.

0071. काली मिर्च - किसी भी शुभ दिवस पर मिटटी का एक नया कुल्हड़ लाएँ तथा उसमे एक लाल वस्त्र,सात काली मिर्च एवं सात ही नमक की साबुत कंकड़ी रख दें, हांडी का मुख लाल कपडे से बंद कर दें एवँ कुल्हड़ के बाहर कुमकुम की सात बिंदियाँ लगा दे फिर उसे सामने रख कर निम्न मंत्र की ५ माला जप करेँ. मन्त्र जप के पश्चात हांडी को चौराहे पर रखवा देँ.  यह बहुत ही असरदायक प्रयोग है.

0072. काली मिर्च - दीपावली के दिन काली मिर्च के दाने ‘ऊं ऊं क्लीं’ बीज मंत्र का जप करते हुए परिवार के सदस्यों के सिर पर घुमाकर दक्षिण दिशा में घर से बाहर फेंक दें, शत्रु शांत हो जाएंगे.

0073. काली मिर्च - प्रातः काल बीज मंत्र झ्क्लींश् का उच्चारण करते हुए काली मिर्च के नौ दाने सिर पर से घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दें, ऊपरी बला दूर हो जाएगी.

0074. काली मिर्च - भोजन करते समय आपको दाल या सब्जी आदि में नमक कम लगे तो उपर से नमक न डालें (सफेद नमक तो बिल्कुल भी नही) ऐसे में काला नमक तथा मिर्च कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें.  यदि आप ऐसे नहीं करेंगे तो इससे शनि का दुष्प्रभाव शुरू हो जाएगा.

0075. काली मिर्च - यदि आप किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जा रहे हैं तो घर से बाहर निकलने से पहले मुख्य दरवाजे पर काली मिर्च रखें और उसी काली मिर्च पर पैर रखकर घर से बाहर अपने कदम बढ़ाएं.  आप जिस काम के लिए जा रहे हैं उसमें सफलता मिलेगी.

0076. काली मिर्च - यदि आप मालामाल होना चाहते हैं तो काली मिर्च के 5 दाने लें और उन्हें अपने सिर पर से 7 बार वार लें.  इसके बाद किसी चौराहे या किसी सुनसान स्थान पर खड़े होकर चारों दिशाओं में 4 दाने फेंक दें.  इसके बाद 5वें दाने को ऊपर आसमान की ओर फेंक दें.  इसके बाद चौराहे से पुन: लौटते वक्त पीछे पलटकर न देंगे.

0077. काली मिर्च - शनि देव मान जाते हैं अगर आप काले कपड़े में काली मिर्च और पैसे बांधकर दान करें.

0078. काले तिल - का दान करें.  इससे राहु-केतु और शनि के बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं.  कालसर्प योग, साढ़ेसाती, ढय्या, पितृ दोष आदि में भी यह उपाय किया जा सकता है.

0079. काले तिल - कुंडली में शनि के दोष हों या शनि की साढ़ेसाती या ढय्या चल रही हो तो किसी पवित्र नदी में हर शनिवार काले तिल प्रवाहित करना चाहिए.  इस उपाय से शनि के दोषों की शांति होती है.

0080. काले तिल - दूध में काले तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाएं.  इससे बुरा समय दूर हो सकता है.  यह उपाय हर शनिवार को करना चाहिए.

0081. काले तिल - परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसार कर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी.

0082. काले तिल - हर रोज एक लोटे में शुद्ध जल भरें और उसमें काले तिल डाल दें.  अब इस जल को शिवलिंग पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र जप करते हुए चढ़ाएं.  जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें.  जल चढ़ाने के बाद फूल और बिल्व पत्र चढ़ाएं.  इस उपाय से शुभ फल प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ती हैं.

0083. काले तिल - हर रोज शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें.  इससे शनि के दोष शांत होते हैं.  पुराने समय से चली आ रही बीमारियां भी दूर हो सकती हैं.

0084. काले तिल - हर शनिवार काले तिल, काली उड़द को काले कपड़े में बांधकर किसी गरीब व्यक्ति को दान करें.  इस उपाय से पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं.

0085. कुत्ता - किसी किसान को हल ले जाते हुए रास्ते में कुत्ता बांई और मिल जाए और फिर घर आते समय दाहिनी ओर मिले तो उसकी उपज अच्छी होती है.

0086. कुत्ता - कुत्ता यदि अपनी जीभ से अपने दाहिने अंग को चाटता है अथवा खुजलाता है तो ये कार्य सिद्धि की सूचना है या जीभ से पेट को छूता हुआ दिखाई दे तो लाभ होता है.

0087. कुत्ता - जिसके घर में कोई कुत्ता बहुत देर तक आकाश, गोबर, मांस, विष्ठा देखता है तो उस मनुष्य को सुंदर स्त्री की प्राप्ति और धन का लाभ होने के योग बनते हैं.

0088. कुत्ता - भोजन करते समय यदि कोई कुत्ता आपके सामने आकर अपनी पूंछ उठाकर सिर को हिलाता है तो वह भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि वह भोजन करने से रोगी होने की संभावना रहती है.

0089. कुत्ता - यदि किसी जुआरी को जुआ खेलते जाते समय दाईं ओर कुत्ता मैथुन करता मिले तो उसे जुएं में अत्यधिक लाभ होने की संभावना रहती है.

0090. कुत्ता - यदि किसी यात्री को देखकर कुत्ता भय से या क्रोध से गुर्राता है अथवा बिना किसी कारण से इधर-उधर चक्कर काटे तो उस यात्रा करने वाले को धन की हानि हो सकती है.

0091. कुत्ता - यदि किसी रोगी के सामने कुत्ता अपनी पूंछ या ह्रदय स्थल बार-बार चाटे तो शकुन शास्त्र के अनुसार बहुत ही जल्दी उस रोगी की मृत्यु होने की संभावना रहती है.

0092. कुत्ता - यदि किसी व्यक्ति की चारपाई के नीचे घुसकर कुत्ता भौंकता है तो उस चारपाई पर सोने वाले को रोग और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

0093. कुत्ता - यदि किसी स्थान पर बहुत से कुत्ते एकत्रित होकर भौंके तो वहां रहने वाले लोगों पर कोई बड़ी विपत्ति आती है या फिर वहां के लोगों में भयंकर लड़ाई-झगड़ा होता है.

0094. कुत्ता - यदि कुत्ता पेड़ के नीचे खड़ा होकर भौंकता है तो ये वर्षाकाल में अच्छी वर्षा का संकेत होता है.

0095. कुत्ता - यदि कुत्ता बाएं घुटने को सूंघते हुए दिखे तो धन प्राप्ति हो सकती है तथा दाहिने घुटने को सूंघता दिखे तो पत्नी से झगड़ा हो सकता है.  बांई जांघ को सूंघे तो स्त्री से समागम और दाईं जांघ को सूंघे तो मित्र से वैर होने की संभावना रहती है.

0096. कुत्ता - यदि यात्रा करते समय किसी व्यक्ति को कुत्ता अपने मुख में रोटी, पूड़ी या अन्य कोई खाद्य पदार्थ लाता दिखे तो उस व्यक्ति को धन लाभ होने की संभावना बनती है.

0097. कुत्ता - यात्रा के लिए जाते हुए यदि कोई कुत्ता बांई ओर संग-संग चले तो सुंदर स्त्री और धन की प्राप्ति हो सकती है.  यदि दाहिनी ओर चले तो चोरी या और किसी प्रकार से धन हानि की सूचना देता है.

0098. कुत्ता - यात्रा पर जाते समय कुत्ता जूते लेकर भाग जाए या किसी ओर के जूते लेकर सामने आ जाए तो निश्चित रूप से उस व्यक्ति के धन को चोर चुरा लेते हैं.

0099. कुत्ता - शकुन शास्त्र के अनुसार कुत्ता यदि अचानक धरती पर अपना सिर रगड़े और यह क्रिया बार-बार करें तो उस स्थान पर गड़ा धन होने की संभावना होती है.

0100. कौआ - किसी के घर पर कौओं का झुंड आकर चिल्लाए तो भवन मालिक पर कई संकट एक साथ आ सकते हैं.


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सास बहु के बीच सम्बन्ध सुधारने के उपाय '...गन्धाक्षतम्, पुष्पाणि, धूपम्, दीपम्, नैवेद्यम् समर्पयामि. ' नपुंसकता नष्ट करने के लिए जायफल, लौंग, कपूर और काली मिर्च 40-40 ग्राम, मकरध्वज 5 ग्राम, केसर 1 ग्राम सबको बारीक कूट-पीसकर खरल करके पान के रस के साथ घुटाई करें और आधा-आध ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें. रात को सोते समय दो चम्मच या एक चम्मच मक्खन के साथ एक गोली खाकर ऊपर से एक गिलास मीठा कुनकुना गर्म दूध पिएं, जब शाम का भोजन किए हुए दो-ढाई घंटे हो चुके हों. यह बहुत ही बलवीर्यवर्द्धक नुस्खा है. भांग को कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें. इस चूर्ण को 5-6 ग्राम (एक छोटा चम्मचभर) मात्रा में, एक महीन मलमल के साफ सफेद कपड़े पर रखकर छोटी सी पोटली बनाकर मजबूत धागे से बांध दें. धागा लम्बा रखें, ताकि धागे को खींचकर पोटली बाहर खींची जा सके. रात को सोते समय इस पोटली को पानी में डुबोकर गीली कर लें एवं योनि मार्ग में अन्दर तक सरकाकर रख लें और सुबह निकालकर फेंक दें. लाभ न होने तक यह असगन्ध 100 ग्राम, गिलोय 50 ग्राम और गिलोयसत 10 ग्राम तीनों को कूट-पीसकर मिला लें. आधा चम्मच चूर्ण, आधा चम्मच शुद्ध घी और दो चम्मच शहद मिलाकर चाट लें और ऊपर से मिश्री मिला ठंडा किया हुआ दूध पिएं. शीतकाल के दिनों में कम से कम 60 दिन सुबह-शाम यह नुस्खा सेवन करना चाहिए. माजूफल का चूर्ण 100 ग्राम मोचरस का चूर्ण 50 ग्राम और लाल फिटकरी 25 ग्राम. सबको कूट-पीसकर मिलाकर रखें. पहले 20 ग्राम खड़े मूंग 3 कप पानी में खूब उबालें और बाद में छानकर इस पानी से डूश करें. एक रूई का बड़ा फाहा पानी में गीला कर निचोड़ लें और इस पर ऊपर बताया चूर्ण बुरककर यह फाहा सोते समय योनि में रखें. इन दोनों में से कोई एक प्रयोग कुछ दिन तक करने से योनि तंग और सुदृढ़ हो जाती है. वाटर फाउंटेन: ताजमहल: यूँ तो शंखचालनी मुद्रा तथा मूलबंध का अभ्यास करना और मूत्र विसर्जन करते समय रोक-रोककर पेशाब करना, ये तीन उपाय योनि को चुस्त-दुरुस्त, सशक्त और संकीर्ण बनाते हैं. नियमित रूप से थोड़ी देर वज्रासन पर बैठकर शंखचालनी मुद्रा व मूलबंध लगाने का अभ्यास करना चाहिए सफेद मुसली, गोखरू बड़ा, तालमखाना और तावरी 50-50 ग्राम सबको कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें और पिसी हुई मिश्री 100 ग्राम लेकर सबको मिला लें. सुबह-शाम इस चूर्ण को 1-1 चम्मच मात्रा में मीठे कुनकुने गर्म दूध के साथ सेवन करें. यह नुस्खा नपुंसकता, ध्वजभंग, शुक्रमेह, शुक्र की उष्णता व पतलापन, पेशाब की रुकावट और जलन आदि व्याधियां नष्ट कर शरीर को सशक्त बनाने और पौरुष बल की वृद्धि करने में बड़े गोखरू, तालमखाना, शतावरी, कौंच के छिलकेरहित बीज, नागबला और अतिबला सब 50-50 ग्राम और मिश्री 150 ग्राम, सभी को कूट-पीसकर अच्छा महीन चूर्ण कर लें. सुबह-शाम 1-1 चम्मच चूर्ण फांककर ऊपर से कुनकुना मीठा दूध पिएं. यह नुस्खा बिना कोई हानि किए नपुंसकता को नष्ट करने वाला और पर्याप्त यौन शक्ति प्रदान करने वाला आयुर्वेदिक टॉनिक है. नियमों का पालन कर कम से कम 60 दिन इस नुस्खे का नियमित रूप महाभारत की तस्वीर: मैनफल, मुलहठी और कपूर तीनों को समान मात्रा में खूब कूट-पीसकर महीन करके मिला लें और पोटली बना लें. चुटकीभर माजूफल का महीन पिसा चूर्ण जरा से शहद में मिला लें. इस लेप को अंगुली से योनि के अंदर ठीक प्रकार सब तरफ लगाकर यह पोटली सोते समय योनि के अंदर सरकाकर रख दें. प्रातः इससे निकालकर फेंक दें. कूठ, धाय के फूल, बड़ी हरड़, फिटकरी, माजूफल, लोध्र, भांग और अनार के छिलके सब 10-10 ग्राम, इन्हें कूट-पीसकर चूर्ण कर लें 250 ग्राम शराब में डालकर 7 दिन तक रखें. दिन में 2-3 बार हिला दिया करें. आठवें दिन कपड़े से छानकर शीशी में भर लें इसमें रूई का फाहा भिगोकर योनि में अंदर चारों तरफ लगाने से योनि की शिथिलता, विस्तीर्ण तथा दीर्घमुख होने की स्थिति दूर होती है. आवश्यकता रहे तब तक यह प्रयोग नटराज की प्रतिमा: जिसमे वो नाचते हूए दिखाई दें) तथा) जो भावप्रिय, कुयोगियों (विषयी पुरूषों) के लिये अत्यन्त दुर्लभ, अपने भक्तों के लिये कल्पवृक्ष, सम और सदा सुखपूर्वक सेवन करने योग्य हैं, मैं निरन्तर भजता हू¡. 2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है. आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है. इन्ही के साथ सर्वोत्तम यह भी रहेगा कि रात को सोने से पहले किसी भी तेल की 10 मिनट तक मालिश करें. या तो स्वयं करें या अपने पति से कराएं, मालिश के दिनों में गेप न करें, रेगुलर करें व दो माह बाद चमत्कार देखें. स्तनों की मालिश हमेशा नीचे से ऊपर ही करें. कई व्यक्ति सहवास को इस हद तक जरूरी मानते हैं कि भले ही उनका सहयोगी ठंडा पड़ा हो या वह अन्य किसी कठिन परिस्थिति से गुजर रहा हो, वे सहवास करते ही हैं. यदि पति-पत्नी में से कोई भी क्रोध, चिंता, दुःख, अविश्वास आदि किसी भी मानसिक समस्या से गुजर रहा हो, तो सहवास करना उचित नहीं है. यानी सहवास उसी समय परम आनंददायक होता है, जब पति-पत्नी दोनों पूर्ण प्रसन्न चित्त हों कई व्यक्ति सहवास को महज एक औपचारिकता के तौर पर लेते हैं और इस कार्य को केवल वीर्य स्खलन मानते हुए जल्द खत्म कर देते हैं. दरअसल सहवास में जल्दबाजी न तो पुरुष को ही आनंद देने वाली होती है और न ही स्त्री की संतुष्टि. लिहाजा सहवास के पूर्व विभिन्न क्रिया-कलाप एवं श्रृंगार रसपूर्ण बातों से स्त्री के 'काम' या सेक्स को पूर्ण जागृत करें, तभी सहवास का सच्चा आनंद आप पा सकते हैं और कभी-कभी चुचुकों में कटाव, शोथ या अलसर जैसी व्याधि हो जाती है, इसके लिए थोड़ा सा शुद्ध घी (गाय के दूध का) लें, सुहागा फुलाकर पीसकर इसमें मिला दें. माचिस की सींक की नोक के बराबर गंधक भी मिला लें. इन तीनों को अच्छी तरह मिलाकर मल्हम जैसा कर लें और स्तनों के चुचुक पर दिन में 3-4 बार लगाएं. ताजे मक्खन में थोड़ा सा कपूर मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है. कभी-कभी स्तनों में हलकी सूजन और कठोरता आ जाती है. मासिक धर्म के दिनों में प्रायः यह व्याधि हुआ करती है, जो मासिक ऋतु स्त्राव बन्द होते ही ठीक हो जाती है. ऐसी स्थिति में गर्म पानी से नैपकिन गीला करके स्तनों को सेकना चाहिए. किशोरावस्था में जब स्तनों का आकार बढ़ रहा हो, तब तंग अंगिया या ब्रेसरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि उचित आकार की और तनिक ढीली अंगिया पहनना चाहिए. बिना अंगिया पहने नहीं रहना चाहिए वरना स्तन बेडौल और ढीले हो जाएंगे. ज्यादा तंग अंगिया पहनने से स्तनों के स्वाभाविक विकास में बाधा पड़ती है. किसी भी स्थिति में स्तनों पर आघात नहीं लगने देना चाहिए. स्तन में कभी कोई छोटी सी गांठ हो जाए जो कठोर हो और स्तन से दूध की जगह खून आने लगे तो यह स्तन के कैंसर हो सकने की चेतावनी हो सकती है. ऐसी स्थिति में तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना जरूरी है. कुछ विशिष्ट पंडितों तथा ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य के उत्तरायण रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्र तथा दक्षिणायन रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्री जन्म लेती है. उनका यह भी कहना है कि मंगलवार, गुरुवार तथा रविवार पुरुष दिन हैं. अतः उस दिन के गर्भाधान से पुत्र होने की संभावना बढ़ जाती है. सोमवार और शुक्रवार कन्या दिन हैं, जो पुत्री पैदा करने में सहायक होते हैं. बुध और शनिवार नपुंसक दिन हैं. अतः समझदार व्यक्ति को इन दिनों का ध्यान करके ही गर्भाधान करना चाहिए. गम्भारी की छाल 100 ग्राम व अनार के छिलके सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें. दोनों चूर्ण 1-1 चम्मच लेकर जैतून के इतने तेल में मिलाएं कि लेप गाढ़ा बन जाए. इस लेप को स्तनों पर लगाकर अंगुलियों से हलकी-हलकी मालिश करें. आधा घंटे बाद कुनकुने गर्म पानी से धो डालें. जो भी परिणाम मिले, उसकी सूचना कृपया हमें जरूर दें. गर्भावस्था के दिनों में स्तनों को भली प्रकार धोना, अच्छे साबुन का प्रयोग करना, चुचुकों को साफ रखना यानी चुचुक बैठे हुए और ढीले हों तो उन्हें आहिस्ता से अंगुलियों से पकड़कर खींचना व मालिश द्वारा उन्नत व पर्याप्त उठे हुए बनाना चाहिए, ताकि नवजात शिशु के मुंह में भलीभांति दिए जा सकें. यदि हाथों के सहयोग से यह सम्भव न हो सके तो 'ब्रेस्ट पम्प' के प्रयोग से चुचुकों को उन्नत और ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है. चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है. चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है. चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है. छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा. छोटी कटेरी नामक वनस्पति की जड़ व अनार की जड़ को पानी के साथ घिसकर गाढ़ा लेप करें. इस लेप को स्तनों पर लगाने से कुछ दिनों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है. जापान के सुविख्यात चिकित्सक डॉ. कताज का विश्वास है कि जो औरत गर्भ ठहरने के पहले तथा बाद कैल्शियमयुक्त भोज्य पदार्थ तथा औषधि का इस्तेमाल करती है, उसे अक्सर लड़का तथा जो मेग्निशियमयुक्त भोज्य पदार्थ जैसे मांस, मछली, अंडा आदि का इस्तेमाल करती है, उसे लड़की पैदा होती है. जो लोग शाम सात बजे तक भोजन कर लेते हैं, उनको छोड़कर शेष लोगों को जो कि भोजन रात्रि 10-11 बजे तक करते हैं, सहवास आधी रात के बाद करना हितकारी है. तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है. दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है. दिन के समय कभी भी सहवास न करें, सहवास (मैथुन) हमेशा रात में ही करना चाहिए वह भी सिर्फ एक बार. हो सके तो इसमें भी 'गैप' दें. दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है. नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है. पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है. पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी. प्राचीन संस्कृत पुस्तक 'सर्वोदय' में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा. फिटकरी 20 ग्राम, गैलिक एसिड 30 ग्राम, एसिड आफ लेड 30 ग्राम, तीनों को थोड़े से पानी में घोलकर स्तनों पर लेप करें और एक घंटे बाद शीतल जल से धो डालें. लगातार एक माह तक यदि यह प्रयोग किया गया तो 45 वर्ष की नारी के स्तन भी नवयौवना के स्तनों के समान पुष्ट हो जाएंगे. बच्चे को जन्म देते ही स्तनों का प्रयोग शुरू हो जाता है. स्तन के चुचुकों को भलीभांति अच्छे साबुन-पानी से धोकर साफ करके ही शिशु के मुंह में देना चाहिए. यदि बच्चे को दूध पिलाने के बाद भी स्तनों में दूध भरा रहे तो इस स्थिति में हाथ से या 'ब्रेस्ट पम्प' से, दूध निकाल देना चाहिए. सब प्रयत्न करने पर भी स्तन में कोई व्याधि, सूजन या पीड़ा हो तो शीघ्र ही किसी कुशल स्त्री चिकित्सक को बरगद के पेड़ की जटा के बारीक नरम रेशों को पीसकर स्त्रियां अपने स्तनों पर लेप करें तो स्तनों का ढीलापन दूर होता है और कठोरता आती है. बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है. भलीभांति शारीरिक परिश्रम करने वाली, हाथों से काम करने वाली किशोर युवतियों के अंग-प्रत्यंगों का उचित विकास होता है और स्तन बहुत सुडौल और पुष्ट हो जाते हैं. प्रायः घरेलू काम जैसे कपड़े धोना, छाछ बिलौना, कुएं से पानी खींचना, बर्तन मांजना, झाड़ू-पोछा लगाना और चक्की पीसना ऐसे ही व्यायाम हैं, जो स्त्री के शरीर के सब अवयवों को स्वस्थ और सुडौल रखते हैं. यह पाचन क्रिया को बलवान बनाकर जहाँ शरीर को रस रक्त आदि सातों धातुओं को पुष्ट करने की क्षमता प्रदान कर शरीर को पुष्ट व शक्तिशाली बनाती है, वहीं यौनांग को भी शक्ति, स्फूर्ति व कठोरता प्रदान कर शीघ्रपतन, शिथिलता व निर्बलता को नष्ट कर यौन शक्ति व सामर्थ्य प्रदान करती है. यूनान के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा महान दार्शनिक अरस्तु का कथन है कि पुरुष और स्त्री दोनों के दाहिने अंडकोष से लड़का तथा बाएं से लड़की का जन्म होता है. विवाहित पुरुषों को अपनी असमर्थता दूर कर उचित पौरुष बल प्राप्त करने के लिए उचित आहार-विहार और संयम का पालन कर कम से कम 40 दिन तक वीर्यशोधन वटी 1-1 गोली के साथ इस वीर्य स्तंभन वटी का सेवन करना चाहिए. ये दोनों दवाएँ बाजार में बनी बनाई मिलती है शयन के ठीक पहले दूध न पिएँ , यदि दूध लेना ही है तो सोने के एक घण्टा पूर्व लें. सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी. सूर्योदय के कुछ समय पूर्व से लेकर सूर्योदय के बाद यानी ब्रह्य मुहूर्त में किया गया सहवास स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है. सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है. सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है. स्तनों की शिथिलता दूर करने के लिए एरण्ड के पत्तों को सिरके में पीसकर स्तनों पर गाढ़ा लेप करने से कुछ ही दिनों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है. कुछ व्यायाम भी हैं, जो वक्षस्थल के सौन्दर्य और आकार को बनाए रखते हैं. स्त्री का जिस समय मासिक धर्म चला रहा हो, तब उसके साथ सहवास न करें. इन चार दिनों में कंडोम वगैरह लगाकर भी नहीं. ऐसा करना कई तरह के रोगों को दावत देना है. अप्राकृतिक मैथुन किसी भी सूरत में उचित नहीं, इससे दूर ही रहें. , , लेकिन हमें नियमित रूप से तुलसी की पत्ती का सेवन करते रहना चाहिए. - पति-पत्नी दोनों साथ मिलकर गेंहू के आटे से ११ पार्थिव लिंग बनाए. पार्थिव लिंग विशेष मिट्टी के बनाए जाते हैं. - पहले तीन महीनों और आखिरी तीन महीनों में सेक्स से बचें. कोई दिक्कत न हो तो सेकंड ट्राइमेस्टर में शारीरिक संबंध बना सकती हैं, लेकिन इस दौरान पोजिशन का ध्यान रखें और देखें कि पेट पर किसी तरह का दबाव न पड़े. - पार्थिव लिंग के अभिषेक का पवित्र जल पति-पत्नी दोनों पीएं और शिव से पुत्र पाने के लिए प्रार्थना करें. - पार्थिव लिंग को बनाने के बाद इनका शिव महिम्र स्त्रोत के श्लोकों से पूजा और अभिषेक के ११ पाठ स्वयं करें. अगर ऐसा संभव न हो तो पूजा और अभिषेक के लिए सबसे श्रेष्ठ उपाय है कि यह कर्म किसी विद्वान ब्राह्मण से कराएं. पार्थिव लिंग निर्माण और पूजा भी ब्राह्मण के बताए अनुसार कर सकते हैं. - पुत्र प्राप्ति का यह उपाय विशेष तौर पर सावन माह से शुरु करें. - पुरुष को ऊपर नहीं रहना चाहिए. ऐसे में महिला को ऊपर रहने की सलाह दी जाती है या फिर दोनों सिटिंग पोजिशन में भी आ सकते हैं. - प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं काफी इमोशनल और संवेदनशील हो जाती हैं. अगर उन्हें लगता है कि उनका हस्बैंड उन पर ध्यान नहीं दे रहा, तो वे चिड़चिड़ी, अनिद्रा की शिकार और कम या ज्यादा भूख की मरीज हो जाती हैं. उनकी सेक्स की इच्छा कम हो जाती है. ऐसे में पति प्यार से पेश आए और पत्नी जिन बदलावों से गुजर रही है, उन्हें समझे. - यह प्रयोग २१ या ४१ दिन तक पूरी श्रद्धा और भक्ति से करने पर शिव कृपा से पुत्र जन्म की कामना शीघ्र ही पूरी होती है. - स्त्री और पुरुष दोनों सुबह जल्दी उठे. स्त्री इस दिन उपवास रखे. . . . . इन नियमों का पालन करने से आपको समाज में मान सम्मान मिलना शुरू हो जायेगा. . इससे भी पितृ दोष में कमी आती है. . दक्षिण अफ्रीका में उल्लू की आवाज को मृत्युसूचक कहा जाता है. चीन में उल्लू दिखाई देने पर पड़ोसी की मृत्यु का सूचक मानते हैं. . प्रॉब्लम बढ़ने पर पेस मेकर की जरूरत भी पड़ सकती है. . माना जाता है कि इस उपाय से अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं. . मौसम परिवर्तन के समय होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाव हो सकता है. . यही कारण है कि रात को श्मशान जाते समय तांत्रिक भी अपनी सुरक्षा का विशेष उपाय करते हैं. . स्टडी रूम में अधिक साज-सज्जा से परहेज करें . . हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कपूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है. . . तहं पुनि संभु समुझिपन आसन. बैठे वटतर, करि कमलासन. . . . श्रीअत्रि-मुनिरूवाच. . . . ध्यान रहे कि आपने यह उपाय किया है इसकी चर्चा किसी से भी ना करें 1 + 8 = 1 + 9 = 1 वर्ष में सूर्य पर आधारित उत्तरायण और दक्षिणायन 2 अयन होते हैं. इनमें से वर्ष के मान से उत्तरायण में और माह के मान से शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती हैं, तो दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य और पितर आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं.

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